AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 10 नीति दोहे Textbook Questions and Answers.
AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे
10th Class Hindi Chapter 10 नीति दोहे Textbook Questions and Answers
InText Questions (Textbook Page No. 58)
प्रश्न 1.
कवि ने बिना फलवाले वृक्षों के विषय में क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने कहा है कि बिना फलवाले वृक्ष व्यर्थ ही अपनी अकड़ (घमंड) दिखाते हैं।
प्रश्न 2.
फलदार वृक्ष की विशेषता बताइए।
उत्तर:
फलदार वृक्ष की यह विशेषता है कि वे धरती तक नम (झुक) जाते हैं।
प्रश्न 3.
बुलबुल और कौए में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुलबुल की बोली मीठी होती है पर कौए की बोली मीठी नहीं होती। बुलबुल और कौए में यही अंतर है।
InText Questions (Textbook Page No. 59)
प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
उत्तर:
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है।
प्रश्न 2.
‘साँचे’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
“साँचे” शब्द का अर्थ है “सच्चे”।
प्रश्न 3.
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून – पंक्ति का भाव बताइए।
उत्तर:
पानी (इज्जत) के बिना मनुष्य, पानी (कांति) के बिना मोती और पानी (जल) के बिना चूना व्यर्थ हैं या बेकार है।
प्रश्न 4.
किसके मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है?
उत्तर:
सोने के मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है। धन या सोने में अधिक मादकता होती है। उसे पाते ही मनुष्य घमंडी बन जाता है।
प्रश्न 5.
बिहारी ने नर की तुलना किससे की है?
उत्तर:
बिहारी ने नर की तुलना नल के नीर से की है।
प्रश्न 6.
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को नम्र या विनयशील होना चाहिए।
अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया
अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
नीति वचनों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
- नीति वचनों के प्रभाव से हमारे जीवन में और आचार – विचार में अवश्य परिवर्तन आते हैं।
- नैतिक गुणों के विकास के द्वारा ही हम अच्छे – बुरे, सही – गलत में भेद कर सकते हैं।
- विष्णुशर्मा के पंच – तंत्र की नैतिक कहानियों से हमें यह पता चल रहा है कि राज कुमारों के जीवन में परिवर्तन आया है।
- समाज परिवर्तकों के नीति वचनों के प्रभाव एवं कार्य से ही समाज के आचार – विचारों में भी परिवर्तन आया है।
- उदाहरण के लिए एक जमाने पर समाज में सती – प्रथा, बाल्य विवाह आदि थे। लेकिन समाज सुधारकों
(परिवर्तकों) के नीति वचनों के कारण आजकल के समाज में वे सब गायब होगये।
प्रश्न 2.
वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं है? क्यों?
उत्तर:
वस्तु सेवाओं को उपयोग करने को ही अर्थशास्त्र की परिभाषा में वस्तु विनियोग कहते हैं।
वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उनसे अधिक या ज्यादा वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं हैं। क्योंकि वस्तुओं की उत्पत्ति कम मात्रा में होती है। उसका विनियोग करने वाले तो अधिक मात्रा में रहते हैं। इसलिए वस्तुओं की कमी होती है। इसका और एक कारण आबादी बढ़ना भी है। इस कारण से एक प्रकार का होड़ जनता के बीच में उस वस्तु के लिए होता है। इस स्थिति में एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक या उचित नहीं है।।
आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।
प्रश्न 1.
पाठ से ‘ध्वनि साम्य’ वाले शब्द चुनकर लिखिए। जैसे : रीत, मीत
उत्तर:
सून – चून ; जेतौ – तेतौ ; जोइ – होइ
प्रश्न 2.
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है। उसके अलग – अलग अर्थ क्या हैं?
