AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब

10th Class Hindi Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 68)

प्रश्न 1.
हवाई जहाज़ का आविष्कार किसने किया ?
उत्तर:
हवाई जहाज़ का आविष्कार विलबर राइट व ओरोविन राइट नामक दो भाइयों ने किया।

प्रश्न 2.
उड़ते हवाई जहाज़ को देखकर आपको क्या लगता है? क्यों?
उत्तर:
उडते हवाई जहाज को देखकर मुझे यह लगता है कि मानव ने कितनी वैज्ञानिक प्रगति या उन्नति को पाया है? क्योंकि वे पक्षियों के जैसे आसमान में विचरण कर रहे हैं। मुझे यह भी लगता है कि मैं भी हवाई जहाज में बैठकर आसमान में विचरण करूँ, क्योंकि मैं अभी तक हवाई जहाज में नहीं उड सका।

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प्रश्न 3.
पशु – पक्षी और मानव गुणों में क्या अंतर है?
उत्तर:

  • पशु – पक्षियों को मानव की तुलना में कुछ विशिष्ट प्राकृतिक गुण प्राप्त हुए हैं।
  • पक्षी मुक्त आकाश में उड़ सकते हैं। मानव तथा पशु उड़ नहीं सकते।
  • मानव बोल सकते हैं लेकिन पशु – पक्षी बोल नहीं सकते।
  • मानव सोच सकते हैं। लेकिन पशु – पक्षी सोच नहीं सकते।
  • मानव बुद्धि जीव है। लेकिन पशु – पक्षी में बुद्धि नहीं हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 71)

प्रश्न 1.
निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए सरकार द्वारा क्या – क्या कदम उठाये जा रहे हैं?
उत्तर:
निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए सरकार द्वारा ये क़दम उठाये जा रहे हैं –

  • 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा पाने का अधिकार मौलिक अधिकार बना दिया गया है।
  • अभिभावकों को नशा – खोरी से मुक्ति दिलाने के लिए अभियान चला।
  • प्रौढ शिक्षा केंद्र चलाकर उन्हें साक्षर बनाया जा रहा है।
  • उम्र के अनुसार बच्चों को या प्रौढों को परीक्षाएँ लिखने की सुविधा दी जा रही है।
  • अक्षर दीप्ति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषणों के द्वारा साक्षरता का महत्व बताया जा रहा है।

प्रश्न 2.
एक छात्र में कौन – कौन से महत्वपूर्ण गुण होने चाहिए ?
उत्तर:
एक छात्र में अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति आदर गुण जैसे महत्वपूर्ण गुण होने चाहिए। अनुशासन का पालन करना चाहिए। पढाई में निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

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प्रश्न 3.
एक छात्र के रूप में विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए हमें क्या – क्या करना चाहिए ? (या) एक छात्र के रूप में आप विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने में क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:

  • आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करना चाहिए।
  • जीवन में एक लक्ष्य बनाना चाहिए। उसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करना चाहिए।
  • नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण करना चाहिए। बाधाओं से लड़ते हुए उन पर विजय प्राप्त करना चाहिए।
  • छात्रों को निरंतर प्रयत्नशील होना चाहिए।
  • छुट्टी के दिनों में छात्र गरीब और सुविधाओं से वंचित बच्चों को पढ़ाने का काम करें।
  • छात्र अधिक से अधिक पौधे लगायें।

प्रश्न 4.
भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने में छात्रों का क्या योगदान हो सकता है?
उत्तर:
हर छात्र को माता – पिता तथा प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों से ईमानदारी और सच्चाई का पाठ सीखना चाहिए। छात्र यह संकल्प कर लेना चाहिए कि सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करें।

InText Questions (Textbook Page No. 72)

प्रश्न 5.
बच्चों के लिए टेसी थॉमस का संदेश क्या है?
उत्तर:
टेसी थॉमस बच्चों को यह संदेश देती हैं कि जो भी पढ़े ध्यान से पढ़े, मेहनत करें, और लक्ष्य प्राप्त करने तक रुके नहीं | जो पसंद है उसमें अपना जी – जान लगा दें। कमर – कसकर तैयारी करें। सफलता अवश्य उनके कदम चूमेगी।

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प्रश्न 6.
टेसी थॉमस को ‘अग्नि-पुत्री’ का उपनाम क्यों दिया गया होगा?
उत्तर:
थॉमस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के अग्नि कार्यक्रम की निदेशक बनी। उन्होंने देश के किसी मिसाइल प्रॉजेक्ट की पहली महिला प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त किया। अग्नि मिज़ाइल के अभियान की सफलता के कारण उसे अग्नि पुत्री का उपनाम दिया गया होगा।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया |

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
ए.पी.जे अब्दुल कलाम जैसे कुछ और महापुरुषों के नाम बताइए।
उत्तर:
डॉ.सर.सी.वी.रामन, मोक्षगुंडम विश्वेस्वरय्या, कामराज नाडार, जगदीश चंद्रबोस, पं.जवाहरलाल नेहरु, डॉ.बाबू राजेंद्रप्रसाद और महात्मा गाँधी आदि महापुरुष थे।

प्रश्न 2.
ए.पी.जे अब्दुल कलाम और टेसी थॉमस में आपको सबसे अच्छी बात कौनसी लगी और क्यों?
उत्तर:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम में प्रतिभा, परिश्रम और लगन आदि बातें मुझे बहुत अच्छी लगी क्योंकि उन्होंने इन्हीं के माध्यम से यह सिद्ध कर दिखाया कि मनुष्य के लिए विश्व में कुछ भी असंभव नहीं है। टेसी थॉमस में मुझे मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय आदि बातें बहुत अच्छी लगी। क्योंकि उन्होंने इन्हीं के द्वारा पुरुष वर्चस्ववाले क्षेत्र में सफलता के नये शिखर तय किये हैं।

आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।

प्रश्न 1.
ए.पी.जे अब्दुल कलाम का साक्षात्कार किसने लिया ?
उत्तर:
राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कुछ छात्रों ने ए.पी.जे अब्दुल कलाम का साक्षात्कार लिया था।

प्रश्न 2.
टेसी थॉमस का साक्षात्कार किसने लिया?
उत्तर:
टेसी थामस का साक्षात्कार “इंडिया टुडे” साप्ताहिक पत्रिका ने लिया था।

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प्रश्न 3.
ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने बाल मज़दूरी को समाप्त करने के लिए क्या उपाय बताये?
उत्तर:
ऐसी समस्या को तीन अलग – अलग उपायों से निपटा जा सकता है।

  • बच्चे स्वयं अपनी पढ़ाई जारी रखने में रुचि दिखायें।
  • माता – पिता को शिक्षित करके।
  • बच्चों से काम लेने वाले मालिकों में आत्म – नियंत्रण की प्रवृत्ति का विकास करके।

प्रश्न 4.
टेसी थॉमस की स्कूली पढ़ाई कहाँ हुई? उन्हें किन विषयों में रुचि थी?
उत्तर:
उनकी शिक्षा – दीक्षा केरल स्थित अलप्पुझा में हुई। उन्हें गणित और विज्ञान विषय में रुचि थी।

इ) निम्नलिखित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए।

प्रश्न 1.
सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है।
उत्तर:
ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी के अनुसार सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। कलाम जी के राय में यह आंदोलन छात्रों के घर और विद्यालयों से ही आरंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में केवल तीन ही तरह के लोग सहायक सिद्ध हो सकते हैं। वे हैं माता, पिता तथा प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक | ये तीनों छात्रों को सच्चाई और ईमानदारी का पाठ पढाते हैं।

प्रश्न 2.
सच्चे अर्थों में वे देश के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के आदर्श हैं।
उत्तर:
इस वाक्य को टेसी थॉमस ने अपना आदर्श ए.पी.जे अब्दुल कलाम को मानती हुई अब्दुल कलाम जी के बारे में कहती हैं। इसमें ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी के बारे में बताया गया है। टेसी थॉमस कहती हैं कि सच्चे अर्थों में ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी देश के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के आदर्श हैं। उन्होंने दुनिया के मान चित्र में भारत को जो स्थान दिलाया है, उसके लिए भारतवासी उनके ऋणी हैं।

ई) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
विज्ञान की भी एक भाषा होती है। यदि आप ध्यान से देखें तो आपको पता चलेगा कि किस | तरह ऋतुएँ बदलती रहती हैं। किस तरह किसी बीज से नन्हा पौधा निकलता है। किस तरह पानी पर कागज़ की नावें तैरती हैं। किस तरह पक्षी उडते हैं। किस तरह तितली फूल का रस पीती है। किस तरह गुब्बारा हवां से फूलता है। चारों ओर विज्ञान ही विज्ञान है। विज्ञान किताबों में कम आपकी समझ में ज्यादा बसता है। इसीलिए कुछ जानने की इच्छा हमेशा रहनी चाहिए। जो जानने की इच्छा नहीं रखता वह किताबें पढ़कर भी कुछ नहीं सीख सकता ।
प्रश्न :
प्रश्न 1.
विज्ञान कैसा विषय है?
उत्तर:
विज्ञान ऐसा विषय है जो किताबों में कम और समझ में ज्यादा बसता है।

प्रश्न 2.
विज्ञान के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऋतुएँ बदलना, बीज से नन्हे पौधे निकालना, पानी पर कागज की नावें तैरना, पक्षी उडना, तितली फूल के रस चूसना, गुब्बारा हवा से फूलना ये सब विज्ञान के कुछ उदाहरण हैं।

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प्रश्न 3.
जानने की इच्छा न हो तो क्या होगा?
उत्तर:
जानने की इच्छा न हो तो हमें विज्ञान की बातें समझ न आती है। क्योंकि विज्ञान किताबों में कम और समझ में ज्यादा बसता है। जिसे जानने की इच्छा नहीं रहता वह किताबें पढ़ने पर भी नहीं सीख सकता।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कलाम के विचार में “आदर्श छात्र” के गुण क्या हैं?
उत्तर:
कलाम के विचार में आदर्श छात्र के गुण ये हैं। जैसे :

  • महिलाओं को शिक्षित कराना।
  • ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करना।
  • दूसरों के लिए आदर्शवान बनना।
  • पढ़ते हुए कक्षा में आगे बढ़ना। – खूब परिश्रम करना।
  • जीवन में एक लक्ष्य बनाना और उसे प्राप्त करने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करना।
  • निरंतर प्रयत्नशील रहते हुए सबसे बढिया काम करना।
  • नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना।
  • गरीब बच्चों को छुट्टी के दिनों में पढ़ाना।
  • अधिक से अधिक पौधे लगाना।

प्रश्न 2.
टेसी थॉमस के जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
टेसी थॉमस के जीवन से हमें ये – संदेश मिलते हैं।

  • सादगी का जीवन बिताना ।
  • मेहनत, लगन और दृढ़ निश्चय से अपने पसंदी क्षेत्रों में सफलता के नये शिखर तय करना।
  • अध्यापकों तथा गुरुजनों की स्तुति करना।
  • लक्ष्य प्राप्त करने तक नहीं रुकना।
  • हमें जो विषय पसंद है उसमें जी जान लगाना।
  • कमर कसकर तैयारी करना।

आ) इन प्रश्नों के उत्तर आठ – दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
अच्छे नागरिक बनने के लिए कौन से गुण होने चाहिए?
उत्तर:
अच्छे नागरिक बनने के लिए निम्न लिखित गुण होने चाहिए जैसे :

  • सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक होना चाहिए।
  • साक्षरता को बढ़ाना चाहिए। इस के लिए हर एक नागरिक या छात्र कम से कम पाँच महिलाओं को शिक्षित कराना चाहिए।
  • सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए नागरिकों को कदम बढ़ाना चाहिए।
  • हर नागरिक को सच्चाई तथा ईमानदारी से रहना चाहिए। कानून का आदर करना चाहिए।
  • दूसरों के प्रति आदर का गुण को अपनाना चाहिए।
  • खूब परिश्रमी होनी चाहिए।
  • आपने जीवन में पहले एक लक्ष्य को बनाना चाहिए। उसे प्राप्त करने की ओर कदम बढाना चाहिए।
  • नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना चाहिए।
  • अधिक से अधिक पौधे लगाना चाहिए।

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प्रश्न 2.
टेसी थॉमस अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानती हैं। क्यों?
उत्तर:
टेसी थॉमस अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानती हैं क्योंकि हमारे देश में जब भी अंतरिक्ष विज्ञान और मिसाइल की बात की जाती है तो ए.पी. जे. अब्दुल कलाम के नाम ही आता है। सच्चे अर्थों में वे देश के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के आदर्श हैं। उन्होंने दुनिया के मान चित्र में भारत को स्थान दिलाया है उस के लिए भारतवासी ऋणी हैं। यही नहीं कि अब्दुल कलाम जी टेसी थॉमस के गुरु हैं। वे महान थे। वे महान हैं। वे महान रहेंगे। उनकी नेतृत्व क्षमता बेमिसाल है।

इ) किसी एक साक्षात्कार को उचित शीर्षक देते हुए निबंध के रूप में लिखिए।
उत्तर:
टेसी थॉमस
टेसी थॉमस हैदराबाद में डिफेंस क्वार्टर्स में रहती हैं। आप सदा भारतीय सांस्कृतिक छाप प्रदर्शन करनेवाली जरी साड़ियाँ पहनती हैं। आप सादगी का जीवन बिताती है। आपके घर में पुरस्कारों तथा सम्मानों का भंडार पड़ा है। उनकी शिक्षा-दीक्षा केरल स्थित अलप्पुझा में हुई। यहीं पर उनका जन्म भी हुआ था।

रक्षा अनुसंधान और विज्ञान को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता है। मगर टेसी थॉमस जी ने इसका अपवाद है। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और दृढ़ विश्वास से पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्र में सफलता के नये शिखर तय किये हैं।

थॉमस रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अग्नि – कार्यक्रम की निदेशक बनी। उन्होंने देश के किसी मिसाइल प्राजेक्ट की पहली महिला प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त किया।

टेसी थॉमस बचपन से ही अंतरिक्ष के सपने देखती थी। इसी कारण उन्होंने गणित और विज्ञान विषय को अपने तन – मन में बसा लिया। इस कार्य में आपकी पाठशाला और अध्यापकों का बहुत बड़ा योगदान रहा। आप भारत की “प्रथम मिज़ाइल वुमन’ और अग्निपुत्री” कहकर पुकारा जाती हैं।

आप डी. आर. डी.ओ.द्वारा सन् 1985 में चुने गये देश भर के दस वैज्ञानिकों में एक हैं। आपके गुरु ए.पी.जे अब्दुल कलाम है। कलाम जी ने ही प्रेरणा के अग्नि पंख दिये हैं। कलाम जी को आप अपना आदर्श मानने में गर्व का अनुभव करती हैं।

आप बच्चों को यह सूचना देती हैं कि “वे जो भी पढ़े ध्यान से पढ़े। मेहनत करें। लक्ष्य प्राप्ति तक उन्हें रुकना नहीं चाहिए।

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ई) ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचार आदर्श योग्य हैं। इन विचारों को अमल में लाने के लिए आप क्या करेंगे?
उत्तर:
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचार आदर्श योग्य हैं। इन विचारों को अमल में लाने के लिए मैं ये करूँगा

  • युवाशक्ति के रूप में देश के आर्थिक विकास में योगदान दूंगा।
  • महिला साक्षरता को बढ़ाने में सहयोग दूंगा।
  • मैं स्त्री समस्याओं के बारे में बताकर सावधान कराऊँगा।
  • 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा पाने के अधिकार के बारे में सबको समझाऊँगा।
  • बच्चों के अभिभावकों को नशाखोरी से मुक्ति दिलाने में योगदान दे सकूँगा। बाल मज़दूर का उन्मूलन कर सकूँगा।
  • सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के व्यापक आंदोलन में भाग लेकर मैं अपना सहयोग दूंगा।
  • मैं भी खुद भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करूँगा।
  • मैं अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति आदर भाव रखूगा।
  • खूब परिश्रम करूँगा।
  • अधिक से अधिक पौधे लगाऊँगा।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. प्रतिभा, परिश्रम, छात्र, शिक्षा (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
वाक्य प्रयोग

  1. प्रतिभा – प्रतिभा में उससे कोई भी समझौता नहीं करते।
  2. परिश्रम – खूब परिश्रम करने पर ही हमें जीत मिलता है।
  3. छात्र – राम एक अच्छा छात्र है।
  4. शिक्षा – जवाहरलाल जी का प्रारंभिक शिक्षा – दीक्षा घर पर ही हुई।

पर्याय शब्द

  1. प्रतिभा – बुद्धि, प्रभा
  2. परिश्रम – मेहनत, श्रम
  3. छात्र – चेला, शिष्य, विद्यार्थी
  4. शिक्षा – विद्या, पढाई

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2. संभव, ज्ञान, बढ़िया, साकार (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
विलोम शब्द

  1. संभव × असंभव
  2. ज्ञान × अज्ञान, मूर्खता
  3. बढ़िया × घटिया
  4. साकार × निराकार

वाक्य प्रयोग

  1. संभव – परिश्रम से हर काम संभव हो जाता है। कोई काम असंभव नहीं होता।
  2. ज्ञान – हर एक को ज्ञान चाहिए न कि अज्ञान।
  3. बढ़िया – सदा बढ़िया माल को ही खरीदना चाहिए न कि घटिया माल।
  4. साकार – मेरे राय में तो भगवान साकार रूपी है, निराकार नहीं।

3. छात्रा, छुट्टी, पौधा, बात (एक – एक शब्द का वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
वचन

  1. छात्रा – छात्राएँ
  2. छुट्टी – छुट्टियाँ
  3. पौधा – पौधे
  4. बात – बातें

वाक्य प्रयोग

  1. छात्रा – छात्राएँ सब मिलकर एक साथ जा रही हैं।
  2. छुट्टी – गर्मी की छुट्टियों में मैं मुंबई जाऊँगा।
  3. पौधा – हर एक को अधिक से अधिक पौधे लगाना चाहिए।
  4. बात- व्यर्थ बातों से समय काटना ठीक नहीं।

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
निर्धन, संकल्प (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
निर्धन = निः + धन
संकल्प = सम् + कल्प

प्रश्न 2.
सुबह – शाम, युवाशक्ति (समास पहचानिए।)
उत्तर:
सुबह – शाम – द्वंद्व समास
युवाशक्ति – तत्पुरुष समास

इ) रेखांकित शब्दों पर ध्यान दीजिए और इन्हें समझिए।

प्रश्न 1.
राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कुछ बालकों ने उनका साक्षात्कार लिया था।
उत्तर:
कार्यकाल – पुंलिंग
कुछ – अनिश्चय वाचक सर्वनाम, अनिश्चय संख्या वाचक विशेषण
उनका – अन्य पुरुष वाचक सर्वनाम

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प्रश्न 2.
निरंतर प्रयत्नशील रहते हुए सबसे बढ़िया काम करने की ओर बढ़ते रहें।
उत्तर:
निरंतर – क्रिया विशेषण
बढ़िया – अनिश्चित परिमाण वाचक विशेषण
की ओर – संबंध कारक

ई) रेखांकित शब्दों के स्थान पर कोष्ठक में दिये गये शब्दों का प्रयोग कर वाक्य बनाइए।
एक छात्र होने के नाते आप जिस कक्षा में भी पढ़ते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब . परिश्रम करें। (नागरिक – देश, खिलाड़ी – खेल, कलाकार – कला, अध्यापक – विषय, परीक्षार्थी – परीक्षा)
उत्तर:

  • एक नागरिक होने के नाते आप जिस देश में भी रहते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें।
  • एक खिलाड़ी होने के नाते आप जिस खेल में भी खेलते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें।
  • एक कलाकार होने के नाते आप जिस कला में भी हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें।
  • एक अध्यापक होने के नाते आप जिस विषय में भी पढ़ाते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें।
  • एक परीक्षार्थी होने के नाते आप जिस परीक्षा में भी लिखते हों, उसमें आगे बढ़ने के लिए खूब परिश्रम करें।

परियोजना कार्य

छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की हिन्दी पाठ्यपुस्तकों के मुखपृष्ठों में (कवर पेज) आपको कौनसा मुखपृष्ठ बहुत अच्छा लगता है? उसके बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए एक सूची बनाइए उसका कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक की हिंदी पाठ्य पुस्तकों के मुखपृष्ठों में मुझे सातवीं कक्षा की हिंदी पाठ्य पुस्तक का मुखपृष्ठ बहुत अच्छा लगता है। इसके बारे में मेरे विचार इस प्रकार हैं।

  • एक आम के पेड़ का एक शाखा है जिसके कई आम के फल हैं।
  • पेड पर एक तोता आम का फल तोड़ रहा है।
  • एक बालक दूसरे बालक के कंधे पर बैठकर आम तोड़ रहा है।
  • एक बगीचे में रंग – बिरंगे फूल खिले हुए हैं।
  • एक लडकी हाथ में फूल लिये खरगोश के पीछे दौड रही है।
  • पीले, काले रंग के साथ सफ़ेद बिंदुओं वाली तितली फूलों से मधु पीने फूलों पर उडने लगी। – बगीचे में उनके साथ – साथ एक कुत्ता भी है।
  • बडे – बडे पंखों वाला एक भ्रमर भी मधु पीने फूलों पर उड़ रहा है।
  • मुखपृष्ठ पर एक पाठशाला भी है। हरियाली से भरी हुई इस चित्र को देखकर बच्चों में पुस्तक के प्रति आकर्षण उत्पन्न होगा। पुस्तक तथा पाठों को पढने के लिए तत्पर हो उठेंगे।
  • बच्चों में कुछ जानने की इच्छा पैदा होगी।
  • खेलते – कूदते पढ़ने – लिखने का अभ्यास उनमें उत्पन्न होगा। पेड़ – पौधों, जीव – जंतुओं के प्रति प्रेम भावना भी छात्रों में उत्पन्न होगी।
  • छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए यह मुखपृष्ठ बल देगा।

धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब Summary in English

No one would imagine that a poor boy who sold newspapers in the streets of Rameshwaram in Tamil Nadu, would become an eminent scientist and the President of India. That poor boy proved that nothing was impossible in this world for a man with talent, hard work and indefatigability. Where there is a will, there is a way. Yes, that boy is none other than our ex-President who was renowned as Missile Man ‘Bharata Ratna’ Abul Faqir Jainullabuddin Abdul Kalam.

When he held office as President, some students interviewed him. The following are the excerpts from that interview.

Students :
Rapidly growing population and other social problems are spreading like an epidemic. As students, how can we tackle them? Please explain.

Abdul Kalam : There are no two opinions about this. There are population growth and other social problems in our country. But one unforgettable thing is – there is no other country in the world like India which has 50 per cent energetic youth. The young generation is playing a key role in the economic development of India. Where the woman literacy is ample enough, there literacy controls the growing population. It has already been proved. As a student, each one of you should educate 5 illiterate women. Besides, make them aware about the problems women are facing in the present society.

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Students :
Sir, would you please advise us as President of India, how to resolve the problem of child labour.

Abdul Kalam :
As per law, it is a crime to engage the children in work. Before the end of this century, we should root it out. Indian Constitution declares that the children aged between 6 and 14 are entitled the right to education. We should wage a war to get of the intoxication of guardians of the children. There is a need to educate them through adult education. We may choose three different ways to solve this problem. They are :
1) children should be passionate on their own to continue their studies.
2) To get their parents educated
3) To develop the nature of self control in the masters who engage children in work.

Students :
Presently the corruption is prevalent in all walks of life. What will our stu dents do to salvage India from the corruption by the year 2020?

Abdul Kalam : You should organize agitations to eradicate the corruption in public life. These agitations should be started from our home and our school. In my opinion, three people can help in the eradication of corruption. They are : 1) Mother 2) Father and 3) The teachers of primary schools. If these people teach the students the lesson of honesty, faith, no one can move them in their life. Therefore, this type of agitation should begin at every home. Then we can eliminate corruption from our public life. If you decide to lead your lives always honesty morally, and without corruption, and to move towards that direction, you will be ideal to others.

Students :
Elders always instruct something to children. Some want us to be disciplined, some want us to fare well in studies, some want us to be honest and loyal. Some others advise us to work hard. It is very good to follow all these. But what is the great quality a student should have?

Abdul Kalam :
The great quality a student should possess is to have faith in himself and to give respect to others. These characteristics will mould you into ideal students.

Students :
Sir, last question. As a student, how can I be of help to make your dream of developing India come true?

Abdul Kalam :
Whatever class you study in, try to work hard and whole heartedly and be successful with flying colours. Firstly set a goal in your life. Later, obtain needed experience and knowledge to achieve that goal. Be victorious fighting against problems. Make an effort constantly and move towards doing good deeds. Follow moral values. The students should always work hard. During holidays, have a motive in your life to get the poor and destitute children educated. The students plant trees. By doing this, they will be of a great helping keeping ecological balance. All these deeds lead towards a progressive way not only us but also our country.

Interview – 2

I got the interview with Tessy Thomas with much difficulty. I went to her home situated at defence quarters in Hyderabad. On hearing the calling bell, she, clad in a jari sari and seemed to be the symbol of Indian culture, invited me in a humble manner. I was impresed with her simple living at my very first sight.

Her house was filled with the things concerned with awards and momentous. But, of them, the Mahout’s picture which she got as a prize during her Engineering, attracted me very much. She completed her schooling at Alappujha village in Kerala where she was born. In those times, defence, research and science course were supposed to be the fields belonged to men only. But Tessy Thomas was different from this. With her effort, perseverance, passion, determination she reached the peaks in her career and achieved success in the field which was supposed for men only.

As a part of Defence Research and Development Organization (DRDO), she became the monitor of ‘Agni-5′ programme. She was honoured as the first Indian woman who took up the first missile project in the country. Come …. let’s ask her and know about her.

Interviewer :
What would you say about your initial life?

Tessy Thomas :
Thad desire to do something different since my childhood. I would dream about Space. That’s why I got interested in science and mathematics mentally and physically. In this the role of my school in Alappujha and teachers is worth – mentioning. My teachers’ cooperation and my determination and dedication helped me achieve success.

Interviewer :
How would you feel if someone else called you the ‘India’s First Missile Woman’ and ‘The daughter of Agni’?

Tessy Thomas :
I feel very glad. I have no words to describe my joy. Ten young scientists had been selected by DRDO in 1985 from all over the country. I was one among them. That day my joy knew no bounds. I felt like my dreams had wings. When Agni missile was successful, it caused great excitement which I will ever remember.

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Interviewer :
Who would you think is your role model?

Tessy Thomas :
As to space science and missile, only one person’s name echoes in everybody’s hearts – APJ Abdul Kalam. In fact, he is highly regarded as an ideal personality not only in India but also throughout the world. All Indians were deeply indebted to him. I proudly say, he is my preceptor (Tessy Thomas worked under the leadership of Kalam at DRDO). He is an inspiration to me. It was only because of his inspiration I got ‘Agni wings ! He is such a great man. The great people are always great. His leadership qual ity is matchless. I feel very proud to regard him as my role model.

Interviewer :
What is your message to the children?

Tessy Thomas :
What I would like to tell the children is – whatever you study, do it attentively. Be hard – working stop not till you reach your goal. Show your concern on the things you like the most. Prepare ardently you will certainly achieve success.

धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब Summary in Telugu

తమిళనాడుకు చెందిన రామేశ్వరం వీధుల్లో వార్తాపత్రికలను అమ్ముకునే ఒక పేద బాలుడు ఒకరోజు సుప్రసిద్ధ శాస్త్రవేత్త మరియు భారతదేశ రాష్ట్రపతి అవుతాడని ఎవ్వరూ కలలో కూడా ఆలోచించి ఉండరు. కానీ ఆ పేద పిల్లవాడు తన ప్రతిభ, పరిశ్రమ మరియు శ్రద్ధలతో మనిషికి ఈ ప్రపంచంలో అసంభవం అనేది ఏదీ ఉండదని నిరూపించెను. మనస్సులో ఒకవేళ కోరిక ఉన్నట్లయితే దారి దానంతట అదే లభిస్తుంది. అవును, ఆ బాలుడు మరెవరో కాదు మన భారతదేశ పూర్వ రాష్ట్రపతి మిసైల్ మేన్ గా ప్రసిద్ధి చెందిన “భారతరత్న” అబుల్ ఫకీర్ జైనుల్లాబుద్దీన్ అబ్దుల్ కలాం.

ఆయన రాష్ట్రపతి పదవిలో నున్న సమయంలో కొంతమంది విద్యార్థులు ఆయనను ఇంటర్వ్యూ చేసిరి. ప్రస్తుతం ఆ ఇంటర్వ్యూలోని కొన్ని చమక్కులు.

బాలురు :
పెరుగుతున్న జన సంఖ్య, ఇతర సామాజిక సమస్యలు మనదేశంలో మహమ్మారిలా వ్యాపిస్తున్నాయి. వాటి గురించి జాగరూకత తీసుకోవడంలో మా విద్యార్థులు ఏం చేయగలం?

అబ్దుల్ కలాం :
దీనిలో రెండు అభిప్రాయాలు ఏమీ లేవు. మనదేశంలో జనాభా పెరుగుదల, సామాజిక సమస్యలు ఉన్నాయి. కానీ మరచిపోని విషయం ఏమిటంటే ఈ ప్రపంచంలోనే 50 శాతం యువశక్తి ఉన్న దేశం భారతదేశం తప్ప మరొకటి లేదు. ఈ యువశక్తి దేశ ఆర్థిక అభివృద్ధిలో ప్రధాన పాత్ర పోషించుచున్నది. ఎక్కడైతే స్త్రీ అక్షరాస్యత ఎక్కువగా ఉందో అక్కడ అక్షరాస్యత, పెరిగే జనాభాను నియంత్రించుచున్నది. ఇది ఋజువైనది కూడా. ఒక విద్యార్థిగా మీరందరూ కనీసం ఒక్కొక్కరు ఐదుగురు మహిళలను అక్షరాస్యులను చేయండి. (ఎవరికైతే చదవడం వ్రాయడం రాదో వారిని) దీనికి తోడు నేటి సమాజంలో స్త్రీలు ముఖ్యంగా ఏ సమస్యలను ఎదుర్కొంటున్నారో వాటిని గురించి కూడా వివరించండి.

బాలురు :
భారత రాష్ట్రపతిగా మీరు బాల కార్మికుల సమస్యలను ఏ విధంగా పరిష్కరిస్తారో సూచనలివ్వండి.

అబ్దుల్ కలాం :
చట్టపరంగా బాలకార్మికులచే పనిచేయించడం ఒక నేరం. ఈ దశాబ్దం అంతం లోపల మనం దీన్ని కూకటివేళ్ళతో సహా పెకిలించాలి. భారతదేశ రాజ్యాంగం కూడా 6 నుండి 14 సం||రాల వయస్సు గల పిల్లలకు విద్య పొందే హక్కును పొందుపరచినది. బాల సంరక్షకుల మత్తును వదిలించడానికి యుద్ధం చేయవలసిన అవసరం ఉంది. వయోజన విద్య ద్వారా వారిని విద్యావంతులను చేయవలసిన పని ఉన్నది. ఈ సమస్యను పరిష్కరించుటకు మూడు వేర్వేరు ఉపాయాలను ఎంపిక చేసుకొనవచ్చును. అవి: 1) పిల్లలు స్వయంగా తమ చదువులను కొనసాగించడంలో అభిరుచి కలిగి ఉండడం 2) తల్లిదండ్రులను విద్యావంతులను చేయడం 3) పిల్లల చేత పని చేయించుకునే యజమానులలో ఆత్మ నియంత్రణ ప్రవృత్తిని పెంపొందించడం.

బాలురు :
ప్రస్తుతం అవినీతి అన్ని రంగాలలో వ్యాపించి ఉంది. 2020 సం||రాల కల్లా భారతదేశాన్ని అవినీతి నుండి విముక్తి చేయుట కొరకు మా విద్యార్థులం ఏమి చేయవచ్చు ?

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అబ్దుల్ కలాం :
సార్వజనీన జీవితంలో అవినీతి నిర్మూలనకు ఆందోళన ఉద్యమాలు) చేపట్టాలి. ఈ ఉద్యమాలు మన ఇంటి నుండి, పాఠశాల నుండి ప్రారంభించాలి. నా దృష్టిలో ఈ అవినీతి నిర్మూలనలో ముగ్గురు వ్యక్తులు మాత్రమే సహాయకులు కాగలరు. వారు 1. తల్లి 2. తండ్రి మరియు 3. ప్రాథమిక పాఠశాలల ఉపాధ్యాయులు. ఈ ముగ్గురు విద్యార్థులలో నిజాయితీ, నమ్మకం అనే పాఠాలను చదివించినట్లయితే వారి జీవితంలో వారిని ఇంకెవ్వరూ కదలించలేరు. అందువలన ప్రతి ఇంటిలో ఇలాంటి ఉద్యమం రావాలి. అప్పుడు మనం మన సార్వజనీన జీవితంలో అవినీతిని తొలగించవచ్చు. మీరందరూ ఎల్లప్పుడూ నీతి నిజాయితీతో మరియు అవినీతి రహితంగా జీవితాన్ని గడుపుతామని సంకల్పించుకుని ఆ దిశగా అడుగులు వేస్తే మీరందరూ ఇతరులకు ఆదర్శప్రాయులు అవుతారు.

బాలురు :
పెద్దలు పిల్లలకు ఎల్లప్పుడూ ఏదో ఒక ఉపదేశం చేస్తూ ఉంటారు. కొందరు క్రమశిక్షణతో ఉండాలని అంటూ ఉంటారు. కొంతమంది బాగా చదవమని చెబుతారు, కొంతమంది నిజాయితీ, నమ్మకస్తులుగా ఉండమని చెబుతారు. బాగా పరిశ్రమించండి అని చెబుతారు మరికొందరు. వీటిని పాటించడం మంచిదే కానీ ఒక విద్యార్థికి ఉండవలసిన గొప్పగుణం ఏమిటి?

అబ్దుల్ కలాం :
ఒక విద్యార్థికి అన్నిటి కంటే ముఖ్యంగా ఉండవలసిన ఒక గొప్ప లక్షణం తనపట్ల నమ్మకం. ఇతరుల పట్ల గౌరవం. ఈ గుణాలు నిస్సందేహంగా మిమ్మల్ని ఆదర్శపౌరులుగా తీర్చిదిద్దుతాయి.

విద్యార్థులు :
చివరి ప్రశ్న. ఒక విద్యార్థిగా నేను అభివృద్ధి చెందుతున్న భారతదేశపు మీ స్వప్నాన్ని సాకారం చేసే దిశగా ఎలా తోడ్పడగలను?

అబ్దుల్ కలాం :
ఒక విద్యార్థిగా మీరు ఏ తరగతిలోనైనా చదవండి, దానిలో పైకి రావడానికి బాగా కృషి చేయండి. మీ జీవితంలో మొదటగా ఒక లక్ష్యాన్ని ఏర్పరచుకోండి. తదుపరి ఆ లక్ష్యాన్ని పొందడానికి కావలసిన అనుభవాన్ని, జ్ఞానాన్ని పొందండి. సమస్యలతో యుద్ధం చేస్తూ విజయాన్ని పొందండి. నిరంతరం ప్రయత్నం చేస్తూ అన్నిటికంటే మంచి పని చేసే దిశగా పయనించండి. నైతిక విలువలను కూడా పాటించండి, పొందండి. విద్యార్థులు ఎల్లప్పుడూ పరిశ్రమ చేస్తూ ఉండాలి. విద్యార్థులు సెలవు రోజుల్లో పేద మరియు వసతుల లేమితో బాధపడుతున్న పిల్లలను చదివించడం తమ జీవితంలో ఒక ఉద్దేశ్యంగా పెట్టుకోండి. విద్యార్థులు ఎక్కువగా మొక్కలు నాటాలి. దీంతో వాతావరణంలో సమతుల్యత ఉంచడంలో సహాయం చేసివారవుతారు. ఈ మన పనులు మనల్ని మాత్రమే కాక మన దేశాన్ని కూడా అభివృద్ధి పథంపై నడిపిస్తాయి.

ఇంటర్వ్యూ – 2

బాలురు :
అతి కష్టం మీద. నాకు టెస్సీ థామ తో ఇంటర్వ్యూ లభించినది. నేను చాలా ఉదయాన్నే హైదరాబాద్ లోని ఢిపెన్స్ క్వార్టర్స్ లో నున్న ఆమె ఇంటికి వెళ్ళితిని. కాలింగ్ బెల్ మ్రోగించగానే జరీ చీరలో భారతీయ సంస్కృతి ఉట్టిపడే విధంగా ఉన్న ఆమె చిరునవ్వుతో నన్ను సాదరంగా ఆహ్వానించింది. నేను మొదటి చూపులోనే ఆమె సాదా జీవితం పట్ల ప్రశంసకుడిని అయ్యాను.

ఇంట్లో చూసినట్లయితే పురస్కారాలు, సన్మానాలతో కూడిన వస్తువులతో ఇల్లు నిండిపోయి ఉన్నది. కానీ వాటిలో విశేషంగా నన్ను ఆకర్షించినది. ఆమె ఇంజనీరింగ్ చదివేటప్పుడు కాలేజీ తరపున బహుమానం పొందిన ఏనుగు వాని బొమ్మ. ఆమె విద్యాభ్యాసం కేరళలోని “అలప్పుఝా” అనే గ్రామంలో జరిగింది. అక్కడే ఆమె జన్మించినది. రక్షణ పరిశోధన, విజ్ఞాన శాస్త్ర పఠనం అనేవి పురుషులకు మాత్రమే చెందిన రంగాలుగా భావింపబడేవి. కానీ టెస్సీ థామస్ దీనికి అపవాదు. ఆమె తన కృషి, పట్టుదల, శ్రద్ధ, దృఢ నిశ్చయంతో పురుషులకు మాత్రమే చెందిన ఈ రంగంలో విజయ శిఖరాలను అధిరోహించినది. థామస్ రక్షణ పరిశోధన మరియు అభివృద్ధి సంస్థ (డి. ఆర్.డి.ఓ) లో భాగంగా అగ్ని – 5 కార్యక్రమ పర్యవేక్షకురాలు అయినది. ఆమె దేశంలోని మొట్టమొదటి మిసైల్ ప్రాజెక్టును చేపట్టిన మొట్టమొదటి భారతదేశ మహిళగా గౌరవాన్ని పొందినది. పదండి ఆమెనే అడిగి ఆమె గురించి తెలుసుకుందాం.

ఇంటర్వ్యూ చేసిన వ్యక్తి :
మీరు తమ ప్రారంభిక జీవితాన్ని గురించి ఏమి తెలియజెప్పెదురు?

టెస్సీథామస్ :
నాకు బాల్యం నుండియే ఏదో చేయాలనే కోరిక ఉండేది. నేను అంతరిక్షం గురించి కలలు కంటూ ఉండేదాన్ని. అందువలననే నేను విజ్ఞాన శాస్త్రం మరియు గణిత శాస్త్రాలను మానసికంగాను శారీరకంగా ఒంట పట్టించుకున్నాను. ఇందులో నా పాఠశాల (అలప్పఝా) మరియు ఉపాధ్యాయుల పాత్ర కూడా చాలా ఉన్నది. ఉపాధ్యాయుల సహయోగం మరియు నిజమైన అకుంఠిత దీక్ష నేను విజయ తీరాలకు చేరుటకు దోహదపడినవి.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब

ఇంటర్వ్యూ చేసిన వ్యక్తి :
ఎప్పుడైనా ఎవరైనా మిమ్మల్ని “భారతదేశ ప్రప్రథమ మిస్సైల్ ఉమన్” మరియు “అగ్నిపుత్రి” అని పిలిచినట్లయితే మీకు ఎలా ఉంటుంది?

టెస్సీ థామస్ :
నాకు చాలా సంతోషంగా ఉంటుంది.నా సంతోషాన్ని వర్ణించడానికి నా వద్ద మాటలే కరవవుతాయి. 1985లో డి.ఆర్.డి.ఓ. ద్వారా దేశ వ్యాప్తంగా పదిమంది యువ శాస్త్రవేత్తల్ని ఎంపిక చేయడం జరిగింది. వారిలో నేను ఒకర్ని. ఆ రోజు నా సంతోషానికి హద్దులు ఏమీ లేవు. నా కలలకు రెక్కలు వచ్చినట్లు అనిపించింది. నేను అగ్నిమిస్సైల్ యాత్ర వలన ఎంత అనందం పొందానో ఎల్లప్పుడూ గుర్తుంటుంది.

ఇంటర్వ్యూ చేసిన వ్యక్తి :
మీరు ఎవర్ని ఆదర్శంగా భావిస్తారు ?

టెస్సీ థామస్ :
ఈ రోజున ఇక్కడ ఎప్పుడైనా అంతరిక్ష విజ్ఞానం మరియు మిస్సెల్ గురించి మాటలు వస్తే అందరి మనస్సులో ఒకే ఒక వ్యక్తి పేరు ప్రతిధ్వనిస్తుంది. ‘ఏ.పి.జె. అబ్దుల్ కలాం”. నిజమైన అర్థంలో ఆయన దేశానికే కాదు ప్రపంచం మొత్తంలో ఆదర్శనీయుడు. ఆయన ప్రపంచ పటంలో భారతదేశానికి స్థానాన్ని సంపాదించినందుకు భారతీయులందరూ ఆయనకు ఋణపడి యున్నారు. నేను గర్వంగా చెబుతున్నాను. ఆయన మా గురువు గారు డి.ఆర్.డి.ఓ. లో టెస్సీ థామస్ కలాంగారి నేతృత్వం (నాయకత్వం)లో పని చేసినది. ఆయనే నాకు ప్రేరణ. ఆయన ప్రేరణతోనే నేను “అగ్ని రెక్కల”ను పొందితిని. ఆయన గొప్పవారు. గొప్పవారు మరియు గొప్పవారి గానే ఉంటారు. ఆయన నాయకత్వ గుణం ఉదాహరించలేనిది. ఆయనను నేను ఆదర్శంగా తీసుకోవడంలో నేను చాలా గర్వపడుచున్నాను.

ఇంటర్వ్యూ చేసిన వ్యక్తి :
పిల్లలకు మీరు ఇచ్చే సలహా ఏమిటి?

టెస్సీ థామస్ :
పిల్లలతో నేను ఏమి చెప్పదలచుకున్నానంటే మీరు ఏదైనా చదవండి, ధ్యాసతో చదవండి. బాగా పరిశ్రమించండి. లక్ష్యం సిద్ధించే వరకు ఆగవద్దు. మీకు ఏది ఇష్టమో దానిలోనే శ్రద్ధ చూపండి. నడుం బిగించి సిద్ధంకండి. విజయం తప్పని సరిగా మీ పాదాలను ముద్దాడుతుంది.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कलाम जी के बचपन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कलाम जी बचपन में बहुत गरीब परिवार से थे। वे तमिलनाडु के रामेश्वरम की गलियों में समाचार पत्र बेचते थे। वे निर्धन थे। बचपन में उन्हें शिक्षा के लिए भी बहुत संघर्ष करना पड़ा।

प्रश्न 2.
बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए कलाम जी ने क्या उपाय बताए?
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए कलाम जी ने लोगों को साक्षर बनाने को कहा है। उनका कहना है कि हमें महिलाओं की साक्षरता पर विशेष बल देना चाहिए। हम देखते हैं कि जिन क्षेत्रों में महिला साक्षरता अधिक है वहाँ जनसंख्या वृद्धि दर कम है। वे कहते हैं कि प्रत्येक छात्र को कम से कम पाँच महिलाओं को शिक्षित करना चाहिए। साथ ही आप उन्हें समाज की उन प्रमुख समस्याओं के बारे में भी बतायें, जिनसे आजकल की महिलाओं को संकट का सामना करना पड़ रहा है।

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प्रश्न 3.
कलाम जी सदगुण संपन्न हैं। आप उनमें से किस गण का पालन करना चाहते हैं?
उत्तर:
कलाम जी में अनेक गुण हैं, जैसे- सादगी, ईमानदारी, अध्यवसायी, मेहनती इत्यादि। मैं उनकी तरह ईमानदार बनना चाहूँगा। ईमानदारी इंसान को बहुत आगे ले जाती है। ईमानदार इंसान समाज के विकास में सहायक होता है। ईमानदारी का पालन करने से इसका प्रसार होता है। इससे समाज स्वस्थ बनता है। इसके माध्यम से हम और समाज दोनों सुखी रह सकते हैं।

प्रश्न 4.
बाल मज़दूरी दूर करने के लिए अपनी ओर से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर:
बाल मजदूरी कराना एक अपराध है। इसे रोकने के लिए कानून को और कड़ा बनाना पड़ेगा। किंतु बालक अपनी घर की परेशानी के कारण मज़दूरी करने जाते हैं। यदि हम भारत से गरीबी को मिटा दें तो बाल मजदूरी अपने आप समाप्त हो जाएगी। बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रहने-खाने की व्यवस्था मुफ्त होनी चाहिए। जो बच्चे ऐसे आवासीय पाठशालाओं में पढ़ते हैं उनके माता-पिता को भी प्रोत्साहन स्वरूप धन या आवश्यक सामग्री मिलनी चाहिए। बाल मज़दूरी रोकने के लिए पोस्टर आदि लगाकर लोगों को जागरूक करना चाहिए।

प्रश्न 5.
‘टेसी थॉमस को मिजाइल वुमेन या अग्निपुत्री क्यों कहते हैं?
उत्तर:
टेसी थॉमस एक महिला वैज्ञानिक हैं। रक्षा अनुसंधान और विज्ञान को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। मगर टेसी जी ने अपने मेहनत लगन और दृढ़ निश्चय से इस क्षेत्र में मेहनत की। निरंतर श्रम से वो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) के अग्नि-5 कार्यक्रम की निदेशक बनीं। उन्होंने देश के किसी मिज़ाइल प्रॉजेक्ट की पहली महिला प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त किया। इसलिए उन्हें मिजाइल वुमेन कहते हैं।

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प्रश्न 6.
एक छात्र के रूप में विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए हमें क्या – क्या करना चाहिए?
उत्तर:
एक छात्र के रूप में विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए हमें खूब परिश्रम करना चाहिए। इसके पहले हमें अपने जीवन में एक लक्ष्य को बना लेना चाहिए। फिर उसे सफल बनाने के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करना चाहिए। बाधाओं पर विजय प्राप्त करना चाहिए। नैतिक मूल्यों को अपनाना चाहिए।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
महिला साक्षरता की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
महिलाएँ परिवार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। परिवारों को जोड़कर ही समाज बनता है।
यदि महिलाएँ साक्षर होंगी तो घर की समस्याओं का अंत हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो समाज का विकास होगा। जनसंख्या दर को धीमा करने के लिए महिलाओं का साक्षर होना आवश्यक है। यदि महिला शिक्षित होगी तो वह अपने पूरे परिवार को शिक्षित बना सकती है। वैसे भी माँ को ही पहली अध्यापिका होने का गौरव प्राप्त है। इससे महिलाएँ रोजगार कर सकती है। वे नौकरी भी कर सकती हैं। इससे महिलाओं के विकास को भी बल मिलेगा।

प्रश्न 2.
भारत में प्रमुख समस्याएँ क्या-क्या हैं?
उत्तर:
भारत में अनेक प्रकार की समस्याएँ हैं। जनसंख्या समस्या उसमें प्रमुख है। इस समस्या के साथ अनेक समस्याएँ भी जुड़ी हुई हैं। रोजगार की समस्या का मूल कारण बढ़ती जनसंख्या ही है। अशिक्षा भी भारत की प्रमुख समस्या है। मज़दूरों की हालत भी दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। पर्यावरण में प्रदूषण तेजी से फैलता जा रहा है। पीने के पानी की समस्या भी बढ़ गई है। भ्रष्टाचार भी भारत की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इसके कारण हमारा विकास सबसे अधिक प्रभावित हुआ है।

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प्रश्न 3.
भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कलामजी ने क्या-क्या सुझाव दिये हैं?
उत्तर:
भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कलाम जी ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही आरंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में तीन लोग अधिक सहायक हो सकते हैं- माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक| यदि ये तीनों बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई उनको हिला पाएगा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचारमुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के लिए आदर्शवान बने रहेंगे।

प्रश्न 4.
अब्दुल कलाम जी के अनुसार एक छात्र में किन-किन गुणों का होना ज़रूरी हैं?
उत्तर:
यह प्रश्न ‘धरती के सवाल-अंतरिक्ष के जवाब ‘ नामक पाठ से दिया गया है।

  • एक छात्र होने के नाते हर एक छात्र कम से कम पाँच महिलाओं को शिक्षित करें।
  • ईमानदारी और सच्चाई का गुण अपनायें। * भ्रष्टाचार उन्मूलन में स्वयं भाग लें।
  • अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति आदर भाव रखें।

प्रश्न 5.
टेसी थॉमस का जीवन हमें किस तरह प्रेरित करता है?
उत्तर:
भारत की “प्रथम मिज़ाइल वुमन” और अग्निपुत्री नाम से विख्यात हैं टेसी थॉमस। उनका आदर्शमय जीवन सबके लिए प्रेरणादायक रहा है। कठोर परिश्रम, लगन, लक्ष्य प्राप्ति तक चैन न लेने का महान आशय आदि उनको इतनी ख्यातिवान बना चुके हैं। उनका सफल जीवन ही पढाई में श्रद्धा, मेहनत, मनपसंद विषय में जी – जान लगा देने की सूचना, सफलता प्राप्त करने तक कमर – कसकर तैयारी करने की हमें प्रेरणा देता है।

प्रश्न 6.
भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने में छात्रों का क्या योगदान हो सकता है?
उत्तर:
भूतपूर्व राष्ट्रपति मान्य ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की दृष्टि में भ्रष्टाचार उन्मूलन में तीन तरह के लोग सहायक सिद्ध हो सकते हैं। वे हैं – 1) माता 2) पिता और 3) प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक| घर में और बाहर बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ मिलना चाहिए।

भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने में छात्रों का महान योगदान हो सकता है। पहले – पहल वे संकल्प कर लें कि “हम सदैव ईमानदारी एवं भ्रष्टाचार मुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के लिए
आदर्शवान बने रहेंगे।”

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प्रश्न 7.
अब्दुल कलाम जी और टेसी थॉमस के साक्षात्कारों से आपने क्या सीखा?
उत्तर:
अब्दुल कलाम और टेसी थॉमस के साक्षात्कारों से हमें निम्नलिखित सीख मिलती है एक छात्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति आदर का गुण है। हमें पढाई में हमेशा खूब परिश्रमी बनने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में एक लक्ष्य बनाना चाहिए। हमें पढ़ाई के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव प्राप्त करना चाहिए। हमें निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।

नैतिक मूल्यों को ग्रहण करना चाहिए। छुट्टियों में गरीब बच्चों और अशिक्षित महिलाओं को पढ़ाना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पर्यावरण को संतुलित बनाने में हाथ बटाना चाहिए। मेहनत, लगन और दृढ़-निश्चय से मंजिल तक पहुँचने का प्रयास करना चाहिए। सच्ची सफलता शिक्षा से ही प्राप्त होती है। ईमानदारी सबसे अच्छा गुण है।

प्रश्न 8.
भ्रष्टाचार उन्मूलन में पाठशाला का क्या महत्व है?
उत्तर:
भ्रष्टाचार उन्मूलन में पाठशाला का बहुत महत्व है। पाठशाला बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं। हमें अनुशासन में रहने की सीख पाठशाला से ही मिलती है। यदि हमारे पाठशाला का माहौल अच्छा है तो बच्चे आगे चलकर ईमानदार इंसान बनते हैं। इससे समाज में भलाई फैलती है। बच्चे पाठशाला में सीखी हुई बात घर में भी बताते हैं। इसलिए बड़ों को भी कभी-कभी बच्चों की बातें सुननी चाहिए। उनसे सीख लेनी चाहिए। इस प्रकार भ्रष्टाचार अपने आप समाप्त हो जाएगा।

प्रश्न 9.
टेसी थॉमस की पाठशाला की पढ़ाई के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
टेसी थॉमस की शिक्षा-दीक्षा केरल प्रांत के अलप्पुझा में हुई। यहीं पर उनका जन्म हुआ था। उन्हें ‘हाथी वाला स्मारक’ भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के समय कॉलेज की ओर से दिया गया था। उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह थी। वे तरिक्ष के सपने देखती थीं। यही कारण रहा कि उन्होंने गणित और विज्ञान विषय को अपने तन-मन में बसा लिया। इसमें उनकी पाठशाला (अलप्पुझा) और अध्यापकों का बहुत बड़ा योगदान रहा।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
अग्निपुत्री टेसी थॉमस के जीवन से बच्चों को किस प्रकार की प्रेरणा मिलती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक युग में बड़े – बड़े चमत्कार दिखाकर भारत के नाम रोशन करनेवालों में “प्रथम मिज़ाइल वुमन’ टेसी थॉमस एक हैं। उनका जन्म और शिक्ष – दीक्षा केरल स्थित अलप्पुझा में हुई। उनको बचपन से ही गणित और विज्ञान के विषयों में बड़ी रुचि थी। आपने इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की। अपनी मेहनत लगन और दृढ निश्चय से वे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अग्नि कार्यक्रम की निर्देशिका बनीं।

आपको भारत सरकार ने ‘अग्निपुत्री की उपधि से भी सम्मानित किया । आप मिजाइल मैन नाम से विख्यात हुआ भारत रत्न” ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को अपने गुरु तथा आदर्श मानती हैं।

बच्चों के लिए टेसी थॉमस का जीवन आदर्शमय तथा प्रेरणा दायक है। अपनी मेहनत, लगन और दृढ निश्चय से उनको ऐच्छिक सफलता प्राप्त हुई। लक्ष्य साधना तन – मन में बसाकर उन्होंने सब परिश्रम किया। इस काम में पाठशाला के अध्यापकों का बहुत बड़ा योगदान रहा। परिवार वालों और अध्यापकों के सहयोग और सच्ची लगन के उनका यश बढ़ा।

कठोर परिश्रम, लगन, लक्ष्यप्राप्ति तक चैन न लेने का महान आशय आदि उनकी ख्याति बढा चुके हैं। उनका सफल जीवन ही एक मात्र आदर्शनीय है। इससे बच्चों को मन पसंद विषय में जी – जान लगा देने की सूचना, पढाई में अधिक श्रद्धा, मेहनत, कितने भी कष्ट आये, सफलता प्राप्त करने तक कमर – कसकर तैयारी करने की प्रेरणा मिलती हैं।

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प्रश्न 2.
भारत को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए अब्दुल कलाम जी के सुझावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब” है।

भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कलाम जी ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही आरंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में तीन लोग अधिक सहायक हो सकते हैं- माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक। यदि ये तीनों बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई उनको हिला पाएगा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचारमुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के लिए आदर्शवान बने रहेंगे।

प्रश्न 3.
टेसी थॉमस के जीवन से हमें कैसी प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
टेसी थॉमस के जीवन से हमें ये प्रेरणाएँ मिलती हैं।

  • भारतीय संस्कृति की छाप को अपनाना।
  • सादगी जीवन बिताना।
  • मेहनत, लगन और दृढ़ – निश्चय से सफलता के नये शिखर तय करना।
  • अध्यापकों के सहयोग और सच्ची लगन से सफ़लता की बुलंदियों को प्राप्त करना।
  • गुरु भक्ति से रहना। गुरु को आदर करना।
  • जो भी पढ़ें ध्यान से पढ़ें। मेहनत करें और लक्ष्य प्राप्त करने तक रुके नहीं।
  • जो हमें पसंद हैं उस में अपना जी – जान लगा देना। * कमर कसकर तैयार करना।

प्रश्न 4.
“बाल मज़दूरी और भ्रष्टाचार हमारे देश की बहुत बड़ी समस्याएँ है। इनके निर्मूलन के लिए कलाम जी ने जो सुझाव दिये हैं उन्हें अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘बाल मज़दूरी और भ्रष्टाचार’ हमारे देश की बहुत बड़ी समस्याएँ है। इनके निर्मूलन के लिए कलाम जी ने जो सुझाव दिये है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति कर्मठ, निष्कामी और प्रसिद्ध विज्ञानवेत्ता डॉ.ए.पी. जे अब्दुल कलाम जी बाल मज़दूरी को समूल समाप्त करने की महत्वाकांक्षा रखते थे। उनके विचार में बाल मज़दूरी करवाना एक महान अपराध है। संविधान के अनुसार 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए शिक्षा पाने का पूरा अधिकार है।

इसलिए बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रखने में खुद रुचि दिखायें अभिभावकों को नशाखोरी से मुक्ति दिलाने के अभियान चलायें। प्रौढ शिक्षा के माध्यम से शिक्षित करने की व्यवस्था करें। ऐसा करने से बच्चों के माता – पिता ही नहीं बच्चों से काम लेनेवालों में भी परिवर्तन आकर आत्मनियंत्रण की प्रवृति का विकास होगा। कलाम जी के ये प्रभावशाली सुझाव सचमुच असरदार और स्फूर्तिदायक हैं। इनके अमल करने से भारत देश में बाल मज़दूरी की समस्या समूल दूर हो जायेगी। भारत देश सुसंपन्न हो संसार में अपना महत्व बनाये रख सकेगा।

भ्रष्टाचार के उन्मूलन के लिए कलाम जी ने सुझाव दिया है कि सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है। यह आंदोलन अपने घर और विद्यालय से ही आरंभ करना होगा। भ्रष्टाचार उन्मूलन में तीन लोग अधिक सहायक हो सकते हैं- माता, पिता और प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक। यदि ये तीनों बच्चों को ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं तो इसके बाद जीवन में शायद ही कोई उनको हिला पाएगा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव ईमानदार एवं भ्रष्टाचारमुक्त जीवन का निर्वाह करेंगे और दूसरों के लिए आदर्शवान बने रहेंगे।

प्रश्न 5.
टेसी थॉमस अग्नि-5 कार्यक्रम की निदेशक कैसे बनी? उनकी इस सफलता के कारणों पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
टेसी थॉमस की शिक्षा-दीक्षा केरल प्रांत के अलप्पुझा में हुई। यहीं पर उनका जन्म हुआ था। उन्हें ‘हाथी वाला स्मारक’ भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के समय कॉलेज की ओर से दिया गया था। उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह थी। वे अंतरिक्ष के सपने देखती थी। यही कारण रहा कि उन्होंने गणित और विज्ञान विषय को अपने तन-मन में बसा लिया। इसमें उनकी पाठशाला (अलप्पुझा) और अध्यापकों का बहुत बड़ा योगदान रहा।

