AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 सदक्षिणी गंगा गोदावरी

10th Class Hindi Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 51)

प्रश्न 1.
यहाँ पर किसके बारे में बताया गया है?
उत्तर:
यहाँ पर नदियों के बारे में बताया गया है।

प्रश्न 2.
दक्षिण भारत की कुछ नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
कृष्णा, गोदावरी, तुंगभद्रा, पेन्ना और नागावली आदि दक्षिण भारत की कुछ नदियाँ हैं।

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प्रश्न 3.
गोदावरी नदी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
गोदावरी दक्षिण भारत की जीव नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिका त्रैयंबक में जन्म लेती है। भारत में बड़ी नदियों में यह दूसरे स्थान में है। इसे दक्षिण गंगा नाम से भी पुकारते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 52)

प्रश्न 1.
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण कैसा दिखायी देता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण सुहावना होता है। प्रकृति में विविध छटावाली हरियाली दिखाई पडती है। नौकाएँ तितलियों की तरह कतार में खडी हुई थी। रंग-बिरंगे बादलों वाला आकाश तालाबों में नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान शौकत निराली है?
उत्तर:
तालाबों में नहाने उतारा हुआ आकाश, बगुलों का समूह, पहाडियों की श्रेणियाँ गोदावरी की शान को बढ़ाती हैं। बादल घिरे रहने से धूप नहीं थी। इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और शीतल सुंदरता छाई हुई थी।

InText Questions (Textbook Page No. 53)

प्रश्न 3.
लेखक ने भँवरों को बच्चों की उपमा क्यों दी होगी?
उत्तर:
माता के स्वभाव से परिचित होने के कारण बच्चे उसकी गोदी में मनमाने नाचते, खेलते, उछलते, कूदते हैं उसी प्रकार यहाँ गोदावरी नदी में मँवर वैसा ही करते हैं। कुछ देर के दिख पडते हैं, थोडे ही देर में भयानक तूफान का स्वाँग रचा खिल खिलाकर हँस पडते हैं। वे कहाँ से आते और कहाँ जाते। न जानते हैं। इसलिए लेखक ने उन्हें बच्चों की उपमा दी।

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प्रश्न 4.
गोदावरी नदी के टापुओं की क्या विशेषताएँ हो सकती हैं?
उत्तर:
ये टापू लंबे – चौडे होते हैं। कई पुराने धर्म की तरह स्थिर रूप होकर जमे हुए हैं कई एक कवि की प्रतिभा की तरह क्षण – क्षण भर में स्थल की नवीनता उत्पन्न कर लेते और नया – नया रूप ग्रहण करते हैं। इन टापुओं पर बगुलों के पैरों के निशान पडे रहते हैं। वे दिशा सूचित करते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 54)

प्रश्न 5.
लेखक ने रेल के पहिये की आवाज़ को “संक्रामक’ कहा है। ‘संक्रामक’ से लेखक का क्या आशय होगा?
उत्तर:
रेल के पहिये की आवाज़ तो पुर की विजय नाद की तरह दूर – दूर तक फैलता है गंगा जल गोदावरी में उँडेलना, गोदावरी के जल को लेना भव्य विधि है। विभिन्न प्रांत और संस्कृतियों को मिलानेवाली है। भव्य विधि को फैलाने वाली है।

प्रश्न 6.
गोदावरी को धीर – गंभीर माता की संज्ञा क्यों दी गयी होगी?
उत्तर:
गोदावरी विशाल नदी है। यह जीव नदी है। इसमें ठाट – बाट भी हैं। जल में अमोघ शक्ति है। गोदावरी कई मार्गों से उत्तेजित होकर समुद्र में मिलती है। वह माता के समान सारी आवश्यकताएँ पूरी करती है। माता की तरह गोदावरी भी पवित्र और पूजनीय है। इसलिए लेखक ने गोदावरी नदी को धीर गंभीर माता की संज्ञा दी।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
लेखक को गोदावरी का जल कैसा लगा होगा ?
उत्तर:

  • लेखक गोदावरी नदी के जल में गंगा, सिंधु, शोणभद्र, ऐरावती जैसी महानदियों के विशाल प्रवाह भर कर देखे होंगे।
  • बादलों का रंग साँवला होने के कारण गोदावरी के धूलि – धूसरित मटमैले जल की झाँई और भी गहरी दिखाई दे रही थी।
  • लेखक को लगा होगा कि इतना सारा पानी कहाँ से आता होगा?
  • गोदावरी का अखंडप्रवाह पहाडों में से निकल कर अपने गौरव को साथ में लिये आता हुआ दिखाई पडा होगा।
  • नदी के पानी में उसे उन्माद दिखायी दिया था। उसमें लहरें न थी।
  • लेखक को गोदावरी धीर गंभीर माता जैसे लगी। लेखक को लगा होगा कि गोदावरी के जल में अमोघ शक्ति है।

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प्रश्न 2.
लेखक की जगह तुम होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन कैसे करते ? बताइए।
उत्तर:

  • लेखक की जगह मैं होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन इस तरह करता हूँ –
  • गोदावरी महासागर जैसा है। गोदावरी विशाल सुदंर भव्य नदी है।
  • इसे देखने से मुझे कई नदियों का यह संगम जैसा लगता है।
  • इस नदी में जो नाव विहार करते हैं वे आसमान में उड़नेवाली पतंगें जैसे हैं।
  • गोदावरी नदी अन्नपूर्णा है। क्योंकि इसके द्वारा कई लाखों एकड़ की भूमि सिंचाई जाती है।
  • यह सुंदर, रमणीय नदी है। यह अद्भुत टापुओं वाला नदी है।
  • इस नदी के किनारे कई महापुरुषों का जन्म हुआ है।
  • गोदावरी पतित पावनी है। : गोदावरी का जल शुद्ध और पवित्र है।
  • इस जल में अमोघ शक्ति है।

आ) पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं. में दीजिए।

1. लेखक को कोबूर स्टेशन पार करने के बाद गोदावरी मैया के दर्शन हुए।
उत्तर:
हाँ

2. गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
हाँ

3. उपासक गंगा जल के आधे कलश को गोदावरी में उँडेलते हैं।
उत्तर:
हाँ

4. राजमहेंद्री और धवलेश्वर का सुखी नन – समाज दुखित था।
उत्तर:
नहीं

इ) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

आचार्य विनोबा भावे का जन्म महाराष्ट्र में हुआ। वे प्रातःकाल बहुत जल्दी उठते थे। प्रतिदिन नियमित रूप से चरखा चलाते थे। बातें कम और काम अधिक करते थे। भूदान आंदोलन विनोबाजी का प्रमुख कार्य था। विनोबाजी ने युवावस्था में ही जनता की सेवा का व्रत लिया था। उनके मन पर गाँधीजी के विचारों का प्रभाव पड़ा । बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, “जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ( ठाट – बाट से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य क्या था?
उत्तर:
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य भूदान आंदोलन था।

प्रश्न 2.
बनारस की सभा में गाँधीजी ने क्या कहा ?
उत्तर:
बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, ‘जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ठाट – बाट . से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”

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प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का वचन बदलकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
सेवा – सेवाएँ ; आजकल हर एक को सरकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं।

प्रश्न 4.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“संत विनोबा भावे और उनके कार्य” – इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है।

ई) इस अवतरण के मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।
पुल पर से गुजरते समय दाएँ देखें या बाएँ, हम उसी उधेड़ – बुन में थे। पुल आ गया और भागमती | गोदावरी का अत्यंत विशाल पाट दिखायी पड़ा। बेजवाड़े में कृष्णा माता के दर्शन पर मैं गर्व करता रहूँगा। गोदावरी की शान शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
गुजरना, उधेड़ – बुन, पाट, गर्व करना, शान – शौकत और निराली आदि।

अभिव्यक्ति- सजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
किसी यात्रा का वर्णन करते हुए अपने अनुभवों को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हम ने विशाखपट्टणम की यात्रा की। विशाखपट्टणम बहुत सुंदर – नगर है। इसकी यात्रा बहुत संतोष जनक सही। यहाँ का सागर, पर्वत मालाएँ, कैलास गिरि बहुत सुंदर है। यहाँ हम ने रामकृष्ण समुद्र तट, बीमली समुद्र तट आदि देख लिये। ये बहुत सुंदर लगते हैं। यहाँ विशाखपट्टणम का प्रसिद्ध कनकमहालक्ष्मी जी का मंदिर है।

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प्रश्न 2.
आंध्र को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहलाने में नदियों का योगदान व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं। इस कथन में नदियों का योगदान अधिक है। आंध्रप्रदेश में कृष्णा, तुंगभद्रा, पेन्ना, मंजीरा, वंशधारा और गोदावरी आदि नदियों के कारण लाखों एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। इसलिए आंध्रप्रदेश के कई जिलों में धान पैदा होता है। इसलिए आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं।