उत्तर:
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। “पानी” शब्द के अलग – अलग अर्थ इस प्रकार
1. कांति → मोती के लिए चमक या कांति की आवश्यकता है।
2. इज्ज़त (आदर) → मनुष्य के लिए इज्ज़त या आदर भाव की आवश्यकता है।
3. जल → चूने के लिए जल की आवश्यकता है।
इ) भाव स्पष्ट कीजिए।
1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव : इस दोहे में कविवर रहीम “पानी” शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करते हुए कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना ये तीन व्यर्थ व निरुपयोग हैं। पानी के तीन अर्थ ये हैं – इज्जत, चमक और जला कविवर रहीम बताते हैं कि इज्जत या आदर के बिना मनुष्य, चमक या चमक के बिना मोती, जल के बिना चूना व्यर्थ तथा निरुपयोग हैं। इसलिए इन तीनों की रक्षा होनी चाहिए।
2. कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ।
भाव : कविवर बिहारी इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा के बारे में वर्णन करते हैं। कवि यहाँ कनक शब्द को दो अर्थों में प्रयोग किया है। एक – धतूरा, दूसरा – सोना। कवि कहते हैं कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से ही मानव पागल बनता है। लेकिन सोना या धन – दौलत को पाने से ही मनुष्य पागल होजाता है।
अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता
अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
रहीम ने जल के महत्व के बारे में क्या बताया है?
उत्तर:
रहीम ने पानी के तीन अर्थ बताये। इज्जत, चमक और पानी। बिना इज्जत के मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। बिना चमक के मोती का मूल्य नहीं होता | पानी के बिना चूना बेकार है।
प्रश्न 2.
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से क्यों की होगी?
उत्तर:
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से की है। धतूरा एक विषैला पौधा है। इसके फल भी होते हैं। यह पौधा एवं फल नशीले होते हैं। इनसे मादकता होती है।
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से इसलिए की है कि धतूरे से बढ़कर सोने में सौ गुना ज्यादा मादकता हैं। धतूरे को खाने से ही मानव पागल होता है। लेकिन सोने को पाने से ही मनुष्य पागल हो जाता है।
सोने को पाकर मानव सदा उसकी रक्षा करने के बारे में नींद के बिना चिंतित रहता है। उसे सदा चोरों का भय सताता है। इसलिए वह पागल बन जाता है।
आ) किन्हीं दो दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
दोहा -1
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ॥
भाव :
इस दोहे में कविवर रहीम बताते हैं कि मनुष्य जब धनवान बनता है तब वह सुख और संतोष के साथ रहता है। उसके कई मित्र, बंधु बनते हैं। उसका आदर बढ़ता है लेकिन किसी कारणवश वह निर्धनी बन जाता तो कोई भी उसके साथ ठहर नहीं सकते। उसे सहायता नहीं करते। उस विपत्ति के समय मित्र तथा बंधु भी पराये हो जाते हैं। कविवर रहीम कहते हैं कि जो विपत्ति के समय हमारे साथ ठहरते हैं वे ही सच्चे मित्र हैं।
दोहा -2
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव :
कविवर रहीम इस दोहे में पानी शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करके कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना व्यर्थ हैं।
‘पानी’ के तीन अर्थ हैं – चमक या कांति, इज्ज़त और जल।
रहीम कहते हैं कि चमक के बिना मोती, इज्ज़त के बिना मानव और जल के बिना चूना व्यर्थ हैं।
इ) पाठ में दिये गये दोहों के आधार पर कुछ सूक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
- विपत्तियों में जो हमारी मदद करता है वही सच्चा दोस्त है।
- संपत्ति में हमें अधिक बंधु – मित्र होते हैं।
- इज्जत के बिना जीना निरुपयोग (व्यर्थ) है।
- सोना धतूरे का काम करता है।
- नम्रता में ही श्रेष्ठता है।
ई) पाठ में दिये गये दोहों में आपको कौनसा दोहा बहुत अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