टेसी थॉमस एक महिला वैज्ञानिक हैं। रक्षा अनुसंधान और विज्ञान को पुरुषों का क्षेत्र माना जाता था। मगर टेसी जी ने अपने मेहनत लगन और दृढ़ निश्चय से इस क्षेत्र में मेहनत की। निरंतर श्रम से वो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ) के अग्नि-5 कार्यक्रम की निदेशक बनी। उन्होंने देश के किसी मिज़ाइल प्रॉजेक्ट की पहली महिला प्रमुख बनने का गौरव प्राप्त किया। इसलिए उन्हें मिजाइल वुमेन कहते हैं।

टेसी थॉमस अब्दुल कलाम के बारे में कहती हैं कि “आज हमारे यहाँ जब भी अंतरिक्ष विज्ञान और मिज़ाइल की बात की जाती है, तो सभी के मस्तिष्क में ए.पी.जी. अब्दुल कलाम का नाम गूंजता है। उन्होंने दुनिया के मान चित्र में भारत को जो स्थान दिलाया है, उसके लिए भारतवासी उनके ऋणी हैं। अतः सच्चे अर्थो में वे देश के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के आदश है।

में गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि वे मेरे गुरु हैं। उन्होंने मुझे प्रेरणा के अग्नि पंख दिये है। वे महान , महान है और महान रहेंगे। उन्हे मै अपना आदर्श मानने में गर्व अनुभव करती हूँ। जहाँ कड़ी मेहनत, लगा। और दृढ़ निश्वय होते हैं, वहाँ सफलता अवश्य मिलती है। टेसी थॉमस के जीवन से हमें यहीं संदेश मिलता है। लक्ष्य प्राप्ति तक नहीं रुकना चाहिए। निरंतर प्रयत्न करते रहना चाहिए। जो भी पढ़ें ध्यान से पढ़ना चाहिए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 12 धरती के सवाल अंतरिक्ष के जवाब

प्रश्न 6.
समाज को शिक्षित करने में छात्रों की भूमिका पर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत के पूर्व राष्ट्रपति थे अब्दुल कलाम जी। वे कर्मठ, निष्कामी और सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। आप सादगी, ईमानदारी, अध्यवसायी मेहनत की प्रतिमूर्ति थे। महानगुणों की खान कलाम जी पूरी दुनिया के आदर्श थे। दुनिया के मानचित्र में आपने पवित्र भारत को उच्चतम स्थान दिलाया । सब भारतवासी कलाम जी को अपना आदर्श मानते हैं।

समाज को शिक्षित करने में कलाम जी ने कुछ प्रभावशाली विचार व्यक्त किये हैं। वे हैं – आज का छात्र कल का नागरिक है। अपने प्रति ईमानदारी और दूसरों के प्रति आदर का गुण रखना आदर्श छात्र का लक्षण है। छात्रों को पढाई में निरंतर परिश्रमी रहना चाहिए। जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य को बना लेना चाहिए। लक्ष्यप्राप्ति के लिए आवश्यक ज्ञान और अनुभव वे प्राप्त करें। बाधाओं का सामना करते हुए, उन पर विजय प्राप्त करें।

नैतिक मूल्यों को अपनाना चाहिए। फुरसत के समय गरीब और सुविधाओं से वंचित बच्चों को पढ़ाने का काम करना चाहिए। पौधे लगाकर पर्यावरण को संतुलित करना चाहिए। साथ ही सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार उन्मूलन में भी छात्रों का सहयोग होना चाहिए। ऐसे महान गुणों से समाज को शिक्षित करने में छात्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 7 भक्ति पद Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

10th Class Hindi Chapter 7 भक्ति पद Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 39)

प्रश्न 1.
भगवत भक्ति का ज्ञान कौन देता है?
उत्तर:
भगवत भक्ति का ज्ञान गुरु देता है।

प्रश्न 2.
गुरु को किससे श्रेष्ठ बताया गया है? क्यों?
उत्तर:
गुरु को गोविंद (भगवान) से श्रेष्ठ बताया गया है। क्योंकि भगवत और भगवान भक्ति का ज्ञान हमें उन्होंने (गुरु) ही दिया है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

प्रश्न 3.
“निराडंबर भक्ति भावना’ का क्या महत्व है?
उत्तर:
निराडंबर भक्ति भावना का महत्व बहुत अधिक है। सच्चा भक्त तो निराडंबर ही होता है। भगवान की उपासना सच्चे हृदय से की जाती है। न कि ठाट – बाट और आडंबरों से।

InText Questions (Textbook Page No. 40)

प्रश्न 1.
प्रभु के प्रति रैदास की भक्ति कैसी है?
उत्तर:
प्रभु के प्रति रैदास की भक्ति “दास्य भक्ति” है।

प्रश्न 2.
कवि ने अपने आपको मोर क्यों माना होगा?
उत्तर:
घने बादलों को देख कर मोर खूब नाचता है आनंद विभोर हो जाता है। उसी प्रकार रैदास भगवान रूपी बादल को देखकर खूब आनदं विभोर हो जाता है। इसलिए कवि ने अपने को मोर माना होगा।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

प्रश्न 3.
संत किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिनमें अच्छे गुण हैं (सत्गुरु) जो राम रतन धन की प्राप्ति में सहायता देता है वही संत कहा जाता है|संत दूसरों की हित में रहते हैं। अच्छे मार्ग पर चलने का संदेश देते हैं।

प्रश्न 4.
श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति कैसी है?
उत्तर:
श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति माधुर्य की है। वह माधुर्य भाव से अपने प्रभु गिरिधर नागर श्रीकृष्ण का यश गान आनंद के साथ गाती है।

अर्थवाह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
रैदास व मीरा की भक्ति भावना में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रैदास मीराबाई का गुरु हैं। दोनों भक्ति काल के कवि और कवइत्री हैं। रैदास की भक्ति भावना सख्य तथा दास्य भक्ति का सम्मिलित रूप है। रैदास के अंग – अंग में भक्ति भावना ओत प्रोत है। रैदास भगवान को चंदन, घन – बन, मोती और स्वामी के रूप में मानते हैं। __उसी प्रकार कवइत्री मीरा की भक्ति में माधुर्य भाव अधिक है। श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की भक्ति माधुर्य की है। वह माधुर्य भाव से अपने प्रभु गिरिधर नागर श्रीकृष्ण का यश गान आनंद के साथ गाती है। कवइत्री मीराबाई भगवान के नाम रूपी नाव से ही संसार रूपी सागर से तर सकने का मार्ग सोचती है। सही मार्ग दर्शन करने वाला गुरु ही समझती है। दोनों के भक्ति पद रागात्मक शैली में गाये जाते हैं। मीराबाई की भक्ति भावना में माधुर्य है।

प्रश्न 2.
हमारे जीवन में भक्ति भावना का क्या महत्व है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में भक्ति का बड़ा महत्व है। भक्ति भावना के बिना रहना मुश्किल है। भक्ति मनुष्य के सारे विकारों को नाश करती हैं। निर्मल और पवित्र बनाती है। अहंकार, मोह, लोभ आदि भाव को नष्टकर देती है। सब कार्यों को संभव करने की शक्ति देती है। जीवन को सफल बनाती है।

आ) पंक्तियाँ उचित क्रम में लिखिए।

प्रश्न 1.
प्रभुजी, तुम पानी हम चंदना
उत्तर:
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी।

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प्रश्न 2.
मीरा के प्रभु नागर गिरिधर, हरख – हरख गायो जस ||
उत्तर:
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख – हरख जस गायो।

इ) नीचे दी गई पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
सत की नाँव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
उत्तर:
इस वाक्य में मीराबाई सत्य तथा सद्गुरु की महिमा बताती हैं। मीरा कहती हैं कि मेरी नाव सत्य की है। मेरी नाव खेनेवाला सद्गुरु है। सतगुरु की कृपा से ही भवसागर रूपी संसार को पार कर सकती हूँ।

प्रश्न 2.
प्रभुजी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग – अंग बास समानी। ।
उत्तर:
इस वाक्य में कविवर श्री रैदास जी भगवान को चंदन के रूप में और अपने आपको पानी के रूप में वर्णन करते हैं। रैदास कहते हैं कि हे भगवान तुम चंदन हो और मैं पानी हूँ। चंदन और पानी के मिलने से पानी के अंग – अंग में सुवास निकलता है। जिसे हम अपने शरीर को लगाने से सुगंध निकलता है।

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ई) पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैया मोरि में नाहि माखन खायो,
भोर भयो गैयन के पाछे मधुबन मोहि पठायो। ।
चार पाठर बंसीवट भटक्यो साँझ परे घर मायो,
मैं बालक माहिंचन को छोटो छौंको केहि विधि पायो।
व्वाल बाल सब बैर परे हैं बरबस मुख लपटायो,
यह ले अपनी लकुटी कमरिया बहुतहि नाच नचायो।
तब बिहंसी जसोदा. ले उर कंठ लगायो। – महाकवि सूरवाल ।

1. कृष्ण किनसे बातें कर रहे हैं?
अ) यशोदा
आ) देवकी
इ) सीता
ई) पार्वती
उत्तर :
अ) यशोदा

2. कृष्ण गायों को चराने कहाँ जाते हैं?
अ) मधुबन
आ) शांतिवन
इ) राजवन
ई) सुंदरवन
उत्तर :
अ) मधुबन

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3. कृष्ण घर कब लौटते हैं?
अ) सुबह
आ) दोपहर
इ) शाम
ई) रात
उत्तर :
इ) शाम

4. कृष्ण की बाहें कैसी हैं?
अ) छोटी
आ) मोटी
इ) चौड़ी
ई) लंबी
उत्तर :
अ) छोटी

5. “बैर’ शब्द का अर्थ क्या है?
अ) मित्र
आ) मित्रता
इ) शत्रु
ई) शत्रुता
उत्तर :
इ) शत्रु

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
रैदास जी ने ईश्वर की तुलना चंदन, बादल और मोती से की है। आप ईश्वर की तुलना किससे करना चाहेंगे? और क्यों ?
उत्तर :
मैं तो ईश्वर की तुलना दयालु, दानी, पाप जि को हारी अनाथ – नाथ, ब्रह्म, स्वामी, माँ – बाप, गुरु और मित्र के समान करता हूँ। क्योंकि ईश्वर दीनों पर दया करनेवाला है तो मैं दीन हूँ। ईश्वर दानी है तो मैं भिखमंगा हूँ। ईश्वर पाप कुंजी हारी है तो मैं उजागर पापी हूँ। ईश्वर अनाथों का नाथ है तो मैं अनाथ हूँ। ईश्वर ब्रह्म है तो मैं जीव हूँ। ईश्वर स्वामी है तो मैं सेवक हूँ। इतना ही क्यों भगवान (ईश्वर) माँ – बाप, गुरु और मित्र सब प्रकार से मेरा हित करने वाला है।

प्रश्न 2.
मीरा की भक्ति भावना कैसी है? अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
मीरा की भक्ति माधुर्य भाव की थी। उनके पदों का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
मीरा भक्ति काल की कवइत्री है। वह कृष्णोपासिका है। वह भगवान श्रीकृष्ण को अपना पति मानकर पूजा करती है। उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति है। – मीराबाई जी ने सद्गुरु की महिमा तथा कृपा के बारे में वर्णन किया है। मीराबाई कहती है कि “मैं राम रतन धन पायी हूँ। यह अमूल्यवान वस्तु है। मेरे सद्गुरु जी ने बहुत कृपा के साथ मुझे दी है। यह जन्म – जन्म की पूँजी है।”

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आ) “मीरा के पद” का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
मीराबाई के भक्ति पदों का भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
पाठ का नाम . : भक्ति के पद
कवइत्री : मीराबाई
जीवनकाल : सन् 1498 सन् 1573
रचना : मीराबाई पदावली
विशेषता : माधुर्य भाव

इस प्रस्तुत पद में मीराबाई जी ने सतगुरु की महिमा तथा कृपा के बारे में वर्णन किया है। मीराबाई कहती है कि “मैं राम रतन धन पायी हूँ। यह अमूल्यवान वस्तु है। मेरे सद्गुरु जी ने बहुत कृपा के साथ मुझे दी है। यह जन्म – जन्म की पूँजी है। इसे प्राप्त करने के लिए मैंने जग में सभी खोया।

जो पूँजी मैंने पायी वह खर्च नहीं होगी। इसे कोई चोर भी लूट नहीं सकेगा। यह दिन – दिन सवाये मूल्य की बढ़ती जाती है। मेरी नाव जो है वह सत्य की है। इसे खेनेवाला मेरे गुरु जो हैं वे सद्गुरु हैं। मैं सद्गुरु की कृपा से ही भव सागर को तर सकती हूँ। मेरे स्वामी (भगवान) तो गिरिधर नागर श्रीकृष्ण हैं। मैं खूब प्रसन्नता के साथ उनके यशो गीत गाऊँगी।

विशेषता : इसमें गुरु की महिमा का वर्णन है।

इ) भक्ति भावना से संबंधित छोटी-सी कविता का सृजन कीजिए।
उत्तर :
हे कृष्ण हम पर रखो सदा कृपा
हर दिन गाये गुण गान आपका
पाप कूप से बचाते रहो हमें सदा
नित करो कल्याण इस धर का
अपनाओ विश्व बंधुत्व भावना सब में
सब में भरो भाईचारे का संदेशा ||

ई) भक्ति और मानवीय मूल्यों के विकास में भक्ति साहित्य किस प्रकार सहायक हो सकता है?
उत्तर :
छात्रों में भक्ति तथा मानवीय मूल्यों के विकास की आवश्यकता है। इसके लिए मीरा, रैदास तथा बिहारी जैसे कवियों की रचनाएँ सहायक हो सकती हैं। भगवान के प्रति प्रेम ही भक्ति है। भगवत भक्ति से जीवन में सत्व्यवहार, सत्य विचार, आदर भाव आदि मूल्य विकसित होते हैं। रैदास ने भगवान को पाने का मार्ग, कर्म बताया । बिहारी के अनुसार मनुष्य के स्वभाव में अंतर नहीं पड़ता। इससे हम भक्ति भावना के साथ रहेंगे। नैतिक जीवन को अपनायेंगे।

भाषा की बात

अ) सूचना पढ़िए । वाक्य प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
प्रभु, पानी, चंद्र (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर :
वाक्य प्रयोग

  1. प्रभु – प्रभु श्रीकृष्ण तेरी रक्षा करें।
  2. पानी – प्यास लगने पर हम पानी पीते हैं।
  3. चंद्र – चंद्र चाँदनी फैला रहा है।

पयार्य शब्द

  1. प्रभु – भगवान, ईश्वर, स्वामी
  2. पानी – जल, नीर
  3. चंद्र – चंद्रमा, चाँद, शशि

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प्रश्न 2.
स्वामी, गुरु, दिन (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर :

  1. विलोम शब्द
  2. स्वामी × दास
  3. गुरु × शिष्य
  4. दिन × रात

वाक्य प्रयोग

  1. स्वामी : भगवान को अपना स्वामी और हमें उनका दास मानकर पूजा करना चाहिए।
  2. गुरु : गुरु पढ़ाता है और शिष्य पढ़ता है।
  3. दिन : दिन मैं चाँद को और रात में सूरज को कौन देख सकते हैं?

प्रश्न 3.
चदंन, सबी, भस्ति (वर्तनी सही कीजिए।)
उत्तर :
चंदन, सभी, भक्ति

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
बन, रतन, किरपा (तत्सम रूप लिखिए।)
उत्तर :
वन, रत्न, कृपा

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प्रश्न 2.
जग, नाँव, अमोलक (अर्थ लिखिए।)
उत्तर :
जग = दुनिया, संसार
नाँव = नौका, नाव
अमोलक = अमूल्य

इ) वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।

प्रश्न 1.
मोती सागर में मिलता है।
उत्तर :
मोती सागर में मिलते हैं।

प्रश्न 2.
धागे से माला बनती है।
उ. धागे से मालाएँ बनती हैं।

प्रश्न 3.
मोर सुदंर पक्षी है।
उत्तर :
मोर सुंदर पक्षी हैं।

ई) 1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिये। पाठ के अनुसार उचित शब्द लिखिए।
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परियोजना कार्य

“भगवान की उपासना सच्चे हृदय से की जाती है न कि ठाट – बाट और आडंबरों से “इस भावना को दर्शानेवाली किसी कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर :
“ठुकरा दो या प्यार करो”
देव तुम्हारे कई उपासक, कई ढंग से आते हैं,
सेवा में बहुमूल्य भेंट वे, कई रंग के लाते हैं।
धूम – धाम से, साज – बाज से, वे मंदिर में आते हैं।
मुक्तामणि बहुमूल्य वस्तुएँ, लाकर तुम्हें चढ़ाते हैं।
मैं ही हूँ गरीबिनी ऐसी, जो कुछ साथ नहीं लायी,
फिर भी साहस कर मंदिर में, पूजा करने को आयी।
धूप – दीप, नैवेद्य नहीं है, झाँकी का श्रृंगार नहीं,
हाथ, गले में पहनाने को, फूलों का भी हार नहीं।
स्तुति कैसे करूँ तुम्हारी, स्वर में है माधुर्य नहीं,
मन का भाव प्रकट करने को, वाणी में चातुर्य नहीं।
नहीं दान है, नहीं दक्षिणा, खाली हाथ चली आयी,
पूजा की भी विधि न जानती, फिर भी नाथ चली आयी।
पूजा और पुजापा प्रभुवर! इसी पुजारिन को समझो,
दान – दक्षिणा और निछावर, इसी भिखारिन को समझो।
मैं उन्मत्त प्रेम की लोभी, हृदय दिखाने आयी हूँ,
जो कुछ है बस यही पास है, इसे चढ़ाने आयी हूँ।
चरणों में अर्पित है, इसको चाहो, तो स्वीकार करो,
यह तो वस्तु तुम्हारी ही है, ठुकरा दो या प्यार करो।

भक्ति पद Summary in English

Raidas
The poet Raidas compares God and himself with various forms. O God! You are sandal. I am water. When mixed with sandal, the water becomes a romatic. If we besmear it, every limb of us will be fragrant. O Lord! You are a dark cloud. We are peacocks. When the sky is covered with dark clouds, the peacocks dance in joyous mood spreading their feathers. Similarly, we too dance in joy on seeing you. On seeing the moon, the ruddy goose will get pleasure. In the same way, like a peacock which gets pleasure on seeing clouds, I too will be glad on seeing you.

(Here the poet compares himself with a peacock and God with clouds.)

God! You are a pearl. I am thread. Exactly the same as a thread pierces into a pearl and wears a garland of pearls, I will be fortune by obtaining you. O Lord! You are my master. I am your servant. This is what is Raidas devotion.

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Mirabail
Mirabai describes her piety, the greatness of devotion towards the name of Rama and the glory of the preceptor in her poems.

I acquired the wealth of Ramaratna. My preceptor kindly accorded me this invaluable thing to me. I lost everything in my life and procured this wealth. This valuable wealth will never be spent and diminished. The thieves will never steal it. It waxes day by day. In increases at the rate of one and a quarter percent every day. Mine is a boat of truth. It is a boat of virtues. My preceptor is its sailor. I will cross the sea of life through this. This Mirabai always glorifies her lord Giridhara Nagara Sri Krishna’s fame with great delight and acclamation.

भक्ति पद Summary in Telugu

రైదాస్
ఈ పద్యంలో కవి రైదాస్ గారు భగవంతుని – తనను వివిధ రూపాలలో పోల్చుచున్నాడు.

ఓ భగవంతుడా ! నీవు గంధానివి(చందనం). నేను నీటిని. గంధంతో నీటిని కలిపి రంగరించినప్పుడు ఆ నీరంతా సువాసన భరితమగుతుంది. దానిని మన శరీరమునకు వ్రాసుకున్న మన అంగాంగము సువాసన భరితమగును. ప్రభూ! నీవు దట్టమైన మేఘానివి. మేము నెమళ్ళము. నెమళ్ళు దట్టమైన మేఘాలు కమ్మినప్పుడు పురివిప్పి ఆనందంతో నాట్యమాడతాయి. అట్లే మేము నిన్ను గాంచి నాట్యమాడతాము. ఏ విధంగా చంద్రుని చూసి చకోర పక్షి ఆనందాన్ని పొందుతుందో అదే విధంగా మేఘాల వంటి నిన్ను చూసి నెమలి వంటి నేను ఆనందాన్ని పొందుతాను. స్వామీ! నీవు ముత్యానివి. నేను దారాన్ని, ముత్యాన్ని ఏ విధంగా దారం తనలో గుచ్చుకుని ముత్యాలసరాన్ని ధరింప చేసుకుంటుందో అట్లే నేను ముత్యము వంటి నిన్ను పొంది సౌభాగ్యవంతుణ్ణి అవుతాను. ప్రభూ! నీవు నా స్వామివి. నేను నీ దాసుణ్ణి. ఇదే ఈ వైదాసు భక్తి.

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మీరాబాయి
ఈ పద్యంలో మీరాబాయి భగవంతునిపై తన భక్తిని, రామనామభక్తి గొప్పతనాన్ని గురు మహిమను వర్ణించుచున్నది.

నేను రామరత్న ధనాన్ని పొందితిని. ఈ అమూల్యమైన వస్తువును నాకు నా సద్గురువుగారు కృపతో ఇచ్చినారు. నేను నా జీవితంలో అన్నిటినీ కోల్పోయి జన్మజన్మల సందపను పొందితిని. నేను పొందిన ఈ అమూల్య సంపద ఖర్చు పెట్టినా ఖర్చు కానిది, తరగనిది. దొంగలు దీనిని దోచుకోలేరు. ఇది రోజు రోజుకీ వృద్ధి చెందుతుంది. ఇది ప్రతి రోజు 14 శాతం చొప్పున వృద్ధి చెందుతుంది. నా నావ సత్యపు నావ. మంచి గుణాల నావ. దీని నావికుడు మా సద్గురువు. దీని ద్వారా నేను భవసాగరాన్ని దాటుతాను. ఈ మీరాబాయి ఎల్లప్పుడు నా ప్రభువు గిరిధర నాగరుడు అయిన శ్రీకృష్ణుని కీర్తిని హర్షాతి రేకాలతో కీర్తిస్తూనే ఉంటుంది.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तष्ट दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
रैदास ने ईश्वर की तुलना किनसे की है?
उत्तर:
यह प्रश्न भक्ति पद’ नामक पद्य पाठ से दिया गया। रैदास ने अपनी रचनाओं में समर्पण की भावना, दास्य भक्ति को अधिक महत्व दिया। उन्होंने ईश्वर की तुलना चंदन, बादल, मोती और स्वामी से की है।

प्रश्न 2.
मीराबाई ने गुरु की महिमा के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
मीरा का कहना है कि गुरु हमें अमूल्य ज्ञान देता है। ज्ञान ऐसा धन है जो खर्च करने से बढ़ता है। ज्ञान कोई चोरी भी नहीं कर सकता। दिन-ब-दिन यह सवा गुना बढ़ता है। गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान ही हमें भवसागर से पार लगाता है।

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प्रश्न 3.
रैदास की भक्ति भावना कैसी है?
उत्तर:
रैदास की भक्ति दास भाव की है। वे ईश्वर को अपना स्वामी मानते थे। वे राम रहीम को एक मानते थे। मूर्ति पूजा, तीर्थ यात्रा जैसे दिखावटों पर इन्हें विश्वास नहीं है। इनकी भक्ति में सेवा भाव है।इनकी भक्ति में समर्पण की भावना है।

प्रश्न 4.
भगवान की तुलना तुम किससे करोगे? क्यों?
उत्तर:
भगवान की तुलना मैं प्रकृति से करूँगा। क्योंकि प्रकृति ही सबका पालन-पोषण करती है। यहीं से हम हवा और पानी पीते हैं। यहीं से हम रोटी, कपड़ा और मकान बनाते हैं। प्रकृति सबका समान भाव से ध्यान रखती है। इसकी गोद में हम खेल-कूदकर बड़े होते हैं। इसलिए मैं भगवान की तुलना प्रकृति से करूँगा।

प्रश्न 5.
माधुर्य भक्ति के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ईश्वर को पति या सखा मानकर उनकी भक्ति करना माधुर्य भक्ति कहलाती है। मीराबाई का नाम माधुर्य भाव की भक्ति के लिए जाना जाता है। ईश्वर को पति या सखा मानकर उसके प्रति प्रेम रखना भक्ति की एक परंपरा है। इसमें हम स्वयं को ईश्वर के प्रति अर्पित कर देते हैं।

प्रश्न 6.
रैदास ने अपनी तुलना किन चीज़ों से की हैं?
उत्तर:
रैदास कहते हैं कि हे प्रभुजी! आप चंदन हो तो मैं पानी हूँ। तुम बादल हो तो मैं मोर हूँ। तुम मोती हो मैं धागा हूँ। मैं आपकी भक्ति में खो जाना चाहता हूँ! मैं तुम्हारा दास हूँ। उनकी भक्ति में समर्पण की भावना है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

प्रश्न 7.
मीरा भवसागर को कैसे पार करना चाहती हैं?
उत्तर:
मीरा भवसागर को सत्य के सहारे पार करना चाहती हैं। उनके गुरु ने उन्हें राम रत्न रूपी अनमोल ज्ञान दिया है। वे इस ज्ञान के सहारे कृष्ण भक्ति में लीन हैं। वे इस ज्ञान का प्रसार करते हुए, ईश्वर के गुण गाते हुए इस संसार रूपी भवसागर को पार करना चाहती हैं।

प्रश्न 8.
मीरा की भक्ति भावना के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
मीरा कृष्ण भक्ति कवयत्री हैं | उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भावना ही मीरा के पदों का मूल भाव है। उनके पदों में प्रेम, त्याग, भक्ति और आराधना के भाव हैं। मीराबाई हिन्दी की श्रेष्ठ कवयित्री हैं।

मीरा के पदों में उनकी आत्मा की पुकार है । उनमें हृदय की कसक है। वियोगिनी का क्रंदन है। आत्म निवेदन है और मार्मिकता तथा कोमलता का अद्भुत मिश्रण है। इन पदों में मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन पाने का उद्देश्य प्रकट करती हैं। मीरा की भक्ति माधुर्य भाव की है। आत्म समर्पण की है।

प्रश्न 9.
मीराबाई के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • मीराबाई भक्तिकाल की कवयित्री है। मीराबाई का जन्म सन् 1498 में हुआ।
  • उनकी मृत्यु सन् 1573 में हुई।
  • मीराबाई कृष्णोपासिका है।
  • उनकी प्रसिद्ध रचना मीराबाई पदावली है।
  • माधुर्य भाव प्रयोग में वे पटु हैं।

प्रश्न 10.
रैदास का संक्षिप्त परिचय लिखिए।
उत्तर:
भक्तिकाल के ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवियों में एक थे कविवर रैदास जी। इनका जन्म सन् 1482 में हुआ और मृत्यु सन् 1527 में हुई। इन्होंने भक्ति संबंधी अनेक चौपाइयों की रचना की। इनकी चौपाइयाँ (पद) “गुरुग्रंथ साहिब” में संकलित हैं। इन्होंने स्पष्ट किया कि भगवान के नाम रूपी नाव से ही संसार रूपी सागर से तर सकते हैं और भगवान को प्राप्त करने का सही मार्गदर्शन गुरु के द्वारा ही होता है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
अपने मनपसंद तीन संत कवियों के नाम और उनकी रचनाएँ बताइए।
उत्तर:
मेरे मनपसंद तीन संत कवि कबीर, रैदास और रहीम हैं। कबीर ने बीजक नामक ग्रंथ लिखा है। इसके तीन भाग हैं- साखी, सबद और रमैनी। रैदास ने छिटपुट पद और भजन लिखे हैं। इनके पद गुरु ग्रंथ साहब में संकलित हैं। इनका असली नाम रविदास था। रहीम ने अनेक नीति दोहे लिखे हैं। रहीम दोहावली, रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, शृंगार सोरठा आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

प्रश्न 2.
‘भवसागर’ पार करने के लिए हमें किनकी ज़रूरत है?
उत्तर:
भवसागर पार करने के लिए हमें गुरु की ज़रूरत है। गुरु हमें ज्ञान देता है। इस ज्ञान को हमसे कोई छीन नहीं सकता। इसे जितना खर्च करो उतना बढ़ता है। गुरु ज्ञान के सहारे हम अपने जीवन को सफल बनाते हैं। इसके सहारे ही हम संसाररूपी भवसागर को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं। हमारा नाम संसार में हमेशा के लिए अमर हो जाता है।

प्रश्न 3.
भक्ति मार्ग के द्वारा नैतिक मूल्यों का विकास कैसे हो सकता है?
उत्तर:
भक्ति मार्ग के द्वारा नैतिक मूल्यों का विकास होता है। भक्ति और नैतिक मूल्य परस्पर मिले-जुले हैं। एक भक्त किसी को नुकसान नहीं पहुँचा सकता। वह ईश्वर की बनाई हर वस्तु का सम्मान करता है। वह प्रकृति के कण-कण की रक्षा करता है। भक्ति का अर्थ है भगवान के प्रति विशेष प्रेम। भगवान के प्रति भक्ति रखने के लिए सहृदयता, सादगीपन,सत्यविचार, स्वच्छ मन, गुरु की महत्त्व, लोकमर्यादा और आदर्श मानवतावाद जैसे नैतिक मूल्यों की ज़रूरत होती है।

प्रश्न 4.
जीवन में गुरु का क्या महत्व है? अपने शब्दों में लिखिए |
उत्तर:
जीवन में गुरु का विशेष महत्व है। गुरु हमें ज्ञान देता है। ज्ञान हमें अच्छे-बुरे में भेद करना सिखलाता है। गुरु का सच्चा ज्ञान हमें सत्य के मार्ग पर ले जाता है। गुरु द्वारा दिये ज्ञान को हमसे कोई छीन नहीं सकता। गुरु ज्ञान हमारे लिए एक अनमोल रल के समान है। इसके सहारे हम जीवन को सफल बना सकते हैं। संसार रूपी भवसागर को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं।

प्रश्न 5.
रैदास ने किन उदाहरणों के द्वारा भक्त और भगवान के बीच संबंध स्थापित किया?
उत्तर:
रैदास जी ने भगवान की तुलना चंदन, मेघ, मोती और स्वामी से की है। उनका कहना है कि ईश्वर चंदन है और हम पानी हैं। वह मेघ है और हम मोर हैं। हम धागा हैं और वह मोती है। वह मालिक है और हम उसके दास हैं।

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प्रश्न 6.
मीरा की भक्ति भावना पर अपने विचार लिखिये।
उत्तर:
मीरा कृष्ण भक्ति कवयत्री हैं | उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति भावना ही मीरा के पदों का मूल भाव है। उनके पदों में प्रेम, त्याग, भक्ति और आराधना के भाव हैं। मीराबाई हिन्दी की श्रेष्ठ कवयित्री हैं। मीरा के पदों में उनकी अन्तरात्मा की पुकार है | उनमें हृदय की कसक है। वियोगिनी का आर्त – क्रंदन है। आत्म निवेदन है और मार्मिकता तथा कोमलता का अद्भुत मिश्रण है। इन पदों में मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन पाने का उद्देश्य प्रकट करती हैं। मीरा की भक्ति महान है।

प्रश्न 7.
मीरा ने कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति की किस प्रकार के धन से तुलना की है?
उत्तर:
कवइत्री कहती है कि मुझे राम नाम रूपी रत्न की पूँजी मिली। मुझे यह पूँजी सद्गुरु के द्वारा तथा उनकी कृपा से मिली। यह पूँजी मेरे कई जन्मों के लिए भी पर्याप्त है। इसे प्राप्त करने के लिए मैंने जगं के सांसारिक वैभवों को खो दिया।

मेरी पूँजी ऐसी है कि इसे खर्च करने पर भी खर्च नहीं होती, कोई चोर भी इसे नहीं चुरा सकता। यह हर दिन 1¼ (सवाये) मूल्य की होती है।

कवइत्री और कहती है कि मेरी नाव जो है वह सत्य की है। इसे खेने वाला सद्गुरु है। मैं उसकी कृपा से भव सागर को पार करती हूँ। मेरा भगवान तो श्रीकृष्ण (गिरिधर नागर) है। मैं हर्ष के साथ उसके यश गाती हूँ।

प्रश्न 8.
रैदास भगवान की उपासना कैसे करते हैं?
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “भक्ति पद’ है।
कवि का नाम : “रैदास है।

  • रैदास की चौपाइयों में समर्पण की भावना, दास्य भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है।
  • रैदास अपनी भक्ति के बारे में कहते हैं कि – हे प्रभू ! तुम चंदन हो तो मैं पानी हूँ।
  • हे प्रभू ! तुम बादल हो तो मैं मोर हूँ।
  • बादल रूपी भगवान को मोर रूपी भक्त देखता रहता है।
  • प्रभू जी ! तुम मोती हो तो मैं धागा हूँ।
  • आप से मिलने से मेरी सुंदरता बढ़ती है।
  • प्रभुजी, तुम स्वामी हो तो मैं दास हूँ।
  • इस प्रकार कवि रैदास जी ने अपने प्रभु के प्रति अपनी दास्य भक्ति दिखायी।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
रैदास की दास्य भक्ति भावना को भक्ति पद पाठ के आधार पर वर्णन कीजिए।
(या)
कवि रैदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “भक्ति पद है।
कवि का नाम : “रैदास” है।
जीवनकाल : सन् 1482 – सन् 1527
प्रसिद्ध रचना : ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में इनके पद संकलित हैं।
विशेष : ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवियों में से एक।

  • रैदास की चौपाइयों में समर्पण की भावना, दास्य भक्ति को अधिक महत्व दिया गया है।
  • रैदास अपनी भक्ति के बारे में कहते हैं कि – हे प्रभू ! तुम चंदन हो तो मैं पानी हूँ।
  • हे प्रभू ! तुम बादल हो तो मैं मोर हूँ।
  • बादल रूपी भगवान को मोर रूपी भक्त देखता रहता है।
  • प्रभू जी ! तुम मोती हो तो मैं धागा हूँ।
  • आप से मिलने से मेरी सुंदरता बढ़ती है।
  • प्रभुजी, तुम स्वामी हो तो मैं दास हूँ।
  • इस प्रकार कवि रैदास जी ने अपने प्रभु के प्रति अपनी दास्य भक्ति दिखायी।

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प्रश्न 2.
मीरा की भक्ति भावना पर अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता : भक्ति पद
कवइत्री : मीरा बाई
जीवनकाल : सन् 1498 सन् 1573
प्रसिद्ध रचना : मीराबाई पदावली
विशेषताएँ : कृष्णोपासक कवियों में प्रसिद्ध, माधुर्य भाव के प्रयोग में पटु।

मीराबाई कहती हैं कि मुझे मिली है, मुझे भगवान का नाम रूपी रतन संपत्ति मिली है। मेरे सतगुरु ने मुझे यह अमूल्य वस्तु दी हैं। उनकी कृपा से मैंने उसे स्वीकार किया है। जन्मजन्म की भक्ति रूपी मूलधन को मैंने पाया है। लेकिन इसके बदले में संसार के सभी चीजों को खोयी हूँ। फिर भी मैं बहुत खुश हूँ। क्योंकि इसे कोई भी नहीं खर्च कर सकता, कोई भी नहीं लूट सकता है। दिन – ब-दिन उसमें वृद्धि हो रही है। सच रूपी नाव के, नाविक मेरे सत्गुरु है। उन्ही के सहारे मैं भवसागर को पार चुका हूँ। मीरा के प्रभु गिरिधर चतुर है, उन्हीं मीराबाई खुशी – खुशी से गाती है । इस प्रकार मीरा इन पदों में श्रीकृष्ण को सत्गुरु की कीर्ति बनाकर उनका दर्शन करने का उद्देश्य प्रकट करती हैं।

विशेषता :
इसमें सांसारिक बंधनों का त्याग, ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना है। रागात्मक ली है।

प्रश्न 3.
मीराबाई ने अपने पदों में गुरु की महिमा का वर्णन कैसे किया ?
उत्तर:
कविता : भक्ति पद
कवइत्री : मीरा बाई
जीवनकाल : सन् 1498 सन् 1573
प्रसिद्ध रचना : मीराबाई पदावली विशेषताएँ : कृष्णोपासक कवियों में प्रसिद्ध, माधुर्य भाव के प्रयोग में पटु।

  • मीरा बाई ने अपने पदों में गुरु की महिमा का वर्णन बहुत ही अच्छे ढंग से किया है।
  • मीरा ने गुरु के द्वारा राम नाम रूपी रत्न पाया है। यह रत्न अमूल्य धन है।
  • गुरु ने कृपा करके उसे यह मंत्र दिया है। इसे पाने के लिए उसने सब कुछ खोया है।
  • यह महा मंत्र जन्म – जन्मों का मूल धन है।
  • यह ऐसा धन है जो खर्च करने पर भी खर्च नहीं होता।
  • इसे चोर भी लूट नहीं सकता। यह दिन – ब – दिन बढ़ता ही जाता है।
  • सत्य को नाव बनाकर, गुरु को केवट बनाकर भव रूपी सागर पार किया जाता है।
  • मीरा कहती है कि प्रभु गिरिधारी आप बहुत चतुर हैं।
  • मैं प्रसन्नता के साथ आप के यश का गान कर रही हूँ।

प्रश्न 4.
रैदास की भक्ति की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

  • रैदास हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के कवि है।
  • वह ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि है।
  • उसकी भक्ति दास्य भक्ति की है।
  • रैदास भगवान को चंदन और अपने को पानी के रूप में वर्णन करते हैं।
  • रैदास भगवान को घन – बन और अपने को मोर के रूप में वर्णन के उन दोनों की बीच के संबंध को बताते हैं। रैदास भगवान को दीपक के रूप में और अपने को बत्ती के रूप में वर्णन करते हैं।
  • रैदास भगवान को मोती और अपने को धागा के रूप में समझते इन दोनों के बीच के संबंध बताते हैं।
  • रैदास भगवान को स्वामी और अपने को दास के रूप में वर्णन करते हैं।

प्रश्न 5.
सामाजिक मूल्यों के विकास में ‘भक्ति’ किस प्रकार सहायक हो सकती है? भक्ति पदों के आधार पर उत्तर लिखिए।
उत्तर:
हमारे मानव जीवन में भक्ति का बड़ा महत्व है। प्रेम से श्रद्धा और श्रद्धा से भक्ति उत्पन्न होती है। सामाजिक प्राणी मानव को आदर्शमय जीवन बिताते निष्काम भावना से रहना है। भक्ति भावना इसका मूलमंत्र है। भक्ति में शक्ति होती है। भक्ति में ममत्व होता है।

मानव समाज में रहते हुए संतों की संगति, भगवान के गुणगान में अनुराग, गुरुसेवा, भगवान का गुणगान, निष्काम कर्म, विश्व को ईश्वरमय समझना, दूसरों के अपकार गुणों पर ध्यान न देना, निष्कपट रहना आदि भक्ति के महान गुण हैं। भक्ति ये सब सद्गुण देती है। वह संकल्प की दृढता देती है। वह शांति और आनंद देती है। भक्ति पदों में हमें यही भावना स्पष्ट होती है। सामाजिक मूल्यों के विकास में भक्ति ही बडा असरदार है। इस कथन के द्वारा हम स्पष्ट कर सकते हैं।

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प्रश्न 6.
रैदास के पदों के आधार पर उनकी भक्ति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रैदास को रविदास भी कहते हैं। ये निर्गुण भक्ति शाखा के ज्ञानमार्गी शाखा के कवियों में प्रमुख हैं। रैदास की भक्ति भावना दास्य भाव की है।

रैदास ने ईश्वर की तुलना चंदन से की है। और स्वयं की पानी से। क्योंकि चंदन में पानी को मिलाने से ही पानी का प्रत्येक कण सुगंधित हो उठता है। उन्होंने ईश्वर को बादल और स्वयं को मोर माना है। जिस प्रकार बादलों को देखकर मोर खुशी से झूम उठता है और नाचने लगता है । उसी प्रकार भगवान के स्मरण मात्र से रैदास का मन झूम उठता है। चंद्र को देखकर चकोर संतृप्त होता है । उसी प्रकार भगवान के स्मरण से रैदास भी तृप्त हो जाते हैं। उन्होंने ईश्वर को मोती और स्वयं को धागा माना है। धागे में मोतियों को पिरोने से एक सुंदर माला बनती है और धागे का महत्व बढ़ जता है। जिस प्रकार मोती के बिना या धागे के बिना माला नहीं बनती। दोनों एक – दूसरे के पूरक हैं। उसी प्रकार सोने में सुहागे से ही चमक आती है और सुंदरता बढ़ जाती है। रैदास ईश्वर को स्वामी और स्वयं को दास मानते हैं। भगवान के प्रति उनकी भक्ति दास्य भाव की है।

प्रश्न 7.
मीराबाई के अनुसार जनम-जनम की पूँजी क्या है? समझाइए ।
उत्तर:
मीराबाई के अनुसार जनम-जनम की पूँजी गुरु द्वारा दिया गया ज्ञान है। उन्होंने गुरु की महिमा का गुणगान किया है। मीरा कहती हैं कि मेरे गुरु ने मुझे भक्ति रूपी धन दिया है। यह धन रामरूपी रत्न के समान है। गुरु की विशेष कृपा के कारण मुझे यह धन मिला है। मेरा सौभाग्य है कि उन्होंने मुझे अपनी शिष्या के रूप में स्वीकार किया। मैंने संसार में सबकुछ खोकर जन्म-जन्म की पूँजी प्राप्त कर ली है। वह पूँजी है- ज्ञान| यह ज्ञानधन अमूल्य है। इसकी विशेषता है कि यह कभी खत्म नहीं होता। खर्च करने पर यह बढ़ता है। इसे कोई चोर भी नहीं लूट सकता। यह धन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है। मीरा कहती हैं कि जीवन सत्य की नाव है। इसके केवट मेरे सतगुरु हैं। उन्होंने मुझे ज्ञान देकर भवसागर से पार उतार दिया। मेरे प्रभु गिरधर नागर हैं। मैं उनके समक्ष अपने गुरु का यश गा रही हूँ।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 7 भक्ति पद

प्रश्न 8.
रैदास और मीराबाई के ‘भक्ति पद’ इस पाठ के आधार पर बताइए कि दोनों की भक्ति में मुख्य अंतर क्या हैं?
उत्तर:
रैदास ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि हैं। रैदास जी भगवान को ही उनके हर एक काम का भागीदार बनाकर उनको हमेशा ऊँचे स्थान पर रखना चाहते हैं।

रैदास भगवान को स्वामी बनाकर वह सेवक के रूप में रहना चाहते हैं। रैदास के प्रभु निराकार हैं।

मीराबाई कृष्णोपासक कवयित्रियों में श्रेष्ठ हैं और माधुर्य भाव प्रयोग में पटु हैं। उनके पद सरस और मधुर हैं। मीरा श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। बचपन में ही मीरा के मन में कृष्ण के प्रति प्रेम भाव . अंकुरित हुआ। वह प्रेम भाव, उम्र के साथ -साथ बढ़ता आया। उनकी भक्ति माधुर्य भक्ति की है। मीराबाई . बताती हैं भगवान के नाम रूपी नाव से ही संसार रूपी सागर को पार सकते हैं। इसका सही राह का मार्ग दर्शन गुरु द्वारा होता है। मीरा श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए प्राणों तक न्योछावर करती हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

10th Class Hindi Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 30)

प्रश्न 1.
आवाज़ का पर्याय क्या है?
उत्तर:
आवाज़ का पर्याय है ध्वनि, बोली, स्वर, भाषा।

प्रश्न 2.
किसी प्राणी की अनोखी विशेषता बताइए।
उत्तर:
किसी प्राणी की अनोखी विशेषता उसकी भाषा है।

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प्रश्न 3.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है – “पशु – पक्षियों की भाषा”

InText Questions (Textbook Page No. 32)

प्रश्न 1.
भारत देश को स्वतंत्र कराने में हिंदी भाषा का क्या योगदान रहा होगा?
उत्तर:
भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। यह काम हिंदी से ही साध्य हो सका। भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए एक भाषा की आवश्यकता होती हैं जिसे सारे भारत के वासी जानते हैं। वैसी भाषा ही हिंदी है। वह हिंदी भाषा ही उस समय भारतदेश को स्वतंत्र कराने में उनमें एकता दिलायी होगी। सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधी होगी। इस प्रकार भारत देश को स्वतंत्र कराने में हिंदी भाषा का अच्छा योगदान रहा होगा।

प्रश्न 2.
हिंदी भाषा की क्या विशेषता है?
उत्तर:

  • हिंदी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है।
  • हिंदी करोडों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • हिंदी भाषा से सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी भाषा की आवश्यकता होती है।
  • हिंदी सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है।
  • हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।

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प्रश्न 3.
हिंदी भाषा सीखने से क्या – क्या लाभ हैं?
उत्तर:

  • हिंदी भाषा सीखने से ये लाभ मिलते हैं।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से यह भाषा जुडाती है।
  • यह भाषा हमें एकता के सूत्र में बाँधती है।।
  • मीडिया, फिल्म उद्योग, बैंक आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता बढ़ती जा रही है।
  • हिंदी भाषा से कई रोज़गार हमें मिलते हैं।
  • हिंदी से अपने भविष्य का निर्माण करने के लिए कई वेबसाइट सेवा में तत्पर हैं।
  • हम हिंदी भाषा से अपने उज्ज्वल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
“हिंदी विश्वभाषा है।’ इस कथन के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(या)
हिंदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोभित है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिज़ी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, द.अफ्रिका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरब गण राज्य, श्रीलंका , अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी की रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता दिन – ब – दिन बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी नये – बये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है। :- सारा विश्व हिंदी का महत्व जान चुका है।
  • हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदी “विश्व भाषा” है।

प्रश्न 2.
‘भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदी है।’ कैसे?
उत्तर:
भारत देश एक विशाल देश है। इसमें विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं, इस कारण इस देश में विभिन्नता बनी हुयी है।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में लाने एक भाषा की आवश्यकता हुई। यह काम तो हिंदी से ही साध्य हो सका। हिंदी से हम सारे देश की पहचान अच्छी तरह कर सकते हैं। हिंदी को सभी प्रांतों के भारतवासी जानते हैं और समझ सकते हैं। हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है। हिंदी भारतीयों को जोडनेवाली भाषा बन गयी है। इससे ही भारत देश के वासियों के बीच एकता बनी हुयी है।

यह एक ही भाषा है जो सारे भारतीयों को एक सूत्र में बाँधती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत में अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदी ही है।

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आ) पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं में दीजिए।

प्रश्न 1.
हिंदी देश को एकता के सूत्र में बाँधती है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 2.
14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 3.
10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
हाँ

प्रश्न 4.
हिंदी भाषा से रोज़गार की संभावनाएँ अधिक हैं।
उत्तर:
हाँ

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इ) नीचे दिये गये वाक्य पाठ के आधार पर उचित क्रम में लिखिए।

1. भारतीय हिंदी शाब्दिक अर्थ भी कहलाती है से अपने
2. हिंदी 14 सितंबर मनाते हैं को दिवस
3. तरह इस हिंदी अंतर्राष्ट्रीय पर शोभित है स्तर
4. स्वास्थ्य ध्यान पूरा रखना का अपने
उत्तर:
1. हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।
2. 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं।.
3. इस तरह हिंदी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोभित है।
4. अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखना।

ई) नीचे दिया गया विज्ञापन पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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प्रश्न 1.
यह विज्ञापन किस बैंक का है?
उत्तर:
यह विज्ञापन भारतीय स्टेट बैंक का है।

प्रश्न 2.
किस नौकरी के लिए यह विज्ञापन दिया गया है?
उत्तर:
राज भाषा अधिकारियों की (सहायक प्रबंधक – राजभाषा) भर्ती के लिए यह विज्ञापन दिया गया है।

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प्रश्न 3.
आवेदन करने से पहले वेबसाइट से अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए क्यों कहा गया होगा?
उत्तर:
आवेदन करने से पहले वेबसाइट से अन्य जानकारी प्राप्त करने के लिए इन निम्न लिखित कारणों से कहा गया होगा –

  • वह योग्य आवेदक है या नहीं इसे जानने के लिए जानकारी प्राप्त करने के लिए।
  • आवेदक शुल्क के विवरण जानने के लिए।
  • आवेदक की शैक्षणिक तथा सांकेतिक योग्यताओं के बारे में जानने।
  • आवेदक का आयु और अन्य विवरण जानने के लिए।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
सांस्कृतिक दृष्टि से हिंदी का क्या महत्व है?
उत्तर:
हिंदी केवल एक भाषा का नाम नहीं है। यह भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है। भारत देश की संस्कृति इस भाषा में निहित है। हिन्दी के प्रमुख कवियों ने सांस्कृतिक तथा देश की एकता के लिए भी अपनी रचनाओं में ज़ोर दी।

प्रश्न 2.
हिंदी देश को जोड़नेवाली कड़ी है। इसे अपने शब्दों में सिद्ध कीजिए।
(या)
हिंदी देश को जोड़नेवाली कड़ी है। अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

  • हिंदी भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है।
  • यह सबकी संस्कृति, सभ्यता तथा गरिमा का प्रतीक है।
  • हिंदी भाषा का अपने जीवन में महत्व है।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी देश को एकता के सूत्र में बाँध दी।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है। इसलिए हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी की आवश्यकता होती है।
  • हिंदी को सारे भारतवासी जानते हैं।
  • हिंदी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है। इसलिए हम कह सकते हैं कि हिंदी जोड़नेवाली भाषा है तोडनेवाली नहीं। हिंदी देश को जोडनेवाली कडी है।

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आ) राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिंदी महत्वपूर्ण भाषा है। इस पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिज़ी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, द.आफ्रिका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरबगणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी की साहित्य रचना में वहाँ के हिंदी साहित्यकारों का विशेष योगदान हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार करने के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • विश्व भर में आज करीब डेढ़ सौ विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं। * सारा विश्व हिंदी का महत्व जान चुका है।
  • हिंदी की कई वेबसाइट भी सेवा में तत्पर हैं।
  • हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं।

इसलिए हम कह सकते हैं कि राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिंदी महत्त्वपूर्ण भाषा है।

इ) ‘हिंदी भाषा’ पर एक छोटा सा निबंध लिखिए।
उत्तर:
हिंदी केवल एक भाषा का नाम नहीं हैं। यह भारतीयों की साँसों में बसी भाषा है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता व गरिमा का प्रतीक है। गाँधीजी ने अपना जीवन देश की स्वतंत्रता के साथ – साथ हिंदी की सेवा में समर्पित कर दिया था।

भारतीय स्वतंत्र संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए हिंदी की आवश्यकता हुई। हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं। हमें भारत के सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी भाषा की आवश्यकता होती है। इसे सारे भारत के वासी जानते हैं। हिंदी सारे भारतीयों को एकता को सूत्र में बाँधती है। हिंदी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।

इसलिए देश की वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों को दृष्टि में रखकर भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में गौरवान्वित किया है। तब से हम हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं।

आज कल भारत के अलावा विश्व भर कई देशों में हिंदी की माँग बढ़ती जा रही है। अन्य देशों में भी हिंदी के प्रचार व प्रसार में कई संस्थाएँ जुटी हुई हैं। हिंदी की सेवा में कई वेबसाइट भी तत्पर हैं। 10 जनवरी को हर वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप में सारी दुनिया मनाती है।

हिंदी राष्ट्र भाषा के साथ – साथ राज भाषा भी होने के कारण भारत देश के सारे काम काज हिंदी में ही हो रहे हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

ई) मनोरंजन की दुनिया में हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मानव शारीरिक या मानसिक रूप से काम करके थक जाता है। तब उसे मनोरंजन की ज़रूरत होती है। वैसे तो मनोरंजन से शारीरिक नस ढीली पढती है। इससे फिर से शक्ति एकत्रित होकर नव उल्लास व चेतनता का संचार होता है। खेलकूद, सिनेमा, रेडियो, भ्रमण, पुस्तक – पठन दूरदर्शन आदि अनेक साधनों से मनोरंजन होता है।

संसार के अधिक लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषाओं में हिंदी का दूसरा स्थान है। इस तरह हिंदी मनोरंजक साधनों को प्रमुख भाषा भी हुई है। हमारे भारत में अधिकतर फ़िल्में हिन्दी में ही बन रही हैं। ये फ़िल्में देश विदेशों में प्रदर्शित हो रही हैं। इससे कई लोग मनोरंजन के साथ हिंदी भी सीखते हैं। रेडियो, एफ. एम रेडियो, मोबाइल फ़ोन, आइ – पॉड आदि से अनेक कार्यक्रम हिंदी में प्रसारित हो रहे हैं। दूरदर्शन के ज़रिये अधिकतर कार्यक्रम हिन्दी में ही प्रसारित हो रहे हैं। इनसे हिंदी जानने और सीखनेवाले मनोरंजन पा रहे हैं। कई नेटवर्क के चानलों का प्रसार भी तीव्रगति से हो रहा है।

राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाले खेलकूदों की टीका – टिप्पणी भी अधिकतर हिंदी में ही होने लगी है। बिना किसी रुकावट के सारे भारत में पर्यटन कर सकते हैं।

इस तरह मनोरंजन की दुनिया में हिंदी का महत्व आज सशक्त और प्रशंसनीय रहा है।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
भाषा, समाधान, संकल्प (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग

  1. भाषा – आंध्र प्रदेश में तेलुगु भाषा बोली जाती है।
  2. समाधान – अध्यापक छात्र जिज्ञासा का समाधान दे रहे हैं।
  3. संकल्प – मन में यदि संकल्प करें तो हम हर काम आसानी से कर सकेंगे।

पर्याय शब्द

  1. भाषा – बोली, वाणी
  2. समाधान – उत्तर, जवाब
  3. संकल्प – निर्णय, दृढ निश्चय

प्रश्न 2.
एकता, स्वदेश, प्राचीन (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. एकता × अनेकता
  2. स्वदेश × विदेश/परदेश
  3. प्राचीन × नवीन/नया, अर्वाचीन

वाक्य प्रयोग

  1. एकता : भारत देश में अनेकता में एकता का दर्शन होता है।
  2. स्वदेश : हमें स्वदेश में रहने से जितना आनंद मिलेगा उतना विदेश में नहीं मिलेगा।
  3. प्राचीन : हमारा भारत प्राचीन और नवीन विशाल देश है।

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प्रश्न 3.
परीक्षा, संस्था, दिशा (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन

  1. परीक्षा – परीक्षाएँ
  2. संस्था – संस्थाएँ
  3. दिशा – दिशाएँ

वाक्य प्रयोग

  1. परीक्षा – अंतिम परीक्षाओं में भी हमें सफलता मिली।
  2. संस्था – आज देश में अनेक संस्थाएँ खोली जा रही हैं।
  3. दिशा – दुनिया के चारों दिशाओं के समाचार हमें समाचार पत्रों के द्वारा मिलते हैं।

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

1. सकुशल, अनुक्रम, अनुचित (उपसर्ग पहचानिए।)

  1. सकुशल – स
  2. अनुक्रम – अनु
  3. अनुचित – अन

2. वार्षिक, खुशी, भारतीय (प्रत्यय पहचानिए।)

  1. वार्षिक – इक
  2. खुशी – ई
  3. भारतीय – ईय

प्रश्न 3.
देश को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। (कारक पहचानिए।)
उत्तर:
इस वाक्य में, को, के, में, के लिए, की कारक हैं।

इ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
सलाह, सरकार, संविधान, संस्कृति, समाधान (लिंग की पहचान कीजिए।)
उत्तर:

  1. सलाह – स्त्रीलिंग
  2. सरकार – स्त्रीलिंग
  3. सवधिान – पुंलिंग
  4. संस्कृति – स्त्रीलिंग
  5. समाधान – पुंलिंग

प्रश्न 2.
जो विश्व के सभी देशों से जुड़ा हो। (एक शब्द में लिखिए।)
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय/वैश्वीकरण

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प्रश्न 3.
अद्वितीय (अनेक शब्दों में लिखिए।)
उत्तर:
जिसके समान कोई दूसरा न हो

ई) नीचे दिये गये वाक्य रचना की दृष्टि से समझिए।
1. मुझे पूरा विश्वास है कि तुम हिंदी से अपना भविष्य बनाओगे।
2. जो जानकारी दी गयी है उसे समझिए।
3. तुमने पूछा कि हिंदी का क्या महत्व है?
उत्तर:
i) ये तीन वाक्य मिश्रित वाक्य है।
ii) यहाँ सरल वाक्य के साथ उपवाक्य का मेल हुआ है।
iii) सरल वाक्य के साथ किसी आश्रित वाक्य का मेल होता उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं।

परियोजना कार्य

इस पुस्तक के पहले पाठ से पाँचवें पाठ तक आये चित्रों में अपने मनपसंद चित्र का चयन कीजिए और उसके बारे में पाँच वाक्य लिखिए। उसका प्रदर्शन कक्षा में कीजिए।
उत्तर:
मेरा मनपसंद चित्र चौथा पाठ “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता पाठ का है। मैं इसे यहाँ पेश कर रहा हूँ।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी 2

इस चित्र के बारे में पाँच वाक्य :

  • इस चित्र के द्वारा श्रम के महत्व के बारे में हमें मालूम होता है।
  • इस चित्र में एक व्यक्ति कोयले के खान में काम करनेवाला है।
  • इस चित्र में एक किसान का चित्र भी अंकित किया गया है जो खेतीबारी से संबंधित हल को भुजा पर धारण किया हुआ है।
  • एक व्यक्ति के हाथ में एक हथौड़ा है। जो लोहे का है। जिससे लुहारों के कठिन श्रम हमें मालूम होता है। एक आदमी के हाथ में खंता है। वह खंते से जमीन खोद रहा है।
  • एक स्त्री के कंधे पर घास का बोझा है और उसके एक हाथ में हँसिया है।
  • एक स्त्री के सिर पर सिमेंट (चूने) का थाला है। – इस चित्र में श्रमिकों से बनाया गया एक बाँध भी है।
  • इन सारे चित्रों से हमें श्रम का महत्व मालूम हो रहा है।
  • सच हैं श्रमिक ही कण – कण का अधिकारी है। श्रम जीवन ही सौंदर्य जीवन है।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Summary in English

Hyderabad,
8-9 – 2014.

Dear friend,
How are you? I hope you and all of your family members are safe. I feel very glad when I came to know that you were participating in various programmes regarding Hindi.
In your letter you wanted me to write the greatness of the Hindi language in our life. I am going to answer in this letter.

During the freedom movement, we were in need of a language for the integrity of the whole country. It was possible with the Hindi language. Nowadays, we should learn more than one language. Of these, Hindi and English are of great importance. We can identify India to a great extent through the Hindi language. Different languages are spoken in different regions of India.