आ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ – दस वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ कैसी थी?
उत्तर:
पाठ का नाम : दक्षिणी गंगा गोदावरी
लेखक : श्री काका कालेलकर
विधि : यात्रा वृत्तांत

चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ इस प्रकार थीं।

  • चेन्नई से राजमहेंद्री जाते हुए बेजवाडे से आगे सूर्योदय हुआ।
  • पूर्व की तरफ एक नहर रेल की पटरी के किनारे – किनारे बह रही थी।
  • पर किनारा ऊँचा होने के कारण पानी उन्हें कभी – कभी ही दीख पडता।
  • तितली की तरह अपने – अपने पाल कतार में खड़ी हुई नौकाओं पर ही उन्हें नहर का अनुमान करना पड़ा।
  • बीच – बीच में छोटे – छोटे तालाब भी मिलते ।
  • इनमें रंग – बिरंगे बादलों वाला आसमान नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई पड़ता।
  • कहीं – कहीं चंचल कमलों के बीच खामोश खड़े हुए बगुलों को देखकर सबेरे की ठंडी – ठंडी हवा का अभिनंदन को लेखक का मन मचल पडता ।
  • कोव्वूर स्टेशन आने पर लेखक के मन में यह उमंग भरी थी कि अब यहाँ से गोदावरी मैया के भी दर्शन होने लगेंगे। लेखक बेजवाडे में कृष्ण माता के दर्शन पर गर्व करने लगा।
  • लेकिन राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली लगी।
  • लेखक ने पश्चिम की तरफ नजर फैलाई तो दूर – दूर तक पहाडियों की श्रेणियाँ नज़र आई।
  • लेखक को इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और स्निग्ध सुंदरता छाई हुई दिखाई दी।
  • पहाडी पर कुछ उतरे हुए धौले – धौले बादल तो लेखक को बिल्कुल ऋषि – मुनियों जैसे लगते थे।
  • लेखक को ऊँचे – ऊँचे पेडों को देखने पर ऐसा लगा कि वे विजय पताकाएँ खड़ी कर रखी थी।

प्रश्न 2.
लेखक ने गोदावरी को माता की संज्ञा क्यों दी होगी?
उत्तर:

  • रामलक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक गोदावरी नदी ही स्तन्य पान कराया है।
  • गोदावरी के तट पर शूर – वीर भी पेदा हुए हैं।
  • बड़े – बड़े तत्व ज्ञानी भी पैदा हुए हैं।
  • साधु संत भी इस गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
  • उसी प्रकार धुरंधर राजनीतिज्ञ भी इसी गोदावरी नदी के तट पर ही पैदा हुए हैं।
  • कई ईश्वर – भक्त भी इसी गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
  • गोदावरी नदी चारों वर्गों की माता है।
  • गोदावरी नदी पूर्वजों की अधिष्ठात्री देवी है।

उपर्युक्त कारणों से लेखक ने गोदावरी को, माता की संज्ञा दी होगी।

इ) अपने द्वारा की गयी किसी यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर:

विजयवाडा,
दि. xxxxx

प्यारे मित्र सुदर्शन,
तुम्हारा पत्र आज ही मिला। पढकर खुश हुआ। मैं यहाँ सकुशल हूँ। पिछले सप्ताह मैं अपने स्कूल के कुछ छात्रों के साथ तिरुपति गया। वहाँ के देवस्थान की धर्मशाला में हम ठहरे। भगवान बालाजी के दर्शन करके हम आनंद विभोर हो गये हैं।
तिरुपति में हम दो दिन ठहरे। वहाँ हमने कोदंड रामस्वामी का मंदिर, गोविंदराजुलुस्वामी का मंदिर, पापनाशनम्, आकाशगंगा आदि देखें। उसके बाद मंगापुरम जाकर श्री पद्मावती माँ का दर्शन किया। श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय देखने भी गये। पश्चात् सीधे घर वापस आये। माताजी और पिताजी को मेरे प्रणाम कहना।

तुम्हारा प्यारा मित्र,
xx xxx

पता:
के. रमेश,
गांधीनगर,
पुराना गाजुवाका,
विशाखपट्टणम् – 26.