पाठ में दिये गये दोहों में मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा। क्योंकि इस दोहे में कवि रहीम के द्वारा बताया गया है कि जो विपत्तियों में हमारे साथ रहकर हाथ बाँटते हैं वेही सच्चे दोस्त हैं। सचमुच सच्चा दोस्त संपत्ति और विपत्ति दोनों समय हमारे साथ रहने से इतिहास में आदर्शवान बनेगा। सच्चा मित्र कहलायेगा। उसे आदर – सत्कार मिलेगा।
भाषा की बात
अ) अर्थ के अनुसार बेमेल शब्द पहचानिए।
1. नीर, पीर, जल, पानी – ………. (पीर)
2. मीत, रीत, मित्र, दोस्त- ……… (रीत)
3. जग, संसार, विश्व, मग – ………… (मग)
1. यमक अलंकार समझिए। यमक का अर्थ ‘दो’ होता है। किसी शब्द की पुनरावृत्ति भिन्न – भिन्न अर्थों में होती है, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं।
उदाहरण :
कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ । उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ॥
2. दोहा छंद समझिए।
दोहा मात्रिक छंद है। इसके पहले चरण में तेरह मात्राएँ, दूसरे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं। तीसरे चरण में तेरह मात्राएँ और चौथे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
इ) 1. यमक अलंकार का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तजि तीस्थ, हरि राधिका, तन – दुति करि अनुराग |
जिहि ब्रज – केलि निकुंजमग, पग – पग होत प्रयाग||
ई) नीचे दिये गये शब्दों में प्रत्यय पहचानकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. लौकिक
2. नैतिक
3. पौराणिक
उत्तर:
परियोजना कार्य
इस पुस्तक में हर पृष्ठ पर एक – एक नीति वाक्य दिया गया है। उनमें से आपकी मनपसंद – दस नीतियों की सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
मेरी मनपसंद दस नीतियों की सूची
नीतिवाक्य | प्रवाचक |
1. श्रम ईश्वर की उपासना है। | कारलाइल |
2. अपना सामर्थ्य ही सब से श्रेष्ठ बल। | मनुस्मृतिः |
3. शांति के समान कोई तप नहीं, संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है। | चाणक्य |
4. जीवन की महत्वाकांक्षाएँ बालकों के रूप में आती हैं। | रवींद्रनाथ टैगोर |
5. अहंकार छोड़ने पर ही मनुष्य मानवता के पथ पर बढ़ सकता है। | स्वामी विवेकानंद |
6. नारी की सहानुभूति हार को भी जीत बना सकती है। | प्रेमचंद |
7. परोपकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक क़दम है। | वीवर |
8. भय पर आत्मा की शानदार विजय ही वीरता है। | एमियल |
9. राष्ट्रभाषा की जगह एक हिंदी ही ले सकती है। | महात्मा गांधी |
10. संघटित ज्ञान का नाम विज्ञान है। | हेच स्पेन्सर |
नीति दोहे Summary in English
Raheem
1. In this poem the poet Raheem narrates about the wealth, the man and the relationships. When we possess wealth we will have kith and kin in myriad ways. We will be revered well by them. If we lose the riches and become penniless, they will not be with us. Therefore, the adversities are the touchstones for testing true friends. They are true friends who stand by us and support us when we are in troubles.
2. In this poem the poet Raheem used the word ‘water’ as an attributive in three specific – meanings. He says that these three are very essential to life.
The three meanings of water : 1. lustre 2. honour or hospitality or courtes 3. Water. The pearl needs lustre. Without lustre, the pearl is useless. Similarly, it is necessary for a man to have honour. Life without honour is of no value. In the same way, lime needs water. Without water it does not stick and hence it is useless. So we should possess the above mentioned qualities and safeguard them.
Bihari
1. In this poem the poet Bihari compares gold with datura in a specific meaning.
Gold and datura are alike. As to datura, if a fruit or a flower of datura is eaten, the man gets inebriation and lunacy. Gold is exactly the same as datura. One gets inebriated as soon as one sees gold. In this way, the poet narrates about the madness caused by Gold.