We are in need of a language to have connectivity with all other regions of India. That language should be acquainted with every Indian. That language is nothing but Hindi. It binds all Indians with the doctrine of unity. Even we observe Hindi in its literal meaning, it is called an Indian language. Hence, taking all these into consideration, the article 343(1) in the Indian Constitution declared Hindi as our national language on 14 September 1949. Since then we have been celebrating 14 September as Hindi Day.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

Nowadays besides in India, there is growing concern about Hindi in the countries such as Bangladesh, Nepal, Myanmar, Bhutan, Fizi, Gayana, Surinam, Trinidad & Tobago, South Africa, Bahrain, Kuwait, Onam, Qatar. Saudi Arabia, Sri Lanka, America, England, Germany, Japan, Mauritius, Australia etc. In foreign countries too, works of literature are being done in Hindi. In those works, the native writers are also playing a significant role. What is the matter of pride is that those foreigners are learning to negotiate with the Indian in foreign countries. In this way passion towards Hindi is growing. So many organizations are taking part in the publicity and the transmission of Hindi not only in India but also in other countries. In this regard, the ser oradora rawatan varausta vices of central Hindi Organization are worth mentioned. Nowadays more than 1500 universities are offering courses concerning Hindi throughout world. The significance of Hindi is increasing in the fields of banking media, film industry etc. Thus, today Hindi became a main source for many new occupations. The web sites such as www. rajbhasha .nic. in, www. ildc .gov.in, www. bhashaindia. com, www. ssc. nic.in, www. parliamentofindia. nic. in,www. ibps. in,www.khsindia.org, www.hindinideshalaya.nic. in etc., are committed to render their services to those who desire to build their future with Hindi. Knowing the magnificience of Hindi, the whole world is celebrating 10 January every year as Universal Hindi Day. It is a matter of pride to us. In this way, Hindi is glittering on the international platform.

You asked my advice in choosing Hindi as second language to continue your studies. We are well aware of the glory of Hindi nationally as well as internationally. We can build our bright future through this Hindi language. Therefore, choosing Hindi alone as first language or second language is advantageous to you for your further studies. I fondly hope that you having connectivity with Hindi, would illuminate the name of our country at international level.

Convey my regards to the elders at your home. Take care of your health.

Your loving friend,
Basheer Ahmed

Address
To
S. Abhinav Kumar,
10th class,
AP Model School,
Velidanda,
Mahaboobnagar – 509 360.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी Summary in Telugu

హైదరాబాద్,
8-9-2014.
ప్రియమైన మిత్రమా,

నీవు ఎలా ఉన్నావు? నీవు నీ కుటుంబ సభ్యులందరూ క్షేమంగా ఉన్నారని ఆశిస్తున్నా. నీవు హిందీకి సంబంధించి వివిధ కార్యక్రమాలలో పాల్గొనుచున్నావని తెలిసి చాలా సంతోషించితిని.

నీవు, నీవు వ్రాసిన ఉత్తరంలో మన జీవితంలో హిందీ భాష గొప్పతనం ఏమిటో తెలిసిగొన కోరితివి. దానికి నేను సమాధానం ఈ ఉత్తరంలో తెలియజేయుచున్నాను.

భారతదేశ స్వాతంత్ర్య సంగ్రామంలో దేశం మొత్తాన్ని ఐకమత్యంగా ఉంచడానికి ఒక భాష అవసరమైనది. హిందీ భాషతో ఆ పని సాధ్యమైనది. ఈ రోజు మనం ఒకటి కంటే ఎక్కువ భాషలను నేర్చుకొనవలసియున్నది. వీటిలో హిందీ మరియు ఆంగ్ల భాషల స్థానము ప్రాధాన్యత గొన్నవి. హిందీ భాష ద్వారా మనందరము భారతదేశమును బాగా గుర్తించగలిగెదము. భారతదేశంలో వివిధ ప్రాంతాలలో వివిధ భాషలు మాట్లాడబడుచున్నవి.

మనం భారతదేశంలోని అన్ని ప్రాంతాలతో సంబంధంను కలిగి యుండుటకు ఒక భాష అవసరమైయున్నది. ఆ భాష భారతీయులందరికీ తెలిసినదై యుండవలెను. ఆ భాషయే హిందీ భాష. ఆ భాష (హిందీ) భారతీయులందర్నీ . ఐక్యతా సూత్రంలో బంధిస్తుంది. హిందీని శాబ్దిక అర్థంతో పరిశీలించినా అది భారతీయ భాష అని పిలువబడును. అందువలన దేశంలోని వర్తమాన, భవిష్యత్ పరిస్థితులను దృష్టిలో పెట్టుకుని భారతీయ రాజ్యాంగంలోని అనుచ్ఛేదం 343 (1) ఆధారంగా హిందీ భాషను 14 సెప్టెంబర్ 1949 సం||లో “రాజ భాష” (అధికార భాష) గా ప్రకటించి గౌరవించడమైనది. అప్పటి నుండి మనం ప్రతి సంవత్సరం 14 సెప్టెంబర్ ను. హిందీ దినంగా జరుపుకుంటున్నాం.

ఈ రోజున భారతదేశంలోనే కాక బంగ్లాదేశ్, నేపాల్, మయన్మార్, భూటాన్, ఫిజీ, గయానా, సూరినామ్, ట్రినిటాడ్ & టుబేగో, ద.ఆఫ్రికా, బహరైన్, కువైట్, ఒమన్, కతార్, సౌదీ అరేబియా, శ్రీలంక, అమెరికా, ఇంగ్లాండ్, జర్మనీ, జపాన్, మారిశస్, ఆస్ట్రేలియా మొదలగు దేశాలలో హిందీపై మక్కువ పెరుగుచున్నది. విదేశాలలో కూడా హిందీలో రచనలు జరుగుచున్నవి. ఆ రచనలలో అక్కడి సాహిత్యకారుల విశేష పాత్ర కూడా ఉన్నది. మనందరికీ గర్వకారణమైన విషయం ఏమిటంటే విదేశాలలోని భారతీయులతో పరస్పర వ్యవహారాల కోసం అక్కడి విదేశీయులు హిందీ నేర్చుకుంటున్నారు. ఈ విధంగా హిందీపై అభిరుచి ప్రపంచ వ్యాప్తంగా పెరిగిపోతూ ఉన్నది. అందువలన భారతదేశంలోనే కాక అన్య ఇతర దేశాలలో కూడా ఎన్నో సంస్థలు హిందీ ప్రచారం మరియు ప్రసారంలో పాలుపంచుకొనుచున్నవి. దీనిలో కేంద్రీయ హిందీ సంస్థాన్ వారి సేవలు కూడా మహత్య పూర్ణమైనవి. ఈ రోజు ప్రపంచ వ్యాప్తంగా దాదాపు 1500 పైగా విశ్వవిద్యాలయాలు హిందీకి సంబంధించిన కోర్సులను నిర్వహించుచున్నవి. బ్యాంకులు, మీడియా, ఫిల్మ్ ఇండస్ట్రీస్ మొదలగు రంగాలలో కూడా హిందీ ఆవశ్యకత (ఉపయోగం) రోజు రోజుకూ పెరిగిపోతూనే ఉంది. ఈ విధంగా ఈ రోజు హిందీ కొత్త కొత్త జీవన వృత్తులకు ప్రధాన భూమిక (ఆధారం) అయినది. హిందీతో తమ భవిష్యతను నిర్మించుకొనువారికి www. rajbhasha .nic. in., www. ildc.gov.in, www. bhashaindia. com, www. ssc. nic.in, www. parliamentofindia.nic. in,www. ibps. in,www.khsindia.org, www.hindinide shalaya.nic.in మొదలగు వెబ్ సైట్లు హిందీ సేవలో తత్పరత కలిగియున్నవి. మనందరికీ గర్వకారక విషయం ఏమిటంటే ప్రపంచం అంతా హిందీ గొప్పతనాన్ని తెలిసికొని ప్రతి సం||రం జనవరి 10వ తారీఖును విశ్వహిందీ దినోత్సవంగా జరుపుకొనుచున్నది. ఈ విధంగా హిందీ అంతర్జాతీయ వేదికపై కూడా శోభిల్లుచున్నది.

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అవును, నీవు నీ చదువును కొనసాగించుటకు రెండవ భాషగా హిందీని ఎంపిక చేసికొను విషయంలో సలహా అడిగితివి. మనం జాతీయంగా, అంతర్జాతీయంగా హిందీ మహత్యాన్ని తెలిసికొనియున్నాము. మనం ఈ హిందీ భాష ద్వారా మన ఉజ్వల భవిష్యత్ ను నిర్మించుకొనవచ్చు. అందువలన నీవు నీ ముందలి చదువు కోసం ప్రథమ భాష లేదా ద్వితీయ భాషగా హిందీని ఎంపిక చేసుకొనడమే లాభదాయకము. నీవు హిందీతో సంబంధాన్ని కలిగియుండి అంతర్జాతీయ స్థాయిలో మన దేశ పేరును ప్రకాశింపజేస్తావని నాకు పూర్తి నమ్మకం ఉన్నది.

ఇంటిలోని పెద్దలకు నా నమస్కారములు తెలియజేయుము. నీ ఆరోగ్యం పట్ల పూర్తి జాగ్రత్త వహించవలెను.
నీ ప్రియ మిత్రుడు,
బశీర్ అహ్మద్

చిరునామా :
శ్రీ.యస్. అభినవ్ కుమార్,
10వ తరగతి,
ఏ.పీ. మోడల్ స్కూల్, వెలిదండ,
మహబూబ్ నగర్ – 509360.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से हिन्दी का क्या महत्व है?
उत्तर:
भारत के स्वतंत्र संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने का पवित्र कार्य हिन्दी भाषा के द्वारा ही साध्य हो सका। विभिन्न भाषाएँ बोलनेवाले, विभन्नि प्रान्तों के लगों को जोड़ने का पावन काम हिन्दी ही करती है। भारतीय भाषा, आसान भाषा और राष्ट्रीय भाषा होने के कारण जनता की भाषा बनकर सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है। ।

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प्रश्न 2.
हिंदी राजभाषा के रूप में कब गौरवान्वित हुई?
(या)
हिंदी को राजभाषा के रूप में कब गौरवान्वित किया है? क्यों?
उत्तर:
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने अनुचछेद 343 (1) के तहत, हिंदी को राजभाषा के रूप में गौरवान्वित किया। इसका कारण ये हैं कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सुत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की आवश्यकता हुई। जिसे सारे भारत के वासी जानते हैं। वैसे भाषा हिंदी, हिंदी अपने शब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती हैं।

प्रश्न 3.
“भारत में अनेक भाषाएँ हैं, फिर भी हिंदी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिला” – क्यों?
उत्तर:
भारत विशाल देश है। भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। भारत में हिन्दी बोलनेवालों की संख्या अधिक है। हिन्दी सबको जोड़ने का काम करती है। भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधने में हिन्दी सक्षम है। इसीलिए हिन्दी को ही राष्ट्रभाषा का दर्जा मिली।

प्रश्न 4.
हिंदी भाषा से रोजगार की संभावनाएँ अधिक हैं। कैसे ?
उत्तर:

  • हिंदी भाषी से रोजगार की संभावनाएँ अधिक हैं।
  • बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता बढ़ रही है।
  • शिक्षा के क्षेत्र में भी रोजगार संबंधी हिंदी का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है।

प्रश्न 5.
बशीर अहमद ने अपने मित्र को आगे की पढ़ाई के लिए हिन्दी के संबंध में क्या सलाह दी?
उत्तर:
बशीर अहमद ने अपने मित्र को आगे की पढ़ाई के लिए हिंदी के संबंध में यह सलाह दी कि अल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी का महत्वपूर्ण स्थान है। हम इससे अपने उच्चत भविच का निर्माण कर सकते हैं। इसलिए आगे की पढ़ाई के लिए प्रथम भाषा हो या द्वितीय भाषा, हिंदी का चयन करना ही लाभदायक है।

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प्रश्न 6.
भारत के अलावा किन – किन देशों में हिंदी की मांग बढ़ रही है?
उत्तर:
भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, स्यांमार, भूटान, फिनी, मुकना, सूरीनाम, त्रिनिटाड एवं टुवेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी,
जापान, मारिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की मांग बढ़ रही है ।

प्रश्न 7.
हिंदी की उपयोगिता किन – किन क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है?
उत्तर:

  • हिंदी की उपयोगिता बैंक, मीडिया, फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में बढ़ती जा रही है ।
  • हिंदी आज नये – नये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हिंदी अनेकता में एकता को दर्शानेवाली भाषा है । अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • हिंदी अनेकता में एकता को दर्शानेवाली भाषा है।
  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने हिंदी भाषा की ही आवश्यकता हुयी।
  • हिंदी से ही हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह कर सकते हैं।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी की ही आवश्यकता है । क्योंकि हिंदी ही भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है।
  • भारत में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं । इसलिए इस देश में विभिन्नता है । इस
    विभिन्नता को दूर करके उसमें एकता लानेवाली भाषा हिंदी ही है ।
  • भारत में हिंदी बोलनेवालों की संख्या अधिक है । इसलिए हिंदी एकता को बढ़ानेवाली भाषा है ।
  • हिंदी अपने शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है ।

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प्रश्न 2.
एक से अधिक भाषाएँ सीखने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:

  • एक से अधिक भाषाएँ सीखने से हमें ये लाभ मिलते हैं
  • हमें सारे प्रांतों की पहचान अच्छी तरह होती है ।
  • सभी प्रांतों से हम जुड़ सकते हैं।
  • उद्योग धंधे, और जीविका के लिए अधिक भाषाओं की जानकारी की आवश्यकता है।
  • देश तथा विदेश भर में घूमने के लिए विविध भाषाओं की ज्ञान की आवश्यकता है।

प्रश्न 3.
भारत में हिंदी का प्रचार किन – किन संस्थाओं के द्वारा हो रहा है?
उत्तर:

  • भारत में हिंदी का प्रचार करने के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के नाम से आंध्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु आदि राज्यों में संस्थाएँ कार्यरत हैं।
  • इसके अलावा केंद्रीय हिंदी संस्थान हिंदी का प्रसार एवं प्रचार में योगदान दे रहा है ।
  • इनके अलावा अनेक वेबसाइट हिंदी की सेवा में तत्पर हैं – जिनमें मुख्य हैं – www. rajbasha. nic.in, www.basha india. com, www. ssc. nic.in आदी ।

प्रश्न 4.
भारत में हिंदी दिवस क्यों मनाया जा रहा है?
उत्तर:

  • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधने हिंदी भाषा की ही आवश्यकता हुयी।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं ।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी की आवश्यकता है।
  • देश के वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर भारतीय संविधान ने अनुच्छेद 343(1) के तहत हिंदी को 14 सितंबर 1949 को राज भाषा के रूप में गौरवान्वित किया है ।
  • इस कारण हम तब से हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस भारत में मनाते आ रहे हैं ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है। अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

  • स्वतंत्रता संग्राम में हिंदी भाषा की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • भारत देश अनेक छोटे – छोटे राज्यों में विभाजित था।
  • भारत को एकता के सूत्र में बाँधने के लिए एक भाषा की ज़रूरत थी।
  • स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के आंदोलन चलाये गये।
  • देश को आपस में जोड़ने के लिए एक कड़ी की ज़रूरत है।
  • उनमें हिंदी की भूमिका महान है।
  • देश के विविध प्रांतों के लोगों को मिलाने में हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण रह्या

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प्रश्न 2.
अब हिन्दी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है। इस कथन पर अपने विचार बताइए।
(या)
आज हिंदी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है। अपने विचार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • आज हिंदी केवल राष्ट्र भाषा ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अवतरित हुयी।
  • इसलिए आजकल हिंदी विश्व भाषा है ।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमन, कतर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की मांग बढ़ती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • विदेशी हिंदी साहित्यकारों का योगदान भी मिल रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रसार एवं प्रचार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्वविद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • सारे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिक्स मनाया जाता है।

इसलिए कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व अधिक है। उपर्युक्त इन सभी विषयों से हम कह सकते हैं कि आज हिंदी भारत की ही नहीं बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।

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प्रश्न 3.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी की उन्नति व प्रगति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। इसकी गौरवशाली परंपरा है। भारत की राष्ट्र भाषा बनने का सौभाग्य हिंदी को ही मिला है। यह सबकी संस्कृति, सभ्यता का गरिमा का प्रतीक है।

  • अब हिंदी न केवल भारत की बल्कि विश्व की भाषा बन चुकी है।
  • संसार के विविध क्षेत्रों में हिंदी करोड़ों लोगों की जीविका बन चुकी है।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं दुबेगो, द.अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमान, कत्तर, सौदी अरब गण राज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है। विदेशों में भी हिंदी की रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • इसमें वहाँ के साहित्यकारों का भी योगदान है। : विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • भारत के अलावा अन्य देशों में भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रचार व प्रसार में जुटी हुई हैं।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्व विद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • बैंक, मीडिया. फिल्म उद्योग आदि क्षेत्रों में हिंदी की उपयोगिता दिन – ब – दिन बढ़ती ही जा रही है।
  • हिंदी नये – नये रोजगारों का प्रमुख आधार बन चुकी है।
  • सारा विश्व हिंदी का महत्त्व जान चुका है। – हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हिंदी “विश्व

प्रश्न 4.
‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का क्या महत्व है?
उत्तर:

  • आज हिंदी केवल राष्ट्र भाषा ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में अवतरित हुयी।
  • इसलिए आजकल हिंदी विश्व भाषा है ।
  • आज भारत के अलावा बंग्लादेश, नेपाल, म्यांमार, भूटान, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिडाड एवं टुबेगो, दक्षिण अफ्रीका, बहरीन, कुवैत, ओमन, कत्तर, सौदी अरब गणराज्य, श्रीलंका, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, जापान, मॉरिशस, आस्ट्रेलिया आदि देशों में हिंदी की माँग बढ़ती ही जा रही है।
  • विदेशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं।
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं ।
  • विदेशी हिंदी साहित्यकारों का योगदान भी मिल रहा है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाएँ हिंदी के प्रसार एवं प्रचार में जुटी हुई हैं ।
  • आज विश्व भर में करीब डेढ़ सौ से अधिक विश्वविद्यालय हिंदी संबंधी कोसों का संचालन कर रहे हैं।
  • सारे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है ।

इसलिए कह सकते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा का महत्व अधिक है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

प्रश्न 5.
भारत के सभी प्रांतों को जोड़ने में हिंदी की क्या भूमिका है?
उत्तर:

  • हिंदी दिलों को जोडनेवाली भाषा है, तोडनेवाली नहीं ।
  • भारत देश के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है।
  • भारत देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या अधिक है।
  • अर्थात् देश भर में कई करोड़ों लोग हिंदी को अच्छी तरह बोल एवं जान सकते हैं ।
  • स्वतंत्रता संग्राम में भी हिंदी भाषा देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है।
  • जिनमें हिंदी का योगदान ही अधिक है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं।
  • इसलिए हमें सभी प्रांतों से जुड़ने के लिए हिंदी भाषा की ही आवश्यकता है ।

प्रश्न 6.
‘हिंदी को भारत की राज भाषा का दर्जा दिया गया । क्यों?
उत्तर:

  • हिंदी दिलों को जोडनेवाली भाषा है, तोडनेवाली नहीं ।
  • भारत देश के कई राज्यों में हिंदी बोली जाती है ।
  • भारत देश में हिंदी बोलने वालों की संख्या अधिक है।
  • अर्थात् देश भर में कई करोडों लोग हिंदी को अच्छी तरह बोल एवं जान सकते हैं |
  • स्वतंत्रता संग्राम में भी हिंदी भाषा देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • आज हमें एक से अधिक भाषाएँ सीखना ज़रूरी है।
  • जिनमें हिंदी का योगदान ही अधिक है।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं।
  • भारत के अलग – अलग प्रांतों में अलग – अलग भाषाएँ बोली जाती हैं।
  • हमें सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी भाषा की ही आवश्यकता है ।
    इसलिए हिंदी को भारत की राज भाषा का दर्जा दिया गया ।

प्रश्न 7.
भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में हैं – अपने शब्दों में लिखिए ।
(या)
भारत की एकता को बनाये रखने में हिंदी का स्थान महत्वपूर्ण है। समझाइए।
उत्तर:

  • भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में ही है।
  • इस प्रकार कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।
  • हिंदी भाषा भारत के स्वतंत्रता संग्राम में देश को एकता के सूत्र में बाँधी ।
  • हिंदी से हम सारे भारत की पहचान अच्छी तरह से कर सकते हैं ।
  • हमें भारत के सभी प्रांतों से जुडने के लिए हिंदी का ही विशेष महत्व एवं भूमिका है।
  • हिंदी सारे भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँधती है ।
  • हिंदी अपनी शाब्दिक अर्थ से भी भारतीय कहलाती है।
  • भारत देश में विभिन्न जातियों, धर्मों और भाषाओं के लोग रहते हैं ।
  • इसलिए भारत देश में विभिन्नता है।
  • हिंदी भाषा इस विभिन्नता में एकता लाती है ।
  • क्योंकि देश में हिंदी बोलनेवालों की संख्या अधिक है ।
  • हिंदी.दिलों को जोड़ने वाली भाषा है, तोडने वाली नहीं ।

इसलिए हम कह सकते हैं कि भारत की एकता को बनाये रखने की शक्ति हिंदी में है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी

प्रश्न 8.
अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है । इसके क्या कारण हैं?
उत्तर:

  • आज भारत के अलावा कई देशों में अर्थात अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की माँग बढ़ रही है । इसके ये कारण बता सकेंगे
  • अन्य देशों में भी हिंदी में रचनाएँ लिखी जा रही हैं जिसमें वहाँ के साहित्यकारों का भी विशेष योगदान
  • विदेशों में भारतीयों से आपसी व्यवहार करने के लिए वहाँ के लोग भी हिंदी सीख रहे हैं।
  • आज हिंदी विश्व भाषा रूप में अवतरित होने के कारण भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है।
  • आजकल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी में उद्योग धंधे अधिक मिलने के कारण भी आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी की मांग बढ़ रही है ।
  • हिंदी आसानी से सीखी जानेवाली भाषा है।
  • इस कारण से भी हिंदी की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।

 

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

10th Class Hindi Chapter 11 जल ही जीवन है Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 61)

प्रश्न 1.
यह विज्ञापन किसके बारे में है?
उत्तर:
यह विज्ञापन पेड़ों के बारे में हैं।

प्रश्न 2.
यह विज्ञापन किस समाचार – पत्र का है?
उत्तर:
यह विज्ञापन “दैनिक – भास्कर” समाचार पत्र का है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

प्रश्न 3.
इससे क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर:
इससे संदेश मिलता है कि “एक पेड एक जिंदगी है।” अर्थात् हमें पेड़ – पौधे लगाने का संदेश मिलता है।

InText Questions (Textbook Page No. 62)

प्रश्न 1.
सर्वेक्षण में क्या बताया गया?
उत्तर:
मानव ने आबादी पर नियंत्रण और पर्यावरण की समस्या हल कर लिया है। अचानक एक दिन एक समाचार पत्र में एक खबर पढकर लोग आश्चर्यचकित हो गए। एक सर्वेक्षण में यह बताया गया है कि पृथ्वी पर निरंतर पानी की कमी होती जा रही है।

प्रश्न 2.
प्रो.दीपेश के होश क्यों उड़ गये?
उत्तर:
प्रो. दीपेश बगीचे की लॉन पर बैठकर आकाश की ओर देख रहे थे। इतने में एक तारा पृथ्वी पर जो यान उतरते – उतरते पुनः आकाश की ओर मुड़ गया उसे देखकर, यह कोई यान है। इसके बारे में कुछ समझ में आने पर प्रो.दीपेश के होश उड़ गये।

प्रश्न 3.
जासूसी यान से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जासूसी यान का यहाँ तात्पर्य यह है कि पृथ्वी के रहस्यों को जानने, पृथ्वी पर जासूसी करने या पृथ्वी पर हमला करने कोई अन्य ग्रह या देश से छोडे गये यान हैं। पृथ्वी पर चक्कर लगाकर रहस्यों का गुप्त रूप से पता लगानेवाला जासूसी यान कहलाता है।

InText Questions (Textbook Page No. 63)

प्रश्न 4.
मानवाकृति अंतरिक्षयात्री कहाँ से आये थे?
उत्तर:
मानवाकृति अंतरिक्षयात्री हमारे इस ग्रह से एक प्रकाशवर्ष दूर के एक ग्रह के वासी हैं।

प्रश्न 5.
वे पृथ्वी पर क्यों आये थे?
उत्तर:
अंतरिक्ष यात्री के ग्रह का जल ज़हरीला हो गया। पानी के अभाव में वे पृथ्वी पर एक मिशन के तहत आए हैं। उनका मिशन यह है कि विशाल जल राशी की (पृथ्वी की) कुछ मात्रा अपने ग्रह पर ले जाना।

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प्रश्न 6.
उनकी प्रार्थना क्या थी?
उत्तर:
उनकी प्रार्थना यह थी कि हम अपने जलाशयों को साफ़ और सुरक्षित रखें ताकि हमें भी उनकी तरह जलचोर न बनना पड़े।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
हमारे जीवन में जल का क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे जीवन में जल का बड़ा महत्व है। जल के बिना हम जीवित नहीं रह सकते और कल्पना नहीं कर सकते। खाने, पीने, धोने, नहाने तथा शौचलय के लिए भी जल की आवश्यकता है। समस्त प्राणी जल पर निर्भर हैं। हमारे जीवन का आवश्यक तत्व है। पानी में समृद्धि है।

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प्रश्न 2.
धरती पर हर हिस्से में जल है, किंतु स्वच्छ जल की मात्रा बहुत कम है। ऐसी स्थिति में जल का सदुपयोग कैसे करेंगे?
उत्तर:
धरती पर हर हिस्से में जल है। किंतु स्वच्छ जल की मात्रा बहुत कम है। ऐसी स्थिति में जल का दुरुपयोग या व्यर्थ नहीं करना चाहिए। आवश्यकता से ज़्यादा जल को खर्च नहीं करना चाहिए। पानी के . स्रोतों को कलुषित (दूषित) न बनाना चाहिए। आवश्यकता की पूर्ति होने पर नल को बंद रखना चाहिए। जल संरक्षण करना चाहिए। जल संग्रहण करना चाहिए।

आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।

प्रश्न 1.
हमारे घर पहुँचनेवाले जल का उपयोग हम किसके लिए कर रहे हैं?
उत्तर:
हमारे घर पर पहुँचने वाले जल को पीने के लिए, कपडे धोने के लिए, शौचालय के लिए, मुँह धोने के लिए और नहाने के लिए हम उपयोग कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
जल की समस्या भविष्य में क्या विपत्तियाँ ला सकती हैं?
उत्तर:
जल की समस्या भविष्य में कई समस्याएँ एवं विपत्तियाँ ला सकती है। जो इस प्रकार हैं –

  • पीने के लिए पानी की कमी होगी। जल संकट आयेगा।
  • शुद्ध पानी नहीं मिल सकेगा। पेयजल की समस्या बढती जायेगी।
  • जल की समस्या के कारण कई बीमारियाँ फैलेंगी।
  • जल की समस्या के कारण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय युद्ध होने की भी आशंका है।
  • लाखों लोग दूषित जल के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान जायेंगे।
  • अकाल पडेगा।

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प्रश्न 3.
जल की समस्या का समाधान क्या है?
उत्तर:
आजकल केवल हमारे भारत में ही नहीं विश्व भर में जल की समस्या उत्पन्न हो रही है। जल की समस्या का समाधान के लिए

  • जल संचय और संरक्षण पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • हमें नदी तथा नालों पर बाँध बनाकर पानी को इकट्ठा करना चाहिए।
  • वर्षा के पानी को इकट्ठा करना चाहिए।
  • जल शुद्धि यंत्रों की सहायता से शुद्ध पानी या पेयजल योग्य पानी तैयार करना है।
  • समुद्र में नदियों तथा नालों के पानी को न मिलने दे। जल प्रदूषण को रोके।
  • पृथ्वी को जल योग्य भूमि बनने के लिए आधुनिक तरीकों को अपनाना चाहिए।
  • शुद्ध पानी को व्यर्थ न करना चाहिए। पानी का सदुपयोग ठीक तरह से करना चाहिए। सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए।
  • पानी को पानी की तरह नहीं बहाना चाहिए।

इ) निम्नलिखित प्रक्तियों की व्याख्या कीजिए।

प्रश्न 1.
इस प्रकार पृथ्वी का चक्कर लगाने का क्या मतलब हो सकता है?
उत्तर:
यह वाक्य “जल ही जीवन है” नामक पाठ से लिया गया है। कहानीकार है श्री प्रकाश ।

प्रो. दीपेश और प्रो. विकास दोनों एक बगीचे में बैठे बातचीत करते समय उस बगीचे में एक अंतरिक्ष यान उतरा। उन दोनों आश्चर्य चकित होकर इसे देखते इस प्रकार सोचते हैं कि यह यान यहाँ क्यों उतरा? इस प्रकार पृथ्वी का चक्कर लगाने का क्या मतलब हो सकता है?

इसका मतलब यह है कि यह यान उतरने का, पृथ्वी का चक्कर लगाने का क्या कारण हो सकता है?

प्रश्न 2.
हम लोग यहाँ एक मिशन के तहत आए हैं।
उत्तर:
यह वाक्य “जल ही जीवन है” नामक कहानी पाठ से लिया गया है। कहानीकार है श्री प्रकाश |
इस वाक्य को अंतरिक्ष यान से उतरे एक मानवाकृति वाले ने प्रो. दीपेश और प्रो. विकास से कहते हैं।
प्रो. दीपेश और प्रो. विकास बगीचे में बैठकर बातें करते समय उसी बगीचे में एक अंतरिक्ष यान उतरता है। उस यान से एक मानवाकृति बाहर आई जो आकार में बड़ी थी।

प्रो. दीपेश और प्रो. विकास उसे पूछने पर वह बताता है कि वह यहाँ से (भू ग्रह से) एक कांतिवर्ष (प्रकाश वर्ष) दूरी पर के अन्य ग्रह के वासी हैं। वह यहाँ एक मिशन के तहत आए हैं।

वह मिशन था यहाँ के जलाशय से पानी अपने ग्रह को ले जाना।

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प्रश्न 3.
आप अपने जलाशयों को साफ़ और सुरक्षित रखें ताकि आपको भी हमारी तरह जलचोर न बनना पड़ें।
उत्तर:
यह वाक्य को “जल ही जीवन है” नामक कहानी पाठ से लिया गया है। कहानीकार है श्री प्रकाश जी।

इस वाक्य को अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर आये एक मानवाकृति वाले प्रो. दीपेश और प्रो. विकास से कहते हैं।

भूमि से प्रकाशवर्ष दूरी पर के अपने ग्रह के पानी जहरीले बनने के कारण वह पृथ्वी पर उतरकर यहाँ के जल को चोरी करके ले जा रहे हैं।

इस सिलसिले में वह मानवाकृतिवाले ने प्रो. दीपेश और प्रो. विकास से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि पृथ्वी के जलाशयों को साफ़ और सुरक्षित रखें, क्योंकि हमारे जैसे आपको जल चोर न बनना पड़ें।

ई) विज्ञापन पढ़कर कोई चार प्रश्न बनाइए।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है 1
प्रश्न
1. किस मंत्रालय की ओर से यह विज्ञापन दिया गया है?
2. इस विज्ञापन में किस कार्यक्रम के बारे में बताया गया है?
3. यह कार्यक्रम किन – किन क्षेत्रों के क्रियाशीलता पर लक्षित हैं?
4. एक नई शुरुआत का संकेत क्या है?

(अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“जल ही जीवन है।” शीर्षक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
“जल ही जीवन है।” यह शीर्षक जो है वह उचित ही है। क्योंकि जल के बिना हमारा जीवन है ही नहीं। हमारे जीवन में जल की बहुत आवश्यकता है। आहार के बिना हम एक महीने तक जीवित रह सकते हैं लेकिन जल के बिना हम केवल एक सप्ताह तक ही जीवित रहते हैं। हम सभी जल पर निर्भर प्राणी हैं। जल है तो कल है। जल में समृद्धि है। इसलिए यह शीर्षक जल ही जीवन है उचित ही है।

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प्रश्न 2.
जल स्रोतों के रख-रखाव के बारे में आप क्या सुझाव देना चाहेंगे?
(या)
जल स्रोतों के रख – रखाव के लिए तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:
जल स्रोतों के रखरखाव के बारे में मैं ये सूचनाएँ /सुझाव देना चाहता हूँ।

  • जल को दूषित होने से बचाना चाहिए।
  • हमें शहरों की गंदगी तथा कल – कारखानों के कचरे को नदियों में गिराने से रोकना चाहिए।
  • कुएँ के जल को दूषित होने से बचाने के लिए उनको ढ़कने की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • जिन नदियों से पीने का पानी लिया जा रहा है उनमें कपडे धोने अथवा पशुओं को नहलाने पर रोक लगानी चाहिए।
  • नदियों के पानी को प्रदूषित रखने में सरकार के साथ सहयोग देना चाहिए।

आ) आज दुनिया के सभी देशों में जल की समस्या बनी हुई है। इसके समाधान में हम सबकी क्या ज़िम्मेदारी है ?
(या)
जल की समस्या को सुलझाने में हमारी जिम्मेदारी क्या है?
उत्तर:
पाठ का नाम : जल ही जीवन है
लेखक : श्रीप्रकाश
विधा : कहानी

आज दुनिया के सभी देशों में जल की समस्या बनी हुई है । इसी समस्या के समाधान के लिए सभी देशों की सरकारों की जिम्मेदारी है।

विविध देशों की सरकारों की जिम्मेदारी है।
जल के महत्व के बारे में जागृत करना चाहिए।

  • वर्षा के पानी को इकट्ठा करने का प्रबंध करें। नल – नालों तथा नदियों पर बाँध बनायें।
  • नमकीले पानी तथा समुद्र पानी को भी शुद्ध करके उपयोग में लाने की प्रणाली या योजना को अमल में लावें।
  • पृथ्वी में जल की धारा को अधिक बनाने की विधियों को अमल में लावें।
  • अंतर्राष्ट्रीय जल संघों की स्थापना करके जल को बाँटने की कोशिश करें।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा जल संघों की स्थापना करा के उनके द्वारा सूचनाएँ दिये जा सकें।
  • विविध देशों के बीच में जल बाँटने की विधि अमल में लावें।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जल प्रदूषण से बचे रहने का कार्यक्रम अमल में लानी चाहिए।
  • जनता को भी जल समस्या को दूर करने में सरकार को सहयोग देना चाहिए।

इ) “जल ही जीवन है।” इस विषय पर एक पोस्टर बनाइए।
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है 2

ई) आपके गाँव में जल संरक्षण कैसे किया जा रहा है? इसके बारे में बताते हुए कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • हमारे गाँव में जल संरक्षण बहुत अच्छी तरह किया जा रहा है।
  • कुएँ के जल को दूषित होने से बचाने के लिए उन पर ढ़कने की व्यवस्था की गयी है।
  • गाँव की तालाबों के पानी में कपड़े धोने अथवा पशुओं को नहलाने का रोक लगा दिया गया है।
  • कचरे को, ज़हरीले पदार्थों को जलाशयों में मिलाने पर रोक लगा दिया गया है।
  • ब्लीचिंग, क्लोरिनेषन आदि क्रियाओं के द्वारा जलशुद्धि की जा रही है।
  • हमारे गाँव की नदी में प्रदूषित न बनाने कूडे – कचरे, जहरीले पदार्थों को डालना, पशुओं को नहाना आदि भी रोक दिये गये हैं।

कुछ सुझाव :

  • एक जल संरक्षण समिति की स्थापना की जानी चाहिए।
  • इस समिति के अध्यक्ष के रूप में गाँव के अध्यक्ष को चुनना चाहिए।
  • हर सप्ताह में एक बार समिति का समावेश होनी चाहिए।
  • जल संरक्षण संबंधी विषयों पर निर्णय तथा सूचनाएँ देनी चाहिए।

भाषा की बात

अ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
‘जल’ शब्द से कई शब्द बने हैं। जैसे : जलचर | इसी तरह के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जलदस्यु, जलप्लावन, जलराशि, जलस्तर, जलनिधि, जलचोर।

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प्रश्न 2.
पाठ में आये विदेशज शब्द चुनकर लिखिए। जैसे : मिशन |
उत्तर:
सर्वे, प्रोफ़ेसर, फ़ोन, हैलो आदि।

आ) नीचे दिये गये वाक्य पढ़िए। कोष्ठक में दी गयी सूचना के अनुसार वाक्य बदलिए।

प्रश्न 1.
यह तो कोई यान है। .. (भूतकाल में बदलिए।)
उत्तर:
यह तो कोई यान था।

प्रश्न 2.
मेरे कई साथी इस संपूर्ण नीले ग्रह पर फैले थे। (भविष्य काल में बदलिए।)
उत्तर:
मेरे कई साथी इस संपूर्ण नीले ग्रह पर फैलेंगे।

प्रश्न 3.
पानी के अभाव में हमारे लोग मर रहे थे । (वर्तमान काल में बदलिए।)
उत्तर:
पानी के अभाव में हमारे लोग मर रहे हैं।

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प्रश्न 4.
हम लोग अपना मिशन चुपचाप पूरा करना चाहते थे। (भविष्य काल में बदलिए।)
उत्तर:
हम लोग अपना मिशन चुपचाप पूरा करना चाहेंगे।

इ) नीचे दिया गया उदाहरण पढ़िए। उसके अनुसार एक वाक्य बनाइए।
उदाहरण : पृथ्वी पर मानव ने काफ़ी प्रगति कर ली थी।
पृथ्वी पर किसने काफ़ी प्रगति कर ली थी ?
उत्तर:
दोनों ने एक साथ उस अंतरिक्ष यात्री से पूछा।
दोनों ने एक साथ किससे पूछा?

ई) अर्थ के आधार पर वाक्य पहचानिए।

1) ओह! यह तो कोई यान है।
उत्तर:
यह विस्मयार्थक वाक्य है।

2) यह यान कहाँ से आया?
उत्तर:
यह प्रश्नार्थक वाक्य है।

3) दोनों ने एक साथ उस अंतरिक्ष यात्री से पूछा।
उत्तर:
यह विधानार्थक वाक्य है।

4) यहाँ का जल शुद्ध होगा।
उत्तर:
यह संदेहार्थक वाक्य है।

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5) हमारे यहाँ जल होता तो हम पृथ्वी पर न आते।
उत्तर:
यह संकेतार्थक वाक्य है।

6) हमें शुद्ध जल चाहिए।
उत्तर:
यह इच्छार्थक वाक्य है।

7) आप भी कभी हमारे यहाँ आइए।
उत्तर:
यह आज्ञानार्थक वाक्य है।

8) नदी – नालों में कचरा बहाना मना है।
उत्तर:
यह निषेधार्थक वाक्य है।

परियोजना कार्य

‘जल संरक्षण’ पर पी.पी.टी. बनाकर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
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जल ही जीवन है Summary in English

After the end of 21st century, 22nd century is about to set in. The man on the earth has achieved success to a certain extent. He controlled the population. He almost resolved the ecological problem. The people are living comfortably. Suddenly a news was published in the newspapers. The people were astonished on reading the news. It was about a survey which revelted that the water levels are decreasing on the earth day by day.

One day the scientists and the geologists were discussing the water problem with their friends. When it became dark, they all went to their respective homes. Prof. Deepesh sat in his lawn and was staring at the sky. His eyes fell upon a star. It was coming towards the earth rotating round itself. Coming towards the earth, it again rushed towards the sky.

He thought that it was a spacecraft. He deeply thought as to where it had come from. Immediately he went into his room and made a call to his friend Prof. Vikas. When Vikas came, he told him about all this.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

Prof. Vikas was not much surprised with Prof. Deepesh’s words. The scientists have been experimenting to know the existence of life on other planets. He believed that there was life on not only on the earth but also on some other planet in this universe.

The following day evening both the friends sat together in Prof. Dinesh’s garden and were waiting for the arrival of the spacecraft. Their wait did not go a waste. Second time also they noticed the spacecraft coming on the same way. But this way it didn’t go back to the space and landed on the garden. They were wondered to see that. They both thought as to why it had landed there.

They assumed whether it was a spy vehicle and it had come for spying on the earth. They also doubted whatever it was making any arrangements for any invasion on the earth or it had come to abduct the intellectuals like them. At the very moment the door of the spacecraft opened and a human form came out. It just resembled a human being on the earth but it was huge in size.

Prof. Deepesh and Prof. Vikas were astonished on seeing the spaceman. They wondered it there was life on other planets same as that of the earth. Meanwhile they heard a word.
The spaceman said that they were the residents of another planet in the universe which was at a distance of a light year. They had come onto the earth for the sake of a mission. They were wonder struck for his words were same as our words.

Prof. Deepesh and Prof. Vikas asked the spacemen what kind of a mission it was. They enquired him if he had any other friends. The spaceman said that they had many friends on this blue planet. Their mission was completed and they were returning to their planet.

Prof. Vikas asked the spaceman what their mission was. He doubted if they had come in order to invade the earth. He requested the spaceman if they wanted to gain control over the earth.

The spaceman said ‘No’, and also explained to them that they had come onto the earth to take some water from the large and enormous water bodies on the earth.
Prof. Deepash and Prof. Vikas understand why the water levels were diminishing on the earth.

They asked him why they were taking water. They told him that they were not able to live without water.

He said, “We know. So we are taking a little amount of water to our planet. The.water on our planet got poisoned with the mixing of some strange toxic chemicals. On using that water an epidermic broke out. Our people are dying. We destroyed those toxic chemicals. But we couldn’t find the toxic substance dissolved in the water till now. It’ll take a little longer to detoxify the water. Our people are dying for want of water. We decided to explore a planet and take water from it to protect our people and for our survival. This blue planet attracted us. Hence we landed here. We found the enormous water bodies here. At the very moment we determined that so long as the purification of water on our planet was continued, we could take water from here. We have been taking water to our planet for almost a week. Now, we decided to complete our mission”.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

He further said, “I am the king of our planet. I apologise to you. We have taken water to our planet stealing your invaluable water wealth without your permission”. On saying this, the spaceman returned to his planet on the spacecraft. After a while it disappeared. Then Prof. Vikas’ eyes fell upon a thing. The following was written on it. “We hope that you will forgive our water thieves of the space. Keep your water bodies clean and safe because you shouldn’t be water thieves like us’.

जल ही जीवन है Summary in Telugu

ఇప్పుడు 21వ శతాబ్దం అంతమై 22 వ శతాబ్దం రాబోతోంది. భూమిపై మానవుడు తగినంత ప్రగతిని సాధించెను. జన సంఖ్యను నియంత్రించుకొనెను. పర్యావరణానికి సంబంధించిన సమస్యను దాదాపుగా పరిష్కరించెను. ప్రజలు సుఖంగా ఉంటున్నారు. అకస్మాత్తుగా వార్తా పత్రికల్లో ఒక వార్త ముద్రించబడినది. దానిని చదివి ప్రజలు ఆశ్చర్యపోయిరి. ఈ వార్తననుసరించి భూమిపై నిరంతరం నీరు తగ్గిపోతూ ఉందని ఒక సర్వే ద్వారా తెలిసినది.

శాస్త్రవేత్తలు, భూ శాస్త్రవేత్తలు ఒక రోజు తమ స్నేహితులతో ఒక తోటలో కూర్చుని నీటి సమస్యను గురించి చర్చించుకొనుచున్నారు. కొంత సమయం తదుపరి సాయంత్రం అయినది. అందరూ తమ – తమ ఇండ్లకు వెళ్ళిపోయిరి. ప్రొ.దీపేష్ అక్కడే తన లా లో కూర్చుని ఆకాశం వైపు చూస్తూ ఏదో ఆలోచిస్తూ ఉండెను. అకస్మాత్తుగా తన దృష్టి ఒక నక్షత్రంపైన పడినది. అది నాట్యం చేస్తూ భూమిపైకి వస్తున్నది. భూమిపై దిగుతూ – దిగుతూ అది మరల ఆకాశం వైపుకు తిరిగి వెళ్ళిపోవడమైనది.

ఓహ్ ఇదేదో అంతరిక్షయానంలా ఉన్నది. కానీ ఇలాంటి యానం ఈ భూమిపై ఎప్పుడూ ఆవిష్కరించబడలేదే ? మరి ఈ యానం ఎక్కడి నుండి వచ్చింది ? ఈ ప్రశ్నకు సమాధానం ఆలోచించేసరికి ప్రొ.దీపేష్ కు స్పృహ తప్పినంత పని అయ్యింది. వెంటనే పరుగు – పరుగున తన గదిలోకి వెళ్ళిపోయెను. తను తన స్నేహితుడైన ప్రొ. వికాసకు ఫోన్ చేసి అతనిని తన ఇంటికి పిలిపించుకుని అతనితో విషయమంతా చెప్పెను.

ప్రొ.దీపేష్ మాటలు విన్న ప్రొ.వికాస్ కు ఎక్కువ ఆశ్చర్యమేమి కలుగలేదు. ఎందుకంటే ఈ బ్రహ్మాండంలోని ఇతర గ్రహాలపై జీవుల ఉనికిని తెలుసుకొను ప్రయోగాలు జరుగుచున్నవి. ఆయన నమ్మకమేమిటంటే ఈ అనంత బ్రహ్మాండంలో మనం ఒకరిమే కాదు. ఏదేని వేరొక గ్రహంపై జీవరాశి తప్పనిసరిగా ఉన్నది.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

ప్రొ.వికాస్ మరుసటి రోజు సాయంత్రం ప్రొ.దీపేష్ తో కలసి ప్రొ.దీపేష్ తోటలో కూర్చుని రెండవసారి ఆ అంతరిక్షయానం వస్తుందేమోనని ఎదురుచూడసాగెను. అతని నిరీక్షణ వ్యర్థం కాలేదు. రెండవసారి ఆ అంతరిక్షయానం అదే దారిలో రావడం కన్పించినది. కానీ అది ఈసారి అంతరిక్షంలోనికి తిరిగి వెళ్ళక ఆ తోటలేనే దిగినది. ప్రొ.దీపేష్ మరియు ప్రొ. వికాస్లు ఇరువురూ ఆశ్చర్యచకితులై చూస్తుండిపోయిరి. ఇరువురూ ఈ అంతరిక్షయానం ఇక్కడ ఎందుకు దిగిందా అని ఆలోచించసాగిరి.

ఈ విధంగా భూమిపై చక్కర్లు కొట్టడంలో అర్థమేమిటి ? ఇదేమైన గూఢచారియానమా ? ఇది భూమిపై గూఢచర్యం జరుపుటకు వచ్చినదా ? లేదా భూమిపై ఏదైనా దండయాత్ర చేయు ఏర్పాట్లు చేయుచున్నదా ? మనలాంటి బుద్ధిజీవులను అపహరించుటకు వచ్చిందా ? – ఇలాంటి ఎన్నో ప్రశ్నలు వారి మనసుల్లో విద్యుత్ లా పరిగెడుచున్నవి. అప్పుడే ఆ అంతరిక్ష యానం తలుపు తెరవబడి ఒక మానవాకృతి బయటకు వచ్చింది. అది అచ్చుగుద్దినట్లు భూమి పైనున్న మన మనుషులవలెనే ఉన్నది. కానీ ఆకారంలో పెద్దగా ఉంది.

ప్రొ.దీపేష్ మరియు ప్రొ.వికాస్లు ఆ అంతరిక్ష యాత్రికుని చూసి ఆశ్యర్యపోయిరి. అంతరిక్షంలోని ఇతర గ్రహాలపై కూడా మన భూగోళవాసుల వలనే మనుష్యులు ఉన్నారా? అని వారు ఆశ్చర్యపోయిరి. అంతలో ఒక మాట వినబడినది. .: ‘హలో, మేము ఈ గ్రహానికి ఒక కాంతి సం|| దూరంలోని ఒక గ్రహ వాసులం. మేము ఇక్కడకు ఒక మిషన్ కొరకు వచ్చితిమి” – ఆ మాటలు విన్న ప్రొ.దీపేష్ మరియు ప్రొ.వికాస్ ఆశ్చర్యానికి హద్దులు లేవు. ఎందుకనగా వారి – మాటలు అచ్చం మన మాటలు లాగానే ఉన్నవి.

“మిషన్”, ఎలాంటి మిషన్? ఏమీ మీకు ఇంకా ఎవరైనా స్నేహితులు ఉన్నారా?” అని ఇరువురూ ఒక్కసారిగా ప్రశ్నించిరి. “అవును. ఎందరో మా స్నేహితులు ఈ నీలి గ్రహంపై వ్యాపించియున్నారు. ఇప్పుడు మా మిషన్ పూర్తియై యున్నది. అందువల్ల ఇప్పుడు మేము మా గ్రహంపైకి తిరిగి వెళ్ళిపోవుచున్నాము.

“కానీ మీ మిషన్ ఏమిటి? మీరు ఈ భూమిపై తిరుగుబాటు ఏమీ చేయడం లేదు కదా! మీరు ఏమైనా ఈ భూమిపై అధికారం తీసుకోవాలనుకుంటున్నారా?” అని ప్రొ.వికాస్ అతనిని ప్రశ్నించెను.

లేదు. మేము ఇక్కడ విప్లవం (తిరుగుబాటు) చేయడానికి లేదా అధికారం పొందడానికి రాలేదు. మేము మీ విశాల జలరాశిలోని కొంత నీటిని మా గ్రహానికి తీసుకుపోవుటకు వచ్చితిమి.

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ప్రొ.దీపేష్ మరియు ప్రొ. వికాస్టకు భూమిపై జలరాశి ఎందుకు ఒక్కసారిగా తగ్గిపోతుందో తెలుసుకోవడానికి ఆలస్యం కాలేదు.

“కానీ మీరు ఇక్కడి నుండి నీటిని ఎందుకు తీసుకుపోతున్నారు? మీకు తెలుసా మేము నీరు లేకుండా జీవించలేము”.

“తెలుసు. అందుకే మేము కొంచెం నీటిని మాత్రమే మా గ్రహంపైకి తీసుకువెళుతున్నాం. మా గ్రహం పై నీటిలో ఒక విశేషమైన విషపూరిత అణువులు కలవడం వలన ఆ నీరు విషపూరితమైనది. ఆ నీటిని వాడడం వలన మా గ్రహంపై ఒక మహమ్మారి వ్యాధి వ్యాపించింది. అందువల్ల అక్కడి ప్రజలు చనిపోవసాగిరి. మేము ఆ విష అణువులను నాశనం చేశాం. కానీ నీటిలో కరిగిపోయిన ఆ విష పదార్థాన్ని ఇప్పటి వరకు కనుగొనలేకపోయాం . జలాన్ని విషరహితం చేయడానికి ఇంకా సమయం పట్టవచ్చు. నీటికొరతతో మా ప్రజలు చనిపోవుచున్నారు. మా అస్తిత్వం కోసం మేము త్వరత్వరగా ఏదేని ఒక గ్రహం అన్వేషించి ఆ గ్రహం నుండి నీటిని మా గ్రహంపైకి తీసుకురావచ్చని అనుకున్నాం. మా గ్రహ ప్రజలను రక్షించాలని అనుకున్నాం. మా దృష్టి మీ నీలిగ్రహంపై పడింది. మీ గ్రహం మాకు దగ్గరగా ఉన్న గ్రహం, అందుకని మేము ఇక్కడ దిగాం. మేము ఇక్కడి విశాల జలరాశులను చూశాము. అప్పుడే మేము నిర్ణయించుకున్నాం. ఎప్పటి వరకు మా గ్రహంపై నీరు శుద్ధి చేయబడుతుందో అప్పటి వరకు ఇక్కడి నుండి నీటిని మా గ్రహానికి తీసుకువెళ్ళెదము. మేము దాదాపు ఒక వారం నుండి విశేష యానం (వాహనం) ద్వారా నీటిని మా గ్రహానికి తీసుకు వెళుతున్నాము. మేము ఇప్పుడు ఈ మిషనను ముగించాలని అనుకుంటున్నాం.”

ఇంకా అతడు ఇట్లా అన్నాడు. “నేను అక్కడి రాజును, నేను మిమ్మల్ని క్షమాపణలు కోరుచున్నాను. మేము మీ అనుమతి లేకుండా మీ అమూల్య జలనిధిని దొంగిలించి మా గ్రహానికి తీసుకుపోయాం .” ఈ విధంగా చెప్పిన పిదప ఆ అంతరిక్ష యాత్రికుడు తన వాహనం (యానం) లో తిరిగి తన గ్రహానికి వెళ్ళిపోయెను. ప్రొఫెసర్లు ఇరువురూ ఆ యానం వెళ్ళిన వైపు చూడసాగిరి. కొద్దిసేపటికి అది అదృశ్యమయ్యెను. ప్రొ.వికాస్ దృష్టి ఒక వస్తువుపై పడినది. దానిపై ఈ విధంగా వ్రాయబడి ఉంది. “మా అంతరిక్ష జలచోరులను మీరు మన్నించారని ఆశిస్తున్నాం. మిమ్మల్ని ప్రార్థించునది ఏమనగా మీరు మీ జలాశయాలను పరిశుభ్రంగా, సురక్షితంగా ఉంచండి. ఎందుకంటే మీరు భవిష్యత్తులో మాకు లాగా జలచోరులు కాకూడదు” మీ అంతరిక్ష జలచోర మిత్రులు.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“जल ही जीवन है।” सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
जल जीवन है । यह प्राकृतिक अनमोल उपहार है । जल के बिना हम जीवित नहीं रह सकते । हमारे शरीर में अधिकतम जल ही है । सब प्राणी जल पर निर्भर हैं | जल की रक्षा करना स्वयं अपनी रक्षा करना है। धरती की शान जल है । जल में समृद्धि है । जल है तो कल है ।

प्रश्न 2.
जल के बिना मानव का अस्तित्व नहीं है। कैसे?
उत्तर:
जल ही जीवन है। जल के बिना मानव जीवित नहीं रह सकता। मानव ही नहीं जल के बिना धरती पर कोई भी जीव जीवित नहीं रह सकता। जल न हो तो पेड़-पोधे भई नहीं होंगे। मनुष्य का जीवन प्रकृति पर आधारित होता है। बिना जल के प्रकृति नष्ट हो जाएगी। इसलिए जल के बिना मानव का अस्तित्व नहीं है।

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प्रश्न 3.
स्वच्छ जल ही स्वस्थ जीवन का आधार है। विवरण दीजिए।
उत्तर:
जल ही जीवन है। जीवन के लिए स्वच्छ जल का होना बहुत ज़रूरी है। धरती पर पीने लायक पानी की । मात्रा बहुत कम है। समुद्र में इतना जल है किंतु उसे स्वच्छ नहीं माना जा सकता। गंदा पानी पीने से हमें अनेक बीमारियाँ हो सकती हैं। इसीलिए कहा जाता है कि स्वच्छ जल ही स्वस्थ जीवन का आधार है।

प्रश्न 4.
आप अपने घर में जल का सदुपयोग कैसे करेंगे?
उत्तर:
मैं जल को दूषित नहीं होने दूंगा। नहाने-धोने के लिए आवश्यकता से अधिक जल का उपयोग नहीं करूँगा। उपयोग में लाये गये जल को पुनः भूगर्भ में जाने की व्यवस्था करूँगा। यदि नल से पानी गिर रहा हो तो उसे बंद करूँगा। पेड़-पौधों की सिंचाई के लिए व्यर्थ जल का उपयोग करूँगा।

प्रश्न 5.
जल से क्या क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
हम पीने के लिए जल का उपयोग करते हैं। जल से हम नहाते भी हैं। कपड़ों की धुलाई के लिए भी जल की ज़रूरत होती है। जल से फसलों की सिंचाई भी की जाती है। जल न हो तो जीवन भी नहीं होगा। जल से विद्युत भी बनाते हैं।

प्रश्न 6.
जल स्रोतों की सुरक्षा कैसे करनी चाहिए?
उत्तर:
जल स्रोतों की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। कुँओं, तालाबों और जलाशयों की रक्षा की जानी चाहिए। नदी-नालों में कारखानों का कचरा बहाने वालों को दंड मिलना चाहिए। जल स्रोतों की रक्षा करने वालों को पुरस्कार देना चाहिए।

प्रश्न 7.
अशुद्ध जल से मानव रोगों का शिकार बनता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अशुद्ध जल पीने से कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती हैं, जैसे- हैजा, कलरा इत्यादि। अशुद्ध जल बीमारी का प्रमुख कारण है। अशुद्ध जल पीने से पोलियो का शिकार होने की संभावना भी अधिक होती है। इसलिए हमें पानी उबाल कर पीना चाहिए।

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प्रश्न 8.
आप किन – किन जगहों में जल का उपयोग करते हैं?
उत्तर:
हम पीने के लिए जल का उपयोग करते हैं। जल से हम नहाते भी हैं। कपड़ों की धुलाई के लिए भी जल – की ज़रूरत होती है। जल से फसलों की सिंचाई भी की जाती है। जल न हो तो जीवन भी नहीं होगा।

प्रश्न 9.
पाठशाला में पानी के गड्ढे खोदने से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
पाठशाला में पानी के लिए गड्ढा खोदने से जल संरक्षण किया जा सकता है। आजकल पाठशालाओं में पानी की समस्या है। पानी न होने के कारण शौचालय साफ नहीं रह पाते। पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पाता है। पाठशाला में पानी के लिए गड्ढा खोदने से ये समस्याएँ नहीं होगी। पाठशाला पानी के लिए आत्मनिर्भर हो जाएगा।

प्रश्न 10.
आप अपनी पाठशाला में जल संरक्षण कैसे करेंगे?
उत्तर:
मैं अपनी पाठशाला में पानी के लिए अपने मित्रों के साथ मिलकर गड्ढा खोदूंगा। पानी बेकार नहीं करूँगा। अपने सहपाठियों को भी पानी बेकार न करने की सलाह दूंगा। पाठशाला के प्रांगण में पेड़-पौधे लगाऊँगा। जगह-जगह जल संरक्षण को प्रेरित करने वाले पोस्टर बनाकर लगाऊँगा।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों लिखिए।

प्रश्न 1.
स्वच्छ जल हर एक का अधिकार है। जल को सुरक्षित रखने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर:
प्रकृति पर हम सबका समान अधिकार है। अपने स्वार्थ के लिए इसकी संपदा को नष्ट करना ठीक नहीं है। अगर ऐसे ही जल नष्ट होता रहा तो आने वाली पीढ़ियों को पीने के लिए भी जल नहीं होगा। इसके लिए हमें जल संरक्षण पर विशेष बल देने की ज़रूरत है। इसलिए हमें जल आवश्यकता से अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए। हमें जल व्यर्थ होने से बचाना चाहिए। पेड़-पौधे अधिक से अधिक लगाने चाहिए, जिससे वर्षा अधिक हो। जल स्रोतों की रक्षा करनी चाहिए। व्यर्थ हो रहे पानी को पुनः उपयोग में लाने की व्यवस्था होनी चाहिए। हमें जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। नदियों में कूड़ा-कचरा नहीं बहाना चाहिए। कहीं भी जल व्यर्थ हो रहा हो तो उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए।

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प्रश्न 2.
‘जल ही जीवन है इस पाठ को दृष्टि में रखकर बताइए कि बाइसवीं सदी का भारत कैसा होगा?
उत्तर:
जल हमारे जीवन का एक प्रमुख आधार है। जल के बिना हमारा जीवन की कल्पना करना असंभव है। ‘जल में ही जीवन बसता है। ऐसा महत्वपूर्ण जल का बचाव व संरक्षण करना हर मानव का कर्तव्य है। .. अनेक अदूरदर्शी चेष्टाओं से जल की कमी बनी हुई हैं। ऐसी हालत में आनेवाली बाईसवी सदी के भारत को भयंकर आपदाएँ घेर सकती हैं। पेयजल लुप्त हो जायेगा। शुद्धजल की मात्रा घट जायेगी। हर जगह प्रदूषित जल ही मिल जायेगा जीवनदियाँ बहनेवाले भारत को पानी की एक बूंद के लिए तरसना पड़ेगा। पानी कि वजह से आंतरिक झगडे हो जाने की संभावना है। भारत जैसे शांति कामुक देश में भी अशांति फैल सकेगी।

प्रश्न 3.
आने वाली पीढ़ियों को जल की समस्या से बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
आने वाली पीढ़ियों को जल की समस्या से बचाने के लिए हम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं

  • हमें जल आवश्यकता से अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • हमें जल व्यर्थ होने से बचाना चाहिए। पेड़-पौधे अधिक से अधिक लगाने चाहिए जिससे वर्षा अधिक हो।
  • जल स्रोतों की रक्षा करनी चाहिए।
  • व्यर्थ हो रहे पानी को पुनः उपयोग में लाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • हमें जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए।
  • नदियों में कूड़ा-कचरा नहीं बहाना चाहिए।

प्रश्न 4.
यदि पृथ्वी का पानी प्रदूषित हो जाए तो आपके पास इसका क्या समाधान है?
उत्तर:

  • यदि पृथ्वी का पानी प्रदूषित हो जाए तो आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों और विधाओं एवं तरीकों को अपना कर प्रदूषित जल को शुद्ध बनाएँगे।’
  • वर्षा के जल को इकट्ठा करके उसे शुद्ध करके पीने के पानी के रूप में उपयोग करेंगे।
  • देश – विदेशों में से प्रदूषित पानी को साफ़ करने की विविध पद्धतियों को जानकर उन्हें अमल में लाकर पानी को शुद्ध बनाएँगे।

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प्रश्न 5.
जल स्रोतों के कुछ नाम बताइए। विवरण दीजिए।
उत्तर:
जल स्रोत अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे- कुंआ, तालाब, नदी, झील आदि।
कुँआ :
कुँआ मनुष्य धरती पर गड्ढा खोदकर तैयार करता है। भारत में पीने के जल के लिए सर्वाधिक उपयोग कुँए का ही होता है।

तालाब :
तालाब प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों प्रकार के होते हैं। यदि धरती का कोई क्षेत्र गहरा हो तो वहाँ बरसात में पानी इकट्ठा होकर तालाब का रूप ले लेता है। इसके जल का उपयोग पीने के साथसाथ सिंचाई के लिए भी किया जाता है।

नदी :
भारत अनेक नदियों का देश है। इसीलिए इसका अधिकतर क्षेत्र हरा-भरा है। गंगा, यमुना, नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी आदि भारत की प्रमुख जीव नदियाँ हैं। इसके जल का उपयोग पीने के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी किया जाता है। इन पर बाँध बनाकर बिजली का उत्पादन भी किया जाता है।

झील :
पर्वतीय क्षेत्र में कोई स्थान गहरा होने पर वर्षा का जल इकट्ठा होकर विशाल जलाशय का रूप ले लेता है। इसे झील कहते हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
जल का प्रयोग सावधानी से करने के लिए कुछ उपाय बताइए।
उत्तर:
हमारे जीवन में जल का बड़ा महत्व है। जल नहीं तो कल नहीं है। इसीलिए हमें जल का प्रयोग सावधानी से करनी चाहिए।

  • जल को दूषित नहीं करना चाहिए।
  • नहाने – धोने के लिए आवश्यकता से अधिक जल का उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • उपयोग में लाये गये जल को पुनः भूगर्भ में जाने की व्यवस्था करना चाहिए।
  • पेड – पौधों की सिंचाई के लिए व्यर्थ जल का उपयोग करना चाहिए।
  • नदियों पर बांध बनाकर नदियों के पानी को सागर में मिलने से रोकना चाहिए।
  • गलियों में खुले हुये नलों से पानी व्यर्थ बहने से रोकना चाहिए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 11 जल ही जीवन है

प्रश्न 2.
जल की समस्या को समाप्त करने में छात्र क्या सहयोग दे सकते हैं?
उत्तर:
आज संसार के सभी देशों में जल की समस्या बनी हुयी है। ऐसी खास और प्रभावशाली समस्या का हल निकालकर सुख जीवन बिताने का यत्न करना सब लोगों का प्रमुख कर्तव्य है।

जल ही जीवन है । जल के बिना हमारा जीवन ही नहीं है। जल की समस्या को समाप्त करने में छात्र निम्न प्रकार से सहयोग दे सकते हैं।

  • जल का आवश्यकतानुसार ही इस्तेमाल करना चाहिए।
  • जल को दूषित होने से बचाना चाहिए।
  • गंदगी कूडे कचरे को जल प्रवाहों में गिराने को रोकना चाहिए।
  • कुओं के पानी को दूषित होने से बचाकर इस्तेमाल करना चाहिए।
  • वर्षा के पानी को इकट्ठा करने का प्रबंध करना चाहिए।
  • जल की बचत के लिए जल स्त्रोतों को साफ़ और स्वच्छ रखना है।
  • पेड – पौधों को अधिक से अधिक लगाकर हरियाली बनाये रखने का प्रयत्न करना है।
  • खुद पानी का इस्तेमाल कम करते, लोगों को जल संरक्षण संबंधी आशयों से परिचय कराना है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

10th Class Hindi Chapter 2 ईदगाह Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 5)

प्रश्न .1
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम किससे मिलता है?
उत्तर :
पथिकों को जलती दुपहर में सुख व आराम पेडों से मिलता है। .