ई) इस यात्रा – वृत्तांत में लेखक का कौनसा अनुभव आपको अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
इस यात्रा वृत्तांत में लेखक का यह अनुभव मुझे अच्छा लगा जो वह गोदावरी माँ के दर्शन के बाद गोदावरी माँ की स्तुति करते हैं। उस स्तुति में गोदावरी माँ के प्रति उनकी अनुभूति और उनका अनुभव यों था।

“माता गोदावरी! राम, लक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक सबको तूने ही स्तन्य-पान कराया है। तेरे तट पर शूर – वीर भी पैदा हुए हैं और बड़ें – बडे तत्व – ज्ञानी भी, साधु – संत भी जन्में,धुरंधर राजनीतिज्ञ भी और ईश्वर भक्त भी। चारों वर्गों की तू माता है। मेरे पूर्वजों की तू अधिष्ठात्री देवी है। नयी – नयी आशाओं को लेकर मैं तेरे दर्शन के लिए आया हूँ। तेरे जल में अमोघ शक्ति है। तेरे पानी की एक बूंद का सेवन भी व्यर्थ नहीं जाता।” मुझे लेखक का यह अनुभव अच्छा लगा क्योंकि सचमुच राम – लक्ष्मण, सीता और जटायु इस नदी तट पर ही घूमें।

इस नदी के तट पर कई शूर – वीरों का राजनीतिज्ञों का भी जन्म हुआ हैं। साधु – संतों का भी जन्म हुआ है। भक्तों का भी जन्म हुआ है। इसलिए गोदावरी माँ सचमुच अधिष्ठात्री देवी है। उस नदी के जल में अमोघ शक्ति है।

परियोजना कार्य

अ) सूचना पढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
बरसात, सरिता, पहाड़ (एक – एक शब्द का वास्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी 1

प्रश्न 2.
विजय, प्रसिद्ध, दुर्लभ (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. विजय × पराजय, अपजय
  2. प्रसिद्ध × अप्रसिद्ध
  3. दुर्लभ × सुलभ

वाक्य प्रयोग

  1. विजय : परिश्रम करने मात्र से ही हमें विजय मिलेगा, नहीं तो अपजय ही मिलेगा।
  2. प्रसिद्ध : वे प्रसिद्ध संगीत कलाकार हैं। लेकिन उनके भाई तो अप्रसिद्ध कलाकार हैं।
  3. दुर्लभ : गाँव का रास्ता सुलभ और जंगल का रास्ता दुर्लभ लगता है।

प्रश्न 3.
नहर, तितली, कविता, लहर (वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन

  1. नहर × नहरें
  2. तितली × तितलियाँ
  3. कविता × कविताएँ
  4. लहर × लहरें

वाक्य प्रयोग

  1. नहर – उन दो नहरों में बड़ी नहर क्या है?
  2. तितली – उस उद्यान में तितलियों का नाच देखो।
  3. कविता – सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविताओं में तो हमें माधुर्य भाव मिलता है।
  4. लहर – समुद्र में तो हर पल लहरें उठ पडती रहती हैं।

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
सूर्योदय, उन्माद, पवित्र, अत्यंत (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:

  1. सूर्योदय – सूर्य + उदय
  2. उन्माद – उत् + माद
  3. पवित्र . – पो. + इत्र
  4. अत्यंत – अति + अंत

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प्रश्न 2.
साधु – संत, चरणचिहन, गंगाजल (समास बताइए।)
उत्तर:

  1. साधु – संत → द्वंद्व समास
  2. चरणचिह्न → तत्पुरुष समास
  3. गंगाजल → तत्पुरुष समास

इ) इन्हें समझिए।

प्रश्न 1.
नदी के पानी में उन्माद था, उसमें लहरें न थीं।
उत्तर:
के : संबंध कारक
में : अधिकरण कारक
उसमें : वह + में → उसमें
वह के साथ अधिकरण कारक चिहन “में” आने से वह + में
उसमें के रूप में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 2.
गोदावरी के प्रवाह के साथ होड़ करते हुए भी उसे संकोच न होता था।
उत्तर:
के : संबंध कारक
के साथ : करण कारक
उसे : वह + से → उसे
‘वह’ के साथ करण कारक चिह्न ‘से’ आने से वह + से → उसे के रूप में परिवर्तित होती है।

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ई) नीचे दिये गये क्रिया शब्द समझिए और अकर्मक व सकर्मक क्रियाएँ पहचानिए।
सोना, पढ़ना, पीना, हँसना, कहना, उठना, दौड़ना, खाना, चलना, लिखना
उत्तर:

  1. सोना – अकर्मक क्रिया
  2. पीना – सकर्मक क्रिया
  3. कहना – सकर्मक क्रिया
  4. दौड़ना – अकर्मक क्रिया
  5. चलना – सकर्मक क्रिया
  6. पढ़ना – सकर्मक क्रिया
  7. हँसना – अकर्मक क्रिया
  8. उठना – अकर्मक क्रिया
  9. खाना – अकर्मक क्रिया
  10. लिखना – सकर्मक क्रिया

परियोजना कार्य

यात्रा – वृत्तांत विधा की जानकारी प्राप्त कीजिए। उसकी सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
यात्रा वृत्तांत गद्य की एक प्रमुख विधा इस विधा के पाठों में लेखक किसी दर्शनीय स्थल से संबंधित अपनी यात्रा की अनुभूतियों को रोचक और ज्ञानवर्धक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इस विधा में किसी यात्रा के बारे में, दर्शनीय स्थलों के बारे में, अपनी यात्रा के बारे में वर्णन हमें मिलता है। इन्हें पढ़ने से हमें भी यात्रा की अनुभूति मिलती है।
यात्रा वृत्तांत की भाषाशैली बहुत उत्तेजित होती है।

दक्षिणी गंगा गोदावरी Summarya in English

The narrator was going from Chennai to Rajahmundry by a train. When he reached Bezwada the sun rose. It was rainy season. So the greenery prevailed everywhere. The climate was very pleasant. The sight of a brook pleased him very much .The row of boats seemed like butterflies. He also saw small ponds. It seemed as if the sky filled with colourful clouds was coming to take a bath in them. He observed the cranes standing between the lotus flowers here and there. At the very moment, the cool breeze touched him.

In this way, the narrator was enjoying himself the beauty of the nature with his heart’s content. While boundless poetry was flowing in his heart, the train reached ‘Kovvuru’ station. The narrator was very curious about the river Godavari which he was about to visit.

He was in dilemma whether he should see the left side or the right side of the bridge. There the water course of the river Godavari was seen very large and wide. Earlier he witnessed the flow of the Ganges, the Sindhu, the Sonbhadra and the Iravathi rivers. He was proud of visiting the river Krishna at Bezwada. But at Rajahmundry the splendour of the river Godavari is marvellous.

It was a place where great epics flourished. So the narrator was elated to see the pomp and glory of the nature there. On westwards the mountain ranges are located. As the sky was cloudy, the water of the river Godavari was filled with dust and seen as if it was in brown colour. The white clouds which spread over the hills seemed as if they were hermits who were involved in penance.

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The boats in the river seemed like the children playing in the lap of the Mother Godavari. The large islands of the Godavari were very famous. They were as stable as mythological precepts. The charm of the forests located in the islands is amazing. Some of them appeared like the genius of a poet which take new forms for every minute.

The bank of the river means the magnificent celebration of the man’s gratitude. The white buildings, temples and high peaks were the symbols of gorgeous reverence.

This is the reason why the devotees take the waves produced by sounds of the temple bells from this side to that side through the waves of the river. The Indians who are culture adorers spill the container which is half – filled with water of the Ganges in the river Godavari and fill the container with its water. The narrator exclaimed that it was a great deed.

After the train crossed the bridge the narrator felt he had forgotten to see the eastside. The river is broader on the eastside that it was on the westside. It was flowing through many water courses.

All rivers empty into the seas. Then excitement, fear and enthusiasm are caused in them. But the river Godavari is bold enough. The nature rooted the tall trees as the flags of victory. On the leftside the people of Rajahmundry and Dowleswaram are leading on eventful life.

The narrator admires the river Godavari as follows : “O Mother Godavari! Many heroes and knights were born on the banks of you. Many philosophers and sages were born. Eminent political leaders and devotees of the God were born. You are the mother for four classes of the people. You are the family deity of my ancestors. I have arrived to visit you with new hopes. You have immense power in your water. If we drink even a drop of your water, it won’t go a waste i.e, our lives will be precious and sanctimonious.

दक्षिणी गंगा गोदावरी Summmary in Telugu

చెన్నయ్ నుండి రాజమండ్రి వెళ్ళేటప్పుడు బెజవాడ వద్ద సూర్యోదయం అయినది. వర్షాకాలపు రోజులు. అందువలన అడిగేది ఏమున్నది? అక్కడక్కడా వివిధ అందాలతో కూడిన పచ్చదనం వ్యాపించి ఉంది.