2. In this poem the poet Bihari compares man with the tap water. He who is more modest is called an eminent person. The water flows in high lands exactly the same as it flows in low lands.
नीति दोहे Summary in Telugu
రహీం
1. ప్రస్తుత ఈ దోహాలో కవి రహీం సంపద, మనిషి అనుబంధాల గురించి వివరించుచున్నాడు. మనకు సంపదలు వచ్చినప్పుడు బంధువులు, మిత్రులు బహువిధాలుగా ఏర్పడతారు. కానీ ఏ కారణంగానైనా ఆ సంపదలన్నియు పోయి మనం పేదవారిమైతే మనలను ఆశ్రయించియున్న మిత్ర బంధువులెవ్వరూ మనతో ఉండరు. కనుక ఆపదలు మనకు నిజమైన స్నేహితులను గుర్తించు గీటురాళ్ళు. కాబట్టి ఆపదలలో ఎవరైతే మనతో ఉండి మనకు అండగా నిలుస్తారో వారే నిజమైన స్నేహితులు.
2. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి రహీం నీటిని మూడు విశేషార్థాలలో ప్రయోగించుచూ ఇవి మన జీవితానికి చాలా ముఖ్యమని వివరించుచున్నాడు.
నీటికి గల మూడు అర్థాలు 1. కాంతి 2. గౌరవం లేదా ఆదరణ లేదా మర్యాద. 3. జలం (నీరు.) ముత్యమునకు మెరుపు (కాంతి, ప్రకాశం) అవసరం. మెరుపు (కాంతి) లేనిదే ముత్యం వ్యర్థం. అట్లే మనిషికి గౌరవం (మర్యాద) అవసరం. గౌరవం లేని జీవితం వ్యర్థం. అదే విధంగా సున్నం ( సిమెంట్) కు నీరు అవసరం. నీరు లేని సున్నం అతకదు, వ్యర్థం. కాబట్టి వీటిని మనం ఎల్లప్పుడు కలిగి ఉండాలి. రక్షిస్తూ ఉండాలి.
బిహారీ
1. ఈ దోహాలో (పద్యం) కవి బీహారి గారు బంగారాన్ని విశేషార్థంలో ధతూరం (ఉమ్మెత్త) చెట్టు పువ్వు, కాయ, ఆకులతో)తో పోల్చి చెబుతున్నాడు. బంగారం, ధతూరం ఈ రెండూ ఒక్కటే. ధతూర చెట్టుకు సంబంధించి కాయను కాని పువ్వునుగాని తిన్నచో మనిషికి ఒక విధమైన పిచ్చి, మాదకత్వం (నిషా) ఎక్కుతాయి. కానీ బంగారం కూడా అలాంటిదే. ధతూరాన్ని తింటే మాత్రమే మనకు నిషా ఎక్కితే బంగారాన్ని చూసినంతనే మత్తు (నిషా) పిచ్చి పడుతుంది. ఈ విధంగా బంగారం వల్ల కలిగే పిచ్చిని గురించి బిహారీ కవిగారు వివరించుచున్నారు. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి బిహారీగారు మనిషిని కొళాయి నీటితో సమానంగా వర్ణించి చెబుతున్నారు. మనిషి ఎంత నమ్రత కలిగి ఉంటాడో అతడు అంత శ్రేష్ఠమైన వానిగా చెప్పబడతాడు. నీరు ఎంత నిమ్నస్థాయిలో ప్రవహించునో అంతే ఉన్నత (ఊర్థ్వస్థాయి) గా కూడా ప్రవహించగలదు.
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
2 Marks Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।
प्रश्न 1.
‘धतूरे से भी सोने में मादकता अधिक होती है। – बिहारी के अनुसार सिद्ध कीजिए|
उत्तर:
बिहारी के अनुसार धतूरे से भी सोने में मादकता अधिक होती है । क्योंकि धतूरा खाने से मनुष्य मादक बन जाता है। लेकिन सोने को मनुष्य अपने पास रखने मात्र से मादक बन जाता है।
प्रश्न 2.