प्रश्न .2
खुशबू भरे फूल हमें क्या देते हैं?
उत्तर :
खुशबू भरे फूल हमें नव फूलों की माला देते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न .3
‘हम भी तो कुछ. देना सीखें’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर :
पथिकों को पेड दुपहर में छाया देते हैं। नव फूलों की माला में फूल हमें खुशबू देते हैं। वे परोपकारी हैं। उसी प्रकार हम भी उन्हें (पेड, फूलों को) देखकर त्याग भाव को अपनाकर दूसरों को कुछ देना है। इसीलिए कवि ने ऐसा कहा है कि “हम भी तो कुछ देना सीखें।

InText Questions (Textbook Page No. 6)

प्रश्न 1.
ईद के दिन का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए।
(या)
ईदगाह पाठ में प्रकृति का चित्रण कैसे किया गया?
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद आज ईद आयी है। आज का सवेरा मनोहर और सुहावना है। वृक्षों पर अजीब हरियाली है। खेतों में कुछ अजीब रौनक है। आसमान पर लालिमा है। सूरज बहुत प्यारा और शीतल है तथा सबको ईद की शुभकामनाएँ दे रहा है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
हामिद गरीब है फिर भी वह ईद के दिन अन्य लडकों से अधिक प्रसन्न है, क्यों ?
उत्तर:
हामिद भोली सूरतवाला चार – पाँच साल का दुबला पतला लडका है। जो कुछ मिला है, उससे संतुष्ट रहनेवाला आशावादी लडका है। उसके माँ – बाप मर गये। उसकी दादी अमीना ही उसका पालन – पोषण कर रही है। दादी ने उससे कहा कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं और अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज़ है। इसी आश में डूबे हामिद ईद के दिन अन्य लड़कों से अधिक प्रसन्न है।

प्रश्न 3.
हामिद के खुशी का कारण क्या है?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप तो मर चुके हैं। दादी अम्मा ने उसे बताया कि उसके अब्बाजान रुपये कमाने गये हैं। अम्मीजान अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी चीजें लाने गयी है। हामिद का दिल निर्मल और खुश है। वह ईद का मेला भी देखने जा रहा है। यही हामिद की खुशी का कारण है।

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प्रश्न 4.
हामिद चिमटा क्यों खरीदना चाहता था?
(या)
हामिद ने दादी के लिए मिचटा खरीदा क्यों?
उत्तर:
हामिद अपनी दादी को बहुत चाहता है। हामिद की दादी के यहाँ चिमटा नहीं था। तवे से रोटियाँ उतारते वक्त उसके हाथ जल जाते थे। हामिद को ख्याल आया कि वह चिमटा ले जाकर दादी को दे देता तो उसके हाथ नहीं जलते। इसलिए अपनी दादी का कष्ट दूर करने हामिद चिमटा खरीदना चाहता था। खिलौनों की तुलना में चिमटा उपयोगी वस्तु है।

प्रश्न 5.
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों के प्रति दादी अम्मा की भावनाएँ कैसी थीं ?
उत्तर:
हामिद के हृदयस्पर्शी विचारों से दादी अम्मा बहुत प्रभावित हुई। उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल गया। यह मूक स्नेह था, रस और स्वाद से भरा मार्मिक प्रेम था। हामिद के त्याग, सद्भाव, विवेक और खासकर दादी के प्रति अपार प्रेम की भावना याद कर दादी का मन गद्गद् हो गया । अपना आँचल फैलाकर हामिद को अनेक दुआएँ देने लगी। आँखों से खुशी की आँसू बहाने लगी।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया :

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
“ईदगाह’ कहानी के कहानीकार कौन हैं? इनकी रचनाओं की विशेषता क्या है?
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार हैं मुंशी प्रेमचंद जी। आधुनिक हिंदी साहित्य में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। ये । आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इन्हें उपन्यास सम्राट भी कहा जाता है। इन्होंने लग भग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियों में भारत देश के ग्रामीण जीवन का जीता जागता चित्रण स्पष्ट नज़र आता है। नैतिक मूल्यों का विकास व जागरण ही इनकी रचनाओं का खास विषय है। आपकी कहानियाँ मानस सरोवर शीर्षक से आठ खंडों में संकलित हैं।

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प्रश्न 2.
बालक प्रायः अलग – अलग स्वभाव के होते हैं। कहानी के आधार पर बताइए कि हामिद का स्वभाव कैसा है?
उत्तर:
यह मानी हुयी और सच्ची बात है बालक प्रायः विभिन्न स्वभाव के होते हैं। हामिद तो अपने उत्तम और आदर्शमय स्वभाव से महान ठहरा । यह तो भोली सूरत का, चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। इसके माँ – बाप तो चल बसे थे। लेकिन यह विषय न जाननेवाला हामिद उनके लौट आने की आशा में सदा खुश रहता था। अपनी दादी के प्रति इसे बहुत प्यार था। इसीलिए ईदगाह जाते समय अपनी दादी – माँ को धीरज बँधाता | यह आशावादी लडका था। इसके मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, सहनशीलता संवेदनशीलता जैसी महान भावनाएँ घर कर बैठी थीं। मेले में सभी लड़कों ने अपने मनपसंद खाने और खेलने की चीजें खरीदीं तो हामिद ने अपनी दादी का ख्याल करके उसका कष्ट दूर करने अपने पास रहें पूरे तीन पैसे से चिमटा खरीदा। घर लौटकर उसे प्यार से दादी माँ को दिया। इस तरह हामिद मन में त्याग, सद्भाव, विवेक, संवेदनशील भवानाएँ रखनेवाला उत्तम बालक था।

आ) हाँ या नहीं में उत्तर दीजिए।
1. हामिद के पास पचास पैसे थे ।
उत्तर:
नहीं

2. अमीना हामिद की मौसी थी ।
उत्तर:
नहीं

3. मोहसिन भिश्ती खरीदता है।
उत्तर:
हाँ

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4. हामिद खिलौने खरीदता है।
उत्तर:
नहीं

इ) रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. अमीना का क्रोध तुरंत …………….. में बदल गया।
उत्तर:
स्नेह

2. क़ीमत सुनकर हामिद का दिल ……….. गया।
उत्तर:
बैट

3. हामिद ………… लाया ।
उत्तर:
चिमटा

4. महमूद के पास ………………. पैसे थे।
उत्तर:
बारह

ई) अनुच्छेद पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बहुत समय पहले की बात है। श्रवण कुमार नामक एक बालक रहता था। उसके माता – पिता देख नहीं सकते थे। किंतु उन्हें इस बात का दुख नहीं था। उनका पुत्र सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहता था। एक दिन माता – पिता ने अपने पुत्र से चारधाम यात्रा की इच्छा व्यक्त की। पुत्र काँवर में बिठाकर अपने माता – पिता को चारधाम की यात्रा पर ले गया। रास्ते में माता – पिता को प्यास लगी। उनके लिए पानी लाने के लिए श्रवण कुमार तालाब के पास पहुंचा। उसी समय राजा दशरथ तालाब के पास वाले जंगल में शिकार कर रहे थे। श्रवण द्वारा तालाब में लोटा डुबाने की ध्वनि सुनकर वे हाथी समझ बैठे। शब्दभेदी बाण चला दिया। इस बाण से श्रवण परलोक सिधार गया। माता – पिता की सेवा में आजीवन आगे रहने वाला श्रवण, इतिहास में सदैव अमर रहेगा।

प्रश्न 1.
माता – पिता की सेवा में कौन तत्पर था?
उत्तर:
माता – पिता की सेवा में श्रवण कुमार तत्पर था।

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प्रश्न 2.
श्रवण कुमार के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
श्रवण कुमार माता – पिता की सेवा में तत्पर रहनेवाला आदर्श पुत्र था।

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का संधि विच्छेद कीजिए।
उत्तर:
सदा + एव = सदैव

प्रश्न 4.
अनुच्छेद के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
मातृ – पितृ भक्ति परायण श्रवण कुमार/आदर्श पुत्र।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
हामिद के स्थान पर आप होते तो क्या खरीदते और क्यों?
उत्तर:
अपने लिए नहीं, अपनों के लिए सोचने का महान स्वभाव वाला था हामिद। इसी स्वभाव से अपनी दादी का कष्ट दूर करने का ख्याल करके उसने चिमटा खरीद लिया। ___ मेरा भी हामिद के जैसा ही स्वभाव है। अपने सुख की परवाह न करके अपनों को सुख पहुँचाना चाहता हूँ। मुझे भी दादी है। वह ठीक तरह से देख नहीं सकती। इसलिए उसे डाक्टर के पास ले जाता और ऐनक खरीदता | उसकी आँखों में रोशनी देखना चाहता हूँ।

प्रश्न 2.
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ कैसी थीं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतल लडका था । वह अपनी दादी अमीना से बहुत प्यार करता था। सदा उसका ख्याल रखते उसे खुश रखना चाहता था। इसलिए जब मेले में भेजने वह डरने लगी तो हामिद ने मैं सबसे पहले आऊँगा बिलकुल न डरना कहकर धीरज बँधाया था। दादी ने उसे तीन पैसे दिये। मेले में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानें थीं। सब लडके अपने मनपसंद चीजें खरीदकर खुश रहे। हामिद ने तो दादी माँ का कष्ट दूर करने चिमटा खरीदा। उसने सोचा कि चिमटा लेकर देने से दादी अम्मा बहुत खुश होंगी। उसके हाथ रोटियाँ उतारते कभी नहीं जलेंगे। वह मुझे हजारों दुआएँ देंगी। पडोसी औरतों को दिखाकर बहुत खुश होगी। कहेगी कि कितना अच्छा लड़का है।

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आ) ‘ईदगाह’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(या)
ईदगाह कहानी मानवीय मूल्यों का प्रतिबिंब है। उसका सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

सारांश :
हिंदी के उपन्यास सम्राट श्री प्रेमचंद की लिखी कहानी है ‘ईदगाह’ प्रेमचंद आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानीकार हैं। इस कहानी के ज़रिए आप छात्रों में त्याग, सद्भाव, विवेक जैसे उत्तम गुणों का विकास करना चाहते हैं। साथ ही बडे बुजुर्गों के प्रति श्रद्धा व आदर की भावना रखने की बात पर ज़ोर देते हैं।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला, भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं, वह अपनी बूढी दादी अमीना की परिवरिश में रहता है। उससे कहा गया है कि उसके माँ – बाप उसके लिए बहुत अच्छी चीजें लायेंगे। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारी प्रकृति सुखदायी और मनोहर है। हामिद के महमूद, मोहसिन, नूरे, सम्मी दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। आमीना डर रही है कि अकेले हामिद को कैसे भेजे? हामिद के धीरज बँधाने पर वह हामिद को भेजने राजी होती है। जाते वक्त हामिद को तीन पैसे देती है। सब तीन कोस की दूरी परी स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो खिलौनों को ललचायी आँखों से देखता है, पर चुप रहता है। बाद लोहे की दुकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं, चिमटे को देखकर हामिद को ख्याल आता है कि बूढी दादी अमीना के पास चिमटा नहीं है। इसलिए तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसकी उंगलियाँ भी नहीं जलेंगी।

ऐसा सोचकर दुकानदार को तीन पैसे देकर वह चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मज़ाक उडाते हैं। हामिद तो इसकी परवाह नहीं करता। घर लौटकर दादी को चिमटा देते हैं तो पहले वह नाराज़ होती है। मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ तवे से जल जाती थीं। इसलिए मैं इसे लिवा लाया कहने पर उसका क्रोध तुरंत स्नेह में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और विवेक गुण से उसका मन गद्गद् हो जाता है। हामिद को अनेक दुआएँ देती है और खुशी के आँसू बहाने लगती है।

नीति : ईदगाह कहानी में दादी और पोते का मार्मिक प्रेम दर्शाया गया है।

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इ) हामिद और उसके मित्रों के बीच हुई बातचीत की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए।
उत्तर:
हामिद और उसके दोस्त मोहसिन, महमूद और सम्मी सब मिलकर ईदगाह जाते हैं। वहाँ मेले में वे कुछ चीजें खरीदते हैं और आपस में इस प्रकार संवाद करने लगते हैं। (खिलौनों की दुकानों के पास)
मोहसिन : अरे! यह देखो। यह भिश्ती कितना सुंदर है ?

महमूद : मेरे ये सिपाही और नूरे वकील को देखो। ये कितने अच्छे हैं और खूबसूरत हैं?

सम्मी . : हाँ! हाँ! मेरे इस धोबिन को देखिए। यह कैसा है ?

हामिद : (उन्हें ललचाई आँखों से देखते हुए) ये सब मिट्टी के तो हैं, गिरे तो चकनाचूर हो जायेंगे।
(वहाँ से मिठाइयों की दुकानों के यहाँ जाते हैं।)

मोहसिन : (रेवडी खरीदता है) “अरे! हामिद यह रेवडी ले ले कितनी खुशबूदार है।”

हामिद : “रखे रहो।, क्या मेरे पास पैसे नहीं हैं ?”

सम्मी : अरे, उसके पास तो तीन ही पैसे हैं, तीन पैसे से क्या – क्या लेगा?
(लोहे की दुकान के पास हामिद चिमटा खरीदता है।)

दोस्तों ने एक साथ सब
मज़ाक करते हुए : यह चिमटा क्यों लाया पगले! इसे क्या करेगा ?

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ई) बड़े-बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का महत्व अपने शब्दों में बताइए।
(या)
“हामिद में बड़े – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह की भावनाएँ थीं” – ईदगाह कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : ईदगाह
पाठ का लेखक : प्रेमचंद
पाठ की विधा : कहानी

हमारे मानव जीवन में बडे – बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा और स्नेह भावनाओं का बड़ा महत्व है। बडे – बुज़ुर्ग लोग हमारे जीवनदाता और हमारे सुखमय जीवन के मूल स्तंभ हैं। खासकर हमारी आमूल्य भारतीय संस्कृति हमें सुसंस्कार सिखाती है। बडे – बुज़ुर्ग लोग अनेक कष्ट – सुख झेलकर हमें सुख जीवन बिताने के योग्य बनाते हैं। वे बड़े अनुभवी और कर्तव्य परायण होते हैं। ऐसे महत्वपूर्ण बडे बुजुर्गों का ख्याल रखना, आदर देते उनकी सेवा करना हमारा धर्म और कर्तव्य है। वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक हैं।

वे बूढे होकर काम नहीं कर सकते हैं। ऐसी हालत में हमें आदर के साथ उनकी सहायता करनी चाहिए। उनकी हर आवश्यकता की पूर्ति अपना भाग्य और कर्तव्य समझना है। वे संतुष्ट होकर जो आशीश हमें देते हैं। वे बहुत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होते हैं। उनके बताये अनुभव हमारे सुखमय जीवन के सोपान हैं। हमारे आदर और श्रद्धापूर्ण कार्यों से उनको नयी शक्ति मिलती है। वे कष्टदायी बुढापे को भी हँसते बिता सकते हैं। बड़ों का आदर करना हमारा कर्तव्य है। आज के बालक कल के नागरिक बनते हैं। उनमें भी बडे – बुज़ुर्गों के प्रति आदर – श्रद्धा ,स्नेह भावनाएँ जगानी चाहिए।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
ईद, प्रभात, वृक्ष (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
ईद – ईद मुसलमानों का एक त्यौहार है। |
प्रभात – आज का प्रभात सुहावना है।
वृक्ष – वृक्ष मानव का परम मित्र हैं।

पर्याय शब्द
ईद – रमज़ान, पर्व, ईद – उल – फ़ितर, त्यौहार
प्रभात – प्रातःकाल, सवेरा
वृक्ष – पेड, तरु, पादप

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प्रश्न 2.
अपराधी, प्रसन्न (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
अपराधी x निरपराधी
प्रसन्न x अप्रसन्न

वाक्य प्रयोग अपराधी : अपराधी को ही दंड देना चाहिए। निरपराधी को दंड देना दंडनीति नहीं है।
प्रसन्न : वह हर दिन प्रसन्न रहता है लेकिन आज ही वह किसी कारण अप्रसन्न दिख रहा है।

प्रश्न 3.
मिठाई, चिमटा, सड़क (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
वचन
मिठाई – मिठाइयाँ
चिमटा – चिमटे
सड़क – सड़कें

वाक्य प्रयोग
मिठाई : मेरे दादाजी हर साल 15 अगस्त के दिन सबको मिठाइयाँ बाँटते हैं।
चिमटा : लोहे की दूकान में कई चिमटे हैं।
सड़क : भारत देश में तीन प्रकार की सड़कें हैं।

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आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
प्रश्न 1.
बेसमझ, सद्भाव, निडर (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
बेसमझ – बे ; सद्भाव – सत् । निडर – नि

प्रश्न 2.
दुकानदार, भड़कीला, ग़रीबी (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
दुकानदार – दार ; भड़कीला – ईला ; गरीबी – ई

प्रश्न 3.
मीठा, प्रसन्न, बूढ़ा (भाववाचक संज्ञा में बदलिए।)
उत्तर:
मीठा – मिठास ; प्रसन्न – प्रसन्नता; बूढा – बुढापा

इ) इन्हें समझिए और अभ्यास कीजिए।
प्रश्न 1.
हामिद के बाज़ार से आते ही अमीना ने उसे छाती से लगा लिया।
उत्तर:
यहाँ अपादान कारक “से” का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 2.
हामिद ने कहा कि घर की देखरेख दादी ने की।
उत्तर:
इस वाक्य में “कि’ का प्रयोग जोडनेवाले शब्द समुच्चयबोधक के रूप में हुआ। “की” का प्रयोग संबंध कारक और क्रिया रूप में हुआ।

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ई) 1. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके आधार पर दिये गये वाक्य बदलिए।
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2. पाठ में आये मुहावरे पहचानिए और अर्थ लिखकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. आह भरना = कष्ट या दुख के कारण ठंडी साँस भरना।
ठंडी आह भरते हुए वह वहाँ से चला गया।

2. सिर झुकाना = नतमस्तक हो जाना।
बड़ों के सामने हमें विनय से सिर झुकाना चाहिए।

3. गले मिलना = प्यार से गले लिपटना/आलिंगन करना
राम ने लक्ष्मण को गले मिला लिया।

4. मज़ाक करना = उपहास करना, परिहास करना
हमें कभी किसी का मज़ाक करना नहीं चाहिए।

5. धावा बोलना = आक्रमण करना
सब बच्चे मिठाई दुकानों पर धावा बोल देते हैं।

6. मन ललचाना = इच्छा करना
मिठाइयों को देखकर बच्चों का मन ललचाना स्वाभाविक ही है।

7. दिल कचोटना = दिल में वेदना होना/दुःखित होना
बूढी दादी अमीना का दिल कचोट रहा है।

8. गदगद हो जाना = प्रसन्नता से फूले न समाना
बूढ़ी माँ को देखकर बेटे का मन गद्गद हो गया ।

9. दिल बैठ जाना निराश होना
कीमत जानकर उसका दिल बैठ गया।

10. भेंट होजाना = मर जाना
गाडी बहुत तेज़ चलाने से चालक की भेंट हुई।

11. छाले पड़ना . = धिक्कत होना (चलते समय)
चप्पल के बिना चलने से छाले पडती हैं।

12. माथे पर हाथ रखना = शोक करना
पिता की मृत्यु पर उसने माथे पर हाथ रखा।

13. पीली पडना – = बीमार पड़ना
हरी सब्ज़ी न खाने से पीले पडजाते हैं।

14. परलोक सिधारना मरजाना
बीमारी के कारण उसने परलोक सिंधारा|

परियोजना कार्य:

वरिष्ठ नागरिकों (वयोवृद्धों) के प्रति आदर – सम्मान की भावना से जुड़ी कोई कहानी ढूँढकर लाइए। कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
“पित्रु भक्त बालक’
श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। ये कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते था बहुत समय पहले त्रेतायुग में श्रवण कुमार नाम का एक बालक था। श्रवण के माता – पिता अंधे थे। श्रवण अपने माता – पिता को बहुत प्यार करता था। उसकी माँ ने बहुत कष्ट उठाकर श्रवण को पाला था। जैसे – जैसे श्रवण बड़ा होता गया, अपने माता – पिता के कामों में अधिक से अधिक मदद करता गया।

सुबह उठकर श्रवण माता – पिता के लिए नदी से पानी भरकर लाता। जंगल से लकड़ियाँ लाता। चूल्हा जलाकर खाना बनाता। माँ उसे मना करतीं।

“बेटा श्रवण, तू हमारे लिए इतनी मेहनत क्यों करता है? भोजन तो मैं बना सकती हूँ। इतना काम करके तू थक जाएगा।”

“नहीं माँ, तुम्हारे और पिताजी का काम करने में मुझे जरा भी थकान नहीं होती। मुझे आनंद मिलता है। तुम देख नहीं सकतीं।रोटी बनाते हुए, तुम्हारे हाथ जल जाएँगे।”

“हे भगवान! हमारे श्रवण जैसा बेटा हर माँ – बाप को मिले। उसे हमारा कितना खयाल है।” माता – पिता श्रवण को आशीर्वाद देते न थकते।

श्रवण के माता – पिता रोज भगवान की पूजा करते। श्रवण उनकी पूजा के लिए फूल लाता, बैठने के लिए आसन बिछाता। माता – पिता के साथ श्रवण भी पूजा करता।

माता – पिता की सेवा करता श्रवण बड़ा होता गया। घर के काम पूरे कर, श्रवण बाहर काम करने जाता। अब उसके माता – पिता को काम नहीं करना होता।

एक दिन श्रवण के माता – पिता ने कहा –
“बेटा, तुमने हमारी सारी इच्छाएँ पूरी की हैं। अब एक इच्छा बाकी रह गई है।”

“कौन – सी इच्छा माँ? क्या चाहते हैं पिताजी? आप आज्ञा दीजिए। प्राण रहते आपकी इच्छा पूरी करूँगा।”

“हमारी उमर हो गई अब हम भगवान के भजन के लिए तीर्थ यात्रा पर जाना चाहते हैं बेटा। शायद भगवान के चरणों में हमें शांति मिले।”

“श्रवण सोच में पड़ गया। उन दिनों आज की तरह बस या रेलगाड़ियाँ नहीं थी। वे लोग ज्यादा चल भी नहीं सकते थे। माता-पिता की इच्छा कैसे पूरी करूँ, यह बात सोचते-सोचते श्रवण को एक उपाय सूझ गया। श्रवण ने दो बड़ी – बड़ी टोकरियाँ लीं। उन्हें एक मज़बूत लाठी के दोनों सिरों पर रस्सी से बाँधकर लटका दिया। इस तरह एक बड़ा काँवर बन गया। फिर उसने माता – पिता को गोद में उठाकर एक – एक टोकरी में बिठा दिया। लाठी कंधे पर टाँगकर श्रवण माता-पिता को तीर्थ यात्रा कराने चल पड़ा।

श्रवण एक – एक कर उन्हें कई तीर्थ स्थानों पर ले जाता है। वे लोग गया, काशी, प्रयाग सब जगह गए। माता – पिता देख नहीं सकते थे इसलिए श्रवण उन्हें तीर्थ के बारे में सारी बातें सुनाता। माता – पिता बहुत प्रसन्न थे। एक दिन माँ ने कहा -“बेटा श्रवण, हम अंधों के लिए तुम आँखें बन गए हो। तुम्हारे मुँह से तीर्थ के बारे में सुनकर हमें लगता है, हमने अपनी आँखों से भगवान को देख लिया है।”

“हाँ बेटा, तुम्हारे जैसा बेटा पाकर, हमारा जीवन धन्य हुआ। हमारा बोझ उठाते तुम थक जाते हो, पर कभी उफ़ नहीं करते।” पिता ने भी श्रवण को आशीर्वाद दिया।

“ऐसा न कहें पिताजी, माता – पिता बच्चों पर कभी बोझ नहीं होते। यह तो मेरा कर्तव्य है। आप मेरी चिंता न करें।”

एक दोपहर श्रवण और उसके माता – पिता अयोध्या के पास एक जंगल में विश्राम कर रहे थे। माँ. को प्यास लगी। उन्होंने श्रवण से कहा – बेटा, क्या यहाँ आसपास पानी मिलेगा? धूप के कारण प्यास लग रही है।

“हाँ, माँ। पास ही नदी बह रही है। मैं जल लेकर आता हूँ।”

श्रवण कमंडल लेकर पानी लाने चला गया।
अयोध्या के राजा दशरथ को शिकार खेलने का शौक था। वे भी जंगल में शिकार खेलने आए हुए थे। श्रवण ने जल भरने के लिए कमंडल को पानी में डुबोया। बर्तन में पानी भरने की आवाज़ सुनकर राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पीने आया है। राजा दशरथ आवाज़ सुनकर, अचूक निशाना लगा सकते थे। आवाज के आधार पर उन्होंने तीर मारा। तीर सीधा श्रवण के सीने में जा लगा। श्रवण के मुँह से ‘आह’ निकल गई।

राजा जब शिकार को लेने पहुंचे तो उन्हें अपनी भूल मालूम हुई। अनजाने में उनसे इतना बड़ा अपराध हो गया। उन्होंने श्रवण से क्षमा माँगी।

“मुझे क्षमा करना ए भाई। अनजाने में अपराध कर बैठा। बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?” “राजन, जंगल में मेरे माता – पिता प्यासे बैठे हैं। आप जल ले जाकर उनकी प्यास बुझा दीजिए। मेरे विषय में उन्हें कुछ न बताइएगा। यही मेरी विनती है।” इतना कहते – कहते श्रवण ने प्राण त्याग दिए।

दुखी हृदय से राजा दशरथ, जल लेकर श्रवण के माता – पिता के पास पहुँचे। श्रवण के माता – पिता अपने पुत्र के पैरों की आहट अच्छी तरह पहचानते थे। राजा के पैरों की आहट सुन वे चौंक गए।

“कौन है? हमारा बेटा श्रवण कहाँ है?” बिना उत्तर दिए राजा ने जल से भरा कमंडल आगे कर, उन्हें पानी पिलाना चाहा, पर श्रवण की माँ चीख पड़ी-

“तुम बोलते क्यों नहीं, बताओ हमारा बेटा कहाँ है?”
“माँ, अनजाने में मेरा चलाया बाण श्रवण के सीने में लग गया। उसने मुझे आपको पानी पिलाने भेजा है। मुझे क्षमा कर दीजिए।” राजा का गला भर आया।

“हाँ श्रवण, हाय मेरा बेटा” माँ चीत्कार कर उठी। बेटे का नाम रो – रोकर लेते हुए, दोनों ने प्राण त्याग दिए। पानी को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। प्यासे ही उन्होंने इस संसार से विदा ले ली। सचमुच श्रवण कुमार की माता – पिता के प्रति भक्ति अनुपम थी। जो पुत्र माता-पिता की सच्चे मन से सेवा करते हैं, उन्हें श्रवण कुमार कहकर पुकारा जाता है। सच है, माता – पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।

कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढे माँ-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।

ईदगाह Summary in English

It was the day of ‘Eid festival, after the completion of Ramzan month. That day was pleasant and wonderful with enchanting nature. In that village the arrangements to go to Idgah were being made with much enthusiasm and fervour. The atmosphere of the village is luminous with religious righteousness.

The children were happier than others. They wanted to enjoy the celebration themselves. Of them, Mahmood had got 12 paise with him and Mohasin had got 15 paise with him. The children wanted to buy toys, eatables etc., with the money they had. A boy named Haamid seemed very happy on that day. He was a poor and innocent boy. He was a thin, five – year old boy. His father died of cholera whereas his mother died while absconding for some reason. Haamid was living with his grandmother Ameena. He would think that his father had gone for earning money and his mother had gone to bring some good things from Allahmiya. So he was very happy. He had no sandals for his feet. He wore an old and dirty cap. Yet, he was happy.

On that day, his grandmother Ameena who was left destitute sat in her small room and was weeping. There were no food grains to cook. She felt sorry for her grandson Haamid. Every child in the village was taking part in the celebrations along with his father. She too wanted to take Haamid to see the celebrations but she stayed at home thinking who would cook Semiya if she didn’t stay at home.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

The procession started from the village towards the idgah. Haamid convinced his grandmother and went along with other children. The crowds, clad in new clothes, reached the place where the ‘Eid’ celebration was to be held. No sooner did they finish Namaz, than they ran towards toyshops. Mohasin, Mahamood, Noore and Sammee bought toys they liked. But Haamid was observing the toys with desirous looks. He had got only 3 paise with him. Later, the children bought eatables for them. They asked Haamid if he had got any money with him and made fun of him. Haamid kept quiet.

Passing by the utensil shops, Haamid wanted to buy a spatula for his grandmother with the intention that her fingers wouldn’t burn while taking rotis from the pan. He asked the shopkeeper what its price was. The shopkeeper said that its price was 6 paise, Haamid got disappointed. Yes, he bargained with the shopkeeper over the price of it and bought it with 3 paise that he had got with him. He felt proud of buying the spatula and came to his friends keeping it on his shoulders like a gun. On seeing this his friends laughed at him.

When Haamid reached home, Ameena fondled him with affection. She was startled on seeing a spatula in this hand. She asked him why he had bought it without drinking or eating with the money he had. He said that he had bought it for her sake because she was burning her fingers while taking rotis from the pan. Her anger disappeared and she felt very happy that her grandson showed a great concern for her safety. She shed tears for the sacrifice he had done even at a tender age.

ईदगाह Summary in Telugu

రంజాన్ పూర్తి నెల రోజుల తర్వాత ఈ రోజే ఈద్ పండుగ వచ్చింది. ఎంత మనోహరం, ఎంత ఆహ్లాదకరమైన ప్రభాతం (ఉదయం). చెట్లపై అద్భుతమైన పచ్చదనం ఉన్నది. పంట పొలాలలో అద్భుతమైన కాంతి ఉన్నది. ఆకాశంలో అద్భుతమైన ఎర్రదనం ఉంది. ఈ రోజు సూర్యుణ్ణి చూడండి, ఎంత అందంగా, ఎంత చల్లగా ఉన్నాడో. ప్రపంచానికి ఈద్ శుభాకాంక్షలు తెలియజేయుచున్నట్లున్నాడు. ఈద్ గాహ్ కు వెళ్ళడానికి ఏర్పాట్లు జరుగుచున్నవి.

పిల్లలు అందరికంటే సంతోషంగా ఉన్నారు. మాటమాటకి జేబుల్లోని ఖజానా తీసి లెక్కలేసుకుంటున్నారు. మహమూద్ లెక్క వేసుకుంటున్నాడు – ఒకటి – రెండు – పది – పన్నెండు. అతని వద్ద 12 పైసలు కలవు. మొహసిన్ వద్ద 15 పైసలు కలవు. దీంతో లెక్కలేనన్ని వస్తువులు తెస్తా – బొమ్మలు, మిఠాయిలు, ఈలలు, బంతి మరియు లెక్కలేనన్ని. వీరందరికంటే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. అతడు అమాయక ముఖం కల 4 – 5 సం||ల బక్కపలుచని బాలుడు. తన తండ్రి గత సం||రం కలరా వల్ల చనిపోయెను. తల్లి కారణం తెలియకుండా ఎందుకో పాలిపోతూ ఒక రోజు చనిపోయింది. చివరికి ఇలా ఎందుకు జరిగిందో ఎవరికీ తెలియదు. ఆమె కూడా పరలోక ప్రాప్తి చెందినది.

ఇప్పుడు హామిద్ తన పేద అమీనా నానమ్మ ఒళ్ళో నిద్రపోతూ అంతే సంతోషంగా ఉన్నాడు. తన అబ్బాజాన్ డబ్బు సంపాదించడానికి వెళ్ళాడు. అమ్మీజాన్ అల్లామియా ఇంటి నుండి అతనికి చాలా మంచి మంచి వస్తువులను తేవడానికి వెళ్ళింది. అందుకే హామిద్ చాలా సంతోషంగా ఉన్నాడు. హామిద్ కాళ్ళకు చెప్పులు లేవు. తలపై ఒకపాత టోపి ఉంది. అది కూడా నల్లగా మాసిపోయి ఉంది. అయినప్పటికీ అతడు సంతోషంగా ఉన్నాడు.

అభాగ్యురాలైన (నిర్భాగ్యురాలు) అమీనా తన చిన్న గదిలో కూర్చుని ఏడుస్తూ ఉంది. ఈ రోజే ఈద్ పండుగ రోజు. తన ఇంటిలో తిండి గింజలు కూడా లేవు. కానీ హామిద్ ! అతని లోపల ప్రకాశం ఉంది. బయట ఆశాకిరణం ఉంది. హామిద్ లోపలికి వెళ్ళి నానమ్మతో ఈ విధంగా అంటున్నాడు నీవేమి భయపడవద్దమ్మా ! నేను అందరి కంటే ముందలే వస్తా. ఏమీ భయపడవద్దు”.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

అమీనా హృదయం చివుక్కుమంటోంది. గ్రామంలోని పిల్లలు తమ తండ్రులతో వెళ్ళుతున్నారు. హామిద్ కి అమీనా తప్ప ఎవరున్నారు ? గుంపులో నుండి పిల్లవాడు ఎక్కడన్నా తప్పిపోతే ఏమవుతుంది? మూడు కోసుల దూరం ఎలా నడుస్తాడు ? పాదాలకు బొబ్బలెక్కుతాయి. చెప్పులు (బూట్లు) కూడా లేవాయె. పోనీ నేను కొంచెం దూరం వెళ్ళి, కొంచెం దూరం ఎత్తుకుని నడిస్తే బాగానే ఉంటుంది. కానీ ఇక్కడ సేమియా వండేది ఎవరు ? డబ్బులుంటే తిరిగి వచ్చేటప్పుడు అన్ని సరుకులు తీసుకువచ్చి, తయారుచేయవచ్చు.

గ్రామం నుండి తిరునాల (ఉత్సవం, ఊరేగింపు) బయలుదేరింది. పిల్లలతో హామిద్ వెళ్ళుచున్నాడు. పట్టణానికి చెందిన పర్వత శిఖర దిగువభాగం వచ్చింది. రోడ్డుకిరువైపులా ధనవంతుల తోటలున్నాయి. పెద్ద – పెద్ద ఇళ్ళు (కట్టడాలు), కోర్టులు, కాలేజీ, క్లబ్బు, ఇళ్ళు మొదలగునవన్నీ కనబడుతున్నవి. ఈ గాహ్ కు వెళ్ళే గుంపులు కన్పిస్తున్నాయి. ఒకరిని మించి మరొకరు విలువైన (ఖరీదైన) వస్త్రాలను ధరించియున్నారు. ఒక్కసారిగా ఈద్ గాప్ కన్పించింది. అక్కడే ఈద్ తిరునాల (ఉత్సవం) కన్పించింది. నమాజు పూర్తి కాగానే పిల్లలందరూ మిఠాయిలు ఆటబొమ్మల దుకాణాలపై విరుచుకుపడ్డారు. హామిద్ దూరంగా నిలబడి ఉన్నాడు. అతని వద్ద కేవలం మూడు పైసలు మాత్రమే ఉన్నాయి.

మొహసిన్ నీళ్ళు మోసే అమ్మాయి బొమ్మ కొంటాడు, మహమూద్ సిపాయి బొమ్మ కొంటాడు, నూరే లాయర్ బొమ్మను, సమ్మీ “చాకలి” (బట్టలు ఉతికే మనిషి) బొమ్మను కొంటారు. హామిద్ ఆశాపూర్వక దృష్టితో ఆ బొమ్మలను చూస్తాడు. అతడు తన్ను తానే ఈ విధంగా నచ్చచెప్పుకుంటున్నాడు. “అవన్నీ మట్టి బొమ్మలేగా. క్రిందపడితే పగిలిపోతవి” తర్వాత మిఠాయి దుకాణాలు వస్తాయి. ఒకరు మిఠాయి ఒకరు సోహన్ హల్వా, ఒకరు గులాబ్ జామున్, మరొకరు నువ్వుల జీడి కొన్నారు. మొహసిన్ ఒరే హామిద్ నువ్వుల జీడీలు తీసుకోరా ఎంత సువాసనగా ఉన్నాయో అని అన్నాడు. అప్పుడు హామిద్ ఉంటే ఉండనీయి. నా దగ్గర డబ్బులు లేవా ఏంటి ? అని అన్నాడు. అప్పుడు సమ్మీ ‘అబ్బో నీ దగ్గర మూడు పైసలేగా ఉన్నాయి. “మూడు పైసలతో ఏమేమి కొంటావ్?” అని ప్రశ్నించాడు. హామిద్ మౌనంగా ఉండిపోయాడు.

మిఠాయిల తర్వాత లోహపు పాత్రలు అమ్మే దుకాణాలు వస్తాయి. అక్కడ ఎన్నో అట్లకాడలు ఉన్నాయి. వాటిని చూడగానే “నానమ్మ దగ్గర అట్లకాడ లేదు. రొట్టెలు కాల్చేటప్పుడు చేతివేళ్ళు కాలుతున్నాయి. అనే విషయం హామిదకు గుర్తుకు వస్తుంది. ఒకవేళ అట్లకాడ కొని తీసుకువెళ్ళి నానమ్మకు ఇస్తే ఎంత సంతోషిస్తుంది ? మరల తన వేళ్ళు ఎప్పటికీ కాలవు కదా! నానమ్మ ఈ అట్లకాడ చూడగానే పరుగున వచ్చి నా దగ్గర నుండి లాక్కుని “నా కొడుకు నా కోసం అట్లకాడ తెచ్చాడు అని అంటుంది. దాన్ని ఇరుగు – పొరుగు ఆడవాళ్ళకు చూపుతుంది. వేలకొలది దీవెనలిస్తుంది. గ్రామం అంతా ఈ విషయం పై చర్చ జరుగుతుంది. హామిద్ అట్లకాడ తెచ్చాడు. ఎంత మంచి పిల్లవాడు. పెద్దల దీవెనలు సరిగ్గా అల్లా కోర్టుకి చేరతాయి. వెంటనే దేవుడు వింటాడు.’ అని అనుకుంటాడు. హామిద్ దుకాణదారుణ్ణి అట్లకాడ వెల ఎంత అని అడుగుతాడు దాని ధర “6” (ఆరు) పైసలు అని విన్న హామిదకు గుండె జారిపోతుంది.
కోరులు ప్వత శిఖర దిగువభారం ఉత్సవం, ఊరేగింపు

గుండె ధైర్యం తెచ్చుకుని హామిద్ “3” పైసలకిస్తావా? అని అడుగుతాడు. దుకాణదారుడు అలానే ఇస్తాడు. హామిద్ దానిని తుపాకీలా భుజంపై పెట్టుకుని గర్వంతో తన స్నేహితుల దగ్గరకు వస్తాడు. అప్పుడు స్నేహితులంతా ఎగతాళిగా “ఈ అట్లకాడ ఎందుకు తెచ్చేవురా, పిచ్చివాడా, దీన్ని ఏం చేసుకుంటావ్?” అని అంటారు, ఎగతాళి (హేళన) చేస్తారు.
ఇంటికి రాగానే అమీనా, హామిద్ మాట విని పరుగెత్తుకుంటూ వచ్చి ఒడిలోకి తీసుకుంటుంది. ప్రేమతో, ఒక్కసారిగా అతని చేతిలోని అట్లకాడ చూసి ఉలిక్కిపడుతుంది. ‘ఈ అట్లకాడ ఎక్కడిది? “తిరునాలలో కొన్నానమ్మా’ – ఎన్ని పైసలకు? మూడు పైసలకు.
అమీనా తన తలపై చేయి పెట్టుకుని బాధతో ఈ తెలివి తక్కువ పిల్లగాడెక్కడోడమ్మా? మధ్యాహ్నమైంది. ఏమీ తినలేదు. త్రాగలేదు. అట్లకాడ తెచ్చాడట. తిరునాల్లో ఇంకా నీకు ఏమి కన్పించలేదటగా, ఈ ఇనుప అట్లకాడ తెచ్చావు? అని అంది. అప్పుడు అపరాధభావంతో హామిద్ “అమ్మా పెనం మీద నుండి రొట్టెలు తీసేటప్పుడు నీ వేళ్ళు కాలుతూ ఉంటే చూడలేకపోతున్నానమ్మా! అందుకే తెచ్చాను’ అని చెప్పెను.
అమీనా కోపం వెంటనే స్నేహంగా మారిపోయింది. అది మూగస్నేహం. పిల్లల్లో ఎంత త్యాగం, ఎంత సద్భావన, ఎంత వివేకం ఉంటుంది. ఇతరులు ఆటబొమ్మలు కొనడం, మిఠాయిలు తినడం చూసి తన మనస్సు ఎంత ఆశకు గురి అయి ఉంటుంది ? అప్పుడు కూడా ఈ ముసలి నానమ్మ గుర్తుకు వచ్చింది. అమీనా మనస్సు గద్గదమై పోయినది. చేతులు జోడించి హామీద ను ఆశీర్వదిస్తూ కళ్ళవెంబడి పెద్ద పెద్ద కన్నీటి బిందువులను రాలుస్తుంది. హామిదకు దీని రహస్యం ఏమి అర్థమవుతుంది?

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने क्या कहा?
उत्तर:
मेले में हामिद द्वारा खरीदे गये चिमटे को देखकर अमीना ने कहा “यह कैसा बेसमझ लडका है कि दोपहर हुई, कुछ खाया न पिया । लाया, क्या, चिमटा ! सारे मेले में तुझे और कोई चीज़ न मिली, जो यह लोहे का चिमटा उठा लाया।”

प्रश्न 2.
लेखक ‘प्रेमचंद’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लेखक प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है। आपका जन्म 31 जुलाई 1880 को काशी में हुआ। गरीब परिवार के प्रेमचंद ने कई कष्टों को झेलते अपना विद्याध्ययन पूरा किया। हिंदी में आपने लगभग एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की। इनकी कहानियाँ प्रभावशाली और रोचक हैं। उनमें पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि प्रमुख हैं। अपने उपन्यासों में आपने सामाजिक कुरीतियों का खंडन किया। हिंदी साहित्य में आप उपन्यास सम्राट के नाम से मशहूर हुए हैं।

प्रश्न 3.
त्यौहार के दिन बच्चे अधिक खुश होते हैं। क्यों?
उत्तर:
त्यौहारों के समय बच्चे निम्नलिखित कारणों से अधिक खुश होते हैं –

  • बच्चों के माँ – बाप उनके लिए नये – नये कपडे लेते हैं।
  • घरों में अच्छे – अच्छे पकवान बनाते हैं। मित्र, बंधु – बांधव आदि से घर भर जाते हैं।
  • त्यौहारों के समय मेले – उत्सव आदि मनाये जाते हैं। इनमें भाग लेने के लिए बच्चे बहुत उत्सुक रहते हैं।

प्रश्न 4.
अमीना, हामिद का पालन – पोषण कैसे करती होगी?
उत्तर:
यह प्रश्न ईदगाह नामक कहानी पाठ से दिया गाय है। इसके लेखक मुंशी प्रेमचंद है। अमीना, हामिद को अपनी गोदी में सुलाती है। वह हामिद को बहुत प्रेम से देखा करती थी। वह अपनी असहायता से चिंतित थी। भीड़ में हामिद को अकेले भेजने पर डरती थी। घर में दाना तक न होने पर भी, हामिद को मेले में खरीदने के लिए तीन पैसे दिये। उसे अपने से भी.ज्यादा हामिद पर प्रेम था। वही उसके लिए माँ – बाप बन चुकी थी।

प्रश्न 5.
हामिद का चिमटा खरीदना कहाँ तक उचित है? – अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
हामिद का चिमटा खरीदना उचित है। क्योंकि उसकी दादी बूढ़ी हो गयी है। तवे से रोटियाँ उतारते समय उसकी उँगलियाँ जल जाती थीं। इससे दादी को बहुत पीड़ा होती थी। उन्हें इस पीड़ा से बचाने के लिए ही हामिद ने चिमटा खरीदा।

प्रश्न 6.
ईद के दिन हामिद बहुत खुश था। क्यों?
उत्तर:
हामिद भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था। उसके माँ – बाप बीमारी के कारण चल बसे थे। वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लालन – पालन में था। उससे कहा गया था कि उसके बाप’ रूपये कमाने गये हैं और माँ अल्लाह मियाँ के घर से उसके लिए बहुत सी अच्छी चीजें लाने गयी है। आशा तो बडी चीज है और प्यारी होती है। हामिद अपने मित्रों के साथ ईदगाह जाना चाहता था। इसलिए ईद के दिन हामिद बहुत खुश था।

प्रश्न 7.
प्रेमचंद के जीवन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
प्रेमचंद का जन्म काशी में 31 जुलाई, 1880 को एक गरीब परिवार में हुआ। इनके बचपन का नाम धनपतराय श्रीवास्तव था। उन्हें उपन्यास सम्राट और कहानी सम्राट भी कहते हैं। गोदान, गबन, सेवासदन, निर्मला, कर्म भूमि, कायकल्प, प्रतिज्ञा और मंगल सूत्र आदि उपन्यास हैं। । पंचपरमेश्वर, बड़े घर की बेटी, कफ़न आदि कहानियाँ हैं।

प्रश्न 8.
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
मेले में तरह – तरह की चीज़ों को देखकर भी हामिद ने चिमटा ही खरीद लिया । क्योंकि उन्हें अपनी दादी अमीना का ख्याल आता है कि जब वह रोटियाँ तवे पर से उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाने लगीं। उसे देखकर वह नहीं रह और सह सका । उसका दिल कोमल है।

प्रश्न 9.
ईद के मेले में कौन – कौन सी चीजें बालकों के मन को छूगयी?
उत्तर:
ईद के मेले में भिश्ती, सिपाही वकील, धोबिन आदि खिलौने जो मिट्टी से बने हैं और लोहे से बने हैं वे बालकों के मन को छू गयी। उसी प्रकार खाने की चीज़ रेवडियाँ गुलाबजामुन, सोहन हलवा आदि छूगयी।

प्रश्न 10.
हामिद के स्थान पर दादी होती तो क्या खरीदती?
उत्तर:
हामिद के स्थान पर दादी होती तो हामिद के लिए जूते खरीदती । क्योंकि हामिद के पैरों में जूते नहीं हैं। जब वह बाहर चलता है तो उसके पैरों में चप्पल न होने के कारण पैरों में छाले पडते हैं ।

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प्रश्न 11.
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो क्या – क्या खरीदता?
उत्तर:
हामिद के पास और ज्यादा पैसे होते तो वह अपने लिए खिलौने, खाने के लिए मिठाइयाँ आदि अन्य लडकों की तरह खरीदता | इतना ही नहीं कि सिर पर पहनने सफ़ेद टोपी, पैरों के लिए जूते आदि भी खरीदता।

प्रश्न 12.
हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने क्या कहा?
उत्तर:
हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीद लाया । हामिद के हाथ में चिमटा देखकर दादी ने पूछा कि यह चिमटा कहाँ से लाये हो? बालक हामिद ने जवाब दिया कि मैं इसे मोल कर लाया हूँ अम्मा । तब उसे दुख हुआ कि कुछ खाये न पिये हामिद दोपहर तक खाली पेट रहकर अपने लिए चिमटा लाया । अमीना का मन गदगद् हो गया और उसे दुआएँ दी।

प्रश्न 13.
चिमटे का दाम सुनकर हामिद का दिल क्यों बैठ गया?
उत्तर:
मेले में हामिद अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए लोहे की चीजों की दुकान में चिमटा खरीदना चाहा । उस के पास केवल तीन ही पैसे थे । दुकानदार से चिमटे का दाम पूछने पर उसने बताया कि चिमटे का दाम ‘छः पैसे हैं । इसलिए कीमत सुनकर हामिद का दिल बैठ गया ।

प्रश्न 14.
हामिद के स्थान पर आप होते तो दादी से कैसा व्यवहार करते?
उत्तर:
हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला भोला – भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे है। बूढ़ी दादी अमीना ही उसकी देखभाल करने लगी है। हामिद बडों के प्रति आदर भाव रखनेवाला अच्छा लडका है। अपनी दादी के प्रति वह बडी श्रद्धा दिखाता है। ऐसे हामिद के स्थान पर मैं होता तो दादी से नम्र व्यवहार करता। उस की हर बात मान लेता। उसके कहे अनुसार चलने की कोशिश करता। उसे किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचाने का प्रयत्न करके | उसे खुश और सुंतष्ट रखता।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हामिद के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका हैं।
  • उसके माँ – बाप दोनों मर जाते हैं।
  • वह अपनी दादी अमीना का गोद में बढ़ता है।
  • उस में त्याग, सेवा, निस्वार्थ, बड़े बुजुर्गों के प्रति आदर भाव, स्नेह भाव, श्रद्धा भाव आदि भरपूर हैं।
  • वह अपनी बूढ़ी दादी अमीना के लिए एक चिमटा खरीदता है।
  • उस में सद्भाव और विवेक भी है।

प्रश्न 2.
हामिद के ईदगाह जाने के विषय को लेकर अमीना क्यों परेशान थी?
उत्तर:

  • हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका था।
  • हामिद के माँ – बाप मर गये थे। * वह गरीब लडका था।
  • वह बेसमझ लडका था। उसके सिर पर पुरानी फटी टोपी थी।
  • उसके पाँवों में जूते भी नहीं थे। मेला जाने तीन कोस पैदल चलना था।
  • उसके पैरों में छाले पड़ जायेंगे। गाँव के बच्चे अपने पिता के साथ जा रहे हैं।
  • हामिद का अमीना के सिवा कौन है? * भीड़ में बच्चा कहीं खोगया तो क्या होगा?
  • उपर्युक्त इन सारे अंशों के कारण अमीना परेशान थी ।

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प्रश्न 3.
अमीना का मन क्यों गद्गद् हो गया?
उत्तर:

  • हामिद बूढ़ी दादी अमीना के लिए मेले में तीन पैसों से चिमटा खरीदकर लाता है।
  • उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । उनके सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदते हैं।
  • हामिद अपनी दीदी अमीना रोटियाँ तवे से उतारते वक्त जलती उंगलियों को याद करके उसके लिए
  • चिमटा खरीदकर ले जाता है । * वह दुपहर तक खाली पेट रहता है । वह कुछ खाता – पीता तक नहीं ।
  • इसलिए अपने प्रति हामिद का प्यार, श्रद्धा, प्रेम और निस्वार्थ भावना को देखकर बूढी दादी अमीना का मन गद्गद् हो गया ।

प्रश्न 4.
मेले में कौन – कौन सी चीजें बिकती हैं?
उत्तर:

  • मेले में तरह – तरह की चीजें बिकती हैं।
  • मेले में खेलने खिलौने बिकती हैं । मिट्टी के खिलौने, लकडी के खिलौने, लोहे के खिलौने आदि कई प्रकार के खिलौने बिकती हैं।
  • इनके अलावा खाद्य पदार्थ जैसे रेवडियाँ, हलवा, तरह – तरह की मिठाइयाँ, गुलाबजामून आदि भी बिकती हैं।
  • मेले में इनके अलावा लोहे के सामान बेचनेवाले दूकान भी हैं जहाँ लोहे के सामान बिकते हैं ।
  • इनके अलावा बच्चों के लिए ‘हिमक्रीम’ (आईसक्रीम) भी बिकती है |

प्रश्न 5.
हामिद की निस्वार्थ भावना को कहानी के आधार पर बताइए ।
उत्तर:

  • हामिद भोला – भाला चार – पाँच साल का दुबला बालक है।
  • उसमें बड़ों के प्रति आदर की भावना है ।
  • बुजुर्गों के प्रति आदर, श्रद्धा, भक्ति, प्रेम, निस्वार्थ भावना, सेवा की प्रेरणा आदि हम हामिद में देख सकते हैं ।
  • हामिद में बड़ों के प्रति प्रेम तथा श्रद्धा के साथ – साथ नम्र भाव भी हैं ।
  • मेले में जब सारे दोस्त तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं और तरह – तरह की मिठाइयाँ खरीदकर खाते हैं तब हामिद उन्हें देखते भी ललचाता नहीं बल्कि अपने पास के तीन पैसों से बूढी दादी अमीना के लिए चिमटा खरीदकर ले जाता है ।
  • उसे ख्याल आता है कि उसकी बूढ़ी दादी अमीना जब तवे पर से रोटियाँ उतारती तब उसकी उंगलियाँ जल जाती है । इसे देख वह नहीं रह सकता और सह सकता ।
  • इससे हमें मालूम होता है कि हामिद में निस्वार्थ भावना है ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“नैतिक मूल्य भारतीय जीवन के प्रतिबिंब है।” ईदगाह कहानी के द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • भारतीय जीवन में नैतिक मूल्यों की महत्त्व है।
  • ईदगाह एक कहानी है। उसके लेखक प्रेमचंद है।
  • इस कहानी में एक छोटे से बालक हामिद के बारे में मार्मिक चित्रण है।
  • ईद के दिन हामिद ईदगाह जाता है।
  • दादी अमीना हामिद को तीन पैसे देती है।
  • हामिद मेले में मोल – तोल कर चिमटा खरीदता है।
  • हामिद को दादी की याद आती है।
  • दादी की उँगलियाँ जल जाती हैं तो वह देख नहीं पाता। – सहानुभूति, करुणा, त्याग आदि भावों से उसका दिल भरा हुआ है।
  • पोते के संस्कारों को देखकर दादी पुलकित हो जाती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 2.
‘ईदगाह’ कहानी नैतिक मूल्यों का प्रतिबिंब है। सिद्ध कीजिए।
(या)
ईदगाह के मेले को दृष्टि में रखकर बताइए कि हामिद अपने साथियों से किस तरह अलग स्वभाव का लड़का है?
उत्तर:
उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी की सफल एवं असरदार कहानी है ईदगाह। यह आदर्शयुक्त, यथार्थवादी भावनाओं से भरपूर है। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास करना इस कहानी का खास आशय है। बडे बुजुर्गों के प्रति आदर भाव रखने पर जोर दिया गया है।

हामिद चार – पाँच साल का दुबला – पतला – भोला भाला लडका है। उसके माँ – बाप चल बसे हैं। अपनी बूढी दादी अमीना की देखभाल वह करने लगा है। हामिद एकदम अच्छा और आशावान लडका है। उसके पैरों में जूते तक नहीं है।

आज ईद का दिन है। सारा वातावरण सुंदर और सुखदायी है। महमूद, मोहसिन ,नूरे, सम्मी हामिद के दोस्त हैं। सब बच्चे अपने पिता के साथ ईदगाह जानेवाले हैं। हामिद भी ईद की खुशियाँ मना रहा है। हामिद भी ईदगाह जाना चाहता है तो अमीना उसे अकेले भेजने डरने लगती है। इस पर हामिद उसे जल्दी आने की बात कहकर उसे धीरज बँधाता है। तब अमीना उसे तीन पैसे देकर ईदगाह भेजने राजी होती है।

सब लडके तीन कोस की दूरी पर स्थित ईदगाह पैदल जाते हैं। वहाँ नमाज़ के समाप्त होते ही सब बच्चे अपने मनपसंद खिलौने और मिठाइयाँ खरीदकर खुश रहते हैं। हामिद तो मिठाइयों को ललचाई आँखों से देखता है, मगर चुप रह जाता है। बाद लोहे की दूकान में अनेक चीजों के साथ चिमटे भी रखे हुए हैं। चिमटे को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि दादी के पास चिमटा नहीं है इसलिए रोज़ तवे से रोटियाँ उतारते उसके हाथ जल जाते हैं। वह सोचता है कि चिमटा ले जाकर दादी को देगा तो वह बहुत प्रसन्न होगी और उसके हाथ भी नहीं जलेंगे।

ऐसा सोचकर वह दुकानदार को तीन पैसे देकर चिमटा खरीदता है। सब दोस्त उसका मजाक उडाते हैं। इसकी परवाह न करके वह गर्व के साथ घर आकर दादी को चिमटा देता है तो पहले दादी नाराज़ होती है मगर हामिद के तुम्हारी उंगलियाँ जलती थी न इसलिए मैं इसे लिया लाया कहने पर उसका क्रोध प्रेम में बदल जाता है। हामिद के दिल के त्याग, सद्भाव और वियेकगुण से उसका मन गदगद होता है। खुशी के आँसू बहाती हामिद को दुआएँ देती हैं।

इस तरह ईदगाह के मेले की इस घटना दृष्टि में रखकर हम कह सकते हैं कि हामिद छोटा है फिर भी विवेक में, प्रेम में अपने साथियों से अलग स्वभाव का लडका है।

प्रश्न 3.
निर्धन लोग ईद – त्यौहार कैसे मनाते हैं? ‘ईदगाह’ कहानी को दृष्टि में रखकर उत्तर दीजिये।
उत्तर:
ईदगाह कहानी के कहानीकार श्री प्रेमचंद है। इनका जन्म सन् 1880 में हुआ। इन्होंने एक दर्जन उपन्यास और तीन सौ से अधिक कहानियों की रचना की।

त्यौहार मानव जीवन में खुशी और सजगता लाते हैं। खुशियाँ बाँटने में धनी और निर्धन का भेद – भाव नहीं। लेकिन अपने – अपने स्थाई के अनुसार वे त्यौहार मनाते हैं।

ईद का मूलमंत्र यह है कि ईद केवल खुशी मनाने का नहीं बल्कि खुशियाँ बाँटने और लोगों को खुशी में शामिल करने का दिन है। खुशी में पूरे समाज विशेष रूप से उन लोगों को शामिल किया जाना ” चाहिए। जो इसे खुशी के रूप में मनाने में असमर्थ होते हैं। इसलिए ईदगाह कहानी में हामिद निर्धन होने पर भी अधिक प्रसन्न था।

ईद का त्यौहार माने नये कपडे पहनकर खुशबू लगाकर ईदगाह के लिए घर से निकलना, नमाज़ के बाद एक-दूसरे से गले मिलना, ईद की मुबारक बात देना, अपने परिवार और मित्रों के साथ सैर – सपाटे पर निकल जाना ईद के दिन की यह परंपरा वर्षा से नहीं। सदियों से चला आ रहा है। कहानी में भी हामिद नमाज़ के बाद अपने मित्रों से गले मिलकर, सैर – सपाटे पर निकले तो उसके मित्र तरह – तरह के खिलौने खरीदते हैं।

यह त्यौहार भाईचारे का प्रतीक है। सभी इस दिन गले मिलते हैं। शतृता भूलकर मित्र बन जाते हैं। इस दिन न कोई छोटा होता है न बडा, न कोई धनी होता है। और न निर्धन। इस दिन बच्चे अपने निर्धनता पर ख्याल नहीं रखते । लेकिन हामिद जैसे कुछ बच्चे अपने निर्धनता को ख्याल में रखकर खेल – तमाशों तथा झूले का आनंद लेना, खिलौने खरीदना और भांति – भांति की मिठाइयों का आनंद लेते हैं। नये वस्त्र सिलवाते हैं।

ईद भ्रातृभाव का त्यौहार है। ईद-उल-फ़ितर के दौरान नमाज़ पढ़ने के बाद मीठी सेवाइयाँ खाई जाती हैं। इसलिए हामिद की दादी घर में कुछ पकाने का सामान न होने से सेवाइयाँ लाने के बारे में सोचती है।

ईद के दिन हर मुसलमान ईदगाह जाने के पहले “फ़ित्रा “के रूप में एक निश्चित राशी अल्लाह के राह में खर्च करता है ताकि निर्धन व असहाय लोग भी ईद के खुशियों में शामिल हो सकें।

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प्रश्न 4.
अपने मित्रों द्वारा तरह- तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही क्यों खरीदा?
उत्तर:
अपने मित्रों द्वारा तरह – तरह के खिलौने और मिठाइयाँ खरीदे जाने पर भी हामिद ने चिमटा ही खरीदता है – क्योंकि हामिद की दादी के पास चिमटा नहीं है। जब तवे से रोटियाँ उतार थी तो हाथ जल जाते थे। अगर वह चिमटा खरीदकर दादी के लिए ले जाता, तो वह बहुत प्रसन्न होगी। उनकी उँगलियाँ .. भी नहीं जलेंगी। उसकी प्रशंसा करके उसे दुआएँ देगी। ऐसा सोचकर वह चिमटा खरीदा। हामिद के. अंदर त्याग, सद्भाव और विवेक, प्रेम जैसे गुण विद्यामान थे। बड़ों के प्रति आदर भाव भी था। इसिलिए । वह अपने साथियों को खिलौने खरीदते या मिटाइयाँ खरीदते देखकर भी उसका मन नहीं ललचाया है। बल्कि बह तीन पैसों से चिमटा खरीदता है, उसमें निस्वार्थ भाव था। इसिलिए वह चिमटा ही खरीदा।

प्रश्न 5.
दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को दर्शानेवाली कहानी के बारे में आप क्या जानते हैं?
(या) अपनी
पाठ्यपुस्तक में से मानवीय मूल्यों को प्रतिबिंबित कहानी के बारे में लिखिए ।
उत्तर:
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है । ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा । उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं। सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है । तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं |

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है । वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

प्रश्न 6.
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को किस प्रकार दर्शाया?
उत्तर:
चिमटे के द्वारा प्रेमचंद ने दादी और पोते के मार्मिक प्रेम को इस प्रकार दर्शाया :
रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद आज ईद आयी है | ईदगाह जाने की तैयारियाँ हो रही हैं । लडके सबसे ज़्यादा प्रसन्न हैं । हामिद भी ज़्यादा प्रसन्न है । वह भोली सूरत का चार – पाँच साल का दुबला – पतला लडका है । उसके माँ – बाप दोनों चल बसे ।

हामिद अपनी बूढी दादी अमीना के लालन – पोषण में रहता है । ईद का दिन होने के नाते हामिद आज बहुत प्रसन्न है । आज वह मेले के साथ ईदगाह जाना चाहता है । उसके पैरों में जूते तक नहीं । तीन कोस पैदल ही चलना पडता है । इसलिए दादी अमीना को बडा दुख हुआ ।

हामिद कैसा ठहर सकता है । वह ईदगाह की ओर चल पडा | उसके जेब में केवल तीन पैसे हैं । नमाज़ खत्म हो गयी । लोग आपस में गले मिल रहे हैं । सब मिठाई और खिलौनों के दूकानों पर धावा करने लगे।

हामिद के दोस्त मिठाइयाँ और खिलौने खरीदते उसे ललचाने पर भी वह चुप रह गया । उसके पास केवल तीन ही पैसे हैं । वह लोहे की चीज़ों के दुकान के पास ठहर जाता है । उसे ख्याल आता है कि दादी के पास चिमटा नहीं है | तवे से रोटियाँ उतारती है तो हाथ जल जाते हैं ।

अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को दे दे-तो वह कितनी प्रसन्न होगी ? यह सोचकर हामिद तीन पैसों से चिमटा खरीदकर दादी को देने तैयार होता है । हामिद के दोस्तों ने उसका मज़ाक किया ।

अमीना चिमटा देखकर हामिद के त्याग, सद्भाव और विवेक पर मुग्ध हो जाती है। वह प्रेम से गदगद हो जाती है । वह हामिद को दुआएँ देती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

प्रश्न 7.
हामिद की निस्वार्थ भावना को पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अपनी दादी के प्रति हामिद की भावनाएँ संवेदनशील थीं। हामिद चार – पाँच साल का भोली सूरत वाला बालक है। उसके माता – पिता इस दुनिया में नहीं है। उसका एक मात्र सहारा उसकी दादी है। जो कि बहुत ही गरीब है। ईद के दिन भी उसके घर में अन्न का एक दाना तक नहीं है। दादी बड़ी मुश्किल से तीन पैसे जुटा कर देती है हामिद को । ईदगाह जाकर सब बच्चे तरह – तरह के खिलौने, मिठाइयाँ आदि खरीदते हैं। हामिद का मन भी ललचाता है । किंतु वह तुरंत अपने मन को समझा लेता है कि ये मिट्टी के खिलौने हैं। जो गिरकर चकनाचूर हो जायेंगे और मिठाई खाने से क्षणिक खुशी मिलेगी। इससे कोई फायदा नहीं है। लोहे की दुकान पर चिमटों को देखकर हामिद को अपनी दादी का ख्याल आता है। क्योंकि उसके घर में चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय दादी की उँगलियाँ जल जाती थीं। उन्हें बहुत पीडा होती थी। दादी की पीड़ा को दूर करने के लिए उनकी खुशी के लिए ही हामिद ने तीन पैसे देकर चिमटा खरीदा। ताकि दादी को खुशी हो और सुख मिले।

दादी के प्रति निस्वार्थ, त्याग, सद्भावना, प्रेम, विवेक, आदर, श्रद्धा, संवेदनशील, कर्तव्य परायण आदि भावनाएँ हामिद में हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 10 नीति दोहे Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

10th Class Hindi Chapter 10 नीति दोहे Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 58)

प्रश्न 1.
कवि ने बिना फलवाले वृक्षों के विषय में क्या कहा है?
उत्तर:
कवि ने कहा है कि बिना फलवाले वृक्ष व्यर्थ ही अपनी अकड़ (घमंड) दिखाते हैं।

प्रश्न 2.
फलदार वृक्ष की विशेषता बताइए।
उत्तर:
फलदार वृक्ष की यह विशेषता है कि वे धरती तक नम (झुक) जाते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 3.
बुलबुल और कौए में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बुलबुल की बोली मीठी होती है पर कौए की बोली मीठी नहीं होती। बुलबुल और कौए में यही अंतर है।

InText Questions (Textbook Page No. 59)

प्रश्न 1.
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
उत्तर:
रहीम के अनुसार सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है।

प्रश्न 2.
‘साँचे’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
“साँचे” शब्द का अर्थ है “सच्चे”।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 3.
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून – पंक्ति का भाव बताइए।
उत्तर:
पानी (इज्जत) के बिना मनुष्य, पानी (कांति) के बिना मोती और पानी (जल) के बिना चूना व्यर्थ हैं या बेकार है।

प्रश्न 4.
किसके मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है?
उत्तर:
सोने के मिलने पर मनुष्य पागल हो जाता है। धन या सोने में अधिक मादकता होती है। उसे पाते ही मनुष्य घमंडी बन जाता है।

प्रश्न 5.
बिहारी ने नर की तुलना किससे की है?
उत्तर:
बिहारी ने नर की तुलना नल के नीर से की है।

प्रश्न 6.
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को कैसा होना चाहिए?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार व्यक्ति को नम्र या विनयशील होना चाहिए।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
नीति वचनों का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:

  • नीति वचनों के प्रभाव से हमारे जीवन में और आचार – विचार में अवश्य परिवर्तन आते हैं।
  • नैतिक गुणों के विकास के द्वारा ही हम अच्छे – बुरे, सही – गलत में भेद कर सकते हैं।
  • विष्णुशर्मा के पंच – तंत्र की नैतिक कहानियों से हमें यह पता चल रहा है कि राज कुमारों के जीवन में परिवर्तन आया है।
  • समाज परिवर्तकों के नीति वचनों के प्रभाव एवं कार्य से ही समाज के आचार – विचारों में भी परिवर्तन आया है।
  • उदाहरण के लिए एक जमाने पर समाज में सती – प्रथा, बाल्य विवाह आदि थे। लेकिन समाज सुधारकों
    (परिवर्तकों) के नीति वचनों के कारण आजकल के समाज में वे सब गायब होगये।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 2.
वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं है? क्यों?
उत्तर:
वस्तु सेवाओं को उपयोग करने को ही अर्थशास्त्र की परिभाषा में वस्तु विनियोग कहते हैं।

वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उनसे अधिक या ज्यादा वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं हैं। क्योंकि वस्तुओं की उत्पत्ति कम मात्रा में होती है। उसका विनियोग करने वाले तो अधिक मात्रा में रहते हैं। इसलिए वस्तुओं की कमी होती है। इसका और एक कारण आबादी बढ़ना भी है। इस कारण से एक प्रकार का होड़ जनता के बीच में उस वस्तु के लिए होता है। इस स्थिति में एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक या उचित नहीं है।।

आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए।

प्रश्न 1.
पाठ से ‘ध्वनि साम्य’ वाले शब्द चुनकर लिखिए। जैसे : रीत, मीत
उत्तर:
सून – चून ; जेतौ – तेतौ ; जोइ – होइ

प्रश्न 2.
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग कितनी बार हुआ है। उसके अलग – अलग अर्थ क्या हैं?
उत्तर:
रहीम के दोहे में “पानी” शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है। “पानी” शब्द के अलग – अलग अर्थ इस प्रकार
1. कांति → मोती के लिए चमक या कांति की आवश्यकता है।
2. इज्ज़त (आदर) → मनुष्य के लिए इज्ज़त या आदर भाव की आवश्यकता है।
3. जल → चूने के लिए जल की आवश्यकता है।

इ) भाव स्पष्ट कीजिए।

1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव : इस दोहे में कविवर रहीम “पानी” शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करते हुए कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना ये तीन व्यर्थ व निरुपयोग हैं। पानी के तीन अर्थ ये हैं – इज्जत, चमक और जला कविवर रहीम बताते हैं कि इज्जत या आदर के बिना मनुष्य, चमक या चमक के बिना मोती, जल के बिना चूना व्यर्थ तथा निरुपयोग हैं। इसलिए इन तीनों की रक्षा होनी चाहिए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

2. कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ।
भाव : कविवर बिहारी इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा के बारे में वर्णन करते हैं। कवि यहाँ कनक शब्द को दो अर्थों में प्रयोग किया है। एक – धतूरा, दूसरा – सोना। कवि कहते हैं कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से ही मानव पागल बनता है। लेकिन सोना या धन – दौलत को पाने से ही मनुष्य पागल होजाता है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
रहीम ने जल के महत्व के बारे में क्या बताया है?
उत्तर:
रहीम ने पानी के तीन अर्थ बताये। इज्जत, चमक और पानी। बिना इज्जत के मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। बिना चमक के मोती का मूल्य नहीं होता | पानी के बिना चूना बेकार है।

प्रश्न 2.
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से क्यों की होगी?
उत्तर:
बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से की है। धतूरा एक विषैला पौधा है। इसके फल भी होते हैं। यह पौधा एवं फल नशीले होते हैं। इनसे मादकता होती है।

बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से इसलिए की है कि धतूरे से बढ़कर सोने में सौ गुना ज्यादा मादकता हैं। धतूरे को खाने से ही मानव पागल होता है। लेकिन सोने को पाने से ही मनुष्य पागल हो जाता है।

सोने को पाकर मानव सदा उसकी रक्षा करने के बारे में नींद के बिना चिंतित रहता है। उसे सदा चोरों का भय सताता है। इसलिए वह पागल बन जाता है।

आ) किन्हीं दो दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
दोहा -1
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत ॥
भाव :
इस दोहे में कविवर रहीम बताते हैं कि मनुष्य जब धनवान बनता है तब वह सुख और संतोष के साथ रहता है। उसके कई मित्र, बंधु बनते हैं। उसका आदर बढ़ता है लेकिन किसी कारणवश वह निर्धनी बन जाता तो कोई भी उसके साथ ठहर नहीं सकते। उसे सहायता नहीं करते। उस विपत्ति के समय मित्र तथा बंधु भी पराये हो जाते हैं। कविवर रहीम कहते हैं कि जो विपत्ति के समय हमारे साथ ठहरते हैं वे ही सच्चे मित्र हैं।

दोहा -2
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून ॥
भाव :
कविवर रहीम इस दोहे में पानी शब्द को तीन अर्थों में प्रयोग करके कहते हैं कि पानी के बिना मोती, मनुष्य और चूना व्यर्थ हैं।

‘पानी’ के तीन अर्थ हैं – चमक या कांति, इज्ज़त और जल।
रहीम कहते हैं कि चमक के बिना मोती, इज्ज़त के बिना मानव और जल के बिना चूना व्यर्थ हैं।

इ) पाठ में दिये गये दोहों के आधार पर कुछ सूक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:

  1. विपत्तियों में जो हमारी मदद करता है वही सच्चा दोस्त है।
  2. संपत्ति में हमें अधिक बंधु – मित्र होते हैं।
  3. इज्जत के बिना जीना निरुपयोग (व्यर्थ) है।
  4. सोना धतूरे का काम करता है।
  5. नम्रता में ही श्रेष्ठता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

ई) पाठ में दिये गये दोहों में आपको कौनसा दोहा बहुत अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
पाठ में दिये गये दोहों में मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत।
बिपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।।
मुझे यह दोहा बहुत अच्छा लगा। क्योंकि इस दोहे में कवि रहीम के द्वारा बताया गया है कि जो विपत्तियों में हमारे साथ रहकर हाथ बाँटते हैं वेही सच्चे दोस्त हैं। सचमुच सच्चा दोस्त संपत्ति और विपत्ति दोनों समय हमारे साथ रहने से इतिहास में आदर्शवान बनेगा। सच्चा मित्र कहलायेगा। उसे आदर – सत्कार मिलेगा।

भाषा की बात

अ) अर्थ के अनुसार बेमेल शब्द पहचानिए।

1. नीर, पीर, जल, पानी – ………. (पीर)
2. मीत, रीत, मित्र, दोस्त- ……… (रीत)
3. जग, संसार, विश्व, मग – ………… (मग)

1. यमक अलंकार समझिए। यमक का अर्थ ‘दो’ होता है। किसी शब्द की पुनरावृत्ति भिन्न – भिन्न अर्थों में होती है, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं।

उदाहरण :
कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ । उहि खाए बौराइ जग, इहिं पाए बौराइ॥

2. दोहा छंद समझिए।
दोहा मात्रिक छंद है। इसके पहले चरण में तेरह मात्राएँ, दूसरे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं। तीसरे चरण में तेरह मात्राएँ और चौथे चरण में ग्यारह मात्राएँ होती हैं।
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे 1

इ) 1. यमक अलंकार का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तजि तीस्थ, हरि राधिका, तन – दुति करि अनुराग |
जिहि ब्रज – केलि निकुंजमग, पग – पग होत प्रयाग||
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे 2

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

ई) नीचे दिये गये शब्दों में प्रत्यय पहचानकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
1. लौकिक
2. नैतिक
3. पौराणिक
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे 3

परियोजना कार्य

इस पुस्तक में हर पृष्ठ पर एक – एक नीति वाक्य दिया गया है। उनमें से आपकी मनपसंद – दस नीतियों की सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
मेरी मनपसंद दस नीतियों की सूची

नीतिवाक्यप्रवाचक
1. श्रम ईश्वर की उपासना है।कारलाइल
2. अपना सामर्थ्य ही सब से श्रेष्ठ बल।मनुस्मृतिः
3. शांति के समान कोई तप नहीं, संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है।चाणक्य
4. जीवन की महत्वाकांक्षाएँ बालकों के रूप में आती हैं।रवींद्रनाथ टैगोर
5. अहंकार छोड़ने पर ही मनुष्य मानवता के पथ पर बढ़ सकता है।स्वामी विवेकानंद
6. नारी की सहानुभूति हार को भी जीत बना सकती है।प्रेमचंद
7. परोपकार का प्रत्येक कार्य स्वर्ग की ओर एक क़दम है।वीवर
8. भय पर आत्मा की शानदार विजय ही वीरता है।एमियल
9. राष्ट्रभाषा की जगह एक हिंदी ही ले सकती है।महात्मा गांधी
10. संघटित ज्ञान का नाम विज्ञान है।हेच स्पेन्सर

नीति दोहे Summary in English

Raheem
1. In this poem the poet Raheem narrates about the wealth, the man and the relationships. When we possess wealth we will have kith and kin in myriad ways. We will be revered well by them. If we lose the riches and become penniless, they will not be with us. Therefore, the adversities are the touchstones for testing true friends. They are true friends who stand by us and support us when we are in troubles.

2. In this poem the poet Raheem used the word ‘water’ as an attributive in three specific – meanings. He says that these three are very essential to life.

The three meanings of water : 1. lustre 2. honour or hospitality or courtes 3. Water. The pearl needs lustre. Without lustre, the pearl is useless. Similarly, it is necessary for a man to have honour. Life without honour is of no value. In the same way, lime needs water. Without water it does not stick and hence it is useless. So we should possess the above mentioned qualities and safeguard them.

Bihari
1. In this poem the poet Bihari compares gold with datura in a specific meaning.

Gold and datura are alike. As to datura, if a fruit or a flower of datura is eaten, the man gets inebriation and lunacy. Gold is exactly the same as datura. One gets inebriated as soon as one sees gold. In this way, the poet narrates about the madness caused by Gold.

2. In this poem the poet Bihari compares man with the tap water. He who is more modest is called an eminent person. The water flows in high lands exactly the same as it flows in low lands.

नीति दोहे Summary in Telugu

రహీం

1. ప్రస్తుత ఈ దోహాలో కవి రహీం సంపద, మనిషి అనుబంధాల గురించి వివరించుచున్నాడు. మనకు సంపదలు వచ్చినప్పుడు బంధువులు, మిత్రులు బహువిధాలుగా ఏర్పడతారు. కానీ ఏ కారణంగానైనా ఆ సంపదలన్నియు పోయి మనం పేదవారిమైతే మనలను ఆశ్రయించియున్న మిత్ర బంధువులెవ్వరూ మనతో ఉండరు. కనుక ఆపదలు మనకు నిజమైన స్నేహితులను గుర్తించు గీటురాళ్ళు. కాబట్టి ఆపదలలో ఎవరైతే మనతో ఉండి మనకు అండగా నిలుస్తారో వారే నిజమైన స్నేహితులు.

2. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి రహీం నీటిని మూడు విశేషార్థాలలో ప్రయోగించుచూ ఇవి మన జీవితానికి చాలా ముఖ్యమని వివరించుచున్నాడు.

నీటికి గల మూడు అర్థాలు 1. కాంతి 2. గౌరవం లేదా ఆదరణ లేదా మర్యాద. 3. జలం (నీరు.) ముత్యమునకు మెరుపు (కాంతి, ప్రకాశం) అవసరం. మెరుపు (కాంతి) లేనిదే ముత్యం వ్యర్థం. అట్లే మనిషికి గౌరవం (మర్యాద) అవసరం. గౌరవం లేని జీవితం వ్యర్థం. అదే విధంగా సున్నం ( సిమెంట్) కు నీరు అవసరం. నీరు లేని సున్నం అతకదు, వ్యర్థం. కాబట్టి వీటిని మనం ఎల్లప్పుడు కలిగి ఉండాలి. రక్షిస్తూ ఉండాలి.

బిహారీ

1. ఈ దోహాలో (పద్యం) కవి బీహారి గారు బంగారాన్ని విశేషార్థంలో ధతూరం (ఉమ్మెత్త) చెట్టు పువ్వు, కాయ, ఆకులతో)తో పోల్చి చెబుతున్నాడు. బంగారం, ధతూరం ఈ రెండూ ఒక్కటే. ధతూర చెట్టుకు సంబంధించి కాయను కాని పువ్వునుగాని తిన్నచో మనిషికి ఒక విధమైన పిచ్చి, మాదకత్వం (నిషా) ఎక్కుతాయి. కానీ బంగారం కూడా అలాంటిదే. ధతూరాన్ని తింటే మాత్రమే మనకు నిషా ఎక్కితే బంగారాన్ని చూసినంతనే మత్తు (నిషా) పిచ్చి పడుతుంది. ఈ విధంగా బంగారం వల్ల కలిగే పిచ్చిని గురించి బిహారీ కవిగారు వివరించుచున్నారు. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి బిహారీగారు మనిషిని కొళాయి నీటితో సమానంగా వర్ణించి చెబుతున్నారు. మనిషి ఎంత నమ్రత కలిగి ఉంటాడో అతడు అంత శ్రేష్ఠమైన వానిగా చెప్పబడతాడు. నీరు ఎంత నిమ్నస్థాయిలో ప్రవహించునో అంతే ఉన్నత (ఊర్థ్వస్థాయి) గా కూడా ప్రవహించగలదు.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
‘धतूरे से भी सोने में मादकता अधिक होती है। – बिहारी के अनुसार सिद्ध कीजिए|
उत्तर:
बिहारी के अनुसार धतूरे से भी सोने में मादकता अधिक होती है । क्योंकि धतूरा खाने से मनुष्य मादक बन जाता है। लेकिन सोने को मनुष्य अपने पास रखने मात्र से मादक बन जाता है।

प्रश्न 2.
बिहारी ने कनक – कनक में अंतर बताते हुए क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु थे। बिहारी ने इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा और सोना। बिहारी ने अपने दोहों के द्वारा यह संदेश दिया कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन, दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। अर्थात् यह नशा धतूरे नशे से भी खतरनाक है।

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प्रश्न 3.
नैतिक गुणों के विकास में कवि रहीम के दोहे कैसे सहायक हैं?
उत्तर:

  • अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए नैतिक गुणों की आवश्यकता है।
  • रहीम के दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक हैं।
  • रहीम के अनुसार संकठ काल में सहारा देने वाला ही सच्चा मित्र हैं।
  • मानव को आत्मसम्मान के साथ जीने का संदेश प्राप्त होता है।

प्रश्न 4.
रहीम जी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
रहीम हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध कवि हैं। उनका जन्म 1556 में लाहौर में हुआ। उनकी मृत्यु 1626 में दिल्ली में हुई। वे संस्कृत, अरबी, फारसी के विद्वान थे। रहीम सतसई, बरवै नायिका भेद, श्रृंगार सोरठ उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

प्रश्न 5.
रहीम के अनुसार सच्चा मित्र कौन है?
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है। संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।

प्रश्न 6.
रहीम ने विपत्ति को सच्चे मित्र की पहचान की कसौटी क्यों माना है?
उत्तर:
सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय होती है। रहीम का कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।

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प्रश्न 7.
रहीम जी ने ‘पानी’ शब्द का प्रयोग किन अर्थों में किया है? विवरण दीजिए।
उत्तर:
रहीम इस दोहे में पानी शब्द के तीन अर्थ बताते हैं- 1. सम्मान 2. चमक 3. जल | इन तीनों के बिना . मानव, मोती, चूने का कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य को सम्मान, मोती को चमक, चूने को जल आवश्यक है। . इसके बिना वे शून्य हैं। दोहे का संदेश है कि मनुष्य को अपना सम्मान बनाये रखना चाहिए।

प्रश्न 8.
पानी शब्द का प्रयोग रहीम जी ने चमत्कारिक रूप से किया है, कैसे?
उत्तर:
रहीम के इस दोहे में पानी शब्द तीन बार प्रयोग हुआ है। यहाँ पानी के तीन अर्थ हैं- सम्मान, चमक, जल। इन तीनों के बिना मानव, मोती, चूने का कोई मूल्य नहीं है। मनुष्य को सम्मान, मोती को चमक, चूने को
जल आवश्यक है। इसके बिना ये तीनों बेकार हैं।

प्रश्न 9.
मोती, मानुष और चून किनके बिना निरर्थक हैं? रहीम जी ने कैसे समझाया?
उत्तर:
चमक के बिना मोती निरर्थक है। सम्मान के बिना मनुष्य निरर्थक है। पानी के बिना चूना निरर्थक है। रहीम ने चमक, सम्मान और जल तीनों के लिए पानी शब्द का प्रयोग किया है।

प्रश्न 10.
पानी शब्द के द्वारा रहीम जी ने किनकी महत्व के बारे में बताया?
उत्तर:
रहीम ने चमक, सम्मान और जल तीनों के लिए पानी शब्द का प्रयोग किया है। चमक के बिना मोती निरर्थक है। सम्मान के बिना मनुष्य निरर्थक है। पानी के बिना चूना निरर्थक है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 11.
धतूरे से बढ़कर सोने में मादकता है। बिहारी जी ने कैसे सिद्ध किया?
उत्तर:
बिहारी कहते हैं कि सोने में धतूरे से सौ गुना अधिक नशा होता है । क्योंकि धतूरे के खाने से आदमी . थोड़े समय के लिए मदहोश होता है। वही आदमी सोने या संपत्ति के मिलने पर हमेशा के लिए मदहोश हो जाता है। धन की मादकता से घमंडी हो जाता है। धन का नशा अन्य सभी नशों से अधिक खतरनाक है।

प्रश्न 12.
बिहारी जी ने ‘कनक’ शब्द का प्रयोग किन-किन के लिए किया है? समझाइए।
उत्तर:
बिहारी जी ने ‘कनक’ शब्द का प्रयोग अपने दोहे में दो बार किया है। एक कनक का अर्थ है – धतूरा और दूसरे का सोना। वे कहना चाहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 13.
‘सोना’ मानव को पागल बना देता है। बिहारी ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:
बिहारी कहना चाहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। बिहारी हमें संपत्ति का अभिमान न करने का संदेश देना चाहते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।

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प्रश्न 14.
‘धतूरा-सोना’ इन दोनों में किसकी मादकता अधिक है? बिहारी के दृष्टिकोण से बताइए।
उत्तर:
बिहारी के अनुसार ‘धतूरा-सोना’ में सोने की मादकता अधिक है। वे कहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है। बिहारी हमें संपत्ति का अभिमान न करने का संदेश देना चाहते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 15.
कवि रहीम का परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

  • रहीम हिंदी साहित्य के भक्तिकाल के कवि थे।
  • वे अकबर के मित्र, प्रधान सेनापति तथा मंत्री थे।
  • उनका जीवन काल सन् 1556 – 1626 तक है।
  • वे संस्कृत, फारसी और अरबी के विद्वान थे। वे दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं।

रचनाएँ : रहीम सतसई, बरवैनायिका भेद और श्रृंगार सोरठ आदि।

प्रश्न 16.
कवि बिहारीलाल का परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

  • कवि बिहारीलाल का जीवन काल 1595 से 1663 है।
  • आप की प्रसिद्ध रचना ‘बिहारी सतसई है। इन के दोहे नीतिपरक होते हैं।
  • इनके दोहों के लिए “सागर में गागर” भर देने वाली बात कही जाती है।

प्रश्न 17.
सच्चे मित्र की पहचान कब होती है?
उत्तर:
सच्चे मित्र की. पहचान विपत्ति के समय होती है। रहीम का कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 18.
बिहारी के अनुसार नर और नल-नीर की गति कैसी होनी चाहिए?
उत्तर:
बिहारी के अनुसार नर और नल-नीर की गति नीचे होनी चाहिए। यहाँ नर के लिए नीचे का अर्थ है विनम्रता। बिहारी का कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही अधिक ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है। इसलिए हमें विनम्र रहना चाहिए।

प्रश्न 19.
आपातकाल में आप अपने मित्रों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
उत्तर:
आपातकाल में मैं अपने मित्रों की सहायता करता हूँ। उनकी हर संभव सहायता करता हूँ। उनका मनोबल बढ़ाता हूँ। अधिक समय उनके साथ गुजारता हूँ। जब तक वह उस मुसीबत से बाहर नहीं आ जाता मैं उसका विशेष ध्यान रखता हूँ। मैं तन, मन और धन से उसकी सहायता करने को तत्पर रहता हूँ।

अभिव्यक्ति-सजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि रहीम और बिहारी ने पानी की विशेषता के बारे में क्या कहा?
(या)
रहीम ने पानी के महत्व के बारे में क्या बताया ?
उत्तर:
रहीम ने पानी के महत्व के बारे में बताया है। उन्होंने यहाँ ‘पानी’ शब्दों को तीन अर्थों में प्रयुक्त किया है – चमक, इज्जत और जला वे बताते हैं कि मोती के लिए चमक, मनुष्य के लिए इज्जत और चूने के लिए जल की आवश्यकता है। चमक न होने पर मोती, इज्जत न रहने पर मनुष्य और जल के सूख जाने पर चूना बेकार हो जाते हैं। इसलिए इनकी रक्षा करनी चाहिए।

नल के पानी पर जितना दबाव डाला जाय वह उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मानव भी जितना विनम्र, विनयशील होगा उतना ही उसका विकास होगा। ऊँचे स्थान पर पहुंचेगा। इसलिए बिहारी ने नल के पानी से नर की तुलना की है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 10 नीति दोहे

प्रश्न 2.
बिहारी ने ‘कनक’ को लेकर क्या समझाने का प्रयास किया है?
उत्तर:
कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु हैं। कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाय दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया है। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा, सोना। बिहारी के अनुसार धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन – दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। लेकिन यह सही नहीं है। सोना या धन – दौलत के पाने पर भी मानव को कभी गर्व न करना चाहिए। बिहारी ने कनक को लेकर यही समझाने का प्रयास किया है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं। स्पष्ट कीजिए|
उत्तर:
शीर्षक का नाम : नीति दोहे
कवियों के नाम : रहीम, बिहारी
रहीम और बिहारी के दोहों से हमें ये बातें सीखने को मिलती हैं।

  • संकट में जो साथ देता है, वही सच्चा मित्र है।
    संपत्ति को पाकर हमें घमण्डी नहीं बनना चाहिए। मनुष्य को नम्र बनना चाहिए।
  • इज्जत के बिना मानव का कोई मूल्य नहीं होता, अतः हमें इज्जत के साथ जीना है।
  • सुख – दुःख को समान रूप से मानना चाहिए। मनुष्य जितना नम्र बनता है, वह उतना ही बडा होता है।
  • अतः हम कह सकते हैं कि रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं।

प्रश्न 2.
कवि रहीम के दोहों का संदेश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कविवर रहीम का पूरा नाम खानखाना अब्दुल रहीम था। उनका जीवन काल 1556 – 1626 था। वे सहृदयी कुशलवीर और राजनीतिज्ञ थे। वे अकबर के दरबारी कवि और मित्र थे। वे कई भाषाओं के ज्ञाता, कृष्ण भक्त थे। उन्होंने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, नीति – विषयों पर सरस रचनाएँ की। इनके दोहे नीतिपरक और उपदेशात्मक हैं।

कवि रहीम कहते हैं कि यदि हमारे पास धन-संपत्ति हो तो कई तरह के लोग नाते रिश्ते जोड़कर सगे बन जाते हैं। उन लोगों में हमारा सच्चा मित्र कौन है और पराया कौन है इसका निर्धारण विपत्ति (कष्ट) कर देती है। संकट के समय सच्चे मित्र ही हाथ देता है। झूठे लोग तो खिसक जाते हैं।

संदेश :
संकट के समय में साथ देनेवाला ही सच्चा मित्र है।

रहीम कहते हैं कि सबको पानी रखना आवश्यक है। पानी के बिना सब व्यर्थ है। पानी का अर्थ होता है – चमक (कांति), मान (इज्जत) और जला चमक के बिना मोती, मान के बिना आदमी और जल के बिना चूना बेकार हैं। चमक के जाने से मोती व्यर्थ होता है। मान के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। जल के न रहने से चूना व्यर्थ हो जाता है।

संदेश :
हर समय मान को अपनी गौरव बनाये रखना चाहिए।

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प्रश्न 3.
रहीम और बिहारी के दोहों के द्वारा नैतिक मूल्यों का विकास होता है। अपने विचार बताइए।
उत्तर:
आज समाज में नैतिक मूल्यों की कमी होती जा रही हैं । नैतिक मूल्यों का विकास करना बेहद ज़रूरी है। इनकी वृद्धि महापुरुषों के वचन से ही हो सकती है। रहीम और बिहारी भी ऐसे ही महापुरुष हैं। उनके दोहों में अनेक नीतियाँ हैं। ‘नीति दोहे’ पाठ इसका उदाहरण है। रहीम ने सच्चे मित्र के लक्षण बताये हैं। उनका कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। रहीम का कहना है कि मनुष्य को अपना आत्मसम्मान बनाये रखना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन सम्मान के बिना बेकार है।

बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना ” तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है।

इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं। हमें इनके अन्य दोहों को भी पढ़ना और पढ़ाना चाहिए।

प्रश्न 4.
रहीम और बिहारी के दोहों के द्वारा क्या नीति मिलती है?
उत्तर:
रहीम ने सच्चे मित्र के लक्षण बताये हैं। उनका कहना है कि संपत्ति मिलने पर बहुत लोग हमारे मित्र हो जाते हैं। वे हमारी संपत्ति के कारण हमारी मित्रता स्वीकार करते हैं। लेकिन विपत्ति के समय जो हमारा साथ दे वही हमारा सच्चा मित्र है। रहीम का कहना है कि मनुष्य को अपना आत्मसम्मान बनाये रखना चाहिए। क्योंकि मानव जीवन सम्मान के बिना बेकार है।

बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 5 लोकगीत Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

10th Class Hindi Chapter 5 लोकगीत Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 23)

प्रश्न 1.
हाथों में क्या रचनेवाली है?
उत्तर:
हाथों में मेहंदी रचनेवाली है।

प्रश्न 2.
इस तरह के गीतों को क्या कहा जाता है?
उत्तर:
इस तरह के गीतों को लोकगीत कहा जाता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 3.
किन – किन संदर्भो में लोकगीत गाये जाते हैं?
उत्तर:
त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये लोकगीत गाये जाते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 24)

प्रश्न 1.
लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत विशिष्ट स्थान रखते हैं। मनोरंजन की दुनिया में इनका महत्वपूर्ण स्थान है। देहाती क्षेत्रों में ये अधिक गाये जाते हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। ये घर, गाँव, और नगर की जनता के गीत हैं। ये त्यौहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती । इनके रचनेवाले गाँव के आम पुरुष व महिलाएँ होती हैं। लोकगीत की भाषा जनभाषा है। इन्हें साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाया जाता है।

प्रश्न 2.
लोकगीत और संगीत का क्या संबंध है?
उत्तर:
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती, जब कि शास्त्रीय संगीत में अधिक साधना की जरूरत होती है। संगीत की भाषा साहित्यक होती है जब कि लोकगीत की भाषा जन भाषा है। लोकगीत बाजों की मदद के बिना ही ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 3.
‘पहाड़ी’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पहाडी क्षेत्रों में रहनेवाली पिछडी जातियों को ‘पहाडी’ कहा जाता है। पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। उनके अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमि है। गढ़वाला, किन्नौर, काँगडा आदि पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। इन्हें गाने की अपनी – अपनी विधियाँ हैं। उनका अलग नाम ही “पहाडी” कहा जाता है।

InText Questions (Textbook Page No. 25)

प्रश्न 4.
वास्तविक लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देहाती की जनता से है। इनमें बडी जान होती हैं। ये गीत अधिकतर दैनिक जीवन की घटनाओं पर आधारित होते हैं। ये ग्रामीण बोलियों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। माहिया, हीर – रांझा, सोहनी महीवाल संबंधी गीत पंजाब के हैं। ढोलामारु आदि राजस्थान के हैं। ये सब लोकगीत बड़े चाव से गाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
बारहमासा लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारहमासा लोकगीत तो बारह मासों से संबंधित हैं। इन लोकगीतों में बारह मासों से संबंधित प्रकृति वर्णन के बारे में गीत गाये जाते हैं। जिनमें प्राकृतिक विशेषताओं और महत्व का वर्णन किया जाता है।

प्रश्न 6.
“बिदेसिया’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भोजपुरी में करीब तीस – चालीस बरसों बिदेसिया का प्रचार हुआ है। गानेवालों में अनेक समूह इन्हें गाते हुए देहात में फिरते हैं। बिहार में बिदेसिया से बढ़कर दूसरे गाने लोकप्रिय नहीं है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। परदेशी प्रेमी की और इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है।

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प्रश्न 7.
स्त्रियों के लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के लोकगीत अनंत संख्या में होते हैं। इनका संबंध स्त्रियों से है। इन्हें अधिकतर स्त्रियाँ ही लिखती और गाती हैं। ये गीत ढोलक की मदद से गाती हैं। गाने के साथ नाच का भी पुट होता है।

प्रश्न 8.
लोकगीत किसके प्रतीक हैं?
उत्तर:
लोकगीत हमारी संस्कृति तथा सभ्यता के प्रतीक हैं। आनंद और उल्लास के प्रतीक हैं। लोकगीत उद्दाम जीवन के ही गाँवों के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं। ये त्यौहारों के भी प्रतीक हैं। समस्त मानव जीवन के प्रतीक हैं।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
लोकगीत ग्रामीण जनता का मनोरंजक साधन है। कैसे?
(या)
ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है। इस पर अपने विचार बताइए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “लोकगीत”
निबन्धकार का नाम : “श्री भगवतशरण उपाध्याय” है

  • लोकगीत लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। ये जनता के संगीत है।
  • ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं।
  • इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
  • इनकी रचना करनेवाले भी ज़्यादातर गाँव के लोग हैं।
  • स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है।
  • लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं।
  • इनका सम्बन्ध देहात की जनता से है।
  • इनकी रचना करनेवाले अपने गीतों के विषय रोज़मर्रा के जीवन से लेते हैं।
  • लोकगीतों की भाषा गाँवों और इलाकों की बोलियों से संबंधित है।
  • ये ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी की मदद से गाये जाते हैं।
  • ये लोकगीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक प्रसिद्ध हैं।
  • इसके आधार पर हम कह सकते हैं कि ग्रामीण जनता के मनोरंजन का साधन लोकगीत है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 2.
हिंदी या अपनी मातृभाषा का कोई लोकगीत सुनाइए।
उत्तर:
मेरी मात्रु भाषा तेलुगु होने के कारण मैं तेलुगु का लोकगीत लिख रहा हूँ।

“కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా
పచ్చిపాల మీద మీగడలేవి ?
వేడిపాల మీద వెన్నల్లు యేవి ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు యేవి ?”
“అత్తరో ఓయత్త ఆరళ్ళు అత్త
పచ్చిపాల మీద మీగడుంటుందా ?
వేడిపాల మీద వెన్నలుంటాయా ?
నూనె ముంతల మీద నురగల్లు ఉంటాయా?”
ఇరుగు పొరుగులారా ఓ చెలియలార
అత్తగారి ఆరళ్ళు చిత్తగించరా ?
పెత్తనం లాగేస్తే పేచీలు పోను
ఆరళ్ళ అతయిన సవతి పోరయిన
తల్లిల్లు దూరమైన భరియించలేము.”
కోడలా కోడలా కొడుకు పెళ్ళామా |
కోడుకు ఊళ్ళో లేడు మల్లిరిక్కడివి?
“గంపంత మట్చేసి గాలి విసిరింది. ఈ
కొల్లలుగ మల్లెలు కొప్పులో రాలి.

आ) वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

1. लोकगीत हैं संगीत सीधे जनता के।
2. वास्तव में प्रकार हैं अनंत के गीतों के गाँव।
3. मदद ढोलक की से स्त्रियाँ हैं गाती।
उत्तर:
1. लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं।
2. गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं।
3. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।

इ) दिया गया गद्यांश पढ़िए और इसके मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।

गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठला – इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्त्रोतों की कमी हो सकती है? उददाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं।

जैसे : गीत
…………………..
…………………..
उत्तर:
जीवन, इठला – इठलाकर लहराना, अनंत प्रकार, आनंद के स्रोत, उद्दाम जीवन, अनंत संख्यक आदि।

ई) नीचे दिया गया लोकगीत पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

चलत मुसाफिर मोह लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी हलवैया दुकनिया
बर्फी के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी बजजया दुकनिया
कपडा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया।
उड़ – उड़ बैठी पनवडिया दुकनिया
बीड़ा के सब रस ले लिया रे पिंजड़े वाली मुनिया। (- शैलेंद्र कुमार)

प्रश्न 1.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान पर बर्फी के रस लेती है।

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प्रश्न 2.
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद किस दुकान पर जाती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) हलवे की दुकान के बाद कपडे की दुकान पर जाती है।

प्रश्न 3.
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर किसका रस लेती है?
उत्तर:
चिड़िया (मुनिया) पान की दुकान पर बीड़ा का रस लेती है।

प्रश्न 4.
इस गीत का मूल भाव क्या है?
उत्तर:
इस गीत का मूल भाव यह है कि पिंजड़े में बंदी चिड़िया स्वेच्छा सुख का मज़ा ले रही है। आनंद के साथ उड रही है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गयी है? इसके मुख्यांश बिंदुओं के रूप में लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है।

  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
  • विविध बोलियों पर लोकगीत गाए जाते हैं। गीतों का विषय रोजमर्रा के जीवन से लिया जाता है।
  • अधिकतर संख्या में लोकगीत औरतें ही गाती हैं। ये मार्मिक होते हैं।
  • लोकगीत, शुभ अवसरों पर, मनोरंजन के उद्देश्य से रस्मों को पूर्ति करने हेतु गाये जाते हैं।
  • आल्हा, बारह मासा आदि लोकगीत अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।

इस निबंध में विभिन्न गीतों के प्रकार, गाये जानेवाले क्षेत्र, बोलियाँ, विषय आदि पक्षों की चर्चा की गई है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 2.
जैसे – जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है?
उत्तर:
यह प्रश्न ‘लोकगीत’ निबंध पाठ से दिया गया है। इसके लेखक श्री भगवत शरण उपाध्याय हैं। नगरीकरण के कारण शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड रहे हैं इसका प्रभाव लोकगीतों पर पड़ रहा है। गाँवों की अपेक्षा शहरों में मनोरंजन के विभिन्न साधनों के होने के कारण उनका ध्यान इस ओर से हट रहा है। पाश्चात्य संगीत से लोग उसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। एवं वैश्वीकरण ने लोगों के आचार – विचारों में भी परिवर्तन ला दिया है। अब गाँव में भी लोकगीतों की ओर से मन हट रहे हैं।

आ) ‘लोकगीत’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।

लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं? लिखिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : लोकगीत
पाठ का लेखक : श्री भगवतशरण उपाध्याय
पाठ की विधा : निबंध

सारांश : हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लेते हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढ़ोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

नीति : वैश्वीकरण के कारण लोकगीतों का नाश हो रहा है। इन्हें बचाये रखना हमारा कर्तव्य है।

इ) अपने आसपास के क्षेत्र में प्रचलित किसी लोकगीत का हिंदी में अनुवाद कीजिए।
उत्तर:
लल्ला लल्ला लोरी

मुकेश
लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, मुन्नी करे तमाशा
छोटी – छोटी प्यारी – प्यारी सुन्दर परियों जैसी है
किसी की नज़र ना लगे, मेरी मुन्नी ऐसी है
शहद से भी मीठी, दूध से भी गोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …
कारी रैना के माथे पे, चमके चाँद सी बिंदिया
मुन्नी के छोटे – छोटे नैनों में खेले निंदिया
सपनों का पलना, आशाओं की डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ……….

लता

लल्ला लल्ला लोरी, दूध की कटोरी
दूध में बताशा, जीवन खेल तमाशा
आधी मुरझा जाती है, थोड़ी सी कलियाँ खिलती हैं
सारी की सारी खुशियाँ, जीवन में किसको मिलती हैं
या टूटे पलना, या टूटे डोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी ….
लिखने को लिखवाती मैं, आगे क्या है गाना
लेकिन मैं क्या करती, तेरे पापा को था जाना
मुझसे भी छिपकर, तुझसे भी चोरी
चुपके – चुपके, चोरी – चोरी, चोरी
लल्ला लल्ला लोरी …..

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

ई) लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं। अपने शब्दों में इसे सिद्ध कीजिए।
उत्तर:

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर लोकगीत गाये जाते हैं। ये गाँवों और देहातों में गाये जाते हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • लोकगीतों को गाने वाली भी अधिकतर गाँवों की स्त्रियाँ ही हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इनके लिए कोई साधना की जरूरत भी नहीं होती है। * इसलिए इनमें मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन देहाती गीतों के रचयिता कोरी कल्पना को मान न देकर अपने गीतों के विषय रोजमर्रा के बहते जीवन से लेते हैं जिससे वे सीधे मर्म को छू लेते हैं।
  • इनके राग भी साधारणतः पीलु, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। इसलिए भी इन गीतों में ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इन लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं।
  • इस कारण ये आलादकारक और आनंददायक होते हैं। इसीलिए भी इनमें ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।

भाषा की बात

अ) कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
साधना, त्यौहार, देहात (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग

  1. साधना . – शास्त्रीय संगीत गाने के लिए साधना की ज़रूरत होती है।
  2. त्यौहार – दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है।।
  3. देहात – लोकगीतों का संबंध देहात की जनता से है।

पर्याय शब्द

  1. साधना – अभ्यास, तपस्या
  2. त्यौहार – पर्व, उत्सव
  3. देहात – गाँव, ग्राम

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 2.
सजीव, परदेशी, शास्त्रीय (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए ।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. सजीव × निर्जीव
  2. परदेशी × स्वदेशी
  3. शास्त्रीय × अशास्त्रीय

वाक्य प्रयोग

  1. सजीव – जो आज सजीव है कल यह निर्जीव अवश्य होगा।
  2. परदेशी – यह परदेशी होने पर भी हमारे स्वदेशी जैसे ही भारतीय संस्कृति को अपनाकर रहता है।
  3. शास्त्रीय – तुम जो राग का आलापना कर रही हो यह शास्त्रीय संगीत का नहीं अशास्त्रीय संगीत का है।

प्रश्न 3.
यह आदिवासी का संगीत है। (वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।)
उत्तर:
यह आदिवासियों का संगीत है।

आ) सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
लोकगीत, लोकतंत्र (इस तरह ‘लोक’ शब्द के साथ बने दो शब्द लिखिए।)
उत्तर:
लोकपालक, लोकसभा

प्रश्न 2.
गायक, कवि, लेखक (लिंग बदलिए। याक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:

  1. गायक – गायिका, गायनी
  2. कवि – कवइत्री
  3. लेखक – लेखिका

वाक्य प्रयोग

  1. गायक – लताजी एक प्रसिद्ध गायिका हैं।
  2. कवि – हिंदी साहित्य में महादेवी वर्मा सफल कवयित्री मानी जाती है।
  3. लेखक – सरोजिनी नायुडु एक अच्छी लेखिका भी है।

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प्रश्न 3.
धर्म, मास, दिन, उत्साह (“इक” प्रत्यय जोड़कर वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
धार्मिक, मासिक, दैनिक, औत्साहिका
वाक्य प्रयोग

  • दशहरा एक धार्मिक पर्व है।
  • लोकगीतों से दैनिक जीवन में उत्साह मिलता है।
  • विपुला एक मासिक पत्रिका है।
  • आज अनेक औत्साहिक गायक गा सकते हैं।

इ) इन्हें समझिए और अतंर स्पष्ट कीजिए।

1. उपेक्षा – अपेक्षा
2. कृतज्ञ – कृतघ्न
3. बहार – बाहर
4. दावत – दवात
उत्तर:
1. उपेक्षा – अपेक्षा
उपेक्षा = उदासीनता, अवहेलना, तिरस्कार आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह “अपेक्षा” शब्द का विलोम शब्द भी है।

अपेक्षा = तुलना, चाह, आशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह उपेक्षा शब्द का विलोम शब्द है।

2. कृतज्ञ – कृतघ्न
कृतज्ञ = अनुग्रहीत, आभारी, ऋणी आदि अर्थों में इसका प्रयोग होता है। यह कृतघ्न का विलोम शब्द है। उपकार मानने वाले को कृतज्ञ कहा जाता है।

कृतघ्न = उपकार न माननेवाला, ना शुक्रा यह कृतज्ञ का विलोम शब्द भी है।

3. बहार – बाहर
बहार = खिलती हुई जवानी, वंसत ऋतु, शोभा मजा, तमाशा आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।

बाहर = स्थान या वस्तु विशेष की सीमा के उस पार, अलग, दूर, अन्यत्र आदि अर्थों में इस शब्द का प्रयोग होता है।

4. दावत – दवात
दावत = भोज का निमंत्रण – इस शब्द का अर्थ है।
दवात = इस शब्द का अर्थ है स्याही रखने का बरतन या शीसा।

5. पेड़ पर बड़ा पक्षी है पर उसके छोटे – छोटे पर हैं।
उत्तर:
यहाँ “पर” शब्द का प्रयोग तीन अर्थों में किया गया है।
1) पर → कारक के रूप में
2) पर → लेकिन के अर्थ में और
3) पर → पंख के अर्थ में।

6. हल चलाने से मात्र ही किसान की समस्याएँ हल नहीं होती।
उत्तर:
यहाँ “हल” शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया गया है।
1) हल = खेत जोतने का एक साधन
2) हल = सुलझाव या परिष्कार

ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
1.
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 1
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 2
2.
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत 3

उत्तर:
1. स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।
क्या स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं?
स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं न!

2. लोकगीत के कई प्रकार हैं।
क्या लोकगीत के कई प्रकार हैं?
लोकगीत के कई प्रकार हैं न !

परियोजना कार्य

यहाँ दिये गये चित्र ध्यान से देखिए। ये चित्र भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखे गये एक प्रहसन नाटक से संबंधित हैं। इसी नाटक को कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने कविता के रूप में सृजन किया है। अपने पुस्तकालय या अन्य स्त्रोतों से उस नाटक या कविता का संग्रह कर कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
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उत्तर:
यदि हम सूझ – बूझ से काम लेंगे तो बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना भी आसानी से कर सकते हैं। इस भावना पर आधारित प्रहसन नाटक “अंधेर नगरी’ यहाँ प्रस्तुत है।
पात्र
(महंत, नारायणदास, गोवर्धनदास, घासीराम, हलवाई, शिष्य, राजा, फ़रियादी, कल्लू, कारीगर, चूने वाला, भिश्ती, कमाई, गड़रिया, कोतवाल, सिपाही।)

लोकगीत Summary in English

There is a difference between the freshness of folk songs and classical music. Folk songs are classical music. They are the songs of family and the people of villages and cities. They need no practice. They are sung on special occasions and festivals. They are mostly written by the village people. Women also take part in these works. These songs are sung with the help of drum, cymbals, castanets, flute, etc.

Once, compared with the classical music, these songs were regarded low. Until recently they were not regarded well. But with the change of the common people’s outlook, the change also occurred in the fields of art and literature. Many people came forward to collect folk songs from different languages. This type of compilations had already been printed.

Folk songs are of many kinds. One of these is very lively and exciting. This is the music of the Adivasis of this country. The tribes namely Gond – Khand, Orav – Munda, Bheel – Santal are spread over Madhya Pradesh, Deccan region and Chota Nagpur. The songs and dances of these people are mostly done one with another or with groups.
The people of hilly regions have their own songs. There are some specific songs for the people of Gadwal, Kinnoure and Kangada, etc. They have their own methods to sing those songs.

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The folk songs are actually concerned with the people of the rural areas of the country. The songs of Chaita, Kajari, Barahmasa, Shravana, etc., are sung in Mirzapur, Banaras, eastern Uttar Pradesh and western districts of Bihar.

Baol and Bhatiali etc., are the folk songs belonged to Bengal. The songs of Mahia in Punjab also fall in this category. The songs concerned with ‘Heer – Ram Jha’, ‘Sohani – ‘Mahival’ of Punjab, the songs such as ‘Dhola – Maru’ of Rajasthan are sung with much enthusiasm and fervour.

The writers of these songs of rural areas, without giving importance to imaginations, take the issues concerned with daily life and write songs on them. So they are heart – touching. The tunes of those songs are Pilu, Sarangam, Durga, Sawan, Sorat, etc. The songs Kaharwa, Biraha, Dhobia, etc., are mostly sung in villages and they attract a large number of people.