పశ్చిమం వైపున రైలు పట్టాల ఒడ్డున ఒక కాలువ ప్రవహించుచున్నది. కానీ ఒడ్డు ఎత్తులో ఉన్న కారణంగా నీరు అప్పుడప్పుడు మాత్రమే కన్పించుచున్నది. కేవలం సీతాకోకచిలుకల్లా పడవలు వరుసగా ప్రయాణించడం వలన, అవి వరుసగా నిలబడియుండడం వలన మాత్రమే కాలువ ఉన్నది అని తెలియుచున్నది. మధ్య – మధ్యలో చిన్న – చిన్న చెరువులు కూడా కన్పించుచున్నవి. రంగు – రంగుల మేఘాలతో ఉన్న ఆకాశం దీనిలో స్నానం చేయడానికి దిగుతున్నట్లు కన్పించుచున్నది. అందువలన నీటిలోని లోతు ఇంకా ఎక్కువగా ఉన్నట్లు కన్పించుచున్నది. అక్కడక్కడా చంచలమైన కమల పుష్పాల మధ్య నిశ్శబ్దంగా నిలబడియున్న కొంగలను చూసి ఉదయాన్నే వీచుచున్న చల్లచల్లని గాలులను అభినందించుటకు మనస్సు ఉవ్విళ్ళూరుతున్నది. ఈ విధంగా కవితా ప్రవాహంలో ప్రవహిస్తూ కొవ్వూరు స్టేషన్ వచ్చినది. మనస్సులో ఇప్పుడు ఇక్కడ నుండి గోదావరి మాత దర్శనం కూడ చేసుకోవాలన్న కోరిక కల్గినది.

వంతెనను దాటే సమయంలో కుడివైపు చూడాలా? ఎడమవైపు చూడాలా? అనే సందిగ్దావస్థలో ఉన్నాను. ఒంతెన రానే వచ్చింది. భాగమతి గోదావరి నది అత్యంత విశాలమైన పాయ కన్పించినది. నేను గంగా, సింధు, శోణభద్ర, ఐరావతి మొదలైన మహానదుల విశాల ప్రవాహంతో నిండియుండటం చూచితిని. బెజవాడలో కృష్ణానది దర్శనం పట్ల నాకు చాలా గర్వంగా ఉంది. కానీ రాజమండ్రి ముందు గోదావరి నది ఎటువంటి ఆడంబరాలు లేకుండా విచిత్రంగా ఉంది, అద్భుతంగా ఉంది.

ఈ ప్రదేశంలో నేను ప్రకృతి యొక్క దివ్య – భవ్య ఆడంబరమైన కావ్యాన్ని చవిచూసినంతగా మరెక్కడా అనుభూతి పొందలేదు. పడమర వైపునకు దృష్టి మరల్చి చూడగా దూరదూరంగా పర్వత శ్రేణులు కన్పిస్తున్నాయి. ఆకాశం మేఘావృతమై ఉండటం వల్ల సూర్యుని ఎండ నామమాత్రంగా కూడా లేదు. మేఘాల రంగు శ్యామల వర్ణంలో ఉండటం వల్ల దుమ్ముధూళి, బురద నీటితో నిండియున్న నీటి నీడ ఇంకా లోతుగా ఉన్నట్లు కన్పిస్తోంది. పైన – క్రింద నీడల వలన ఈ దృశ్యం మొత్తంపై వైదిక ప్రభావంతో కూడిన శీతల స్నిగ్ధ సౌందర్యం ఆవరించి ఉంది. పర్వతాలపై కొంచెం దిగి ఉన్న తెల్ల – తెల్లని మేఘాలు ఋషులు – మునులులా అన్పిస్తున్నాయి. ఈ దృశ్యాలన్నిటిని నేను ఎలా వర్ణించగలను ? ఇక్కడ ఇంత నీరు ఎక్కడి నుండి వచ్చి ఉండి ఉంటుంది?