बिहारी ने कनक – कनक में अंतर बताते हुए क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु थे। बिहारी ने इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा और सोना। बिहारी ने अपने दोहों के द्वारा यह संदेश दिया कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन, दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। अर्थात् यह नशा धतूरे नशे से भी खतरनाक है।
प्रश्न 3.
नैतिक गुणों के विकास में कवि रहीम के दोहे कैसे सहायक हैं?
उत्तर:
- अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए नैतिक गुणों की आवश्यकता है।
- रहीम के दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक हैं।
- रहीम के अनुसार संकठ काल में सहारा देने वाला ही सच्चा मित्र हैं।
- मानव को आत्मसम्मान के साथ जीने का संदेश प्राप्त होता है।
प्रश्न 4.
रहीम जी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
रहीम हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म 1556 में लाहौर में हुआ। उनकी मृत्यु 1626 में दिल्ली में हुई। वे संस्कृत, अरबी, फारसी के विद्वान थे। रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, श्रृंगार सोरठ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।
प्रश्न 5.
रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन है?
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है। संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।
प्रश्न 6.
रहीम ने विपत्ति को सच्चे मित्र की पहचान की कसौटी क्यों माना है?
उत्तर:
सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है। रहीम का कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।
प्रश्न 7.
रहीम जी ने ‘पानी’ शब्द का प्रयोग किन अर्थों में किया है? विवरण दीजिए।
उत्तर:
रहीम इस दोहे में पानी शब्द के तीन अर्थ बताते हैं- 1. सम्मान 2. चमक 3. जल | इन तीनों के बिना . मानव, मोती, चूने का कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य को सम्मान, मोती को चमक, चूने को जल आवश्यक है। . इसके बिना वे शून्य हैं। दोहे का संदेश है कि मनुष्य को अपना सम्मान बनाये रखना चाहिए।
प्रश्न 8.
पानी शब्द का प्रयोग रहीम जी ने चमत्कारिक रूप से किया है, कैसे?
उत्तर:
रहीम के इस दोहे में पानी शब्द तीन बार प्रयोग हुआ है। यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं- सम्मान, चमक, जल। इन तीनों के बिना मानव, मोती, चूने का कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य को सम्मान, मोती को चमक, चूने को
जल आवश्यक है। इसके बिना ये तीनों बेकार हैं।
प्रश्न 9.
मोती, मानुष और चून किनके बिना निरर्थक हैं? रहीम जी ने कैसे समझाया?
उत्तर:
चमक के बिना मोती निरर्थक है। सम्मान के बिना मनुष्य निरर्थक है। पानी के बिना चूना निरर्थक है। रहीम ने चमक, सम्मान और जल तीनों के लिए पानी शब्द का प्रयोग किया है।
प्रश्न 10.
पानी शब्द के द्वारा रहीम जी ने किनकी महत्व के बारे में बताया?
उत्तर:
रहीम ने चमक, सम्मान और जल तीनों के लिए पानी शब्द का प्रयोग किया है। चमक के बिना मोती निरर्थक है। सम्मान के बिना मनुष्य निरर्थक है। पानी के बिना चूना निरर्थक है।
प्रश्न 11.
धतूरे से बढ़कर सोने में मादकता है। बिहारी जी ने कैसे सिद्ध किया?
उत्तर:
बिहारी कहते हैं कि सोने में धतूरे से सौ गुना अधिक नशा होता है । क्योंकि धतूरे के खाने से आदमी . थोड़े समय के लिए मदहोश होता है। वही आदमी सोने या संपत्ति के मिलने पर हमेशा के लिए मदहोश हो जाता है। धन की मादकता से घमंडी हो जाता है। धन का नशा अन्य सभी नशों से अधिक खतरनाक है।
प्रश्न 12.