The language of these folk songs is familiar and tunes are catchy and so they have been successful. Bidesia was propagated for almost 30 – 40 years in Bhojapuri. The groups of singers roam about the villages while singing these songs. There were no more popular songs than these songs in the districts of Bihar. In these songs the main aspect is about romance of lovers and lovesick of alien lovers.

In the regions like Biraha the songs belonging to tribal races are mostly sung. But of late, these songs are losing their prominence.

Another type of most popular one is the song Alha. The people in the region of Bundelkhand sing these songs. The royal poet Jaganik of the Chandel kings is said to be the originator of these songs. In his great epic, he described the powers of Alha – Udal. Following the prosody in his works, other village poets wrote songs which are being sung even now zestfully.

There are numerous songs of women in our country. These too are folk songs. Generally women alone sing these songs. Men are also there among the writers and singers of these songs. There are mostly women related aspects in these songs. In this regard, India is different from all other countries.

The women sing melodious songs on some auspicious occasions – while going to take river bath ; during festivals; during feasts, marriages, birthday celebrations, etc. These songs are being sung since ancient times. The great poet Kalidas also included these songs in his works.

The songs such as Maithil, Kokil, Vidyapati are mostly sung in eastern regions. There are many educated people who sing these songs from Kashmir to Kanyakumari, from Katiyavada to Gujarat, from Rajasthan to Odisha – Andhra.

Gorba is one kind of group song in Gujarat. Women sing this song while dancing in a circular way. It became popular in all regions.

The songs of rural areas are really of many kinds. As their lives go in a peaceful and harmonious way, there would be no deficiency for delightful experiences. It can be said that the songs are the symbols of their blithesome lives.

लोकगीत Summary in Telugu

జానపద గీతాల తాజాదనం, లోక ప్రియత్వంతో శాస్త్రీయ సంగీతంతో తేడా కలదు. జానపద గీతాలు ప్రజల సంగీతం. కుటుంబ, గ్రామ, నగర ప్రజల పాటలు. వీటికి సాధన అవసరం లేదు. పండుగలు మరియు విశేష అవసరాలప్పుడు వీటిని పాడతారు. ఎప్పుడూ ఇవి పాడబడతాయి. వీటిని రచించేవారు కూడా ఎక్కువగా గ్రామ ప్రజలే. స్త్రీలు కూడా వీటి రచనలో విశేషంగా పాల్గొన్నారు. ఈ పాటలు బాజాల సహాయంతో కాకుండా సాధారణ డోలు, చేతితాళం, తప్పెట్లు, పిల్లనగ్రోవి మొ॥గు వాని సహాయంతో పాడబడతాయి.

ఒకనాడు శాస్త్రీయ సంగీతం ముందు వీటిని చులకనగా, హేయంగా భావించేవారు. ఈ మధ్యవరకు వీటిని బాగా ఉపేక్షించేవారు. కానీ ఇటు సాధారణ ప్రజల వైపునుండి దృష్టి మరలడం వల్ల సాహిత్యం మరియు కళా రంగాలలో కూడా మార్పు వచ్చింది.

అనేక మంది వివిధ భాషలకు చెందిన జానపద గీతాలను సంగ్రహించుటకు నడుము బిగించారు. ఇలాంటి సంగ్రహాలు ఎన్నో ఇప్పటికీ ముద్రించబడియున్నవి.

జానపద గీతాలు ఎన్నో రకములు. వీటి ఒక రకం చాలా ఉత్తేజకంగా సజీవంగా ఉంటాయి. ఇది ఈ దేశ ఆదివాసీల సంగీతం. మధ్యప్రదేశ్, దక్కన్, చోటానాగపూర్‌లో గోండ్ – ఖాండ్, ఓరావ్ – ముండా, భీల్ – సంతాలు వ్యాపించి యుండిరి. వీరి పాటలు – నృత్యాలు ఎక్కువగా ఒకరితో ఒకరు లేదా గుంపులు గుంపులుగా పాడబడతాయి. నాట్యం చేయబడతాయి. 20 – 20 మంది, 30 – 30 మంది పురుషులు – స్త్రీల దళాలు ఒకరికి ఒకరు జవాబుగా పాడతారు, దిక్కులన్నీ పిక్కటిల్లుతాయి (ప్రతిధ్వనిస్తాయి).

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పర్వత ప్రాంతాలవారికి వారి – వారి పాటలు ఉంటాయి. వారి మధ్య భిన్న – భిన్న రూపాలు ఉన్నప్పటికి అశాస్త్రీయం కారణంగా వారికి ఒక సమాన భూమి ఉంది. గద్వాల్, కిన్నోర్, కాంగడా మొ||వారికి తమ తమ పాటలు ఉన్నవి. వాటిని, పాడడానికి వారి – వారి పద్ధతులున్నవి. వాటి వేరొక పేరే “పహాడీ” అని వచ్చినది.

వాస్తవిక జానపద గీతాలు దేశంలోని గ్రామ ప్రాంతాలవారివి. వీటి సంబంధం కూడా గ్రామ ప్రాంతాల ప్రజలతోనే ఉంది. చైతా (చైత్రం) కజరీ, బారహ్మ సా (12 నెలలు), శ్రావణం మొ||నవి. మీర్జాపూర్, బనారస్ మరియు తూర్పు ఉత్తరప్రదేశ్ లో మరియు బీహార్ లోని పశ్చిమ జిల్లాల్లో, పాడబడుచున్నవి.

బావుల్ మరియు భతియాలీ అనునవి బెంగాలకు చెందిన జానపద గీతాలు, పంజాబ్ లోని మాహియా మొ||నవి ఇలాంటివే. “హీర్ – రాం ఝా”, “సోహనీ – మహీవాల్”లకు సంబంధించిన పాటలు పంజాబ్ లో “డోలా – మారు” మొదలగు పాటలు రాజస్థాన్లలో చాలా ప్రీతిగా (ఇష్టంగా) పాడబడుచున్నవి.

ఈ గ్రామీణ ప్రాంతాల పాటల రచయితలు ఊహ (కల్పన)లకు ప్రాధాన్యతనీయక రోజువారి జీవితానికి సంబంధించిన విషయాలను తీసుకుని వాటిపై పై పాటలు వ్రాస్తారు. అందువలన అవి హృదయాలను స్పృశిస్తాయి. వాటి రాగాలు కూడా సాధారణంగా పీటా, సారంగం, దుర్గా, సావన్, సోరన్ మొ||నవి.

కహార్ వా, బిరహా, ధోబియా అనునవి పల్లెల్లో ఎక్కువగా పాడబడును. ఇవి ఎందరినో ఆకర్షించును.

వీని భాషను గురించి చెప్పవలెనన్న ఈ జానపద గీతాలు అన్నియూ గ్రామాలు మరియు ఇలాకాలకు సంబంధించిన భాషలలోనే పాడబడును. ఈ కారణంగానే ఇవి ఆహ్లాదభరితంగా ఆనందదాయకంగా ఉండును. ఈ పాటల రాగం కూడా ఆకర్షణీయంగా ఉంటుంది. వీరికి తెలిసిన భాష కావడం కూడా వీటి విజయానికి కారణం.

భోజపురిలో దాదాపుగా 30 – 40 సం||లో “బిదేసియా” కు ప్రచారం జరిగినది. పాటలు పాడే అన్ని సమూహాలు ఈ పాటలను పాడుతూ గ్రామాల్లో తిరుగుతారు. విశేషంగా బీహార్ లోని జిల్లాల్లో బిదేసియాను మించి పాటలు లోకప్రియమైనవి లేవు. ఈ పాటల్లో ఎక్కువగా రసికప్రియ మరియు ప్రేయసి ప్రియుల విషయాలు ఉంటాయి. పరదేశీ ప్రేమికుల విరహరసం వీటిలో ఉంటాయి.

ఆటవిక జాతుల దళాలకు సంబంధించిన పాటలు కూడా ఎక్కువగా బిరహా మొ||గు ప్రాంతాలలో పాడబడుచున్నవి. ఒకవైపు పురుషులు మరొకవైపు స్త్రీలు ఒకరికొకరు జవాబు (బదులు)గా దళంగా ఏర్పడి దిక్కులు పిక్కటిల్లేలా (ప్రతిధ్వనించేలా) పాడతారు. కానీ ఇక్కడ కొంతకాలం నుండి ఈ విధమైన గుంపులతో కూడిన పాటలు తగ్గిపోయినవి.

మరొక విధమైన గొప్ప లోకప్రియమైన పాట ఆలా ఎక్కువగా వీటిని బుందేల్ ఖండ్ ప్రాంతంలో పాడెదరు. వీటి ప్రారంభకునిగా చందేలు రాజుల రాజకవి జగనిక్ గా చెప్పబడుతుంది. ఆయన ఆలా – ఊదల్ల వీరత్వాన్ని గురించి తన మహాకావ్యంలో వర్ణించెను. ఈయన రచించిన ఛందస్సును తీసుకుని వేరే గ్రామ కవులు వివిధ సమయాలలో తమ పాటల్లో చేర్చిరి. ఈ పాటలు (గీతాలు) ఈ రోజున కూడా చాలా ప్రేమగా పాడబడుచున్నవి. వీటిని పాడు గాయకులు గ్రామ గ్రామం ఢోలు తీసుకుని పాడుతూ తిరుగుతారు. కొందరు నటులు తాళ్ళపై ఆడుతూ పాడే పాటలు కూడా ఈ కోవకు చెందినవి. ఎక్కువగా ఇవి గద్య – పద్యాత్మకంగా ఉంటాయి.

మన దేశంలోని స్త్రీల పాటలు కూడా అనంత సంఖ్యలో ఉంటాయి. ఇవి కూడా జానపద గీతాలే. ఎక్కువగా వీటిని ఆడవారే పాడతారు.

అలాగని మగవారు వ్రాసేవారు మరియు పాడేవారు కూడా ఎక్కువగానే ఉన్నారు. కాని ఈ పాటలు ఎక్కువగా స్త్రీలకు సంబంధించిన విషయాల పైనే ఉంటాయి. ఈ విషయంలో భారతదేశం ఇతర అన్ని దేశాలతో భిన్నంగా ఉన్నది. ఎందుకంటే ప్రపంచంలోని ఇతర దేశాలలో స్త్రీల పాటలు మగవారి పాట లేదా జానపద గీతాలకు భిన్నంగా ఉండవు. కలసి మెలసి ఉంటాయి.

పండుగలప్పుడు నదులలో స్నానం చేస్తూ స్నానానికి వెళుతూ దారిలో పాడే పాటలు, వివాహ సమయంలో, విందుల సందర్భాలలో బంధువులను ప్రేమగా తిడుతూ, పుట్టిన సందర్భం మొ||గు అవసరాలకు సంబంధించిన వేరు – వేరు పాటలు స్త్రీలు పాడతారు. ఈ అవసరాలకు సంబంధించి కొంతమంది ఇప్పుడే కాదు చాలా ప్రాచీన కాలం నుండి పాడుతున్నారు. మహాకవి కాళిదాసు మొ||గు వారు కూడా తమ గ్రంథాలలో ఈ పాటలను చేర్చిరి. సోహర్, బానీ, సహరా మొ॥గు వారి అనంతమైన పాటల్లోని ముఖ్యమైనవి. పన్నెండు నెలల (బారహ్ మాసా) పాటలను పురుషులతో పాటు స్త్రీలు కూడా పాడతారు.

ఒక విశేషమైన మాట (విషయం) ఏమిటంటే ఆడవారి పాటలు సాధారణంగా ఒంటరిగా పాడబడవు గుంపులుగా ఏర్పడి పాడబడతాయి. అనేక గొంతులు ఒక్కసారిగా కలసి పాటను అందుకుంటాయి. ఎక్కువగా ఈ పాటలను పండుగలు, శుభసందర్భాలలో చాలా బాగా పాడతారు. గ్రామాలలో, నగరాలలో గాయకురాళ్ళు కూడా ఉంటారు. వీరు వివాహం పుట్టిన రోజు మొదలగు అవసరాలలో (సందర్భాలలో) పాడటానికి పిలువబడతారు. అన్ని ఋతువుల్లో స్త్రీలు ఉల్లాసంగా గుంపులుగా ఏర్పడి పాడతారు. హోళీ వర్షాకాలపు కజరీలు మొ॥గు సమయాలలో వీరి పాటలు వినసొంపుగా ఉంటాయి. తూర్పు ప్రాంతాలలో ఎక్కువగా మైథిల్, కోకిల్, విద్యాపతి పాటలు పాడబడతాయి. కాశ్మీరు నుండి కన్యాకుమారి వరకు, కాటియవాడ నుండి గుజరాత్, రాజస్థాన్ నుండి ఒరిస్సా – ఆంధ్ర వరకు ఎందరో తమ తమ పాటలను పాడు విద్యావంతులు కలరు.

స్త్రీలు డోలక్ సహాయంతో పాడతారు. ఎక్కువమంది వారి పాటలతో పాటు నాట్యం కూడా చేస్తారు. గుజరాత్ లో ఒక విధమైన గుంపు పాట గర్ బా. దీన్ని విశేషరీతిలో గుండ్రంగా ఉండి తిరిగి – తిరిగి ఆడవాళ్ళు పాడతారు. వీరికి తోడు బాలికలు కూడా బాజాలు వాయిస్తారు. దీనిలో నాట్యం – పాడటము వెంట – వెంట జరుగుతాయి. వస్తుతః ఇది నాట్యం. అన్ని ప్రాంతాల్లో కూడా ఇది లోక ప్రసిద్ధి చెందినది. ఇదేవిధంగా హోళీ సందర్భంగా బ్రజంలో రసియా ఆడతారు. దీనిని దళంలోని సభ్యులు పాడతారు. ముఖ్యంగా స్త్రీలే పాడెదరు.

గ్రామంలోని పాటలు వాస్తవంగా అనేక రకాలు. జీవితం వైభవోపేతంగా సాగిపోతూ ఉంటే అక్కడ ఆనందభరిత ఆధారాలకు కొరత ఏముంటుంది? ‘ఆనందమయమైన జీవనానికీ పాటలు సంకేతం.

अभिव्यक्ति-सजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
पहाडी लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं।
  • उनके अपने – अपने भिन्न रूप होते हुए भी अशास्त्रीय होने के कारण उनमें अपनी एक समान भूमिका है।
  • गढ़वाल, किन्नौर, काँगडा आदि के अपने – अपने गीत और उन्हें गाने की अपनी – अपनी विधियाँ हैं।
  • उनका अलग नाम ही पहाड़ी पड गया है।

प्रश्न 2.
‘गरबा’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
गरबा गुजरात का लोकप्रिय दलीय गायन है। इसमें स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। एक विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर औरतें गाती हैं। इसमें नाच-गान साथ – साथ चलते हैं।

उपर्युक्त इन सभी कारणों से लोकगीत का चलन अधिकतर देहातों में ही रहता है।

प्रश्न 3.
लोकगीत और शास्त्रीय संगीत में क्या अंतर है?
उत्तर:

  • लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न है।
  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत है । लोकगीत घर, गाँव और नगर की जनता के गीत है।
  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

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इनके अलावा शास्त्रीय संगीत के लिए तो कई साधनों की ज़रूरत नहीं होती । शास्त्रीय संगीत के लिए साधना की भी ज़रूरत है।

प्रश्न 4.
लोकगीत किन – किन रागों में गाये जाते हैं?
उत्तर:
लोकगीत साधारणतः पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठा आदि रागों में गाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
लोकगीतों की भाषा कैसी होती है?
उत्तर:
लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । इसी कारण ये बडे आलाद कारक और आनंददायक होते हैं ।

प्रश्न 6.
“पहाड़ी’ किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पहाडी क्षेत्रों में रहने वाले पिछडे जातियों को पहाडी कहा गया है। इनके अपने – अपने गीत हैं।जैसे गढवाल, किन्नौर, काँगडा आदि के अपने – अपने गीत होते हैं। इनके गाने की विधियाँ भी अलग हैं। उनका
अलग नाम ही ‘पहाडी’ पड गया हैं।

प्रश्न 7.
वास्तविक लोकगीत कैसे होते हैं?
उत्तर:
वास्तविक लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। इसी कारण ये बडे आहलादकर और आनंददायक होते हैं। राग तो इन गीतों के आकर्षक होते ही हैं। इनकी समझी जा सकने वाली भाषा भी इनकी सफलता का कारण है। अतः इसका पूर्व संबंध देहातों की जनता से है।

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प्रश्न 8.
“बिदेसिया’ लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बिदेसिया लोकगीत का प्रचार तीस – चालीस वर्षों से बिहार में भोजपुरी भाषा में हुआ। बिहार में “बिदेसिया” लोकगीत लोकप्रिय हैं। इन लोकगीतों में रसिक प्रिय, प्रियाओं की बात रहती है। इनमें परदेशी प्रेमी की और । इनसे करुणा और विरह का रस बरसता है।

प्रश्न 9.
पंजाब के लोकगीतों के बारे में लिखिए।
उत्तर:

  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत है। ये ओजस्वी और सजीव हैं।
  • पंजाब में माहिया आदि इसी प्रकार के हैं।
  • हीरा – राँझा, सोहनी – महीवाल आदि लोकगीत पंजाब में बड़े चाव से गाये जाते हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
लोकगीतों का चलन अधिकतर देहातों में ही क्यों रहता है?
उत्तर:
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं ये। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं। सदा से ये गाये जाते रहे हैं और इनके रचनेवाले भी अधिकतर गाँव के लोग ही हैं। स्त्रियों ने भी इनकी रचना में विशेष भाग लिया है। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही या साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार तो बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। इनका संबंध देश के देहाती जनता से संबंध हैं। उनके राग भी साधारणतः पीलु, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं।

प्रश्न 2.
‘आल्हा’ के गीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • एक – दूसरे प्रकार के बड़े लोकप्रिय गाने आल्हा के हैं ।
  • अधिकतर ये बुंदेलखंडी में गाये जाते हैं |
  • आरंभ तो इसका चंदेल राजाओं के राज कवि जगनिक से माना जाता है।
  • उन्होंने आल्हा – ऊदल की वीरता का अपने महाकाव्य में बखान किया ।
  • ये गीत हमारे गाँवों में आज भी बहुत प्रेम से गाये जाते हैं ।
  • इन्हें गानेवाले गाँव – गाँव ढोलक लिये गाते फिरते हैं। अधिकतर ये पद्य – गद्यात्मक हैं |

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प्रश्न 3.
स्त्रियाँ किन – किन अवसरों पर लोकगीत गाती हैं?
उत्तर:

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर स्त्रियाँ लोकगीत गाती हैं।
  • त्यौहारों पर नदियों में नहाते समय के, नहाने जाते हुए राह के, विवाह के , मटकोड, ज्यौनार के संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों के अलण – अलण गीत भी स्त्रियों से गायी जाती हैं | बारहमासा गीत भी स्त्रियाँ गाती हैं |
  • विवाह और जन्म आदि के अवसरों पर स्त्रियाँ लोकगीत गाती हैं ।

प्रश्न 4.
शास्त्रीय संगीत के सामने लोकगीत हेय माने जाते हैं – क्यों?
उत्तर:

  • शास्त्रीय संगीत तो सचमुच शास्त्रीय है ।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए साधना की आवश्यकता है।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए शिक्षण की भी आवश्यकता है |
  • शास्त्रीय संगीत के लिए विभिन्न राग, ताल तथा लय तथा संगीत का अध्ययन की आवश्यकता है ।
  • शास्त्रीय संगीत के लिए विविध प्रकार के संगीत वाद्यों और साधनों की आवश्यकता है।’
  • लेकिन लोकगीतों के लिए इन सबकी कोई आवश्यकता नहीं । इसलिए शास्त्रीय संगीत के सामने एक समय लोकगीत हेय माने जाते हैं।

प्रश्न 5.
मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है । साबित कीजिए।
उत्तर:

  • मनोरंजन की दुनिया में लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है ।
  • इस विषय में कोई अतिशयोक्ति नहीं है ।
  • हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है।
  • गीत – संगीत के बिना हमारे मन रसा से नीरस हो जाता है ।
  • लोकगीत जो हैं वे घर गाँव और जनता के गीत हैं ।
  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।
  • इन के लिए कोई साधना तथा साधन की ज़रूरत नहीं होती।
  • ये बड़े आहलादकर और आनंददायक होते हैं ।
  • त्यौहारों पर, नदियों में नहासमय के, नहाने जाते हुए राह के, विवाह के, मटकोड, ज्यौनार के, संबंधियों के प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों में ये गाये जाते हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 6.
बारहमासा लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारहमासा लोकगीत बारह महीनों में आवश्यकतानुसार गाये जा सकते हैं। जायसी का “पद्मावत्” नागमति का विरह वर्णन बारहमासा में ही लिखा गया है। बारहमासा लोकगीत की परंपरा अत्यन्त प्राचीन है। आषाढ मास में बारहमासा गीत प्रारम्भ हो जाता है। विरहिणी नारी के लिए बारह महीनों का प्रत्येक क्षण बडा भारी होता है। उसे एक – एक पल घुट – घुट कर महसूस – महसूसकर बिताना पडता है।
विरहिणी स्त्री अपनी प्रियतम का स्मरण कर हर वक्त रोती – कराहती रहती है।

प्रश्न 7.
लोकगीतों को आज मनोरंजन का साधन कैसे बनाया जा सकता है?
उत्तर:

  • लोच, ताजगी भरा कर लोकगीतों को मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता है।
  • साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से लोकगीतों को मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता है।
  • गाँवों और इलाकों की बोलियों के कारण इन्हें मनोरंजन का साधन बनाया जा सकता हैं।
  • नाच – गान दोनों साथ-साथ चलाने के कारण इन्हें मनोरंजन का साधन बना सकेंगे।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
हमारे जीवन में लोकगीतों का क्या महत्व है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : “लोकगीत” है।
लेखक का नाम : “श्री भागवतशरण उपाध्याय” है।
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह . का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच. का पुट भी होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 2.
“लोकगीतों का संबंध विशेषतः स्त्रियों से है।” – इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:

  • अनंत संख्या अपने देश में स्त्रियों के गीतों की है। ये भी लोकगीत हैं।
  • इन गीतों का संबंध विशेषतः स्त्री से हैं।
  • एक विशेष बात यह है कि नारियों के गाने साधारणतः अकेले नहीं गाये जाते हैं, दल बाँधकर गाये जाते हैं।
  • अनेक कंठ एक साथ फूटते हैं यद्यपि अधिकतर उनमें मेल नहीं होता, फिर भी त्यौहारों और शुभ अवसरों पर वे बहुत ही भले गाते लगते हैं।
  • गाँवों और नगरों में गायिकाएँ भी होती हैं जो विवाह, जन्म आदि के अवसरों पर गाने के लिए बुला ली जाती हैं।
  • सभी ऋतुओं में स्त्रियाँ उल्लासित होकर दल बाँधकर गाती हैं। पर होली,बरसात की कजरी आदि तो उनकी अपनी चीज़ है, जो सुनते ही बनती है।पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल – कोकिल के गीत गाये जाते हैं। पर सारे देश के कश्मीर से कन्याकुमारी तक और कठियावाड – गुजरात – राजस्थान से उड़ीसा-तेलंगाणा तक अपने – अपने विद्यापति हैं।
  • स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। अधिकतर उनके गाने के साथ नाच का भी पुट होता है।
  • गुजरात का एक प्रकार का दलीय गायन ‘गरबा’ है जिसे विशेष विधि से घेरे में घूम-घूमकर औरतें
    गाती हैं। * साथ ही लकड़ियाँ भी बजाती जाती हैं। जो बाजे का काम करती हैं।
  • इसमें नाच-गान साथ-साथ चलते हैं। वस्तुतः यह नाच ही है। सभी प्रांतों में यह लोकप्रिय हो चला है।
  • इसी प्रकार होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है जिसे दल के दल लोग गाते हैं, स्त्रियाँ विशेष तौर पर।

प्रश्न 3.
शास्त्रीय संगीत की तुलना में लोकगीत अपना एक विशेष स्थान रखते हैं, इस कथन की पुष्टि करते हुए अपने क्षेत्रीय लोकगीतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। ये गीत साधारण ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से माये जाते हैं। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती । त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। आदिवासियों का लोकगीत बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। ये मध्य प्रदेश, दक्कन, छोटा नागपुर में गोंड – खांड, भील संथाल आदि में फैले हुए हैं।

इनकी भाषा के संबंध में कहा जाय तो ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। यही इनकी सफलता का कारण है। स्त्रियाँ भी लोकगीतों को सिरजती हैं और गाती हैं। नारियों के गाने साधारणतः दल बाँधकर गाये जाते हैं। विवाह, जन्म, सभी ऋतुओं में, होली, बरसात में ये गीत गाये जाते हैं। सारे देश के कश्मीर से कन्याकुमारी तक और काठियावाड़ गुजरात – राजस्थान से उड़ीसा – आंध्र तक लोकगीत गाये जाते हैं। इनके अपने अपने विद्यापति हैं। गुरजात का दलीय गायन “गरबा” है। होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है।

गाँव के गीतों के अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठला – इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी हो सकती है। उदाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने के प्रतीक हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय संस्कृति लोकगीतों में झलकती है । कैसे?
उत्तर:

  • हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है ।
  • मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है।
  • लोकगीतों से हमें उत्तेजना, उत्साह आदि मिलते हैं ।
  • भारतीय संस्कृति देश के उत्सव, त्यौहार एवं देश के देहातियों और गाँवों के जनता पर निर्भर रहती है।
  • लोकगीतों में अपने – अपने प्रांत की संस्कृति झलकती है।
  • लोकगीत बडा ही ओजस्वी और सजीव है ।
  • इनके द्वारा विभिन्न प्रांतों के लोगों के रहन – सहन, आचार – व्यवहार, रीति – रिवाज़ आदि हमें मालूम होते हैं । लोकगीत त्यौहारों और विशेष अवसरों पर गाये जाते हैं ।
  • लोकगीतों में लोच, ताज़गी और लोकप्रियता है ।
  • त्यौहारों के समय, नदियों में नहाते समय, विवाह के, मटकोड, ज्यौनार के संबंधियों के प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि सभी अवसरों के अलग – अलग लोकगीत गाये जाते हैं | जो देश की संस्कृति को प्रतिबिंबित करते हैं। इसीलिए कहा गया कि भारतीय संस्कृति लोकगीतों से झलकती हैं।

प्रश्न 5.
भारत के विविध प्रकार के लोकगीतों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है । मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है । गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है ।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं । लोकगीत सीधे जनता का संगीत है । ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं । ये गीत बाजे, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं ।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं । इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है । यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है | मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं । वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं । सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस
और उत्तर प्रदेश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं ।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं | पंजाब में महिया गायी जाती है | राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं । भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है ।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती है । इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं । एक-दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं । आल्हा एक लोकप्रिय गान है।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं । स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं । उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 5 लोकगीत

प्रश्न 6.
ग्रामीण जनता के गीतों का वर्णन लोकगीत पाठ में कैसे प्रस्तुत किया गया है?
उत्तर:
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाकार हैं श्री भगवतशरण उपाध्याय । उनका विरचित निबंध है – लोकगीत। इसमें भारतीय लोकगीतों की जानकारी बडे ही सुंदर ढंग से दी गयी है।

लोकगीत ताजा, लयीला, मार्मिक और लोकप्रिय होते हैं वे सीधे जनता के संगीत हैं और गानेवाले भी अधिकतर ग्रामीण ही हैं। लोकगीतों के विषय ग्रामीण लोगों की दैनिक गति विधियों से संबंधित होते हैं। इनकी भाषा भी जन भाषा और बोली होती है। स्त्री पुरुष मिलकर नाचते इनको गाते हैं। ये लोकगीत शादी, जन्म, त्यौहार, मनोरंजन आदि विशेष संदर्भो मैं गाये जाते हैं। एक बात में कहना है तो ये ग्रामीण लोगों के मुख्य मनोरंजन साधन हैं। ये गीत बडे आह्लादकर और आनंद दायक होते हैं।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है |मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मिर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरबी जिलों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगाल के लोकगीत हैं। माहिया, हीरा – राँझा सोहनी – महीवाल गीत पंजाब के हैं। राजस्थान में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रयाओं की बात रहती है। इन गीतों में करुणा और विरह का रस बरसता है।

नगरों और गाँवों में गायिकाएँ होती हैं। वे होली, बरसात की कजरी आदि गीत गाती है। पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल – कोकिल विद्यापति के गीत गाये जाते हैं। गुजरात में गरबा ‘गायन’ होता है। जिसमें विशेष विधि से घेरे में घूम-घूम कर गाती हैं। इसमें नाच – गाना एक साथ चलना है। होली पर ब्रज में रसिया भी चलता है। इस प्रकार ग्रामीण जनता के गीतों का वर्णन लोकगीत पाठ में प्रस्तुत किया
गया है।

प्रश्न 7.
लोकगीतों में ग्रामीण जीवन शैली प्रतिबिंबित होती है । कैसे?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है | मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है।

ये लोकगीत घर, गाँव और जनता के गीत हैं। इनके लिए कोई साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं। ये गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। ये बडे आह्लादकर और आनंददायक होते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि ये ग्रामीण जनता के मनोरंजक साधन हैं।

  • त्यौहारों और विशेष अवसरों पर लोकगीत गाये जाते हैं। ये गाँवों और देहातों में गाये जाते हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • लोकगीतों को गाने वाले भी अधिकतर गाँवों की स्त्रियाँ ही हैं। इसलिए इन लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएँ हैं।
  • इनके लिए कोई साधना की ज़रूरत भी नहीं होती है।
  • इसलिए इनमें मुख्यतः ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन देहाती गीतों के रचयिता कोरी कल्पना को मान न देकर अपने गीतों के विषय रोजमर्रा के बहते जीवन से लेते हैं । जिससे वे सीधे मर्म को छू लेते हैं।
  • इनके राग भी साधारणतः पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं।
  • इसलिए भी इन गीतों में ग्रामीण जनता की मार्मिक भावनाएं हैं।
  • इन लोकगीतों की भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं।
  • इस प्रकार हम कह सकेंगे कि लोकगीतों में ग्रामीण जीवनशैली प्रतिबिंबित होती है ।

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प्रश्न 8.
भगवतशरण उपाध्याय जी ने भारत के विविध प्रकार के लोकगीतों के बारे में क्या बताया?
उत्तर:
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है । मनोरंजन की दुनिया में आज भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान है । गीत – संगीत के बिना हमारा मन रसा से नीरस हो जाता है ।

लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं । लोकगीत सीधे जनता का संगीत है । ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं | इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। त्यौहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं ।

स्त्री और पुरुष दोनों ही इनकी रचना में भाग लिये हैं । ये गीत बाजे, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं ।

लोकगीतों के कई प्रकार हैं | इनका एक प्रकार बडा ही ओजस्वी और सजीव है | यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है | मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं।

पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं । वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं | सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं । चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रदेश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं ।

बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं । पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढोला – मारू आदि गीत गाते हैं । भोजपुर में बिदेसिया का प्रचार हुआ है ।

इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती है । इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है।

जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं । एक – दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं । आल्हा एक लोकप्रिय गान है ।

गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं । स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं । उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 सदक्षिणी गंगा गोदावरी

10th Class Hindi Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 51)

प्रश्न 1.
यहाँ पर किसके बारे में बताया गया है?
उत्तर:
यहाँ पर नदियों के बारे में बताया गया है।

प्रश्न 2.
दक्षिण भारत की कुछ नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
कृष्णा, गोदावरी, तुंगभद्रा, पेन्ना और नागावली आदि दक्षिण भारत की कुछ नदियाँ हैं।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

प्रश्न 3.
गोदावरी नदी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
गोदावरी दक्षिण भारत की जीव नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिका त्रैयंबक में जन्म लेती है। भारत में बड़ी नदियों में यह दूसरे स्थान में है। इसे दक्षिण गंगा नाम से भी पुकारते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 52)

प्रश्न 1.
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण कैसा दिखायी देता है?
उत्तर:
सूर्योदय के समय प्रकृति का वातावरण सुहावना होता है। प्रकृति में विविध छटावाली हरियाली दिखाई पडती है। नौकाएँ तितलियों की तरह कतार में खडी हुई थी। रंग-बिरंगे बादलों वाला आकाश तालाबों में नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा कि राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान शौकत निराली है?
उत्तर:
तालाबों में नहाने उतारा हुआ आकाश, बगुलों का समूह, पहाडियों की श्रेणियाँ गोदावरी की शान को बढ़ाती हैं। बादल घिरे रहने से धूप नहीं थी। इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और शीतल सुंदरता छाई हुई थी।

InText Questions (Textbook Page No. 53)

प्रश्न 3.
लेखक ने भँवरों को बच्चों की उपमा क्यों दी होगी?
उत्तर:
माता के स्वभाव से परिचित होने के कारण बच्चे उसकी गोदी में मनमाने नाचते, खेलते, उछलते, कूदते हैं उसी प्रकार यहाँ गोदावरी नदी में मँवर वैसा ही करते हैं। कुछ देर के दिख पडते हैं, थोडे ही देर में भयानक तूफान का स्वाँग रचा खिल खिलाकर हँस पडते हैं। वे कहाँ से आते और कहाँ जाते। न जानते हैं। इसलिए लेखक ने उन्हें बच्चों की उपमा दी।

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प्रश्न 4.
गोदावरी नदी के टापुओं की क्या विशेषताएँ हो सकती हैं?
उत्तर:
ये टापू लंबे – चौडे होते हैं। कई पुराने धर्म की तरह स्थिर रूप होकर जमे हुए हैं कई एक कवि की प्रतिभा की तरह क्षण – क्षण भर में स्थल की नवीनता उत्पन्न कर लेते और नया – नया रूप ग्रहण करते हैं। इन टापुओं पर बगुलों के पैरों के निशान पडे रहते हैं। वे दिशा सूचित करते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 54)

प्रश्न 5.
लेखक ने रेल के पहिये की आवाज़ को “संक्रामक’ कहा है। ‘संक्रामक’ से लेखक का क्या आशय होगा?
उत्तर:
रेल के पहिये की आवाज़ तो पुर की विजय नाद की तरह दूर – दूर तक फैलता है गंगा जल गोदावरी में उँडेलना, गोदावरी के जल को लेना भव्य विधि है। विभिन्न प्रांत और संस्कृतियों को मिलानेवाली है। भव्य विधि को फैलाने वाली है।

प्रश्न 6.
गोदावरी को धीर – गंभीर माता की संज्ञा क्यों दी गयी होगी?
उत्तर:
गोदावरी विशाल नदी है। यह जीव नदी है। इसमें ठाट – बाट भी हैं। जल में अमोघ शक्ति है। गोदावरी कई मार्गों से उत्तेजित होकर समुद्र में मिलती है। वह माता के समान सारी आवश्यकताएँ पूरी करती है। माता की तरह गोदावरी भी पवित्र और पूजनीय है। इसलिए लेखक ने गोदावरी नदी को धीर गंभीर माता की संज्ञा दी।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
लेखक को गोदावरी का जल कैसा लगा होगा ?
उत्तर:

  • लेखक गोदावरी नदी के जल में गंगा, सिंधु, शोणभद्र, ऐरावती जैसी महानदियों के विशाल प्रवाह भर कर देखे होंगे।
  • बादलों का रंग साँवला होने के कारण गोदावरी के धूलि – धूसरित मटमैले जल की झाँई और भी गहरी दिखाई दे रही थी।
  • लेखक को लगा होगा कि इतना सारा पानी कहाँ से आता होगा?
  • गोदावरी का अखंडप्रवाह पहाडों में से निकल कर अपने गौरव को साथ में लिये आता हुआ दिखाई पडा होगा।
  • नदी के पानी में उसे उन्माद दिखायी दिया था। उसमें लहरें न थी।
  • लेखक को गोदावरी धीर गंभीर माता जैसे लगी। लेखक को लगा होगा कि गोदावरी के जल में अमोघ शक्ति है।

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प्रश्न 2.
लेखक की जगह तुम होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन कैसे करते ? बताइए।
उत्तर:

  • लेखक की जगह मैं होते, तो गोदावरी नदी का वर्णन इस तरह करता हूँ –
  • गोदावरी महासागर जैसा है। गोदावरी विशाल सुदंर भव्य नदी है।
  • इसे देखने से मुझे कई नदियों का यह संगम जैसा लगता है।
  • इस नदी में जो नाव विहार करते हैं वे आसमान में उड़नेवाली पतंगें जैसे हैं।
  • गोदावरी नदी अन्नपूर्णा है। क्योंकि इसके द्वारा कई लाखों एकड़ की भूमि सिंचाई जाती है।
  • यह सुंदर, रमणीय नदी है। यह अद्भुत टापुओं वाला नदी है।
  • इस नदी के किनारे कई महापुरुषों का जन्म हुआ है।
  • गोदावरी पतित पावनी है। : गोदावरी का जल शुद्ध और पवित्र है।
  • इस जल में अमोघ शक्ति है।

आ) पाठ के आधार पर निम्न प्रश्नों के उत्तर हाँ या नहीं. में दीजिए।

1. लेखक को कोबूर स्टेशन पार करने के बाद गोदावरी मैया के दर्शन हुए।
उत्तर:
हाँ

2. गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
हाँ

3. उपासक गंगा जल के आधे कलश को गोदावरी में उँडेलते हैं।
उत्तर:
हाँ

4. राजमहेंद्री और धवलेश्वर का सुखी नन – समाज दुखित था।
उत्तर:
नहीं

इ) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

आचार्य विनोबा भावे का जन्म महाराष्ट्र में हुआ। वे प्रातःकाल बहुत जल्दी उठते थे। प्रतिदिन नियमित रूप से चरखा चलाते थे। बातें कम और काम अधिक करते थे। भूदान आंदोलन विनोबाजी का प्रमुख कार्य था। विनोबाजी ने युवावस्था में ही जनता की सेवा का व्रत लिया था। उनके मन पर गाँधीजी के विचारों का प्रभाव पड़ा । बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, “जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ( ठाट – बाट से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य क्या था?
उत्तर:
विनोबाजी के जीवन का प्रमुख कार्य भूदान आंदोलन था।

प्रश्न 2.
बनारस की सभा में गाँधीजी ने क्या कहा ?
उत्तर:
बनारस की सभा में गाँधीजी ने कहा था, ‘जब तक देश परतंत्र है, तब तक देश गरीब है, ठाट – बाट . से रहना पाप है। जब तक देश की जनता दुखी है, आराम से रहना अपराध है।”

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

प्रश्न 3.
रेखांकित शब्द का वचन बदलकर वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
सेवा – सेवाएँ ; आजकल हर एक को सरकार की सेवाएँ उपलब्ध हैं।

प्रश्न 4.
इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“संत विनोबा भावे और उनके कार्य” – इस गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है।

ई) इस अवतरण के मुख्य शब्द पहचानकर लिखिए।
पुल पर से गुजरते समय दाएँ देखें या बाएँ, हम उसी उधेड़ – बुन में थे। पुल आ गया और भागमती | गोदावरी का अत्यंत विशाल पाट दिखायी पड़ा। बेजवाड़े में कृष्णा माता के दर्शन पर मैं गर्व करता रहूँगा। गोदावरी की शान शौकत कुछ निराली है।
उत्तर:
गुजरना, उधेड़ – बुन, पाट, गर्व करना, शान – शौकत और निराली आदि।

अभिव्यक्ति- सजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
किसी यात्रा का वर्णन करते हुए अपने अनुभवों को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
हम ने विशाखपट्टणम की यात्रा की। विशाखपट्टणम बहुत सुंदर – नगर है। इसकी यात्रा बहुत संतोष जनक सही। यहाँ का सागर, पर्वत मालाएँ, कैलास गिरि बहुत सुंदर है। यहाँ हम ने रामकृष्ण समुद्र तट, बीमली समुद्र तट आदि देख लिये। ये बहुत सुंदर लगते हैं। यहाँ विशाखपट्टणम का प्रसिद्ध कनकमहालक्ष्मी जी का मंदिर है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

प्रश्न 2.
आंध्र को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहलाने में नदियों का योगदान व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं। इस कथन में नदियों का योगदान अधिक है। आंध्रप्रदेश में कृष्णा, तुंगभद्रा, पेन्ना, मंजीरा, वंशधारा और गोदावरी आदि नदियों के कारण लाखों एकड़ भूमि की सिंचाई की जाती है। इसलिए आंध्रप्रदेश के कई जिलों में धान पैदा होता है। इसलिए आंध्रप्रदेश को अन्नपूर्णा एवं भारत का धान्यागार कहते हैं।

आ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ – दस वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ कैसी थी?
उत्तर:
पाठ का नाम : दक्षिणी गंगा गोदावरी
लेखक : श्री काका कालेलकर
विधि : यात्रा वृत्तांत

चेन्नई से राजमहेंद्री जाते समय लेखक की भावनाएँ इस प्रकार थीं।

  • चेन्नई से राजमहेंद्री जाते हुए बेजवाडे से आगे सूर्योदय हुआ।
  • पूर्व की तरफ एक नहर रेल की पटरी के किनारे – किनारे बह रही थी।
  • पर किनारा ऊँचा होने के कारण पानी उन्हें कभी – कभी ही दीख पडता।
  • तितली की तरह अपने – अपने पाल कतार में खड़ी हुई नौकाओं पर ही उन्हें नहर का अनुमान करना पड़ा।
  • बीच – बीच में छोटे – छोटे तालाब भी मिलते ।
  • इनमें रंग – बिरंगे बादलों वाला आसमान नहाने के लिए उतरता हुआ दिखाई पड़ता।
  • कहीं – कहीं चंचल कमलों के बीच खामोश खड़े हुए बगुलों को देखकर सबेरे की ठंडी – ठंडी हवा का अभिनंदन को लेखक का मन मचल पडता ।
  • कोव्वूर स्टेशन आने पर लेखक के मन में यह उमंग भरी थी कि अब यहाँ से गोदावरी मैया के भी दर्शन होने लगेंगे। लेखक बेजवाडे में कृष्ण माता के दर्शन पर गर्व करने लगा।
  • लेकिन राजमहेंद्री के आगे गोदावरी की शान – शौकत कुछ निराली लगी।
  • लेखक ने पश्चिम की तरफ नजर फैलाई तो दूर – दूर तक पहाडियों की श्रेणियाँ नज़र आई।
  • लेखक को इस सारे दृश्य पर वैदिक प्रभाव की शीतल और स्निग्ध सुंदरता छाई हुई दिखाई दी।
  • पहाडी पर कुछ उतरे हुए धौले – धौले बादल तो लेखक को बिल्कुल ऋषि – मुनियों जैसे लगते थे।
  • लेखक को ऊँचे – ऊँचे पेडों को देखने पर ऐसा लगा कि वे विजय पताकाएँ खड़ी कर रखी थी।

प्रश्न 2.
लेखक ने गोदावरी को माता की संज्ञा क्यों दी होगी?
उत्तर:

  • रामलक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक गोदावरी नदी ही स्तन्य पान कराया है।
  • गोदावरी के तट पर शूर – वीर भी पेदा हुए हैं।
  • बड़े – बड़े तत्व ज्ञानी भी पैदा हुए हैं।
  • साधु संत भी इस गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
  • उसी प्रकार धुरंधर राजनीतिज्ञ भी इसी गोदावरी नदी के तट पर ही पैदा हुए हैं।
  • कई ईश्वर – भक्त भी इसी गोदावरी नदी के तट पर पैदा हुए हैं।
  • गोदावरी नदी चारों वर्गों की माता है।
  • गोदावरी नदी पूर्वजों की अधिष्ठात्री देवी है।

उपर्युक्त कारणों से लेखक ने गोदावरी को, माता की संज्ञा दी होगी।

इ) अपने द्वारा की गयी किसी यात्रा का वर्णन करते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर:

विजयवाडा,
दि. xxxxx

प्यारे मित्र सुदर्शन,
तुम्हारा पत्र आज ही मिला। पढकर खुश हुआ। मैं यहाँ सकुशल हूँ। पिछले सप्ताह मैं अपने स्कूल के कुछ छात्रों के साथ तिरुपति गया। वहाँ के देवस्थान की धर्मशाला में हम ठहरे। भगवान बालाजी के दर्शन करके हम आनंद विभोर हो गये हैं।
तिरुपति में हम दो दिन ठहरे। वहाँ हमने कोदंड रामस्वामी का मंदिर, गोविंदराजुलुस्वामी का मंदिर, पापनाशनम्, आकाशगंगा आदि देखें। उसके बाद मंगापुरम जाकर श्री पद्मावती माँ का दर्शन किया। श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय देखने भी गये। पश्चात् सीधे घर वापस आये। माताजी और पिताजी को मेरे प्रणाम कहना।

तुम्हारा प्यारा मित्र,
xx xxx

पता:
के. रमेश,
गांधीनगर,
पुराना गाजुवाका,
विशाखपट्टणम् – 26.

ई) इस यात्रा – वृत्तांत में लेखक का कौनसा अनुभव आपको अच्छा लगा? क्यों?
उत्तर:
इस यात्रा वृत्तांत में लेखक का यह अनुभव मुझे अच्छा लगा जो वह गोदावरी माँ के दर्शन के बाद गोदावरी माँ की स्तुति करते हैं। उस स्तुति में गोदावरी माँ के प्रति उनकी अनुभूति और उनका अनुभव यों था।

“माता गोदावरी! राम, लक्ष्मण और सीता से लेकर बूढ़े जटायु तक सबको तूने ही स्तन्य-पान कराया है। तेरे तट पर शूर – वीर भी पैदा हुए हैं और बड़ें – बडे तत्व – ज्ञानी भी, साधु – संत भी जन्में,धुरंधर राजनीतिज्ञ भी और ईश्वर भक्त भी। चारों वर्गों की तू माता है। मेरे पूर्वजों की तू अधिष्ठात्री देवी है। नयी – नयी आशाओं को लेकर मैं तेरे दर्शन के लिए आया हूँ। तेरे जल में अमोघ शक्ति है। तेरे पानी की एक बूंद का सेवन भी व्यर्थ नहीं जाता।” मुझे लेखक का यह अनुभव अच्छा लगा क्योंकि सचमुच राम – लक्ष्मण, सीता और जटायु इस नदी तट पर ही घूमें।

इस नदी के तट पर कई शूर – वीरों का राजनीतिज्ञों का भी जन्म हुआ हैं। साधु – संतों का भी जन्म हुआ है। भक्तों का भी जन्म हुआ है। इसलिए गोदावरी माँ सचमुच अधिष्ठात्री देवी है। उस नदी के जल में अमोघ शक्ति है।

परियोजना कार्य

अ) सूचना पढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए।

प्रश्न 1.
बरसात, सरिता, पहाड़ (एक – एक शब्द का वास्य प्रयोग कीजिए। पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी 1

प्रश्न 2.
विजय, प्रसिद्ध, दुर्लभ (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द

  1. विजय × पराजय, अपजय
  2. प्रसिद्ध × अप्रसिद्ध
  3. दुर्लभ × सुलभ

वाक्य प्रयोग

  1. विजय : परिश्रम करने मात्र से ही हमें विजय मिलेगा, नहीं तो अपजय ही मिलेगा।
  2. प्रसिद्ध : वे प्रसिद्ध संगीत कलाकार हैं। लेकिन उनके भाई तो अप्रसिद्ध कलाकार हैं।
  3. दुर्लभ : गाँव का रास्ता सुलभ और जंगल का रास्ता दुर्लभ लगता है।

प्रश्न 3.
नहर, तितली, कविता, लहर (वचन बदलिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन

  1. नहर × नहरें
  2. तितली × तितलियाँ
  3. कविता × कविताएँ
  4. लहर × लहरें

वाक्य प्रयोग

  1. नहर – उन दो नहरों में बड़ी नहर क्या है?
  2. तितली – उस उद्यान में तितलियों का नाच देखो।
  3. कविता – सुभद्रा कुमारी चौहान जी की कविताओं में तो हमें माधुर्य भाव मिलता है।
  4. लहर – समुद्र में तो हर पल लहरें उठ पडती रहती हैं।

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
सूर्योदय, उन्माद, पवित्र, अत्यंत (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:

  1. सूर्योदय – सूर्य + उदय
  2. उन्माद – उत् + माद
  3. पवित्र . – पो. + इत्र
  4. अत्यंत – अति + अंत

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

प्रश्न 2.
साधु – संत, चरणचिहन, गंगाजल (समास बताइए।)
उत्तर:

  1. साधु – संत → द्वंद्व समास
  2. चरणचिह्न → तत्पुरुष समास
  3. गंगाजल → तत्पुरुष समास

इ) इन्हें समझिए।

प्रश्न 1.
नदी के पानी में उन्माद था, उसमें लहरें न थीं।
उत्तर:
के : संबंध कारक
में : अधिकरण कारक
उसमें : वह + में → उसमें
वह के साथ अधिकरण कारक चिहन “में” आने से वह + में
उसमें के रूप में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 2.
गोदावरी के प्रवाह के साथ होड़ करते हुए भी उसे संकोच न होता था।
उत्तर:
के : संबंध कारक
के साथ : करण कारक
उसे : वह + से → उसे
‘वह’ के साथ करण कारक चिह्न ‘से’ आने से वह + से → उसे के रूप में परिवर्तित होती है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

ई) नीचे दिये गये क्रिया शब्द समझिए और अकर्मक व सकर्मक क्रियाएँ पहचानिए।
सोना, पढ़ना, पीना, हँसना, कहना, उठना, दौड़ना, खाना, चलना, लिखना
उत्तर:

  1. सोना – अकर्मक क्रिया
  2. पीना – सकर्मक क्रिया
  3. कहना – सकर्मक क्रिया
  4. दौड़ना – अकर्मक क्रिया
  5. चलना – सकर्मक क्रिया
  6. पढ़ना – सकर्मक क्रिया
  7. हँसना – अकर्मक क्रिया
  8. उठना – अकर्मक क्रिया
  9. खाना – अकर्मक क्रिया
  10. लिखना – सकर्मक क्रिया

परियोजना कार्य

यात्रा – वृत्तांत विधा की जानकारी प्राप्त कीजिए। उसकी सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
यात्रा वृत्तांत गद्य की एक प्रमुख विधा इस विधा के पाठों में लेखक किसी दर्शनीय स्थल से संबंधित अपनी यात्रा की अनुभूतियों को रोचक और ज्ञानवर्धक ढंग से प्रस्तुत करते हैं। इस विधा में किसी यात्रा के बारे में, दर्शनीय स्थलों के बारे में, अपनी यात्रा के बारे में वर्णन हमें मिलता है। इन्हें पढ़ने से हमें भी यात्रा की अनुभूति मिलती है।
यात्रा वृत्तांत की भाषाशैली बहुत उत्तेजित होती है।

दक्षिणी गंगा गोदावरी Summarya in English

The narrator was going from Chennai to Rajahmundry by a train. When he reached Bezwada the sun rose. It was rainy season. So the greenery prevailed everywhere. The climate was very pleasant. The sight of a brook pleased him very much .The row of boats seemed like butterflies. He also saw small ponds. It seemed as if the sky filled with colourful clouds was coming to take a bath in them. He observed the cranes standing between the lotus flowers here and there. At the very moment, the cool breeze touched him.

In this way, the narrator was enjoying himself the beauty of the nature with his heart’s content. While boundless poetry was flowing in his heart, the train reached ‘Kovvuru’ station. The narrator was very curious about the river Godavari which he was about to visit.

He was in dilemma whether he should see the left side or the right side of the bridge. There the water course of the river Godavari was seen very large and wide. Earlier he witnessed the flow of the Ganges, the Sindhu, the Sonbhadra and the Iravathi rivers. He was proud of visiting the river Krishna at Bezwada. But at Rajahmundry the splendour of the river Godavari is marvellous.

It was a place where great epics flourished. So the narrator was elated to see the pomp and glory of the nature there. On westwards the mountain ranges are located. As the sky was cloudy, the water of the river Godavari was filled with dust and seen as if it was in brown colour. The white clouds which spread over the hills seemed as if they were hermits who were involved in penance.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

The boats in the river seemed like the children playing in the lap of the Mother Godavari. The large islands of the Godavari were very famous. They were as stable as mythological precepts. The charm of the forests located in the islands is amazing. Some of them appeared like the genius of a poet which take new forms for every minute.

The bank of the river means the magnificent celebration of the man’s gratitude. The white buildings, temples and high peaks were the symbols of gorgeous reverence.

This is the reason why the devotees take the waves produced by sounds of the temple bells from this side to that side through the waves of the river. The Indians who are culture adorers spill the container which is half – filled with water of the Ganges in the river Godavari and fill the container with its water. The narrator exclaimed that it was a great deed.

After the train crossed the bridge the narrator felt he had forgotten to see the eastside. The river is broader on the eastside that it was on the westside. It was flowing through many water courses.

All rivers empty into the seas. Then excitement, fear and enthusiasm are caused in them. But the river Godavari is bold enough. The nature rooted the tall trees as the flags of victory. On the leftside the people of Rajahmundry and Dowleswaram are leading on eventful life.

The narrator admires the river Godavari as follows : “O Mother Godavari! Many heroes and knights were born on the banks of you. Many philosophers and sages were born. Eminent political leaders and devotees of the God were born. You are the mother for four classes of the people. You are the family deity of my ancestors. I have arrived to visit you with new hopes. You have immense power in your water. If we drink even a drop of your water, it won’t go a waste i.e, our lives will be precious and sanctimonious.

दक्षिणी गंगा गोदावरी Summmary in Telugu

చెన్నయ్ నుండి రాజమండ్రి వెళ్ళేటప్పుడు బెజవాడ వద్ద సూర్యోదయం అయినది. వర్షాకాలపు రోజులు. అందువలన అడిగేది ఏమున్నది? అక్కడక్కడా వివిధ అందాలతో కూడిన పచ్చదనం వ్యాపించి ఉంది.

పశ్చిమం వైపున రైలు పట్టాల ఒడ్డున ఒక కాలువ ప్రవహించుచున్నది. కానీ ఒడ్డు ఎత్తులో ఉన్న కారణంగా నీరు అప్పుడప్పుడు మాత్రమే కన్పించుచున్నది. కేవలం సీతాకోకచిలుకల్లా పడవలు వరుసగా ప్రయాణించడం వలన, అవి వరుసగా నిలబడియుండడం వలన మాత్రమే కాలువ ఉన్నది అని తెలియుచున్నది. మధ్య – మధ్యలో చిన్న – చిన్న చెరువులు కూడా కన్పించుచున్నవి. రంగు – రంగుల మేఘాలతో ఉన్న ఆకాశం దీనిలో స్నానం చేయడానికి దిగుతున్నట్లు కన్పించుచున్నది. అందువలన నీటిలోని లోతు ఇంకా ఎక్కువగా ఉన్నట్లు కన్పించుచున్నది. అక్కడక్కడా చంచలమైన కమల పుష్పాల మధ్య నిశ్శబ్దంగా నిలబడియున్న కొంగలను చూసి ఉదయాన్నే వీచుచున్న చల్లచల్లని గాలులను అభినందించుటకు మనస్సు ఉవ్విళ్ళూరుతున్నది. ఈ విధంగా కవితా ప్రవాహంలో ప్రవహిస్తూ కొవ్వూరు స్టేషన్ వచ్చినది. మనస్సులో ఇప్పుడు ఇక్కడ నుండి గోదావరి మాత దర్శనం కూడ చేసుకోవాలన్న కోరిక కల్గినది.

వంతెనను దాటే సమయంలో కుడివైపు చూడాలా? ఎడమవైపు చూడాలా? అనే సందిగ్దావస్థలో ఉన్నాను. ఒంతెన రానే వచ్చింది. భాగమతి గోదావరి నది అత్యంత విశాలమైన పాయ కన్పించినది. నేను గంగా, సింధు, శోణభద్ర, ఐరావతి మొదలైన మహానదుల విశాల ప్రవాహంతో నిండియుండటం చూచితిని. బెజవాడలో కృష్ణానది దర్శనం పట్ల నాకు చాలా గర్వంగా ఉంది. కానీ రాజమండ్రి ముందు గోదావరి నది ఎటువంటి ఆడంబరాలు లేకుండా విచిత్రంగా ఉంది, అద్భుతంగా ఉంది.

ఈ ప్రదేశంలో నేను ప్రకృతి యొక్క దివ్య – భవ్య ఆడంబరమైన కావ్యాన్ని చవిచూసినంతగా మరెక్కడా అనుభూతి పొందలేదు. పడమర వైపునకు దృష్టి మరల్చి చూడగా దూరదూరంగా పర్వత శ్రేణులు కన్పిస్తున్నాయి. ఆకాశం మేఘావృతమై ఉండటం వల్ల సూర్యుని ఎండ నామమాత్రంగా కూడా లేదు. మేఘాల రంగు శ్యామల వర్ణంలో ఉండటం వల్ల దుమ్ముధూళి, బురద నీటితో నిండియున్న నీటి నీడ ఇంకా లోతుగా ఉన్నట్లు కన్పిస్తోంది. పైన – క్రింద నీడల వలన ఈ దృశ్యం మొత్తంపై వైదిక ప్రభావంతో కూడిన శీతల స్నిగ్ధ సౌందర్యం ఆవరించి ఉంది. పర్వతాలపై కొంచెం దిగి ఉన్న తెల్ల – తెల్లని మేఘాలు ఋషులు – మునులులా అన్పిస్తున్నాయి. ఈ దృశ్యాలన్నిటిని నేను ఎలా వర్ణించగలను ? ఇక్కడ ఇంత నీరు ఎక్కడి నుండి వచ్చి ఉండి ఉంటుంది?

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

ఆపదల నుండి గట్టెక్కి విజయం పొందిన దేశం ఏ విధంగా వైభవంతో కూడిన నూతన శోభలను సంతరించుకుని నాల్గువైపులా తన సమృద్ధిని వ్యాపింపచేస్తూ ముందుకు కొనసాగుతుందో, అదేవిధంగా గోదావరి నది యొక్క అఖండ ప్రవాహం పర్వతాల నుండి గౌరవంగా వస్తున్నట్లు కనిపిస్తోంది. చిన్న – పెద్ద ఓడలు నదీమాత పిల్లలు. తల్లి స్వభావం వాటికి బాగా తెలుసు కాబట్టి అవి అమ్మ గోదావరి నది ఒడిలో ఇష్టం వచ్చినట్లు నాట్యం చేస్తున్నాయి, ఆటలు ఆడుతున్నాయి. గంతులు వేస్తున్నాయి. వాటిని ఆపేది ఎవ్వరు ? కాని పిల్లలను పడవలతో పోల్చడం కంటే నదీ ప్రవాహంలో అక్కడక్కడ ఏర్పడుచున్న సుడిగుండాలతో పోల్చవచ్చు. కొంచెం సేపు కనిపించి మరికొద్ది సేపటిలోనే భయానక తుపానుగా అభినయిస్తూ మరో సెకనులోనే కిలకిలా నవ్వుతున్నాయి. ఈ సుడిగుండాలు ఎక్కడి నుండి వస్తున్నవో ఎటు పోతున్నవో ఎవరికి తెలుసు?