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

ఆపదల నుండి గట్టెక్కి విజయం పొందిన దేశం ఏ విధంగా వైభవంతో కూడిన నూతన శోభలను సంతరించుకుని నాల్గువైపులా తన సమృద్ధిని వ్యాపింపచేస్తూ ముందుకు కొనసాగుతుందో, అదేవిధంగా గోదావరి నది యొక్క అఖండ ప్రవాహం పర్వతాల నుండి గౌరవంగా వస్తున్నట్లు కనిపిస్తోంది. చిన్న – పెద్ద ఓడలు నదీమాత పిల్లలు. తల్లి స్వభావం వాటికి బాగా తెలుసు కాబట్టి అవి అమ్మ గోదావరి నది ఒడిలో ఇష్టం వచ్చినట్లు నాట్యం చేస్తున్నాయి, ఆటలు ఆడుతున్నాయి. గంతులు వేస్తున్నాయి. వాటిని ఆపేది ఎవ్వరు ? కాని పిల్లలను పడవలతో పోల్చడం కంటే నదీ ప్రవాహంలో అక్కడక్కడ ఏర్పడుచున్న సుడిగుండాలతో పోల్చవచ్చు. కొంచెం సేపు కనిపించి మరికొద్ది సేపటిలోనే భయానక తుపానుగా అభినయిస్తూ మరో సెకనులోనే కిలకిలా నవ్వుతున్నాయి. ఈ సుడిగుండాలు ఎక్కడి నుండి వస్తున్నవో ఎటు పోతున్నవో ఎవరికి తెలుసు?

ఈ పొడవు వెడల్పులతో కూడిన పెద్ద పాయల మధ్య ఒకవేళ ద్వీపాలు లేకపోతే అది లోటుగానే ఉంటుంది. గోదావరి నది యొక్క ద్వీపాలు ప్రసిద్ధి చెందినవి. వీటిలో ఎన్నో ద్వీపాలు ప్రాచీన మతం వలే ఎక్కడివి అక్కడే స్థిర రూపాన్ని పొందియున్నవి. కొన్ని ద్వీపాలు కవి ప్రతిభ లాగ క్షణం – క్షణంలో నూతన ప్రదేశాన్ని ఏర్పాటు చేసుకొనుచున్నవి. నూతన రూపాన్ని సంతరించుకొనుచున్నవి. ఈ ద్వీపాలలో అనాసక్తితో ఉండే కొంగలు తప్ప ఇంక ఎవ్వరు ఉండటానికి వెళ్ళగలరు? కొంగలు వెళ్ళేటప్పుడు వాటి పైన వాటి కాళ్ళ యొక్క లోతైన గుర్తులను విడిచిపెట్టకుండా వేరొక ప్రదేశానికి ఎలా వెళ్ళగలవు? నదీమాత ఒడ్డు అంటే మనిషి యొక్క కృతజ్ఞతకు అఖండ ఉత్సవం. నది ఒడ్డున ఉన్న తెల్లని భవంతులు మందిరాలే వాటి ఉన్నత శిఖరాలు. ఒక అఖండమైన ఉపాసన. కాని అంతటితో కావ్య సమాప్తి పూర్తి కాదు. అందువలన భక్త ప్రజలు నదీ ప్రవాహాలపై నుండి మందిరాల (దేవాలయాల) ఘంటానాద ప్రకంపనలను ఈ ఒడ్డు నుండి అవతలి ఒడ్డుకు చేరుస్తున్నారు. సంస్కృతి పూజారులైన (ఉపాసకులు) భారతీయులు ఇక్కడ గంగాజలంతో కూడిన సగం కలశపు నీటిని గోదావరి నదిలో కుమ్మరించి గోదావరి నది నీటిని ఆ కలశంలో నింపుకుని తీసుకువెళ్తారు. అది ఎంతటి భవ్యమైన విధి. అది ఎంతటి పవిత్ర కావ్యం. ఈ భక్తి రసం హృదయాలలో నిండి ఉంది. దేవాలయాల ఘంటానాదం మరియు హృదయనాదాలను పూర్వ స్మృతులే వినిపిస్తాయి. చెవులకు మాత్రం కేవలం ఇంజన్ల మోత మాత్రమే వినిపిస్తోంది. అందువలన మేము ఆధునిక సంస్కృతికి ఈ ప్రతినిధిని ద్వేషించడం వదిలినట్లయితే రైలు చక్రాల తాళము, లయ అంత తక్కువ ఆకర్షణ కల్గినది కాదు. వంతెన పైన మాత్రం దాని విజయనాదం అంటువ్యాధి వ్యాపించినట్లు దూరదూర తీరాలకు వ్యాపించేదిగానే ఉంటుంది.