बिहारी जी ने ‘कनक’ शब्द का प्रयोग किन-किन के लिए किया है? समझाइए।
उत्तर:
बिहारी जी ने ‘कनक’ शब्द का प्रयोग अपने दोहे में दो बार किया है। एक कनक का अर्थ है – धतूरा और दूसरे का सोना। वे कहना चाहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 13.
‘सोना’ मानव को पागल बना देता है। बिहारी ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:
बिहारी कहना चाहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। बिहारी हमें संपत्ति का अभिमान न करने का संदेश देना चाहते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 14.
‘धतूरा-सोना’ इन दोनों में किसकी मादकता अधिक है? बिहारी के दृष्टिकोण से बताइए।
उत्तर:
बिहारी के अनुसार ‘धतूरा-सोना’ में सोने की मादकता अधिक है। वे कहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। बिहारी हमें संपत्ति का अभिमान न करने का संदेश देना चाहते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।
प्रश्न 15.
कवि रहीम का परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
- रहीम हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के कवि थे।
- वे अकबर के मित्र, प्रधान सेनापति तथा मंत्री थे।
- उनका जीवन काल सन् 1556 – 1626 तक है।
- वे संस्कृत, फारसी और अरबी के विद्वान थे। वे दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं।
रचनाएँ : रहीम सतसई, बरवैनायिका भेद और श्रृंगार सोरठ आदि।
प्रश्न 16.
कवि बिहारीलाल का परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
- कवि बिहारीलाल का जीवन काल 1595 से 1663 है।
- आप की प्रसिद्ध रचना ‘बिहारी सतसई है। इन के दोहे नीतिपरक होते हैं।
- इनके दोहों के लिए “सागर में गागर” भर देने वाली बात कही जाती है।
प्रश्न 17.
सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
उत्तर:
सच्चे मित्र की. पहचान विपत्ति के समय होती है। रहीम का कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।
प्रश्न 18.
बिहारी के अनुसार नर और नल-नीर की गति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार नर और नल-नीर की गति नीचे होनी चाहिए। यहाँ नर के लिए नीचे का अर्थ है विनम्रता। बिहारी का कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही अधिक ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है। इसलिए हमें विनम्र रहना चाहिए।
प्रश्न 19.
आपातकाल में आप अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
उत्तर:
आपातकाल में मैं अपने मित्रों की सहायता करता हूँ। उनकी हर संभव सहायता करता हूँ। उनका मनोबल बढ़ाता हूँ। अधिक समय उनके साथ गुजारता हूँ। जब तक वह उस मुसीबत से बाहर नहीं आ जाता मैं उसका विशेष ध्यान रखता हूँ। मैं तन, मन और धन से उसकी सहायता करने को तत्पर रहता हूँ।
अभिव्यक्ति-सजनात्मकता
4 Marks Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
कवि रहीम और बिहारी ने पानी की विशेषता के बारे में क्या कहा?
(या)
रहीम ने पानी के महत्व के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
रहीम ने पानी के महत्व के बारे में बताया है। उन्होंने यहाँ ‘पानी’ शब्दों को तीन अर्थों में प्रयुक्त किया है – चमक, इज्जत और जला वे बताते हैं कि मोती के लिए चमक, मनुष्य के लिए इज्जत और चूने के लिए जल की आवश्यकता है। चमक न होने पर मोती, इज्जत न रहने पर मनुष्य और जल के सूख जाने पर चूना बेकार हो जाते हैं। इसलिए इनकी रक्षा करनी चाहिए।
नल के पानी पर जितना दबाव डाला जाय वह उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मानव भी जितना विनम्र, विनयशील होगा उतना ही उसका विकास होगा। ऊँचे स्थान पर पहुंचेगा। इसलिए बिहारी ने नल के पानी से नर की तुलना की है।
प्रश्न 2.
बिहारी ने ‘कनक’ को लेकर क्या समझाने का प्रयास किया है?