ఈ పొడవు వెడల్పులతో కూడిన పెద్ద పాయల మధ్య ఒకవేళ ద్వీపాలు లేకపోతే అది లోటుగానే ఉంటుంది. గోదావరి నది యొక్క ద్వీపాలు ప్రసిద్ధి చెందినవి. వీటిలో ఎన్నో ద్వీపాలు ప్రాచీన మతం వలే ఎక్కడివి అక్కడే స్థిర రూపాన్ని పొందియున్నవి. కొన్ని ద్వీపాలు కవి ప్రతిభ లాగ క్షణం – క్షణంలో నూతన ప్రదేశాన్ని ఏర్పాటు చేసుకొనుచున్నవి. నూతన రూపాన్ని సంతరించుకొనుచున్నవి. ఈ ద్వీపాలలో అనాసక్తితో ఉండే కొంగలు తప్ప ఇంక ఎవ్వరు ఉండటానికి వెళ్ళగలరు? కొంగలు వెళ్ళేటప్పుడు వాటి పైన వాటి కాళ్ళ యొక్క లోతైన గుర్తులను విడిచిపెట్టకుండా వేరొక ప్రదేశానికి ఎలా వెళ్ళగలవు? నదీమాత ఒడ్డు అంటే మనిషి యొక్క కృతజ్ఞతకు అఖండ ఉత్సవం. నది ఒడ్డున ఉన్న తెల్లని భవంతులు మందిరాలే వాటి ఉన్నత శిఖరాలు. ఒక అఖండమైన ఉపాసన. కాని అంతటితో కావ్య సమాప్తి పూర్తి కాదు. అందువలన భక్త ప్రజలు నదీ ప్రవాహాలపై నుండి మందిరాల (దేవాలయాల) ఘంటానాద ప్రకంపనలను ఈ ఒడ్డు నుండి అవతలి ఒడ్డుకు చేరుస్తున్నారు. సంస్కృతి పూజారులైన (ఉపాసకులు) భారతీయులు ఇక్కడ గంగాజలంతో కూడిన సగం కలశపు నీటిని గోదావరి నదిలో కుమ్మరించి గోదావరి నది నీటిని ఆ కలశంలో నింపుకుని తీసుకువెళ్తారు. అది ఎంతటి భవ్యమైన విధి. అది ఎంతటి పవిత్ర కావ్యం. ఈ భక్తి రసం హృదయాలలో నిండి ఉంది. దేవాలయాల ఘంటానాదం మరియు హృదయనాదాలను పూర్వ స్మృతులే వినిపిస్తాయి. చెవులకు మాత్రం కేవలం ఇంజన్ల మోత మాత్రమే వినిపిస్తోంది. అందువలన మేము ఆధునిక సంస్కృతికి ఈ ప్రతినిధిని ద్వేషించడం వదిలినట్లయితే రైలు చక్రాల తాళము, లయ అంత తక్కువ ఆకర్షణ కల్గినది కాదు. వంతెన పైన మాత్రం దాని విజయనాదం అంటువ్యాధి వ్యాపించినట్లు దూరదూర తీరాలకు వ్యాపించేదిగానే ఉంటుంది.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 9 दक्षिणी गंगा गोदावरी

వంతెన పైన బండి బాగా వెళ్లిన తర్వాత తూర్పువైపున చూడడం వదిలి పెట్టానని నాకు అన్పించినది. నేను ఇటువైపుకు తిరిగి చూసినట్లయితే అద్భుతమైన శోభ (కాంతి) గోచరించింది. పశ్చిమ దిక్కున గోదావరి నది ఎంత వెడల్పుగా ఉన్నదో అంతకంటే ఎక్కువ వెడల్పు తూర్పున ఉన్నది. గోదావరి నది ఎన్నో మార్గాల గుండా ఉత్తేజితమై సముద్రంలో కలవవలసియున్నది. నదీమాతల భర్త సముద్రుణ్ణి నది కలవడానికి వెళ్ళేటప్పుడు దానికి ఎంతో సంభ్రమం, ఎంతో ఉత్తేజం ఎంతో ఉద్విగ్నంగా ఉంటుంది. కానీ గోదావరి నది మాత్రం ధీర, గంభీర మాత. దాని సంభ్రమం కూడా ఉదాత్తమైన రూపంలోనే వ్యక్తమవుతుంది. ఇటువైపున ఉన్న ద్వీపాలు అటువైపు ద్వీపాలతో పోల్చినట్లయితే కొంత విభిన్నంగా ఉన్నాయి. వాటిలో వనశ్రీ శోభ పూర్తిగా వికసించి కన్పించుచున్నది. బ్రాహ్మణులు, రైతుల గుడిసెలు ,ఇటువైపు కన్పించవు. ఒకవేళ ప్రవహించుచున్న నీటి దాడికి గురిఅయ్యే ఈ రెంటి ద్వీపాల మధ్య ఎవరైనా ఎత్తైన భవంతిని నిర్మించినట్లయితే అవి దూరం నుండే కన్పించేవి. ప్రకృతి మాత్రం కొన్ని ఎత్తైన చెట్లను విజయ పతాకలుగా నిలబెట్టినది. కుడివైపున రాజమండ్రి మరియు ధవళేశ్వరంలోని సుఖంతో ఉన్న జన సమాజం ఆనందోత్సవాలను జరుపుకుంటోంది. ఇలాంటి దుర్లభమైన దృశ్యాన్ని చూసి తృప్తినొందే లోపే ఎడమవైపు నది ఒడ్డు నుండి ఇరుక్కుని మత్తుగా నిర్లక్ష్యంతో ప్రవహిస్నున్న తగరం లాంటి తెల్లని మొక్కల స్థావరాల ప్రవాహం (ఒక విధమైన తెల్లని మొక్కలు) దూరం దూరంగా వెళ్తూ కన్పించినది. నదీ నీటిలో ఉన్మాదం ఉంది. దానిలో అలలు లేవు. నదిలో గోచరించే ఒక రకమైన ఈ తెల్లని మొక్కల ప్రవాహం గాలితో కలసి కుట్ర పన్నినవి. దాని ఫలితంగా యధేచ్ఛగా జలతరంగాలు పైకి ఎగురుతున్నవి. తక్కువ సంఖ్యలోనే ఈ తెల్లని మొక్కల ప్రవాహం ఆగకుండా ప్రవహిస్తూనే ఉన్నది. గోదావరి నదీ ప్రవాహంతో పోటీ పడుతూ కూడా వాటికి ఎటువంటి సంకోచం లేదు. అవి ఎందుకు సిగ్గుపడతాయి. గోదావరీ మాత విశాలమైన ఒడ్డున ఇవేమైనా తక్కువ స్తన్య పాలు త్రాగినాయా ?

మాతా గోదావరీ ! రాముడు – లక్ష్మణుడు సీతల నుండి ముసలి జటాయువు వరకు అందరికీ నీవే రొమ్ము పాలు త్రాగించావు. నీ ఒడ్డున శూరవీరులు జన్మించిరి. పెద్ద – పెద్ద తత్వ జ్ఞానులు, సాధు పుంగవులు, దురంధరులైన రాజకీయ నాయకులు (రాజనీతిజ్ఞులు) మరియు ఈశ్వర (భగవంతుని) భక్తులు జన్మించిరి. చతుర్వర్ణాల వారికి నీవు మాతవు. మా పూర్వీకులకు నీవు అధిష్టాత్రి దేవివి. నవ్యనూతన ఆశలతో నేను నీ దర్శనానికి వచ్చాను. నీ నీటిలో అమోఘ శక్తి ఉన్నది, నీ నీటిని ఒక్క చుక్క సేవించినా వ్యర్థం కాదు.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

10th Class Hindi Chapter 8 स्वराज्य की नींव Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 43)

प्रश्न 1.
शासक को विपत्ति की हालत में कैसे काम लेना चाहिए?
उत्तर:
शासक को विपत्ति की हालत में धैर्य और समयस्फूर्ति से काम लेना चाहिए।

प्रश्न 2.
आपकी नज़र में आदर्श शासक के लक्षण क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
मेरी नज़र में तो आदर्श शासक का लक्षण यह है कि उसे अधिकार में क्षमा गुण होना चाहिए।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

प्रश्न 3.
सुव्यवस्थित शासन के गुण क्या हो सकते हैं?
उत्तर:
सबका बराबर ध्यान रखना, विपत्ति में धैर्य और समयस्फूर्ति होना। कानून और नियमों का समान रूप से अनुकरण करना और अधिकार में क्षमा गुण ये सब आदर्श शासक के लक्षण हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 45)

प्रश्न 1.
लक्ष्मीबाई किससे बातें कर रही हैं?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई अपनी सहेली कर्नल जूही से बातें कर रही हैं।

प्रश्न 2.
उन्हें किस बात की चिंता सता रही है?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई को इस बात की चिंता सता रही है कि वह झाँसी, कालपी और ग्वालियर के स्वराज्य के लिए युद्ध कर रही थी लेकिन अब तक उसे जीत नहीं मिली।

InText Questions (Textbook Page No. 48)

प्रश्न 3.
लक्ष्मीबाई तात्या से क्यों नाराज़ थीं? तात्या ने उन्हें क्या आश्वासन दिया ?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई तात्या से इसलिए नाराज़ थी कि वह समझती है कि वह राव साहब के साथ विलासिता में डूबे हैं। रानी की बातों से तात्या को अपनी भूल महसूस हुई। तात्या लक्ष्मीबाई को आश्वासन देता है कि वह देशभक्तों की आवश्यकता को पूरा करने देशभक्त होकर युद्ध में भाग लेता हैं। उसकी हर आज्ञा का
पालन करता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

प्रश्न 4.
लक्ष्मीबाई साहसी नारी थीं। उदाहरण के द्वारा सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
लक्ष्मीबाई साहसी नारी थीं। वह झाँसी, कालपी और ग्वालियर राज्यों के स्वराज्य के लिए युद्ध करती
थी। वह महिला सैनिकों को भी इकट्ठा करके देश की आज़ादी के लिए लडती । अपनी बातों से तात्या को जागरूक किया। वह नूपुरों के झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती थी। वह रणभूमि में मौत से जूझना चाहती थी। इसलिए हम कह सकते हैं कि लक्ष्मीबाई साहसी नारी थी।

अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
मार्ग में हिमालय के अड़ने, डरावनी लहरों के थपेड़े मारने, नाविकों के सो जाने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इसका अभिप्राय यह है कि झाँसी लक्ष्मीबाई ने झाँसी, कलापी और ग्वालियर आदि राज्यों के स्वराज्य के लिए अंग्रेजों और रघुनाथराव से लड रही है। परंतु मंजिल हर बार पास आकर दूर चली जाती है। लक्ष्मीबाई स्वराज्य को पाते देखती है लेकिन मार्ग में हिमालय जैसी अंग्रेजी सेना अड जाती है वह सेना जो है वह महासागर की जैसे डरावनी लहरें थपेडे मारने लगती हैं। यदि लक्ष्मीबाई उन्हें जूझती तो नाविक रूपी सेना सो जाते हैं। इसका मतलब यह है कि नाविक रूपी सेना में हराने की शक्ति नहीं है।

प्रश्न 2.
यह एकांकी सुनने के बाद उस समय की किन परिस्थितियों का पता चलता है?
उत्तर:
यह एकांकी सुनने के बाद हमें उस समय की इन परिस्थितियों का पता चलता हैं –

  • हमें उस समय के राजनीतिक परिस्थितियों का पता चलता है।
  • हमें उस समय के जनता की स्वतंत्रता तथा स्वराज्य भावनाओं की पता चलता है।
  • हमें उस समय की वीरांगनाएँ जैसे झाँसी लक्ष्मीबाई और जूही और वीर पुरुष तात्या की वीरता के बारे में पता चलता है।
  • हमें उस समय के सामाजिक परिस्थितियाँ जैसे ऊँच – नीच, छुआछूत और विलासप्रियता आदि के बारे में भी पता चलता है।
  • हमें यह भी पता चलता है कि स्वराज्य प्राप्ति के लिए नींव का पत्थर की तैयारियाँ हो रही है।
  • हमें उस समय के युद्ध की परिस्थितियों के बारे में भी पता चलता है।

आ) पाट पढ़िए। प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
तात्या कौन थे?
उत्तर:
तात्या बाँदा के नवाब सरदार तथा सेनापति थे।

प्रश्न 2.
बाबा गंगादास ने रानी लक्ष्मीबाई से क्या कहा था?
(या)
बाबा गंगादास ने क्या कहा था?
उत्तर:
बाबा गंगादास ने रानी लक्ष्मीबाई से कहा था कि “जब तक हमारे समाज में छुआछूत और ऊँच – नीच का भेद नहीं मिट जाता, जब तक हम विलासप्रियता को छोड़कर जन सेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।”

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प्रश्न 3.
रानी लक्ष्मीबाई ने क्या प्रतिज्ञा की थी?
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई ने प्रतिज्ञा की थी कि “मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी।” मैं अकेली हूँ। लेकिन उससे क्या ? मैं अकेले ही झाँसी लेकर रहूँगी।”

प्रश्न 4.
जूही तात्या का पक्ष क्यों लेती है?
उत्तर:
जूही तात्या का पक्ष इसलिए लेती है कि वह उसे अपना स्वामी मानती है। उससे वह प्यार करती है।

इ) पाठ के आधार पर आशय स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 1.
स्वराज्य प्राप्ति से बढ़कर है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना, स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना।
उत्तर:
इस वाक्य को झाँसी रानी लक्ष्मीबाई की कर्नल जूही लक्ष्मीबाई से कहती है। स्वराज्य प्राप्ति से बढ़कर है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना, स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना। इसका आशय यह है कि स्वराज्य के लिए सेना को तैयार करना, उन्हें प्रशिक्षण देना, तलवार, बंदूकें आदि शास्त्रों को इकट्ठा करना, अश्वबल को तैयार करना, स्वराज्य तथा स्वतंत्रता भावनाओं को जनता में व्याप्त करना आदि हैं।

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प्रश्न 2.
शंकाएँ अविश्वास पैदा करेंगी और उस अविश्वास से उत्पन्न निराशा को दूर करने के लिए पायल की झंकार और भी झलक उठेगी।
उत्तर:
इस वाक्य को मुंदर लक्ष्मीबाई से कहती है। इसका आशय यह है कि शंकाएँ अविश्वास को पैदा करते हैं। अविश्वास से निराशा उत्पन्न होता है। उसे दूर करने के लिए तो पायल की झंकार झनक उठेगी। ब्राह्मणों के आशीर्वाद का स्वर तेज़ उठेगा।

ई) गद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

भारत का संविधान सभी महिलाओं को समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14), राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं करने (अनुच्छेद 15 (1)), अवसर की समानता (अनुच्छेद 16), और समान कार्य के लिए समान वेतन (अनुच्छेद 39 (घ)) का आश्वासन देता है। इसके अतिरिक्त यह महिलाओं और बच्चों के पक्ष में राज्य के द्वारा विशेष प्रावधान (अनुच्छेद 15 (3)) बनाने की अनुमति देता है। महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाली अपमानजनक प्रथाओं का उन्मूलन (अनुच्छेद 51 (अ), (ई) के भी अधिकार देता है। इन सबका पालन करना हमारा कर्तव्य है।
प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1.
यहाँ किसके बारे में बताया गया है?
उत्तर:
यहाँ महिलाओं और बच्चों को संविधान द्वारा प्राप्त विविध अधिकारों के बारे में बताया गया है।

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 15 (1) में क्या बताया गया है?
उत्तर:
अनुच्छेद 15 (1) में राज्य द्वारा कोई भेदभाव नहीं करने की बात के बारे में बताया गया है।

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प्रश्न 3.
किस अनुच्छेद के अनुसार महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन की बात कही गयी है?
उत्तर:
अनुच्छेद 39 (घ) के अनुसार महिलाओं को समान कार्य के लिए समान वेतन की बात कही गयी है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
एकांकी के आधार पर बताइए कि “स्वराज्य की नींव’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:

  • एकांकी के आधार पर बतायेंगे तो “स्वराज्य की नींव” का अर्थ या तात्पर्य यह है कि स्वराज्य तथा
  • स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए सेना को तैयार करना है।
  • सेना को युद्ध कला का प्रशिक्षण देना है।
  • युद्ध सामग्री संचित करना है।
  • अनुशासन से युक्त सैनिकों को तैयार करना है।
  • स्वराज्य के लिए बलिदान देना भी स्वराज्य का नींव है।

प्रश्न 2.
महारानी लक्ष्मीबाई का कौनसा कथन तुम्हें अच्छा लगा ? क्यों ?
उत्तर:
महारानी लक्ष्मीबाई का यह कथन जो तात्या से कही गयी – ‘तो जाओ, तलवार संभाल लो। नूपुरों की झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन होने दो। भूल जाओ राग – रंग। याद रखो हमें स्वराज्य लेना है। हमें रण भूमि में मौत से जूझना है।” मुझे अच्छा लगा।

यह कथन मुझे इसलिए अच्छा लगा कि लक्ष्मीबाई एक स्त्री होने पर भी तलवार हाथ लेकर युद्ध करना चाहती है। स्त्रियाँ नूपुरों की झंकार को पसंद करते हैं लेकिन लक्ष्मीबाई उसके स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती है। स्वराज्य के लिए रणभूमि में प्राणों को भी अर्पित करना चाहती है।

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आ) वीरांगना लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल थीं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : स्वराज्य की नींव
लेखक : श्री विष्णु प्रभाकर
विधा : एकांकी पाठ

“खूब लडी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी” – सुभद्रा कुमारी चौहान जी की यह पंक्ति लक्ष्मीबाई की वीरता को प्रकट करती है। लक्ष्मीबाई ने यह सिद्धकर दिखाया कि अबला हमेशा अबला नहीं रहती। आवश्यकता पड़ने पर वह सबला भी बन सकती है। लक्ष्मीबाई ने सच्चे अर्थों में देश की स्वतंत्रता की नींव रखी थी। देश के प्रति उनकी कर्मपरायणता बहुत अधिक थी।

वह झाँसी को स्वतंत्रता तथा स्वराज्य दिलाने के लिए अंग्रेजी सरकार से बड़ी वीरता के साथ युद्ध करती है। नारी सेना को तैयार करती है। वह झाँसी, कालपी और ग्वालियर के लिए अंग्रेजों से लडती है।

झाँसी लक्ष्मीबाई सेवा, बलिदान और तपस्या की देवी है। वह नूपुरों की झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वीरांगना लक्ष्मीबाई देश भक्ति की एक अद्भुत मिसाल थी।

इ) ‘स्वराज्य की नींव’ एकांकी को अपने शब्दों में कहानी के रूप में लिखिए।
(या)
वीरांगना लक्ष्मीबाई की देशभक्ति का एकांकी के आधार पर परिचय दीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : स्वराज्य की नींव
लेखक : श्री विष्णु प्रभाकर
विधा : एकांकी पाठ

प्राचीन जमाने की बात है। झाँसी नामक एक राज्य था। महारानी लक्ष्मीबाई उसकी पालिका थी। वह अबला नहीं सबला है। वह पुरुषों के जैसे ही युद्ध करती थी। वह “मर्दानी” थी।

एक बार की बात है। उसके और उसके अगल – बगल के राज्यों पर अंग्रेजों का आक्रमण होने लगा। अंग्रेज़ों ने राज्य संक्रमण सिद्धांत को अपनाकर कई राज्यों को हस्तगत करने लगे। तो झाँसी की रानी वीरांगना लक्ष्मीबाई नारी सेना को तैयार करके इसके विरुद्ध डटकर रही।

झाँसी, कलापी और ग्वालियर आदि पर गोरों का आक्रमण हो रहा था। इसलिए अंग्रेजों के विरुद्ध झाँसी लक्ष्मीबाई युद्ध भूमि में कूद पड़ी। लक्ष्मीबाई प्रतिज्ञा करती है कि झाँसी को कभी नहीं दूंगी। उसकी रक्षा करूँगी।

झाँसी सेवा, तपस्या और बलिदान से स्वराज्य तथा स्वतंत्रता पाना चाहती थी। वह जूही, मुंदर, तात्या आदि वीरों के सहारे स्वराज्य प्राप्ति के लिए भूमि तैयार करने नींव का पत्थर बनाती रही।

वह अपनी सेना में अनुशासन स्थापित करती है। विलासिता उसके लिए असह्य था। वह समाज में छुआछूत, ऊँच – नीच आदि भावनाओं को दूर करना चाहती थी।

झाँसी लक्ष्मीबाई नूपुरों के कार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती थी। वह युद्ध भूमि में स्वराज्य प्राप्ति नहीं कर सकेगी तो वहीं मर जाना चाहती थी। वह सदा युद्ध के लिए ललकारती थी।

विशेषता : देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा मिलती है।

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ई) साहस, वीरता, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता के महत्व पर दो – दो वाक्य लिखिए।
उत्तर:
हमारे जीवन में साहस, वीरता, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का महत्व अधिक है।
साहस :

  • मानव जीवन में साहस एक अदभुत शक्ति है।
  • साहस के बिना हम कोई काम नहीं कर सकते।
  • साहस से ही हमें किसी काम में विजय मिलता है। वीरता
  • मानव जीवन में साहस के साथ – साथ वीरता का भी होना चाहिए।
  • वीरता एवं साहस दोनों एक साथ रहते हैं।
  • जिसमें साहस है उसी में वीरता का दर्शन होता है।
  • हम वीरता से ही वीर बनते हैं।

आत्मविश्वास :

  • हम जो भी काम करते हैं उसे आत्मविश्वास के साथ करना चाहिए।
  • आत्मविश्वास के साथ किये गये कार्य सफल होते हैं।
  • आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है।

आत्मनिर्भरता :

  • आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता दोनों हर एक में होना बहुत आवश्यक है।
  • जिसमें आत्मविश्वास अधिक है उसी में आत्मनिर्भरता भी अधिक होती है।

भाषा की बात

अ) सूचना पढ़िए। वाक्य प्रयोग कीजिए।

1. नारी, मित्र, प्रेम (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग

  1. नारी – झाँसी लक्ष्मीबाई एक वीर नारी है।
  2. मित्र – कष्टों में हमारे साथ रहनेवाला ही सच्चा मित्र है।
  3. प्रेम – हमें आपस में प्रेम के साथ रहना चाहिए।

पर्याय शब्द

  1. नारी – स्त्री, अबला
  2. मित्र – दोस्त, सखा
  3. प्रेम – प्यार, इश्क

2. असफलता, विश्वास (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए। वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उ. विलोम शब्द

  1. असफलता × सफलता
  2. विश्वास × अविश्वास

वाक्य प्रयोग

  1. असफलता – असफलता पर दुख तथा सफलता पर आनंद का अनुभव करना हर एक का साधारण प्रवृत्ति है।
  2. विश्वास – सदा विश्वास के साथ जीना चाहिए। अविश्वास ही मरण है।

3. शंका, किला, सूचना (एक – एक शब्द का वचन बदलिए और वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
वचन

  1. शंका – शंकाएँ
  2. किला – किले
  3. सूचना – सूचनाएँ

वाक्य प्रयोग

  1. शंका – अपनी शंकाओं का निवारण के लिए हम अपने अध्यापकों की सहायता लेनी चाहिए।
  2. किला – वीर शिवाजी ने कई किलों पर आक्रमण करके अपने अधीन में रखा।
  3. सूचना – परीक्षा लिखते समय प्रश्न – पत्र में दी सूचनाओं को एक – दो बार पढ़ना चाहिए।

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

1. स्वराज्य, निराशा (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
स्व, निर

2. वीरता, ऐतिहासिक (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
ता, इक

इ) उदाहरण देखिए। उसके अनुसार वाक्य बदलिए।
उदाहरण : राजू पुस्तक पढ़ता है। – राजू से पुस्तक पढी जाती है।

1. लड़का भोजन करता है।
उत्तर:
लडके से भोजन किया जाता है।

2. रानी ने आज्ञा दी।
उत्तर:
रानी से आज्ञा दी गयी।

3. लक्ष्मीबाई ने जूही से कहा।
उत्तर:
लक्ष्मीबाई से जूही को कही गयी।

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ई) रेखांकित शब्दों के स्थान पर नीचे दिये गये एक – एक शब्द का प्रयोग कर वाक्य बनाइए।

कक्षा में एक लड़का आया। सब लड़के कक्षा में पहुंच चुके थे। लड़कों में अनुशासन बना था।
1. लड़की
2. छात्र
3. छात्रा
4. बालक
5. बालिका
उत्तर:
1. लड़की
कक्षा में एक लडकी आयी।
सब लडकियाँ कक्षा में पहुँच चुकी थी।
लड़कियों में अनुशासन बना था।

2. छात्र कक्षा में एक छात्र आया।
सब छात्र कक्षा में पहुँच चुके थे।
छात्रों में अनुशासन बना था।

3. छात्रा कक्षा में एक छात्रा आयी।
सब छात्राएँ कक्षा में पहुंच चुकी थी।
छात्राओं में अनुशासन बना था।

4. बालक
कक्षा में एक बालक आया था।
सब बालकें कक्षा में पहुंच चुके थे।
बालकों में अनुशासन बना था।

5. बालिका
कक्षा में एक बालिका आयी।
सब बालिकाएँ कक्षा में पहुंच चुकी थी ।
बालिकाओं में अनुशासन बना था ।

परियोजना कार्य

देशभक्ति से संबंधित किसी एकांकी का संकलन कर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।

उत्तर:
मंदिर की नींव
जयसिंहा रेड्डी ‘हरिजीत’

‘मंदिर की नींव’ एकांकी के लेखक श्री जयसिंहा रेड्डी जी हैं। इनका त्यकता के मोह से मुक्त, चुस्त और माधुर्य संवाद योजना लेखक की रंगमंचीय दृष्टि का प्रमाण है। वस्तुशिल्प और अभिनेय तीनों ‘दृष्टियों’ से उल्लेखनीय उनकी साहित्य साधना भारत और हरियाणा सरकारों द्वारा पुरस्कृत है।

‘मंदिर की नींव’ राष्ट्र- प्रेम और बलिदान का उपदेश देनेवाली एकांकी है। भारत की समग्र राष्ट्रीय भावना का विकास आधुनिक युग की विशेषता है। देश भक्ति भावना प्रस्तुत एकांकी का केन्द्रबिन्दु है। भारत पर चीन आक्रमण करता है। भीषण युद्ध चल रहा है। एक भारतीय युद्ध शिविर में जो घटनाएँ घटी हैं, वे ही घटनाएँ इस कहानी की कथावस्तु है। भारतीय सैनिकों के धैर्य, साहस, कर्तव्य निष्ठा और आत्म बलिदान के भावों को अभिव्यक्त करने में लेखक को बड़ी सफलता मिली है। प्रतिकूल परिस्थितियों में चीन के बुहसंख्याक सैनिकों के साथ – युद्ध करके आत्माहुति करने के लिए भारतीय वीर जवानों की सन्नद्धता भारतीय सेना की चारित्रिक दृढता को व्यक्त करती है। यही इस एकांकी की पृष्ठ भूमि है। इस एकांकी के प्रमुख पात्र मेजर और स्क्वैड्रान लीडर विक्टर हैं। कथानक में मेजर और विक्टर के देश प्रेम और बलिदान का निरूपण प्रस्तुत एकांकी में निरूपित किया गया है। इसमें इन दोनों के वैयक्तिक प्रेम का भी संकेत मिलता है। मेजर युद्ध भूमि में बलिवेदी पर चढा हुआ है तो उसकी सुन्दर पत्नी को अपनाने का प्रयत्न पडोसी कर रहा है।

विक्टर का प्रेम युद्ध के वातावरण में रंगीन रोमांस को भर देता है। विक्टर की प्रेमिका हसीना है। अगर इस युद्ध से लौट चले तो वह उस हसीना से विवाह करना चाहता है। आदर्श के साथ यथार्थ और कल्पना के अद्भुत सामंजस्य है यह एकांकी। सैनिकों के देश प्रेम में आत्म समर्पण की जो पवित्रता है वही इस भारत रूपी मंदिर की नींव है।

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पात्र
(मेजर, स्क्वैड्रान लीडर विक्टर, बख्शी, सन्तसिंह तथा अन्य सेनाधिकारी और तीन चीनी)

इंटों से बनाया गया एक फौजी – चौकी का कमरा। कमरे के बायीं ओर एक दरवाज़ा है। सामने की दीवार में बायी ओर एक खिड़की है जो खुली है और उसमें से आकाश के टिमटिमाते तारे दिखाई दे रहे हैं। खिड़की के दायी ओर एक खुला दरवाज़ा है। उसमें से अन्दर के कमरे का कुछ हिस्सा दिखाई दे रहा है। उस कमरे में मंद प्रकाश है। बाहर के कमरे की दीवार पर कुछ नकशे और पं. नेहरु तथा डॉ. राधाकृष्णन की तसवीरे हैं। कमरे के ठीक बीच में एक बड़ा टेबुल है। उसके चारों ओर कुर्सियाँ हैं। टेबुल पर दिया जल रहा है जो टेबुल पर पूर्ण रूप से और कमरे में क्षीण रूप से प्रकाश डाल रहा है। टेबुल पर दो – तीन टेलिफोन भी रखे हैं। कमरे के दायी ओर कोने में एक कद्दे – आदम रैक है। उसके पास एक स्टूल पर सुराही है।)

(पर्दा उठने के बाद टेबुल पर चारों ओर सेनाधिकारी बैठे नज़र आते हैं। सामने मेजर टेबुल पर बिछे नक्शे पर पेन्सिल से कुछ दिखाते हुए सेनाधिकारियों को आदेश दे रहा है। सभी सेनाधिकारी नक्शे की ओर ध्यानपूर्वक देख रहे हैं।)

मेजर :
दुश्मन ने इस चौकी पर तीसरी बार हमला बोल दिया है। शायद अब भी लडाई चल रही है। हमारे स्वचैड्रान लीडर विक्टर वहाँ गये हैं। उनके आने के बाद वहाँ की खबर मिल जायेगी। अब इधर खबर मिली है कि यहाँ भी चीनी हमला करनेवाले हैं। किस क्षण वे आयेंगे यह पता नहीं। मगर धोखे से आयेंगे यह निश्चित हैं। सब तैयार रहिए। चीनी फौज में मंचूरियन ट्रप्स ज्यादा है। और कोरिया के भी …..
(इतने में एक जवान बाहर से अंदर आकर सल्यूट करके एक चिट्ठी मेजर के हाथ में देता है।)

मेजर :
(चिट्ठी पढ़कर) भेज दो ! (जवान सल्यूट करके बाहर जाता है।) हमारे स्क्वैड्रान लीडर आये हैं। तीसरी बार भी चीनियों को पीछे हटना पड़ा। अब हमारी चौकी की बारी है। अब आप सब अपने पोजिशन्स पर खड़े रहिए। (सब खड़े हो जाते हैं और सल्यूट करते हैं। मेजर सल्यूट स्वीकार करता है। सब सेनाधिकारी बाहर चले जाते हैं। कुछ क्षणों की निस्तब्धता के बाद मेजर टेबुल की द्राज खींचकर उसमें से सिगरेट का डिब्बा निकालता है और उसमें से एक सिगरेट लेकर मुँह में लगाकर सुलगाता है। स्क्वैड्रान लीडर विक्टर अन्दर आता है और मेज के पास आकर सल्यूट करता है। मेजर भी सल्यूट करता है।)

मेजर :
(अपनी कुर्सी पर बैठता है और दूसरी कुर्सी की ओर इशारा करके) बैठो!

विक्टर :
(कुर्सी पर बैठता है। मेजर उसकी ओर सिगरेट का डिब्बा बढ़ाता है, मगर विक्टर उसकी ओर हाथ न बढ़ाकर मुस्कुराता है!)

मेजर :
ओह! मैं भूल गया था (सिगरेट का डिब्बा अपनी ओर वापस खींच लेता है।) कहो, क्या हाल है? तुम्हारा हेलिकाफ्टर ठीक तो है न?

विक्टर :
गोली लगाने से कुछ डॅमेज हुआ, मगर वैसे तो चलने में कोई तकलीफ नहीं है। कुछ लोगों को लुम्पु के अस्पताल में पहुँचाया। यदि आप इजाजत दे, तो फिर एक बार यहाँ हो आऊँगा।

मेजर :
और भी घायल है क्या ?

विक्टर :
जी नहीं। … मगर हो सकता है कि चौथी बार भी दुश्मन हमला बोल दे …..

मेजर :
अभी तो खबर नहीं। हाँ अब तो हमला इस चोकी पर होने वाला है।

विक्टर :
यहाँ ?

मेजर :
हाँ, खबर मिली है। हुक्म भी मिला है कि बारूद खत्म होने तक लडाई जारी रहे और बाद में पिछली चौकी में लोटे। मगर … मगर मैं चाहता हूँ कि मरूद खत्म होने तक क्या, मरते दम तक यही लडे और देखे कि यह लाल चीनी हमारी फौज पर कैसे बज करता है?…… अरे हाँ …. (मुस्कुराते हुए) अब कहाँ तक पहुँची है गोली?

विक्टर :
(मुस्कुराते हुए) अब तो दिल तक पहुँची है सर!

मेजर :
लेकिन तुम आपरेशन क्यों नहीं कराते? लुम्पु का अस्पताल ज्यादा दूर तो हैं नहीं।

विक्टर :
मगर सर, मैं नहीं चाहता कि लडाई यहाँ जारी रहे, खून बहता रहे, घायल कराहते रहें और मैं अस्पताल के पलंग पर मीठी दवा पीता लेटा रहूँ।

मेजर :
मगर कही ऐसा न हो कि …..

विक्टर :
कुछ नहीं होगा सर! (मुस्कुराते हुए) मेरा दिल इतना नरम है कि गोली उसकी ओर ताकने की हिम्मत भी नहीं रखती।

मेजर :
(ऊँचे स्वर में हँसते हुए) हाहाहाहः। …. ठीक है। नरम दिल से गोली भी डरती है। उसे तो संगदिल ही ज्यादा पसंद है और हम गोली की प्यार करने के लिए अपने में संगदिल रखते हैं। लेकिन तुम नरम दिल रखते हो तो मैं कहे देता हूँ – तुम मिलिटरी के लिए बेकार हो।

विक्टर :
क्यों सर ?

मेजर :
सिपाही की पहली सिफ़त है मजबूती, फिर सख्ती, बर्दाश्त और बहादुरी! इन सिफात से ही कोई सिपाही बनता है। …. खाने को मिले तो सुअर की तरह खाओं; नहीं मिले तो भूखे रहो, लेकिन मरो नहीं। गन हाथ में और दुश्मन सामने न हो तो सब कुछ भूल जाओ और गोलियाँ बरसाओ। कहीं गोली लगी तो मर जाओ। देश के शहीदों की सूची में तुम्हारा भी नाम लिखा जायेगा। और शहीदों का खून ही तो मंदिरों की नींव है जहाँ उनकी वंदगी होती है, पूजा होती है।

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विक्टर :
लेकिन सर, दिल को पत्थर बनाये बिना भी यह कर सकते हैं।

मेजर :
वही तुम्हारी गलती है विक्टर! एक – एक जवान की जिंदगी में झाँककर देखो, पता चलेगा। सूबेदार रामसिंह से पूछो – उसका घर – बार कर्ज में डुबा जा रहा है। जिस दिन वह काम आयेगा उसी दिन उसकी घर – ग्रिहस्ती भी तहसनहस हो जायेगी। गुप्त से पूछो – जब वह जायेगा तो उसकी जवान स्त्री का क्या होगा? और थापा, शमशेर, हूसेन ….! सबकी जिंदगियाँ बेशकीमत है। सबके अपने – अपने प्राब्लम्स हैं। मगर आज कैसे तैनात खड़े हैं – दिल को पत्थर बनाके | ….. (कुछ क्षण मौन) और मेरी हालत …. कुछ दिन पहले लिखी थी …. पड़ोस का आदमी मेरी ओर घूर घूरकर देखता है, बहाना करके बातें करने आता है। … (हँस कर) पगली है! भला वह खूबसूरत हो और . उसे निहारने कोई न आये, यह कही सुनने को मिला है? और जिसका पति लड़ाई में
गया हो …! जानते हो विक्टर, अगर मैं यहाँ से जिन्दा न लो- तो क्या होगा?

विक्टर :
(सर झुकाये) जी ….!

मेजर :
शायद तुम सोच नहीं सकते। मैं बताऊँगा, सुनो वह पडोसी दुनिया भर की हमदर्दी और तसल्ली के साथ उसके पास जायेगा। और जाता ही रहेगा। और आखिर एक दिन उसे अपना बनाके ही …. !

विक्टर :
(वेदना और रोष के साथ खड़े होकर) सर!

मेजर :
सिपाही की शादी नहीं करनी चाहिए। घर नहीं बसाना चाहिए। वह तो लडने के लिए पैदा होता है, समझे। ….. हसीन लडकियों को सपने में देखने के लिए नहीं। …..

विक्टर :
(असह्य वेदना से) बस कीजिए सर, मैं नहीं सुन सकता।

मेजर :
इतने ही में पस्त हो गये? … जानते हो विक्टर, मैं यह सब तुमसे क्यों कह रहा हूँ। …तुम्हारे प्रति मुझ में स्नेह है। और तुम शेरो शायरी, मजनूनवीसी करते हो। मैं चाहता हूँ कि तुम सिपहियों की जिन्दगी से परिचित हो जाओ, असलियत और हकीकतों को समझो और अपनी कलम से सिपाही – जीवन का महत्व समझाओ। हमारे देश में आज मिलिटरी – जीवन से जानकारी रखनेवाले लेखकों की निहायत कमी है।

विक्टर :
लेकिन सर, मैं तो लड़ने आया हूँ।

मेजर :
(हँसते हुए) मैं जानता हूँ कि तुम लड़ने आये हो। और तुम खूब लड़ो। … हाँ दस चीनियों । से कम नहीं चलेगा। … जानते हो, मैंने कितने चीनियों को मारा है? .. सत्रह! ….

विक्टर :
सत्रह? .. मेजर : हाँ, सत्रह! अगर जंगी – कार्रवाई की दृष्टि से चौकी नहीं बदलनी पडती तो तादाद और भी बढ़ती । खैर, सात तो फालतू हैं। तुम्हें चाहिए तो दे दूंगा। नहीं तो अदद पूरी करने के लिए मुझे और तीन चीनियों को ढूँढना पडेगा। … (हँसता है।) (विक्टर भी उसके साथ हँसता है।)

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मेजर :
अच्छा विक्टर, तुम्हारी हसीना की क्या खबर है? सपने में बराबर आती होगी। …. (मुस्कुराते हुए दूसरा सिगरेट सुलगाता है।)

विक्टर :
(झेंपकर) नहीं सर, सोता ही कहाँ? … और .. अब तो सपना देखें भी क्यों? इन चीनियों को खदेडने के बाद सीधे उसीके सामने खडा होकर देखूगा।

मेजर :
खड़े होकर देखते ही रहोगे या कुछ बातचीत भी …. ?

विक्टर :
(मुस्कुराकर) हाँ – हाँ बातें करूँगा, खूब करूँगा। शादी उसके साथ जो करनी है।

मेजर :
(ऊँचे स्वर में हँसकर) वाह ! वाह! अभी कह रहे थे कि सपना नहीं देखता। लेकिन मेरे सामने ही सपना देखने लगे और वह भी ऐसा सुहावना सपना। (दोनों हँसते हैं।)

मेजर :
हाँ, फर्ज करो कि उसकी दादी माँ को यह शादी मंजूर न हो, तो ….. .

विक्टर :
लेकिन अब दादी माँ के पास जाने की क्या ज़रूरत है। अब तो मेरा स्थान कुछ ऊँचा है। सुना है कि रेडियो और अखबारों में मेरे बारे में इशाअत की जा ही है। तो लड़ाई की खबरें सुनने वाले करोड़ों हिन्दुस्तानियों में वह भी एक क्यों न होगी ? और उसके दिल में मेरे लिए …..

मेजर :
हाँ – हाँ क्यों नहीं ! … और वह डांस भी जनाती है – क्लैसिकल डांस | हो सकता है, हमारी फौज के लिए डांस करके रुपये – गाने इकट्ठे किये हो। और हो सकता है, तुम्हारे लिए नया स्वेटर बुन रही हो। … और विक्टर, जब तुम लौटोगे तो …..

विक्टर :
(बीच में ही) सर, आप बार – बार मेरे लौटने की बात क्यों छेडते हैं?

मेजर :
(मुस्कुराते हुए) इसलिए कि तुम विजयी होकर लौटो और ….

विक्टर :
लेकिन सर, मेरे विजयी होने का मतलब है देश की विजय होना, चाहे मुझे यही मरना पड़े – इसी मिट्टी में, इसी बर्फ में, इसी आकाश में।

मेजर :
(गर्व से) शाबाश, मेरे शेर। मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। मैं चाहता हूँ कि सब सिपाही इसी
तरह मज़बूत हो और तब देखे इस लाल चीनी की अपने असली रंग का पता कैसे चलेगा! …. (मूंछों पर ताव देते हुए) ल्हासा से भी भागना न पड़े तो … (एक जवान हाथ में चिट्ठी लिये तेज़ी से अन्दर आता है और सेल्यूट करके मेजर के
हाथ में देता है। मेजर चिट्ठी पढ़कर खड़ा होता है और विक्टर भी खड़ा होता है।)

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

मेजर :
तुम्हें अभी जाना होगा, विक्टर! उस चौकी में शायद लड़ाई हो रही है। वहाँ से कांटक्ट नहीं मिल रहा है। कोई घायल हो तो वहाँ से ले जाना। गुड् लक्।

विक्टर :
थेक्यू सर! (सल्यूट करके तेजी से बाहर चला जाता है।)

मेजर :
संतसिंह, जरा बख्शी को भेजो!
(जवान सल्यूट करके चला जाता है।)
(मेजर डिब्बे से सिगरेट निकालकर मुँह में लगाकर सुलगाता है। दूर से समवेत स्वरों में कुछ गुनगुनाने की आवाज़ पास आती है। मेजर कुतूहल से खिड़की के पास जाकर देखता है। बख्शी अंदर आकर सल्यूट करता है। सभवेत स्वर और भी पास आता है और स्पष्ट सुनाई पड़ता है।
… बुद्धं शरण गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि। …..)

मेजर :
इस वक्त ये लोग कहाँ से आ रहे हैं, बख्शी? .

बख्शी :
मालूम नहीं ‘सर। शायद मोम्पा लोग होंगे। सुना है कि वे सब बौद्ध है और हमारी खैरअंदेशी के लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं।

मेजर :
(टेबुल के पास आकर, मुस्कुराते हुए) यही तो हम नहीं चाहते। मैं चाहता हूँ कि यहाँ हथियार और लड़ाई के सिवा कुछ न हो। लड़ाई और लड़ाकू से धर्म को दूर रहना चाहिए ! और ……. (इतने में ही बाहर से आवाज़ … ‘अरे ये तो दुश्मन हैं! होशियार … !’ उसकी बात समाप्त होने के पहले ही गोलियाँ चलाने की आवाज़ शुरु हो जाती है। मेजर और बख्शी । चौककर बूंदूकें हाथों में लेते हैं। बख्शी कमरे का दिया बुझाता है। एक जवान तेजी से ‘अन्दर सल्यूट करके …..)

जवान :
सर, दुश्मन बौद्धों के रूप में आया था। सूबेदार ने पहले ही देखा और हमको होशियार किया और खुद घायल हो गया।

मेजर :
अच्छा चलो।
(बख्शी और जवान, दोनों मेजर की पीछे बाहर जाते हैं। गोलियाँ चलाने की आवाज़ बढ़ती ही जाती हैं। कुछ क्षणों के बाद कमरे की खिड़की में एक टार्च दिखाई पडता है और वह धीरे – धीरे खिड़की के पास आता है। कमरे के अन्दर भी रोशनी पड़ती है। कोई चेहरा खिड़की में झाँकता हुआ दिखाई पड़ता है। फिर टार्च बुझ जाता है। और तीन व्यक्ति दरवाजे से कमरे के अंदर प्रवेश करते हैं। एक व्यक्ति टार्च जलाकर रोशनी से कमरे को टटोलता है। टार्च की और कमरे के अंदर की रोशनी में तीनों व्यक्तियों की आकृतियों का अभास मिलता है। उनके हाथों में मशीनगन् हैं और वेश-भूषा बौद्धों की है। टार्च वाला चीनी धीरे-धीरे अंदर के कमरे में चला जाता है इधर एक चीनी कोने का रैक खोलकर कुछ टटोलने लगता है और दूसरा टेबुल पर रखे टेलिफोन का चोंगा उठाकर कान से लगाता है। फिर नीचे रखकर, टेबुल पर बिछे नक्शे की लपेटने लगता है। बाहर गोलियाँ चलाने की आवाज़ ज़रा घटती है। अब दोनों चीनी दरवाजे की ओर पीठ किये टांड में ढूँढने लगते हैं। इतने में बाहर से बख्शी की आवाज आती है।)

बख्शी :
सर ! दुश्मन … अदर …… ! ………
(आवाज सुनते ही दोनों चीनी अपने हथियार संभालने की कोशिश करते हैं लेकिन बाहर से गोलियों की बौछार होकर दीनों वहीं ढरे हो जाते हैं। दरवाजे में पहले बंदूक की नाली दिखाई पड़ती है। फिर उसे हाथ में धामे हुए मेजर का प्रवेश, उसके पीछे बख्शी भी आता है। मेजर खिड़की के पास ही खडा होता है। उसके कंधे में गोली लगने के कारण खून बह रहा है। बख्शी तुरन्त चीनियों की लाशों के पास दौड़ता है और झुककर । उन्हें देखने जाता है। मेजर और आगे बढकर उसकी ओर देखता है।)

मेजर :
है कोई जिंदा ?)

बख्शी :
शायद नहीं सर! (लाशों पर झुकता है।)
(इतने में तीसरा चीनी अंदर के कमरे से बख्शी और मेजर की तरफ गोलियाँ बरसाते हुए दरवाजे की ओर भागता है। मेजर भी गोलियाँ बरसाता है। चीनी जख्मी होकर दरवाजे के बाहर गिर पड़ता है। केवल उसकी टाँगे दरवाजे पर दिखाई पड़ती है। अब मेजर के सीने में भी गोली लगी है और वहाँ से भी खून बह रहा है। मेजर लड़खड़ाते हुए बंदूक को आगे करके अंदर के कमरे में झाँककर देखता है और वहाँ किसी को न पाकर बख्शी के पास आता है।)

मेजर :
(उसे हिलाते हुए) बख्शी! … बख्शी….. ! । (बख्शी का शरीर लुढ़क पडता है। एक बार लंबी साँस लेकर फिर चीनियों के कपडे टटोलता है। कुछ कागज – पत्र हाथ लगते हैं। उन्हें लेकर टेबुल के पास आता है और उन्हें टेबुल पर रखकर कमरे का दिया जलाकर एक कुर्सी पर बैठ जाता है। सीने के दर्द से कराह उठता है। और हाथ से घाव की दवाता है। हाथ भी लाल हो जाता है। उसे पोंछते हुए चीनियों के कागज – पत्रों की ओर नजर दौड़ाता है और उन्हें पढ़ता है। फिर ‘ओह’ कहकर सीने पर हाथ रखकर पीछे की ओर सर टेकता है। बाहर गोलियाँ चलने की आवाज कम होती है। कुछ क्षणों के पश्चात् विक्टर का प्रवेश | मेजर के पास आकर सेल्यूट करता है। मेजर उसकी ओर देखकर मुस्काराता है। लेकिन दर्द से मुस्कुराहट एकाएक गायब हो जाती है। और कराह उठता है।)
(घबराकर उसके पास आकर) सर! आपको गोली लगी! … है, सीने में …. !
हाँ, सीने में। दिल के पास! मगर दिल में घुस जायेगी। संगदिल जो है!
(दरवाजे की ओर मुड़कर) जमादार! जमादार ! …
नहीं विक्टर नहीं! किसी को तकलीफ न दो। सब तैनात वहीं खडे रहें । …… हाँ, वहाँ की क्या खबर है ?

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विक्टर :
अच्छी खबर नहीं है सर ! (सर झुका लेता है) उस चौकी पर दुश्मनों ने कब्जा कर लिया है और मेरा हेलीकाप्टर वहाँ उतर ही न सका। हमारे जवान पीछे की झील पार करके दूर चले जा रहे थे। (कोनें की ओर जाकर टाँड की दराज खींचकर वहाँ से प्रथमोपचार चीजें लेकर मेजर की मरहमपट्टी करने लगता है।) उन सबके उस पार चले जाने तक एक अकेले जवान ने चीनियों को रोक रखा था। उसे बचाने की मैं ने बहुत कोशिश की। लेकिन कामयाब न रहा … | और मुझे लौट जाना पड़ा। मगर इधर तो …..

मेजर :
तुम्हें एक काम सौंपता हूँ विक्टर! … अब कुछ ही देर में चीनियों की फौज बड़ी तदाद में आयेगी। शायद हमें भी चौकी खाली करनी पडेगी। ऊपर से हुक्म है कि बारूद खत्म होते ही चौकी खाली करे। मगर मैं चाहता हूँ कि सब जवान मरते दम तक लड़ते रहें।घायल होकर, लँगडा होकर पेंशन पाने के बदले लड़ते – लड़ते – लड़ते मर जाना ही सिपाही के लिए मुनासिब है। …. लेकिन … लेकिन …. हम इस तरह चौकियाँ खाली क्यों कर रहे हैं … क्यों कर रहे हैं? … यह कैसी मजबूरी है! आखिर ऐसा क्यों हुआ? ….. ओह!
(बाहर गोलियाँ, मोर्टार आदि चलाने की आवाज़ शुरु होती है।)

विक्टर :
शायद आ गये ! …. एक के बाद एक हमला करते रहेंगे ताकि हम, सुस्ता न लें। यही इन चीनियों की स्ट्रेटजी है। …. हाँ, विक्टर ! यहाँ की कोई चीज दुश्मन के हाथ नहीं लगनी चाहिए। तुम सब जला दो और जल्दी पिछली चौकी को इसकी खबर दे दो। : मगर सर ! आप ….. ?

मेजर :
मेरी चिंता मत करो। चौकी की चिंता करो। जवानों की चिंता करो। देश की चिंता करो।

विक्टर :
हाँ सर। आपको हेलिकाप्टर में …..

मेजर :
हेलिकाप्टर लाशों को लादने के लिए नहीं है विक्टर! तुम घायल जवानों को ले जाओ।मैं इसी मिट्टी में, इसी बर्फ में मरना चाहता हूँ। …. आह …. !

विक्टर :
सर! (पास आता है और सीने के घाव पर हाथ रखता है।) मैं आपको लुम्पु के अस्पताल में पहुँचाऊँगा। आप वहाँ ठीक हो जायेंगे।

मेजर :
(मुस्कुराने की चेष्टा करते हुए) अधिक आशावादी होना नहीं विक्टर ! …..

विक्टर :
सर …… ?

मेजर :
मैं चाहता हूँ कि तुम खूब लड़ो, विजयी हो और अच्छी पाओ! सुखी रहो। और उस हसीना के साथ तुम्हारी शादी और … और … (ध्वनि गद्गद् हो जाती है)… और हो सके एक मेरा काम करो ….I)

विक्टर :
(दुःख और कुतूहल से उसकी ओर देखता है।)

मेजर :
हाँ, हो सके तो । हो सके तो …. विक्टर : कहिए, सर !

मेजर :
हो सके तो एक बार मेरे घर जाना! उसे पड़ोसी से … (ध्वनि गद्गद् हो जाती है।)

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विक्टर :
(आर्द्र होकर) सर ! यह मेरा पहला कर्तव्य होगा। मेजर : विक्टर, तुम हनिमून के लिए यहीं आना! ….. और मुझे खुशी है कि मैं अपनी ही मिट्टी पर मर रहा हूँ। इन चीनियों की तरह परदेश में नहीं मर रहा हूँ। विक्टर … !

विक्टर :
सर ….. !

मेजर :
अपनी पीढी को यह मालूम हो कि उनके कल के लिए हमने अपने आज की किस तरह कुर्बानी दी। … (लंबी साँस लेकर) एक सिगरेट दो विक्टर। (विक्टर एक सिगरेट उसके मुँह में रखता है और टेबुल से लाईटर लेकर जलाकर सिगरेट के पास ले जाता है। लेकिन आग बुझ जाती है और मेजर के मुँह से सिगरेट नीचे गिर जाता है। उसकी आँखें मुंद गयी है।)

विक्टर : (आर्द्र कंठ से) सर ! … सर! (अपनी टोपी हाथ में लेकर कुछ क्षणों के लिए सर झुकाकर शान्त खडा रहता है।) (बाहर गोलियाँ चलने की आवाज़ तेज होती है। विक्टर पहले बख्शी की लाश को बाहर ले जाता है और मेजर की लाश को भी बाहर ले जाता है। फिर अंदर आकर सब कागज – पत्रों को अपने नैपसैक में भरकर अंदर के कमरे में चला जाता है। वहाँ से लौटकर पं.नेहरु. और डॉ. राधाकृष्णन् की तस्वीरें लेकर तेज़ी से बाहर चला जाता है। अंदर के कमरे में कुछ धधकती – सी चीज नजर आती है।)

स्वराज्य की नींव Summary in English

This lesson is about a one – act play. The characters in the play are Lakshmibai, Juhi, Mundar, Raghunatharao and Tatya Tope.

Rani Lakshmibai of Jhansi was a great patriot. She had war like qualities. She was a clever horse rider and a clever archer. Juhi and Mundar were her maids. Tatya was the chief leader in the kingdom of Jhansi. Raghunatharao was one of the chiefs.

At the outset, battlefield was seen on the stage. An army camp was arranged near the battlefield. Lakshmibai and her maid Juhi donned warrior’s clothes. They were in the tent belonging to Lakshmibai. They were discussing about the war with the British. The British army invaded Jhansi and captured it. Even though the forces of Lakshmibai fought bravely, they could not succeed before the mighty army of the British.

Lakshmibai was upset with this and shared her distress and agony with Juhi. She said, “Queen ! you read the Gita. Why are you desperate ? She comforted Lakshmibai saying not to lose heart. Lakshmibai remembered the words of Baba Gangadas. “So long the untouchability and the differences, between the rich and the poor are not eradicated, and so long the people do not renounce the inclination towards luxuries and so long we do not engage ourselves in the service of mankind, we do not get independence. It can be attained only through service penance and self – sacrifice”.

Lakshmibai was in depression for their soldiers were indisciplined and inexperienced though they were being trained under the leadership of the chief leader like Tatya. Juhi opined that everybody on their side immersed himself in luxuries. Then Mundar, Lakshmibai’s another maid, came there. She told them that Rao saheb, Banda Nawab, Tatya alone immersed themselves in comforts.

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Juhi said that she was ready to counter attack the enemy. Mundar also came forward and joined her hands. Then they heard the sounds caused by the explosion of cannons from a long distance. Lakshmibai ordered Juhi to bring Tatya into her presence if her was seen. She was about to go. Then Raghunatharao, one of the chiefs came there and informed Lakshmibai that General Sir Hugh Rose’s army defeated the army of Peshwa in Murar. Lakshmibai commanded him to keep his forces ready. He said that General Rose could not capture the fort of Gwalior. Lakshmibai hoped that Rose could never capture that fort. Raghunatharao said that he would give orders to the marching of soliders. He had come there to inform that matter.

Then Sardar Tayta entered there. Lakshmibai said that she had hopes on him. She questioned him why all that was happening even there were warriors like him on their side. She asked him sarcastically if he had come there losing his way. He was offended and said that he was ready to follow whatever she told him to do. He determined to lead his army and relieve Jhansi. Juhi commended that Tatya was a loyal leader. Then Lakshmibai said they needed patriots who sacrifice everything for their country in that moment. She told him to discard love and affection, and encouraged him to fight for independence.

He showed his readiness for the battle. She told him that in case if they didn’t get victory in the battle, he would take their army and the ammunition from the enemy. She was of opinion that it was her life’s final battle. She had no concern whatever they could get victory or defeat.

Tatya praised her valour and went away. Lakshmibai got ready to go to the battlefield. She said that they would get independence or lay the foundation stones for it.

With this the curtain falls and the play ends.

स्वराज्य की नींव Summary in Telugu

పాత్రలు : (లక్ష్మీబాయి, జూహీ, ముందర్, రఘునాథరావు, తాత్యా, సేనానాయక్)
(స్టేజీ పైన యుద్ధభూమి దృశ్యం గోచరించుచున్నది. సైనిక శిబిరం యుద్ధభూమికి సమీపంలో ఏర్పాటు చేయబడి యున్నది. మహారాణి లక్ష్మీబాయికి చెందిన ఒక గుడారం కన్పించుచున్నది. తెర తెరవగానే మహారాణి లక్ష్మీబాయి తన సఖి (చెలికత్తె / స్నేహితురాలు) జూహీతో ఉత్తేజిత స్థితిలో స్టేజీ పైకి వస్తుంది. ఇరువురూ ఎర్రని దుస్తులు ధరించిన యుద్ధ సైనికుల వేషంలో ఉండిరి.

లక్ష్మీబాయి :
నేను చూస్తూ… చూస్తూ ఉండగానే ఎంతలో ఎంత మార్పు జరిగింది జూహీ? ఝాన్సీ, కలాపీ, గ్వాలియర్ ఎక్కడికి వెళ్ళాయి? కానీ గమ్యం దగ్గరకు వస్తున్నట్లు వచ్చి దూరం వెళ్ళిపోతోంది. స్వరాజ్యం (స్వాతంత్ర్యం) వస్తున్నట్లు కనిపిస్తోంది కానీ రెండోక్షణంలోనే హిమాలయ పర్వతాలు అడ్డగిస్తున్నాయి. దానిని దాటితే మహాసాగరంలోని భయంకరమైన అలలు చెంపదెబ్బ కొడుతున్నాయి. దానినుండి పోరాడి తప్పించుకుంటే నావికులు నిద్రిస్తున్నారు. చూడు జూహీ, ఆ సమాంతర ప్రదేశాన్ని చూడు, ఎలాంటి మంటలు పైకి లేస్తున్నాయి. ఆకాశమంతా నల్లని మేఘాలు కమ్ముకొని ఉన్నాయి. ప్రళయం రాబోతోంది. కానీ రావుసాహెబ్ రక్తమండల ఛాయ (నీడ) లో భోగవిలాసాలతో విశ్రాంతి తీసుకుంటున్నాడు. (ఆవేశంతో ఊగి ఊగి మౌనాన్ని దాలుస్తుంది. జూహీ ఏదో చెప్పాలని నోరు తెరుస్తోంది. కానీ మహారాణి మళ్ళీ మాట్లాడుతుంది) జూహీ, జూహీ, నేను నా ఝాన్సీని ఇవ్వనని ప్రతిజ్ఞ చేశాను. కానీ ఝాన్సీ చేయి జారిపోయింది జూహీ. (మరలా వెంటనే ఉత్తేజంతో) కాదు, కాదు ఝాన్సీ నా చేతుల నుండి చేజారి పోలేదు. నేను నా ఝాన్సీని ఇవ్వను. నేను ఒంటరిగా ఉన్నాను. అయితే ఏమి? నేను ఒంటరిగానే ఝాన్సీని పొంది తీరతాను.