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వంతెన పైన బండి బాగా వెళ్లిన తర్వాత తూర్పువైపున చూడడం వదిలి పెట్టానని నాకు అన్పించినది. నేను ఇటువైపుకు తిరిగి చూసినట్లయితే అద్భుతమైన శోభ (కాంతి) గోచరించింది. పశ్చిమ దిక్కున గోదావరి నది ఎంత వెడల్పుగా ఉన్నదో అంతకంటే ఎక్కువ వెడల్పు తూర్పున ఉన్నది. గోదావరి నది ఎన్నో మార్గాల గుండా ఉత్తేజితమై సముద్రంలో కలవవలసియున్నది. నదీమాతల భర్త సముద్రుణ్ణి నది కలవడానికి వెళ్ళేటప్పుడు దానికి ఎంతో సంభ్రమం, ఎంతో ఉత్తేజం ఎంతో ఉద్విగ్నంగా ఉంటుంది. కానీ గోదావరి నది మాత్రం ధీర, గంభీర మాత. దాని సంభ్రమం కూడా ఉదాత్తమైన రూపంలోనే వ్యక్తమవుతుంది. ఇటువైపున ఉన్న ద్వీపాలు అటువైపు ద్వీపాలతో పోల్చినట్లయితే కొంత విభిన్నంగా ఉన్నాయి. వాటిలో వనశ్రీ శోభ పూర్తిగా వికసించి కన్పించుచున్నది. బ్రాహ్మణులు, రైతుల గుడిసెలు ,ఇటువైపు కన్పించవు. ఒకవేళ ప్రవహించుచున్న నీటి దాడికి గురిఅయ్యే ఈ రెంటి ద్వీపాల మధ్య ఎవరైనా ఎత్తైన భవంతిని నిర్మించినట్లయితే అవి దూరం నుండే కన్పించేవి. ప్రకృతి మాత్రం కొన్ని ఎత్తైన చెట్లను విజయ పతాకలుగా నిలబెట్టినది. కుడివైపున రాజమండ్రి మరియు ధవళేశ్వరంలోని సుఖంతో ఉన్న జన సమాజం ఆనందోత్సవాలను జరుపుకుంటోంది. ఇలాంటి దుర్లభమైన దృశ్యాన్ని చూసి తృప్తినొందే లోపే ఎడమవైపు నది ఒడ్డు నుండి ఇరుక్కుని మత్తుగా నిర్లక్ష్యంతో ప్రవహిస్నున్న తగరం లాంటి తెల్లని మొక్కల స్థావరాల ప్రవాహం (ఒక విధమైన తెల్లని మొక్కలు) దూరం దూరంగా వెళ్తూ కన్పించినది. నదీ నీటిలో ఉన్మాదం ఉంది. దానిలో అలలు లేవు. నదిలో గోచరించే ఒక రకమైన ఈ తెల్లని మొక్కల ప్రవాహం గాలితో కలసి కుట్ర పన్నినవి. దాని ఫలితంగా యధేచ్ఛగా జలతరంగాలు పైకి ఎగురుతున్నవి. తక్కువ సంఖ్యలోనే ఈ తెల్లని మొక్కల ప్రవాహం ఆగకుండా ప్రవహిస్తూనే ఉన్నది. గోదావరి నదీ ప్రవాహంతో పోటీ పడుతూ కూడా వాటికి ఎటువంటి సంకోచం లేదు. అవి ఎందుకు సిగ్గుపడతాయి. గోదావరీ మాత విశాలమైన ఒడ్డున ఇవేమైనా తక్కువ స్తన్య పాలు త్రాగినాయా ?

మాతా గోదావరీ ! రాముడు – లక్ష్మణుడు సీతల నుండి ముసలి జటాయువు వరకు అందరికీ నీవే రొమ్ము పాలు త్రాగించావు. నీ ఒడ్డున శూరవీరులు జన్మించిరి. పెద్ద – పెద్ద తత్వ జ్ఞానులు, సాధు పుంగవులు, దురంధరులైన రాజకీయ నాయకులు (రాజనీతిజ్ఞులు) మరియు ఈశ్వర (భగవంతుని) భక్తులు జన్మించిరి. చతుర్వర్ణాల వారికి నీవు మాతవు. మా పూర్వీకులకు నీవు అధిష్టాత్రి దేవివి. నవ్యనూతన ఆశలతో నేను నీ దర్శనానికి వచ్చాను. నీ నీటిలో అమోఘ శక్తి ఉన్నది, నీ నీటిని ఒక్క చుక్క సేవించినా వ్యర్థం కాదు.