उत्तर:
कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु हैं। कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाय दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया है। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा, सोना। बिहारी के अनुसार धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन – दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। लेकिन यह सही नहीं है। सोना या धन – दौलत के पाने पर भी मानव को कभी गर्व न करना चाहिए। बिहारी ने कनक को लेकर यही समझाने का प्रयास किया है।
अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता
8 Marks Questions and Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं। स्पष्ट कीजिए|
उत्तर:
शीर्षक का नाम : नीति दोहे
कवियों के नाम : रहीम, बिहारी
रहीम और बिहारी के दोहों से हमें ये बातें सीखने को मिलती हैं।
- संकट में जो साथ देता है, वही सच्चा मित्र है।
संपत्ति को पाकर हमें घमण्डी नहीं बनना चाहिए। मनुष्य को नम्र बनना चाहिए। - इज्जत के बिना मानव का कोई मूल्य नहीं होता, अतः हमें इज्जत के साथ जीना है।
- सुख – दुःख को समान रूप से मानना चाहिए। मनुष्य जितना नम्र बनता है, वह उतना ही बडा होता है।
- अतः हम कह सकते हैं कि रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं।
प्रश्न 2.
कवि रहीम के दोहों का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कविवर रहीम का पूरा नाम खानखाना अब्दुल रहीम था। उनका जीवन काल 1556 – 1626 था। वे सहृदयी कुशलवीर और राजनीतिज्ञ थे। वे अकबर के दरबारी कवि और मित्र थे। वे कई भाषाओं के ज्ञाता, कृष्ण भक्त थे। उन्होंने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, नीति – विषयों पर सरस रचनाएँ की। इनके दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक हैं।
कवि रहीम कहते हैं कि यदि हमारे पास धन-संपत्ति हो तो कई तरह के लोग नाते रिश्ते जोड़कर सगे बन जाते हैं। उन लोगों में हमारा सच्चा मित्र कौन है और पराया कौन है इसका निर्धारण विपत्ति (कष्ट) कर देती है। संकट के समय सच्चे मित्र ही हाथ देता है। झूठे लोग तो खिसक जाते हैं।
संदेश :
संकट के समय में साथ देनेवाला ही सच्चा मित्र है।
रहीम कहते हैं कि सबको पानी रखना आवश्यक है। पानी के बिना सब व्यर्थ है। पानी का अर्थ होता है – चमक (कांति), मान (इज्जत) और जला चमक के बिना मोती, मान के बिना आदमी और जल के बिना चूना बेकार हैं। चमक के जाने से मोती व्यर्थ होता है। मान के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। जल के न रहने से चूना व्यर्थ हो जाता है।
संदेश :
हर समय मान को अपनी गौरव बनाये रखना चाहिए।
प्रश्न 3.
रहीम और बिहारी के दोहों के द्वारा नैतिक मूल्यों का विकास होता है। अपने विचार बताइए।
उत्तर:
आज समाज में नैतिक मूल्यों की कमी होती जा रही हैं । नैतिक मूल्यों का विकास करना बेहद ज़रूरी है। इनकी वृद्धि महापुरुषों के वचन से ही हो सकती है। रहीम और बिहारी भी ऐसे ही महापुरुष हैं। उनके दोहों में अनेक नीतियाँ हैं। ‘नीति दोहे’ पाठ इसका उदाहरण है। रहीम ने सच्चे मित्र के लक्षण बताये हैं। उनका कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। रहीम का कहना है कि मनुष्य को अपना आत्मसम्मान बनाये रखना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन सम्मान के बिना बेकार है।
बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना ” तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है।
इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं। हमें इनके अन्य दोहों को भी पढ़ना और पढ़ाना चाहिए।
प्रश्न 4.
रहीम और बिहारी के दोहों के द्वारा क्या नीति मिलती है?
उत्तर:
रहीम ने सच्चे मित्र के लक्षण बताये हैं। उनका कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। रहीम का कहना है कि मनुष्य को अपना आत्मसम्मान बनाये रखना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन सम्मान के बिना बेकार है।
बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है।