జూహీ :
ఎవరన్నారు మహారాణీ? మీరు ఒంటరివారని?
మీరు గీత చదువుతారు కదా! అయినా ఎందుకింత నిరాశ?

లక్ష్మీబాయి :
నేను నిరాశగా ఏమీ లేను. నాకు తెలుసు. నేను ఝాన్సీని పొందే తీరతాను. నీకు తెలుసు కదా! ఆ రోజున బాబా గంగాదాస్ నాతో ఏమి చెప్పాడో? “ఎప్పటి వరకు మన సమాజంలో అస్పృశ్యత, ఉన్నవారు – లేనివారు (పెద్ద-చిన్న) అనే భేదాలు తొలిగిపోవో ఎప్పటి వరకు విలాస ప్రియత్వం వదలి జన సేవకులం అవ్వమో అప్పటి వరకు మనకు స్వరాజ్యం రాదు, లభించదు. అని కేవలం సేవ, తపస్సు, ఆత్మార్పణంతోనే వస్తుంది.”

జూహీ :
కానీ మహారాణి, ఆయన ఇంకా ‘స్వరాజ్య ప్రాప్తికి మించి స్వరాజ్య స్థాపన కోసం భూమి సిద్ధం కావాలి, స్వరాజ్యపు పునాది రాయిని ఏర్పాటు చేయాలి. విజయం, అపజయం ఈ రెండూ దైవాధీనం. కానీ స్వరాజ్యప్రాప్తి కోసం పునాది రాయిని ఏర్పాటు చేస్తే ఎవరు ఆపగలరు? అది మన హక్కు” – అని కూడా చెప్పారు కదా!

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లక్ష్మీబాయి :
నా ప్రియమైన కర్నల్ శాబాష్ , మీతో నేను ఆశించే ఆశ ఇదే. ఏ స్వరాజ్యపు పునాది రాయిని మీరు ఏర్పాటు చేయడానికి వెళుతున్నారో, అది నిశ్చయంగా గొప్పది అవుతోంది. అది నా జీవిత కాలంలో లభిస్తుందా, లభించదా అనే దిగులు, బాధ నాకు లేదు. కానీ నా దుఃఖానికి, దిగులుకు కారణమేమిటంటే మన వద్ద తాత్యా లాంటి సేనాధిపతి ఉన్నాడు. కానీ మన సైన్యంలో క్రమశిక్షణ లేదు. మన దగ్గర గ్వాలియర్ కోట ఉంది. కానీ మనం, ఏమీ చేయలేకపోతున్నాం. ఎందుకని? నీకు తెలుసా జూహీ ఎందుకో ?

జూహీ :
తెలుగు మహారాణి మనం విలాసాలలో మునిగిపోయాం .
(అప్పుడే నవ్వుతూ ముందర్ ప్రవేశిస్తుంది.)

ముందర్ :
మనం విలాసాలలో మునిగిపోయామని ఎవరన్నారు?
విలాసాలలో మునిగింది రావ్ సాహెబ్, బాందా నవాబు సేనాపతి తాత్యా.

జూహీ :
(ఒక్కసారిగా) కాదు, ముందర్. సేనాపతి కాదు.

ముందర్ :
(నవ్వుతుంది) ఓహ్, అర్థమయ్యింది. నీవు ఆయన వైపే ఉంటావు, ఆయన్నే సమర్థిస్తావు.

జూహీ :
(దృఢ స్వరంతో) నేనేమి ఆయన వైపు (పక్షం) ఉండను, కానీ ఏది యదార్థమో దాన్ని సమర్థిస్తా, దాన్ని దాచను. ఆయన (తాత్యా) సర్దార్ రావ్ సాహెబ్ ను తన సర్వస్వంగా భావిస్తారు. దేశం కోసం నేను సర్దారను (తాత్యాను) కూడా వ్యతిరేకిస్తాను. వ్యతిరేకించాను కూడా.

ముందర్ :
(పక పకా నవ్వి) జూహీ నీకు కోపం వచ్చిందా? నా ఉద్దేశ్యం అది కాదు. నేను కేవలం ఏమంటున్నానంటే నీవు నీ స్వామిగా అతనిని (తాత్యాని) అంగీకరించావు. అతడిని (తాత్యా) ఎందుకు ఆపలేకపోతున్నావ్?

లక్ష్మీబాయి :
జూహీ అతనిని ముందర్ ఆపింది. నాకు తెలుసు. రావా సాహెబ్ చెప్పినట్లు తనను (జూహీ) నాట్యం చేయమని తాత్యా చెపితే జూహీ దాన్ని తిరస్కరించింది. ధిక్కరించింది.

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జూహీ :
అవును మహారాణీ, నేను స్వరాజ్యం కోసం నాట్యం చేస్తా, దాదాపు నాట్యం చేస్తూనే ఉన్నా. కానీ విలాసంలో మునిగితేలడానికి నా కళను ఎవరి మెడకో ఉరితాడు కానీయను. నాకు అలా ఎవరైతే చేయమని చెబుతారో వారికి ఎదురుదెబ్బ కొట్టగలను.

లక్ష్మీబాయి :
(దీర్ఘ నిట్టూర్పు వదలి) ఎదురుదెబ్బ కొట్టలేవు జూహీ. ఆ నొప్పే మనల్ని గుచ్చుకునేలా చేస్తోంది. ఒకవేళ మనం ఎదురుదెబ్బ కొట్టి వాళ్ళ మదాన్ని అణచినట్లయితే ఇంకా మాటలేమున్నాయి?

జూహీ :
మహారాణి! ఇతరుల మాటలు నాకు అర్థం కావు. నన్ను ఆజ్ఞాపించండి. నేను ఎదురు దాడికి సిద్ధంగా ఉన్నాను.

ముందర్ : నేను కూడా సిద్ధంగా ఉన్నాను.
పదండి మనమందరం వెళ్ళి వారి నిద్రను భంగపరుద్దాం. (వారి పక్కలో బల్లెంలా అవుదాం.)

లక్ష్మీబాయి :
లేదు ముందర్, లేదు. మనం వారికి నిద్రా భంగాన్ని కల్గించలేం. ఇప్పుడు శత్రువుల ఎదురుదెబ్బలే వారి నిద్రను భంగపరిచి మేల్కొనేలా చేస్తాయి.

జూహీ :
శత్రువుల ఎదురుదెబ్బలా? మీరేమి అంటున్నారు?

లక్ష్మీబాయి :
అవును జూహీ, శత్రువుల ఎదురుదెబ్బలు అవిశ్వాసపు కందకాన్ని ఇంకా వెడల్పు చేస్తాయి. నీకు తెలియదా! మనం ఏ దృష్టితో ఒకరినొకరు చూసుకుంటామో? ఏమి ఇలాంటి స్థితిలో నేనేమైనా చెప్పినట్లయితే అనుమానాల మేఘాలు’ ఇంకా దట్టం కావా?

ముందర్ : అవును, మహారాణి నిజమే చెబుతున్నారు. అనుమానాలు, అవిశ్వాసాన్ని పెంపొందిస్తాయి. ఆ అవిశ్వాసం ద్వారా ఉత్పన్నమైన నిరాశను దూరం చేయాలంటే గజ్జెల సవ్వడి ఇంకా ఘల్లుమనాలి. శ్రీఖండం (పానీయం) లడ్డూలపై ప్రాణం వదిలే బ్రాహ్మణుల ఆశీర్వాద స్వరాలు ఇంకా వేగం పుంజుకోవాలి. (ఒక్కసారిగా ఎక్కడో దూరాన ఫిరంగులు పేలుతున్న (మ్రోగుతున్న) శబ్దాలు విన్పిస్తాయి.)

లక్ష్మీబాయి :
జూహీ నీవు తాత్యాను వెతికినట్లయితే (నీకు తాత్యా కన్పించినట్లయితే) వెంటనే అతనిని ఇక్కడకు రమ్మని చెప్పు.

జూహీ :
ఎందుకు వెతకను? మీ ఆజ్ఞ అయితే అతనిని పాతాళంలో ఉన్నా లాక్కుని వస్తాను. (వెళ్ళడానికి సిద్ధపడుతుంది. అప్పుడే రఘునాథరావు వేగంగా లోపలికి వస్తాడు.)

రఘునాథరావు :
మహారాణీ, మీరు విన్నారా?

లక్ష్మీబాయి :
ఏమిటది రఘునాథ్?

రఘునాథ్ రావ్ :
మహారాణి, జనరల్ రోజ్ సైన్యం మురార్ లో పేశ్వా సైన్యాన్ని ఓడించింది.

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జూహీ :
(వణికిపోతూ) ఏమిటి పేశ్వా సైన్యం ఓడిపోయిందా?

లక్ష్మీబాయి :
పేర్వా సైన్యం ఓడిపోయింది. మంచి పనే జరిగింది. ఇప్పుడు పేళ్వి కళ్ళు తెరచుకుంటాయి. రఘునాథ్ మీ సైన్యాన్ని సిద్ధంగా ఉండమని ఆజ్ఞాపించు. రోజ్ గ్వాలియర్ కోటను స్వాధీనం చేసుకోలేడు.

రఘునాథ్ :
నాకు తెలుసు. అతడు ఎప్పటికీ స్వాధీనం చేసుకోలేడు. నేను ఇప్పుడే సైనికులకు మార్చింగ్ చేయడానికి ఆదేశాలిస్తాను. కేవలం మీకు సూచన ఇవ్వడానికే ఇక్కడకు వచ్చాను. (వెళ్ళిపోతాడు)

లక్ష్మీబాయి :
జూహీ, నీవు కూడా వెళ్ళు. (ఒకసారి బయటకు చూసి) ఆగు. బహుశా సేనాపతి తాత్యా ఇటే వస్తున్నాడు.

జూహీ :
(బయటకు చూసి) అవును ఆయన సర్దార్ తాత్యానే… (సర్దార్ తాత్యా ప్రవేశిస్తాడు. )

లక్ష్మీబాయి :
చెప్పండి, సర్దార్ తాత్యా, ఈ రోజు మీరు ఇలా దారి తప్పి వచ్చినట్లున్నారే?

తాత్యా :
మహారాణీ, నేను ఎవరికైనా సర్దారను కావచ్చు కానీ మీకు మాత్రము సేవకుణ్ణి.

లక్ష్మీబాయి :
(వ్యంగ్యంగా) ఇంత గొప్ప సేనాపతి. ఒక స్త్రీ ముందు తలవంచుకోవటానికి సిగ్గుగా లేదు? సరే. ఆ విషయం వదిలివేయి. అది నీ వినయం అనుకుంటా. కానీ ఆ ఫిరంగుల శబ్దము ఎందుకు, ఎక్కడ నుండి వినిపిస్తున్నది? ఏమి ఉత్సవం జరుపుకుంటున్నారు? బహుశా బట్రాజులకు జాగీరాలు పంపకం ఇంకా అవ్వలేదా?

తాత్యా :
మహారాణీ, మీకు మమ్మల్ని సిగ్గుపడేలా చేసే అధికారం ఉంది. మేము దానికి యోగ్యులమే. కానీ ఏదైతే జరుగుతూ ఉందో, అది మీకు తెలుసు కూడా.

లక్ష్మీబాయి :
బహుశా బ్రాహ్మణుల భోజనం సందర్భంగా ఈ ఫిరంగులు పేల్చుతున్నట్లున్నారు. శ్రీఖండం మరియు లడ్డూల కోసం నెయ్యి, పంచదారలకు ఏమీ కొరత లేదు కదా!

జూహీ :
మహారాణీ, ఈసారికి ఇతనిని క్షమించండి.

తాత్యా :
(విసిగిపోయి) మహారాణీ మీరు ఈ విధంగా ఎప్పటి వరకు నన్ను విమర్శిస్తుంటారు?

లక్ష్మీబాయి :
అయితే, నేను కూడా సిద్ధమే. తాత్యా నీ మీద నాకు ఎన్నో ఆశలున్నాయి. నీవు ఉండి కూడా ఇలా ఎందుకు జరుగుతోంది ?

జూహీ :
మహారాణీ, ఈయన స్వామి భక్తుడు.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

లక్ష్మీబాయి :
కానీ, ఈ రోజు మనకు కావలసినది దేశభక్తులు. జాగ్రత్త. సరే ఇప్పటికి నష్టపోయింది ఏమీ లేదు. ఇప్పుడు కూడా మనం చాలానే చేయవచ్చు.

తాత్యా :
అందుకే కదా నేనే వచ్చింది మహారాణీ! మీరేది చెబితే నేను అదే చేస్తా. మీరు ఏ ప్రణాళికలు సిద్ధం చేస్తే నేను వాటినే అనుసరిస్తా.

లక్ష్మీబాయి :
సరే, వెళ్ళు కత్తులను సవరించుకో. గజ్జెల సవ్వడుల స్థానంలో ఫిరంగుల గర్జనను వినిపించాలి. మరచిపో అభిమానం – అనురాగాలను. గుర్తుంచుకో మనం స్వరాజ్యాన్ని పొందాలి. మనం రణ భూమిలో చావుతో…

తాత్యా :
మహారాణీ, తమకు జయం కలుగుగాక. నేను యుద్ధానికి సిద్ధపడి వచ్చాను.

లక్ష్మీబాయి :
తెలుసు. కానీ సేనాపతి, ఈసారి మనకు దుర్భాగ్యం దాపురించి విజయం లభించకపోయినట్లయితే ఒక్కటి గుర్తుంచుకో నీవు మన సైన్యాన్ని, యుద్ధ సామగ్రిని రెండింటిని చుట్టుముట్టిన శత్రువుల నుండి తీసుకుని వెళ్ళిపోవాలి.

తాత్యా :
అలాగే మహారాణి.

లక్ష్మీబాయి :
తాత్యా, ఇది నా జీవిత అంతిమ యుద్ధమని నా మనస్సు చెబుతోంది. విజయమో, అపజయమో నాకు ఏ విషయానికి దిగులు లేదు.
మన వీరత్వానికి కళంకం రాకూడదనే నా దిగులు, ఆలోచన.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

తాత్యా :
మహారాణీ వీరత్వం మిమ్మల్ని పొంది ధన్యమైనది. మీరుండగా కళంకం మన ఛాయ (నీడ) ను కూడా తాకలేదు. ఆజ్ఞాపించండి. ప్రణామములు.

లక్ష్మీబాయి :
నమస్కారాలు తాత్యా, నేను సరాసరి యుద్ధ భూమికి వెళ్ళుతున్నాను. ఆలస్యం చేయకు. (తాత్యా వెళ్ళిపోతాడు.)

ముందర్ :
మహారాణీ, నేను ఈ రోజంతా మీతోనే ఉంటాను.

జూహీ :
నేను ఫిరంగిశాలను పర్యవేక్షిస్తాను.

లక్ష్మీబాయి :
మనందరం కలిసి స్వరాజ్యాన్ని పొందుదాము లేదంటే స్వరాజ్య పునాది రాళ్ళను ఏర్పాటు చేద్దాం.
(తెర పడుతుంది. నాటకం సమాప్తమగుతుంది. )

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
लक्ष्मीबाई के अनुसार स्वाराज्य की स्थापना कैसे हो सकती हैं?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई के अनुसार स्वराज्य की स्थापना के लिए विलासिता को छोड़ देना चाहिए।
छुआछूत और ऊँच – नीच के भेदों को भूलकर जनसेवक बनना है।
* सेवा, तपस्या और बलिदान से स्वराज्य पा सकते हैं।
निराशा छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए। अपने को समर्पण करना चाहिए।

प्रश्न 2.
महारानी लक्ष्मीबाई को किस बात का दुःख था ?
उत्तर:

  • महारानी लक्ष्मीबाई देश की आजादी के लिए लड़ रही थी।
  • सेना में अनुशासन हीनता, विलास प्रियता आदि देखकर वह चिंतित थी।
  • स्वामी भक्ति का लोप, ऊँच – नीच का भेद – भाव समाज में व्याप्त था।
  • इस कारणों से महारानी लक्ष्मीबाई दुःखी थी।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

प्रश्न 3.
पाठ के आधार पर “स्वराज्य की नींव” का अर्थ बताइये।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए लड़ना, अपने आप को तैयार रखना ही स्वराज्य की नींव रखना है। रानी लक्षमीबाई ने इस के लिए प्रयास किया था। अनुशासन युक्त सेना तैयार करने का प्रयास किया। समाज में छुआ – छूत और ऊँच नीच का भेद मिटाने की कोशिश की। विलास प्रियता को छोड़कर देश सेवा में निमग्न हो गयी।

प्रश्न 4.
स्वराज्य की नींव का अर्थ अपने शब्दों में बताइए ।
उत्तर:
स्वराज्य का नींव का अर्थ भारत को आज़ाद कराना है। उस समय भारत अँग्रेज़ों का गुलाम था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। अतः उन्होंने स्वराज्य प्राप्त करने के युद्ध की नींव रखी। स्वराज्य का मतलब है स्वयं द्वारा स्वयं के नियम बनाकर उसके अनुसार काम करना।

प्रश्न 5.
लक्ष्मीबाई की दृष्टि में मातृभूमि का क्या महत्व है?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई मातृभूमि को माता के समान मानती हैं। वे मातृभूमि को अंग्रेजों के हाथों अपवित्र नहीं होने देना चाहतीं। वे भारत माता को गुलाम होते नहीं देख सकती। वे यहाँ के समाज में फैले भेदभाव को भी दूर करना चाहती हैं। इसी कारण वे मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिये।

प्रश्न 6.
बाबा गंगादास कौन थे ? उन्होंने लक्ष्मीबाई से क्या कहा था?
उत्तर:
बाबा गंगादास रानी लक्ष्मीबाई के गुरु थे। उन्होंने उनसे कहा था कि जब तक हमारे समाज में छुआछूत और ऊँच-नीच का भेद नहीं मिट जाता, जब तक हम विलासप्रियता को छोड़कर जनसेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।

प्रश्न 7.
लक्ष्मीबाई को कौन सी चिंता सताती थी?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई को चिंता सता रही थी कि कहीं उनकी वीरता कलंकित न होने पाये। उन्हें पता था कि वह युद्ध में जीत नहीं पाएँगी। लेकिन वह मरकर भी स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना चाहती थीं। लेकिन उनके साथी रावसाहब इत्यादि विलासिता में डूबे थे। रावसाहब के सेनापति तात्या भी उनका साथ दे रहे थे। इस कारण रानी को चिंता थी कि उनकी वीरता कहीं कलंकित न होने पाये।

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प्रश्न 8.
तात्या कौन थे, उनसे लक्ष्मीबाई क्यों नाराज़ थीं?
उत्तर:
तात्या लक्ष्मीबाई की सेना के सेनापति थे। लेकिन वे रावसाहब को अपना स्वामी मानते थे। राव साहब युद्ध की घड़ी में भी विलासिता में डूबे थे। तात्या भी उनका साथ दे रहे थे। इसलिए लक्ष्मीबाई तात्या से नाराज थीं।

प्रश्न 9.
लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ कौन थीं? उनके बारे में दो वाक्य लिखिए ।
उत्तर:
लक्ष्मीबाई की सहेलियाँ जूही और मुंदर थीं। वे भी उनके साथ युद्ध करने आई थीं। वे बहादुर थीं। वे रानी लक्ष्मीबाई का साहस बढ़ा रही थीं। जूही एक नृत्यांगना थी। वह तात्या से प्रेम करती थी। मुंदर एक वीरांगना थी। वह भी निडर होकर अंग्रेज़ों से लोहा लेने आई थी।

प्रश्न 10.
बाबा गंगादास के अनुसार स्वराज्य की प्राप्ति कब होगी?
उत्तर:
बाबा गंगादास का कहना था कि स्वराज्य की प्राप्ति वास्तव में तब होगी जब हमारे समाज से भेदभाव मिट जायेगा। उन्होंने कहा था कि जब तक हमारे समाज में छुआछूत और ऊँच-नीच का भेद नहीं मिट जाता, जब तक हम विलासप्रियता को छोड़कर जनसेवक नहीं बन जाते, तब तक स्वराज्य नहीं मिल सकता। वह मिल सकता है केवल सेवा, तपस्या और बलिदान से।

प्रश्न 11.
विलासिता में कौन डूबे हुए थे?
उत्तर:
विलासिता में राव साहब, बाँदा के नवाब और तात्या डूबे हुए थे। युद्धभूमि की चिंता छोड़कर वे नृत्य और मदिरा का आनंद ले रहे थे। इसी कारण रानी लक्ष्मीबाई उनसे नाराज़ थीं।

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प्रश्न 12.
लक्ष्मीबाई और उनके साथी स्वराज्य की नींव क्यों बनना चाहती थीं?
उत्तर:
लक्ष्मीबाई और उनकी साथी मातृभूमि को माता के समान मानती थीं। वे मातृभूमि को अंग्रेजों के हाथों अपवित्र नहीं होने देना चाहती थीं। वे भारत माता को गुलाम होते नहीं देख सकती थीं। उन्हें पता था कि उनकी मृत्यु के बाद भारत के लोग अंग्रेज़ों से लड़ने के लिए प्रेरित होंगे। वे जाग जाएँगे। इसलिए वे स्वराज्य की नींव बनना चाहती थीं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
मंजिल है कि पास आकर भी हर बार दूर चली जाती है – महारानी लक्ष्मीबाई ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:
मंजिल है कि पास आकर भी हर बार दूर चली जाती है – महारानी लक्ष्मीबाई ने निम्नलिखित कारणों से ऐसा कहा होगा । लक्ष्मीबाई स्वराज्य की प्राप्ति के लिए खूब कोशिश कर रही थी। लेकिन उनको मार्ग पर बहुत कष्ट आ रहे थे। उन कष्टों को झेलकर आयी तो इधर सेनापति विलासिता में डूबे हुए थे। उनको स्वराज्य प्राप्त होने की आशा मिलती थी, दूसरे ही क्षण में मार्ग में हिमालय पहाड अड जाता था। लक्ष्मीबाई हिमालय रूपी कष्ट को पार करती थी तो महासागर भयानक लहरों से टकराते हुए सामने आती थी। लक्ष्मीबाई उन लहरों को भी रोकती तो यहाँ सेनापति तात्या विलासिता में डूबकर सो रहा था, जैसे कष्टों के समय में नाविक सो रहा था। कष्ट समय में नाविक सोता तो नाव डूब जाता है। लक्ष्मीबाई को ही इनको संभालना पडता है।

प्रश्न 2.
लक्ष्मीबाई के जीवन से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:

  • लक्ष्मीबाई के जीवन से हमें ये संदेश मिलते हैं –
  • हर एक नागरिक को देश – प्रेम तथा देश – भक्ति के साथ रहना चाहिए।
  • हर एक को विलासिता से दूर रहना चाहिए। देश के लिए मर मिटना चाहिए।
  • छुआछूत और ऊँच – नीच के भेदों को भूलकर जन सेवक बनना चाहिए।
  • सेवा, तपस्या और बलिदान आदि गुणों से ओतप्रोत होना चाहिए।
  • अबला हमेशा अबला नहीं आवश्यकता पड़ने पर वह सबला भी बन सकती है।
  • हर एक को स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना चाहिए।

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प्रश्न 3.
“स्वराज्य की नींव एकाकी को दृष्टि में रखकर रानी लक्ष्मीबाई के त्याग और बलिदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई कहती हैं कि जीत हो या हार, मुझे किसी बात की चिंता नहीं। चिंता केवल इस बात की है, हमारी वीरता कलंकित न होने पाये। हम सब मिलकर या तो स्वराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेंगे। इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की स्वतंत्रता की तड़प स्पष्ट दिखाई देती है। लेकिन साथ ही वह एक ऐसे स्वतंत्र भारत की कल्पना करती थीं जहाँ समाज में भेदभाव न हो। लक्ष्मीबाई मातृभूमि को माता के समान मानती हैं। वे मातृभूमि को अंग्रेजों के हाथों अपवित्र नहीं होने देना चाहतीं। वे भारत माता को गुलाम होते नहीं देख सकतीं। इसी कारण उन्हें मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिये।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए लक्ष्मीबाई तरसती थी, पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई कहती हैं कि जीत हो या हार, मुझे किसी बात की चिंता नहीं। चिंता केवल इस बात की है, हमारी वीरता कलंकित न होने पाये। हम सब मिलकर या तो स्वराज्य प्राप्त करके रहेंगे या स्वराज्य की नींव का पत्थर बनेंगे। इन पंक्तियों में रानी लक्ष्मीबाई की स्वतंत्रता की तड़प स्पष्ट दिखाई देती है। लेकिन साथ ही वह एक ऐसे स्वतंत्र भारत की कल्पना करती थीं जहाँ समाज में भेदभाव न हो। लक्ष्मीबाई मातृभूमि को माता के समान मानती हैं। वे मातृभूमि को अंग्रेजों के हाथों अपवित्र नहीं होने देना चाहतीं। वे भारत माता को गुलाम होते नहीं देख सकतीं। इसी कारण उन्हें मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिये।

प्रश्न 5.
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन नारी जगत के लिए प्रेरणादायक है । स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लक्ष्मीबाई का जीवन नारी जगत के लिए प्रेरणादायक है । क्योंकि नारी को अबला समझा जाता है। रानी लक्ष्मीबाई ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करके यह सिद्ध कर दिया कि नारी अबला नहीं सबला है। इसी प्रकार हमारी महिला बहनों और माताओं को भी स्वयं को कमज़ोर नहीं समझना चाहिए। उन्हें घर और परिवार मात्र में कैद नहीं रहना चाहिए। उन्हें भी अपने अस्तित्व का विकास करना चाहिए। समाज में नाम कमाने का प्रयास करना चाहिए।

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प्रश्न 6.
महारानी लक्ष्मीबाई का कौनसा कथन तुम्हें अच्छा लगा ? क्यों ?
उत्तर:
महारानी लक्ष्मीबाई के स्वराज्य से संबंधित यह विवरण मुझे बहुत अच्छा लगा क्यों कि वह तात्या से इस प्रकार कहती है – “मेरा मन कहता है कि यह मेरे जीवन का अंतिम युद्ध है। जीत हो या हार, मुझे किसी बात की चिंता नहीं। चिंता केवल इस बात की है, हमारी वीरता कलंकित न होने पाये। क्योंकि इसमें लक्ष्मीबाई की वीरता का परिचय हमें मिलता है। वह यह चाहती है कि युद्ध में हार मिलने पर भी उसकी वीरता को कलंक न मिलने की आशंका प्रकट करती है। इसीलिए मुझे यह कथन बहुत अच्छा लगा।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 8-10 पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता आन्दोलन की नींव रखने में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई सफल हुई – इस पर व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाठ का नाम : “स्वराज्य की नींव”
लेखक का नाम : “विष्णु प्रभाकर”

  • लक्ष्मीबाई बडी वीरांगना है।
  • उसने यह साबित किया कि अबला हमेशा अबला नहीं रहती । आवश्यकता पड़ने पर वह सबला भी बन सकती है।
  • उसने झाँसी की स्वतंत्रता तथा स्वराज्य के लिए अंग्रेज़ी सरकार का बड़ी वीरता के साथ सामना किया।
  • उसने झाँसी, कालपी और ग्वालियर के लिए युद्ध किया। वह नूपुरों की झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती थीं।
  • अबला होने पर भी तलवार हाथ में लेकर युद्ध करती रही ।
  • लक्ष्मीबाई सेवा, बलिदान और तपस्या की देवी है।
  • रण – भूमि में अपनी जान की बलि देकर स्वतंत्रता की सच्ची आधारशिला बनी।
  • स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए अपनी बलि देकर भी आनेवाली पीढी के लिए मार्ग दिखाना और प्रेरणा देना ही उसका मुख्य लक्ष्य रहा।
  • उनकी बातों से प्रेरित होकर तात्या, नाना साहेब, मुंदर, जूही तथा देश की जनता भी स्वराज्य की प्राप्ति के लिए मर मिटने तैयार हुये।
  • इसलिए हम कह सकते हैं कि स्वतंत्रता आन्दोलन की नींव रखने में झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई सफल हुई।

प्रश्न 2.
महारानी लक्ष्मीबाई वीरता की प्रतिमूर्ति है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “स्वराज्य की नींव”
कवि का नाम : “विष्णु प्रभाकर” * लक्ष्मीबाई बडी वीरांगना है।

  • उसने यह साबित किया कि अबला हमेशा अबला नहीं रहती। आवश्यकता पड़ने पर वह सबला भी बन सकती है।
  • उसने झाँसी की स्वतंत्रता तथा स्वराज्य के लिए अंग्रेज़ी सरकार का बड़ी वीरता के साथ सामना
  • किया। उसने झाँसी, कालपी और ग्वालियर के लिए युद्ध किया।
  • वह नूपुरों की झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती थी।
  • अबला होने पर तलवार हाथ में लेकर युद्ध करती रही।
  • लक्ष्मीबाई सेवा, बलिदान और तपस्या की देवी है।
  • रण – भूमि में अपनी जान की बलि देकर स्वतंत्रता की सच्ची आधारशिला बनी।
  • स्वराज्य को प्राप्त करने के लिए अपनी बलि देकर भी आनेवाली पीढ़ी के लिए मार्ग दिखाना और प्रेरणा देना ही उसका मुख्य लक्ष्य रहा।
  • इसलिए हम कह सकते हैं कि महारानी लक्ष्मीबाई वीरता की प्रतिमूर्ति है।

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प्रश्न 3.
‘स्वराज्य की नींव एकांकी की ऐतिहासिकता अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

  • झाँसी पर अंग्रेजी लोग अपना अधिकार रखना चाहते थे।
  • सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक परिस्थितियों का पतन हुआ था। * राजा विलास प्रिय थे।
  • राजाओं में एकता नहीं थी।
  • स्वतंत्रता के लिए संघर्षमय वातावरण था।
  • स्त्रियों की सेना बनाकर झाँसी लक्ष्मीबाई युद्ध के लिए प्रयत्न कर रही थी।
  • लक्ष्मीबाई स्वराज्य की नींव डालना चाहती थी।
  • लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से कहती है कि मैं अपनी झाँसी कभी नहीं दूंगी।
  • झाँसी 1857 के विद्रोह का एक प्रमुख केंद्र बन गया था।
  • झाँसी की सुरक्षा के लिए लक्ष्मीबाई ने युद्ध करना शुरू कर दिया।
  • 18 जून 1858 को लक्ष्मीबाई ने वीरगति प्राप्त की।

प्रश्न 4.
विष्णु प्रभाकर की एकांकी का शीर्षक ‘स्वराज्य की नींव’ क्यों रखा गया होगा?
उत्तर:
सन् सत्तावन के समय भारत देश पर अंग्रेज़ों का शासन रहा था। अंग्रेज़ लोग भारत के सभी प्रांतों पर आक्रमण कर रहे थे। लक्ष्मीबाई झांसी की रानी थी। अंग्रेज़ लोग झांसी को भी अपने वश करने युद्ध कर रहे थे। बाबा गंगादास, लक्ष्मीबाई से कहते हैं कि स्वराज्य प्राप्त करने के लिए सभी भारतवासी अपनी विलासिता को छोड़कर जन सेवक बनना है। स्वराज्य की प्राप्ति से उत्तम है स्वराज्य की स्थापना के लिए भूमि तैयार करना हर एक को स्वराज्य की नींव का पत्थर बनना है। इसका अर्थ है सब लोगों में स्वराज्य प्राप्ति की इच्छा होनी चाहिए। नींव के पत्थर बनने से कोई नहीं रोक सकते हैं। यह सब का अधिकार है। इसी आशय पर जोर देते इस एकांकी का शीर्षक ” स्वराज्य की नींव रखा होगा।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 8 स्वराज्य की नींव

प्रश्न 5.
“स्वराज्य की नींव एकांकी के आधार पर लक्ष्मीबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
‘स्वराज्य की नींव’ के एकांकीकार श्री विष्णु प्रभाकर जी हैं। इनका जन्म सन् 1912 में हुआ। भारत सरकार ने इन्हें “पद्म भूषण” सम्मान से सम्मानित किया है।

  • प्रस्तुत एकांकी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित है। इसमें महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता की गाथा है। जिन्होंने स्वराज्य की नींव डाली।
  • वीरांगना लक्ष्मीबाई एक साहसी, कर्मपरायण, देश प्रेमी नारी थी। उसने अंग्रेजों की नींद हराम कर दी थी।
  • वह अंग्रेजों की कूट नीति को सफ़ल नहीं होने दे रही थी। वह नूपुरों की झंकार की अपेक्षा तोपों की गर्जना सुनना चाहती थी।
  • उन्होंने यह सिद्ध कर दिखाया था कि आवश्यकता पड़ने पर अबला भी सबला बन सकती है।
  • अंग्रेजी, झाँसी, कालपी, ग्वालियर आदि राज्यों को हस्तगत कर लेना चाहते थे। लेकिन रानी
    लक्ष्मीबाई ने इसका डटकर विरोध किया। राज्य में ऊँच – नीच और छुआछूत की भावनाओं को मिटाना, सेवा, तपस्या बलिदान से स्वराज्य प्राप्त करने के हर संभव प्रयास किये।
  • राज्य में अनुशासन युक्त सेना तैयार की। साथ ही आवश्यक योजनाएँ बनाकर अमल में लाया। युद्ध के लिए आवश्यक सामग्री संचित की। ।
  • अंग्रेजों से वीरतापूर्वक युद्ध करते हुये वीरगति को प्राप्त कर ली।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वीरांगना लक्ष्मीबाई देशभक्ति की एक अद्भुत मिसाल थी और यह सिद्ध किया कि लक्ष्मीबाई ने सच्चे अर्थों में स्वतंत्रता की नींव रखी थी।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

10th Class Hindi Chapter 4 कण-कण का अधिकारी Textbook Questions and Answers

InText Questions (Textbook Page No. 19)

प्रश्न 1.
गाँधीजी क्या – क्या करते थे ?
उत्तर:
गाँधीजी अपने आश्रम में सूत कातते थे। कपडे बुनते थे। अनाज के कंकर चुनते थे और चक्की पीसते थे।

प्रश्न 2.
गाँधीजी के अनुसार पूजनीय क्या है ?
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार श्रम ही पूजनीय है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
हमारे जीवन में श्रम का क्या महत्व है?
उत्तर:
हमारे (मानव) जीवन में श्रम का बहुत बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। सफलता हासिल करने और सुखमय जीवन बिताने श्रम ही एकमात्र आधार है। श्रम करने से ही सभी काम संपन्न होते हैं।

InText Questions (Textbook Page No. 20)

प्रश्न 1.
भाग्यवाद का छल क्या है?
उत्तर:
दूसरों की संपत्ति को अपना भाग्य समझकर भोगना भाग्यवाद का छल है। भाग्यवाद के नाम पर धोखे बाज श्रम धन भोगते हैं। वे उसे छल से भोगते हैं।

प्रश्न 2.
नर समाज का भाग्य क्या है?
उत्तर:
श्रम करने का महान गुण और भुजबल ही नर समाज का भाग्य है। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 3.
श्रमिक के सम्मुख क्या – क्या झुके हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर श्रमिक का ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस महान श्रमिक के सम्मुख सारीधरती और आसमान नतमस्तक हुए हैं।

प्रश्न 4.
श्रम जल किसने दिया?
उत्तर:
श्रम जल श्रमिक ने दिया।

प्रश्न 5.
मनुष्य का धन क्या है?
उत्तर:
प्रकृति में रखी हुई सारी संपत्ति मनुष्य का धन है।

प्रश्न 6.
कण – कण का अधिकारी कौन है?
उत्तर:

  • नर – समाज का भाग्य श्रम है। अर्थात् भुज बल है।
  • जो श्रम करता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।
  • श्रम के हासिल पर जो जीता है वहीं कण – कण का अधिकारी है।

अर्थव्राह्यता-प्रतिक्रिया

अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

प्रश्न 1.
भाग्य और कर्म में आप किसे श्रेष्ठ मानते हैं? क्यों?
उत्तर:
भाग्य और कर्म में मैं कर्म को ही श्रेष्ठ मानता हूँ। क्योंकि भाग्य पर कोई भरोसा नहीं है। भाग्य से आलसी बनजाते। असफल रहजाते। उससे कुछ भी हो सकता है। कर्म (श्रम) तो सफलता पाने का एकमात्र साधन है। इसका फल सदा अच्छा और सुखदायी ही होता है। श्रम करनेवाला कभी हारता नहीं है। लक्ष्य प्राप्ति अवश्य होती है। श्रम से ही संपत्ति, सुख, यश, स्वावलंबन, संतुष्टि, आत्मतृप्ति आदि ज़रूर प्राप्त होते हैं। कर्मशील व्यक्ति कभी किसी की परवाह भी नहीं करता है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions Chapter 4 कण-कण का अधिकारी

प्रश्न 2.
श्रम के बल पर हम क्या – क्या हासिल कर सकते हैं?
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का ही महत्व अधिक है। श्रम से ही हम इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं। भाग्य की
अपेक्षा श्रम के बल पर जीत, सफलता, सुख,चैन, ओहदा, संपत्ति, यश आदि हासिल कर सकते हैं। असंभव को भी संभव बनाकर विजय हासिल कर सकते हैं। अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकते हैं। जीवन को
उज्ज्वल बना सकते हैं।

आ) कविता पढकर नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

प्रश्न 1.
इस कविता के कवि कौन हैं?
उत्तर:
इस कविता (कण – कण का अधिकारी) के कवि हैं डॉ. रामधारी सिंह दिनकर।

प्रश्न 2.
कविता का यह अंश किस काव्य से लिया गया है?
उत्तर:
कविता का यह अंश “कुरुक्षेत्र” काव्य के सप्तम सर्ग से लिया गया है।

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प्रश्न 3.
सबसे पहले सुख पाने का अधिकार किसे है? ।
उत्तर:
खूब श्रम करनेवाले श्रमिक को ही सब से पहले सुख पाने का अधिकार है।

प्रश्न 4.
कण – कण का अधिकारी किन्हें कहा गया है और क्यों ? ।
उत्तर:
श्रम के बल पर मानव सब कुछ हासिल कर सकता है। श्रम (मेहनत) करनेवाले के लिए असंभव कुछ भी नहीं है। प्रकृति के कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। भाग्य पर भरोसा न करके अपने श्रम पर ही वह निर्भर रहता है। अतः मेहनत (श्रम) करनेवालों को ही कण – कण का अधिकारी कहा गया है और यह सच ही है।

इ) निम्नलिखित भाव से संबंधित कविता की पंक्तियाँ चुनकर लिखिए।

प्रश्न 1.
धरती और आकाश इसके सामने नतमस्तक होते हैं।
उत्तर:
जिसके सम्मुख झुकी हुई,
पृथ्वी, विनीत नभ – तल है।

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प्रश्न 2.
प्रकृति में उपलब्ध सारे संसाधन मानव मात्र के हैं।
उत्तर:
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है,
वह मनुज मात्र का धन है

ई) नीचे दिया गया पद्यांश पढ़िए । प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

क़दम – क़दम बढ़ाए जा, सफलता तू पाये जा,
ये भाग्य है तुम्हारा, तू कर्म से बनाये जा,
निगाहें रखो लक्ष्य पर, कठिन नहीं ये सफ़र,
ये जन्म है तुम्हारा, तू सार्थक बनाये जा।

प्रश्न 1.
कवि के अनुसार सफलता किस प्रकार प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
कवि के अनुसार सफलता, मिलजुलकर आगे बढते हुए श्रम करने से ही सफलता प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 2.
हमारा सफ़र कब सरल बन सकता है?
उत्तर:
लक्ष्य पर निगाहें रखकर आगे बढने पर हमारा सफर सरल बन सकता है।

प्रश्न 3.
इस कविता के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर:
“कर्म का महत्त्व” इस कविता के लिए उचित शीर्षक है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता

अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात क्यों कर रहे हैं?
उत्तर:
कवि दिनकर जी मनुष्य के श्रम का समर्थन करते हैं। वे स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रकृति कभी भी भाग्यवाद के सामने नहीं झुकती है। आलसी लोग ही भाग्यवाद पर विश्वास रखते हैं। परिश्रमी लोग अपने माथे के पसीने से सब कुछ हासिल कर सकते हैं। काल्पनिक जगत का साकार देनेवाला वही है। उनके सामने पृथ्वी, आकाश, पाताल तक झुक जाते हैं । अतः श्रम करनेवालों को ही सुख भोगने का मौका मिले। सुख भोगने का अधिकार भी उन्हीं को है। विजीत प्रकृति में स्थित कण – कण का अधिकारी वे हीहैं। इसीलिए कवि मेहनत करनेवालों को सदा आगे रखने की बात कर रहे हैं।

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प्रश्न 2.
अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाला व्यक्ति सही है या श्रम करनेवाला ? अपने विचार बताइए।
(या)
आप किसे श्रेष्ट व्यक्ति मानते हैं? अनुचित तरीके से धन अर्जित करनेवाले को या उचित तरीके से धन अर्जित करने वाले को? “कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव जीवन में श्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। श्रम करने से ही मानव इच्छित सुख जीवन बिता सकता है। जीवन यापन के लिए धन की तो आवश्यकता है। पर ऐसे अमूल्य धन को धर्म और न्याय मार्ग से अर्जन करना उत्तम है। इसके विपरीत अनुचित मार्ग से या अनुचित तरीके से धन अर्जित करना कभी भी न्यायोचित नहीं है। ये कानुनन के अपरध हैं। अनुचित तरीके से कमाये धन से सुख की अपेक्षा दुःख ही प्राप्त होता है। किसी भी हालत में यह सही नहीं है। श्रम करके कमानेवाला ही सच्चा और महान व्यक्ति है। अतः मेरे विचार में श्रम करके कमानेवाला और श्रम करनेवाला ही सही व्यक्ति है।

आ) कवि ने मजदूरों के अधिकारों का वर्णन कैसे किया है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
कविता का नाम : कण – कण का अधिकारी
कवि का नाम : डॉ. रामधारी सिंह दिनकर
उपाधि : राष्ट्र कवि
जीवन काल : 1908 – 1974
पुरस्कार : ज्ञानपीठ (उर्वशी पर)
रचनाएँ : कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, रेणुका, परशुराम की प्रतीक्ष, रसवंती आदि।
पद्मश्री दिनकर की रचनाएँ देश भक्ति और राष्ट्रीय भावना से भरी हुई हैं। “कण – कण का अधिकारी” नामक कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है। इसमें आपने श्रम का महत्व स्पष्ट करते हुए मज़दूरों के अधिकारों पर प्रकाश डाला है।

1) कवि कहते हैं कि मेहनत और भुज बल ही मानव समाज के एक मात्र अधार हैं। मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाले व्यक्ति कभी नहीं हारते। वे हमेशा सफल होते हैं। सारा संसार उनका आदर करता है। उनके सम्मुख पृथ्वी और आकाश भी झुक जाते हैं।
2) श्रम ही जीवन की असली संपत्ति समझनेवाले मज़दूरों को सुखों से कभी ‘वंचित नहीं करना चाहिए खून, पसीना एक करनेवाले श्रमिकों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है। इसलिए उनको पहले सुख प्राप्त करने देना है। उनको कभी पीछे नहीं रहने देना है। प्रकृति में जो भी वस्तु रखी हुयी है, वह समस्त मानवों की संपत्ति है।

प्रकृति के कण – कण पर मानव का ही अधिकार है। खासकर श्रम करनेवाले व्यक्तियों द्वारा ही संपत्ति संचित होती है। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है।

अतः श्रम करनेवाले मज़दूरों को कोई अभाव नहीं रहनी है। उनको कभी पीछे छोड़ना नहीं चाहिए। सारी संपत्ति पर सबसे पहले उनको ही सुख पाने का अधिकार है। यह अक्षरशः सत्य है। तभी मानवजाति सुख समृद्धियों से अक्षुण्ण रह सकती है।

विशेषता : इस कविता शक्ति के बारे में बताया गया है।

इ) नीचे दिये गये प्रश्नों के आधार पर सृजनात्मक कार्य कीजिए। |

1. कविता में समान अधिकारों की बात की गयी है। ‘समानता” से संबंधित कोई घटना या कहानी अपने शब्दों में लिखिए।
2. अपने शब्दों में लिखी गयी घटना या कहानी से कुछ मुख्यांशों का चयनकर लिखिए।
3. चयनित मुख्यांशों में से मूल शब्द पहचानकर लिखिए।
4. लिखे गये मूल शब्दों में से कुछ शब्दों का चयनकर उस पर छोटी सी कविता लिखिए।
5. लिखी गयी कविता का संदेश या सार एक वाक्य में लिखिए और उससे संबंधित कुछ नारे | बनाइए।
उत्तर:
1. लड़की की जीत (कहानी)
एक गाँव में सोमय्या नामक एक किसान रहता था। उसके दो लडके और एक लडकी थी। सोमय्या के नौ एकड़ की भूमि थी। वह अपने लडकों के सहारे खेतीबारी करके जीवन यापन करता था।

उसके दोनों लडके बडे हो गये। उन दोनों लडकों की शादी दो खूबसूरत लडकियों से धूम-धाम से की। कुछ सालों के बाद लडकी की शादी भी एक बड़ी होटेल के मेनेजर से करवाया।

जब वह बूढ़ा हो गया तब अपने नौ एकड भूमि को अपने तीनों बच्चों को समान रूप से तीन – तीन . – तीन एकड देकर बाँट दिया।

उसके दोनों बेटों को यह अच्छा नहीं लगा। उनकी राय में स्त्री को पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है। इसलिए वे अपनी बहिन और बाप को खूब कष्ट देने लगे।

विवश होकर लडकी ने अदालत में न्याय के लिए मुकद्दमा पेश किया तो अदालत में उसकी जीत हुई। भारत संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुष बिना भेद – भाव पिता की संपत्ति के समान अधिकारी हैं। स्त्रियों को भी पुरुषों के साथ समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।

शासन की दृष्टि में स्त्री – पुरुषों को समान अधिकार हैं। पिता और बहिन दोनों को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

नीति : अपने पिता की संपत्ति पर जितना अधिकार बेटों का है उतना ही अधिकार बेटियों का भी हैं।

2. कहानी के मुख्यांश

  • संविधान के अनुसार स्त्री – पुरुषों के बीच में कोई भेदभाव नहीं। सब एक हैं।
  • स्त्री – पुरुषों को समान रूप से पिता की संपत्ति पर अधिकार हैं।
  • जब किसान बूढा हो गया तब उसने अपने तीनों संतान को समान रूप से तीन – तीन एकड़ की
  • भूमि बाँट दी। लडकी ने न्याय के लिए अदालत में मुकद्दमा पेश किया।
  • स्त्रियों को भी समान अधिकार प्राप्त हुए हैं।
  • पिता और बहिन को कष्ट देने के कारण दोनों लडकों को पाँच – पाँच साल कारावास की सज़ा दी गयी।

3. मूल शब्द
समानता, अधिकार, भेद – भाव, खेतीबारी, अदालत, संपत्ति, स्त्री – पुरुष, कारावास, संविधान, सज़ा आदि।

4. चयनित शब्द
समानता, अधिकार, स्त्री – पुरुष, संविधान, सज़ा, भेद – भाव, अदालत, कारावास आदि।
छोटी सी कविता
स्त्रियों को भी हैं आज
समानता का अधिकार
स्त्री भी आगे बढ़ती
सभी क्षेत्रों में इन्हें पाकर।
भेदभाव के बिना सब
सम अधिकारों को पाकर
जिएँ जग में स्त्री – पुरुष
सभी मिल – जुलकर ||

5. संदेश या सार स्त्री को भी पुरुषों के साथ ही पिता की संपत्ति में (पर) समान अधिकार है। नारे

  • आर्थिक समानता के बिना राजनीतिक समानता व्यर्थ है।
  • समानता का अधिकार – जनतंत्रता का आधार।
  • स्त्री – देश की उन्नति का आधार।
  • सामाजिक समानता उन्नति का सूचक है।
  • स्त्री और पुरुष दोनों बराबर हैं।

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ई) ‘नर समाज का भाग्य एक है, वह श्रम, वह भुजबल है।’ जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(या)
श्रामिक कण – कण का अधिकारी है। अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:

  • नर समाज का भाग्य एक है। वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • हमारे जीवन की सफलता का मार्ग भी श्रम ही है।
  • श्रम के बल पर हम अपने जीवन को सुंदर बना सकते हैं।
  • श्रम के बल पर ही हम खूब कमा कर अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं।
  • श्रम करके हम दूसरों का भी पथ प्रदर्शन कर सकते हैं।
  • श्रमिक जीवन ही सच्चा जीवन है।
  • श्रम करनेवाले व्यक्तियों का सभी आदर करते हैं।
  • श्रम करनेवाले के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।
  • श्रम के बल पर ही हम अपने भाग्य को और विजयों को भी हासिल कर सकते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन की सफलता का मार्ग श्रम है।

भाषा की बात

अ) कोष्टक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जन, पृथ्वी, धन (एक – एक शब्द का वाक्य प्रयोग कीजिए और उसके पर्याय शब्द लिखिए।)
उत्तर:
वाक्य प्रयोग
जन – आम सभा में असंख्य जन उपस्थित हुए हैं।
पृथ्वी – भारत देश का पृथ्वी पर प्रमुख स्थान है।
धन – धन से ही सब कुछ होता नहीं है।

पर्याय शब्द
जन – लोग, जनता, प्रजा
पृथ्वी – भूमि, धरा, ज़मीन,
धन – संपत्ति, अर्थ, वित्त

प्रश्न 2.
पाप, सुख, भाग्य (एक – एक शब्द का विलोम शब्द लिखिए और उससे वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
विलोम शब्द
सुख × पुण्य
पाप × दुख
भाग्य × दुर्भाग्य।

वाक्य प्रयोग
पाप – पुण्य कार्य करने से हमें सद्गति मिलती है।
सुख – धैर्यवान कभी दुःख से नहीं डरता है।
भाग्य – साधारणतः हर व्यक्ति अपने भाग्य पर इठलाते हैं और दुर्भाग्य पर दुखित होते हैं।

प्रश्न 3.
जन – जन, कण – कण (पुनरुक्ति शब्दों से वाक्य प्रयोग कीजिए।)
उत्तर:
जन – जन – वर्षा के कारण जन – जन का मन हर्ष से भर गया है।
कण – कण – कण – कण का अधिकारी जन – जन है।

प्रश्न 4.
मज़दूर मेहनत करता है। (वाक्य का वचन बदलिए।)
उत्तर:
मज़दूर मेहनत करते हैं।

प्रश्न 5.
मनुष्य, मज़दूर (भाववाचक संज्ञा में बदलकर लिखिए।)
उत्तर:
मनुष्यता, मज़दूरी

आ) सूचना पढ़िए। उसके अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
अधिकार – अधिकारी, भाग्य – भाग्यवान (अंतर बताइए।)
उत्तर:

  • अधिकार का अर्थ है हक। यह भाववाचक संज्ञा है।
  • अधिकारी का अर्थ है अधिकार को भोगनेवाला (हकदार)। ‘ई प्रत्यय जुडा है। विशेषण है।
  • भाग्य का अर्थ है नसीब – यह भाववाचक संज्ञा शब्द है।
  • भाग्यवान का अर्थ है नसीबवाला, भाग्यवादी ‘वान’ प्रत्यय जुडने से भाग्यवान बना। यह विशेषण शब्द है।

प्रश्न 2.
यद्यपि – पर्यावरण (संधि विच्छेद कीजिए।)
उत्तर:
यदि + अपि, परि + आवरण

प्रश्न 3.
अंम – जल, नभ – तल, भुजबल (समास पहचानिए।)
उत्तर:

  • श्रम – जल → बहुव्रीहि समास
  • नभ – तल → द्वन्द्व समास
  • भुजबल → तत्पुरुष समास .

प्रश्न 4.
एक मनुज संचित करता है, अर्थ पाप के बल से, और भोगता उसे दूसरा, भाग्यवाद के छल से। (पद परिचय दीजिए।)
उत्तर:
एक – निश्चित संख्यावाचक विशेषण – पुंलिंग, एक वचन, मनुज का विशेष्य और – अव्यय, संयोजक, समुच्चय बोधक शब्द, दो वाक्यों को मिलाता है।

प्रश्न 5.
जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो। (कारक पहचानिए।)
उत्तर:
ने, वह + को = उसे

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इ) इन्हें समझिए। सूचना के अनुसार कीजिए।

प्रश्न 1.
जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो (संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग समझिए।)
उत्तर:

  • यहाँ जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो का प्रयोग आज्ञानार्थक शब्दों के रूप में प्रयोग किया गया है।
  • जाने दो, पाने दो, बढ़ने दो आदि शब्द संयुक्त क्रियाएँ हैं। जब दो क्रियाओं का संयोग होता हैं उन्हें संयुक्त क्रियाएँ कहते हैं।
  • ये अनुमति बोधक (आज्ञाबोधक) शब्द हैं।

प्रश्न 2.
एक – पहला, प्रथम, दो – दूसरा, द्वितीय (अंतर समझिए।)
उत्तर:

  • एक : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • पहला : क्रम वाचक विशेषण है।
  • प्रथम : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • दो : पूर्णांक वाचक विशेषण है।
  • दूसरा : क्रम वाचक विशेषण है।
  • द्वितीय : क्रम संख्यावाचक विशेषण है।
  • एक, पहला, दो, दूसरा हिंदी के विशेषण शब्द हैं।
  • प्रथम तथा द्वितीय संस्कृत के विशेषण शब्द हैं।
  • एक और दो अंक के लिए प्रथम और द्वितीय श्रेणी के लिए और पहला, दूसरा स्थान के लिए प्रयोग । किया जाता है।

प्रश्न 3.
अभाग्य, दुर्भाग्य, सुभाग्य (उपसर्ग पहचानिए।)
उत्तर:
अभाग्य – अ
दुर्भाग्य – दुर
सुभाग्य – सु

प्रश्न 4.
प्राकृतिक, अधिकारी, भाग्यवान (प्रत्यय पहचानिए।)
उत्तर:
प्राकृतिक – इक
अधिकारी – ई
भाग्यवान – वान

प्रश्न 5.
पुरुष श्रमिक के रूप में मेहनत करते हैं। (लिंग बदलकर वाक्य लिखिए।)
उत्तर:
स्त्रियाँ श्रमिक के रूप में मेहनत करती हैं।

ई) नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।

जैसे – जिसने श्रम – जल दिया उसे पीछे मत रह जाने दो।
श्रम जल देने वाले को पीछे मत रह जाने दो।

प्रश्न 1.
जो कुछ न्यस्त प्रकृति में है, वह मनुज मात्र का धन है।
उत्तर:
प्रकृति में न्यस्त धन मनुज मात्र का है।

प्रश्न 2.
जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
उत्तर:
मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
जो परोपकार करता है वही परोपकारी कहलाता है।
उत्तर:
परोपकार करनेवाला ही परोपकारी कहलाता है।

परियोजना कार्य

विश्व श्रम दिवस (मई दिवस) के बारे में जानकारी इकट्ठा कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
उत्तर:
पहली मई का दिन समूचे विश्व में ‘मई दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मई दिवस यानी मज़दूरों का दिन। काम करने वाले, खासकर श्रम से जुड़े लोगों के लिए तो यह एक वार्षिक पर्व है इसलिए इसे ‘श्रम दिवस’ तथा ‘मज़दूर दिवस’ भी कहा जाता है।

मई दिवस के आयोजन के पीछे मज़दूरों के लम्बे संघर्ष व आंदोलन और सफलता की लम्बी दास्तान है। यह कहानी 19 वीं सदी की है जब अमेरिका में मजदूरों पर गोलियाँ बरसाई गई थीं। तथा बड़ी संख्या में निर्दोष मज़दूर मारे गये थे और जब मज़दूरों की काम के निश्चित घंटों की मांग पूरी हुई थी तब से उसी संघर्ष और उन्हीं मजदूरों की शहादत की याद में पूरे विश्व में मई दिवस मनाया जाने लगा।

इस संघर्ष की शुरुआत 1838 में हुई थी । उन दिनों अमेरिका सहित तमाम यूरोपीय देशों में कारखानों में मज़दूरों के लिए काम का निश्चित समय निर्धारित नहीं था। मज़दूरों से इतना काम लिया जाता था कि अक्सर मजदूर बेहोश होकर गिर पड़ते थे। यदा – कदा उसके विरुद्ध आवाज़ भी उठी पर लगभग दो दशक तक कारखानों के मालिकों का यही रवैया रहा। इस कारण मज़दूरों का धैर्य धीरे – धीरे चुकने लगा तथा उन्होंने संगठित होकर शोषण के खिलाफ आवाज़ उठानी शुरू कर दी।

अमेरिका की नैशनल लेबर यूनियन ने अगस्त 1866 में अपना अधिवेशन में पहली बार यह माँग रखी कि मज़दूरों के लिए दिन में सिर्फ आठ घंटे काम के रखे जाएँ। यूनियन की इस घोषणा से मज़दूरों के संघर्ष को बल मिला। धीरे – धीरे अमेरिका सहित अन्य देशों में भी यह माँग जोर पकड़ने लगी।

1886 को 3 मई के दिन शिकागो शहर में लगभग 45000 मज़दूर एक साथ सड़कों पर निकल आए। पुलिस ने हल्की झड़प के फौरन बाद मज़दूरों पर गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी जिससे तत्काल 8 मज़दूर मारे गये और अनेक घायल हो गए। भीड़ में से किसी ने पुलिस पर बम फेंक दिया जिससे एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई तथा कुछ घायल हो गए। इससे पुलिस वालों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को गोलियों से छलनी कर दी। आंदोलनकारी नेताओं को उम्र भर की सज़ा दी गई और कुछ को फाँसी पर लटका दिया गया। लेकिन इतना कुछ होने पर भी यह आंदोलन और तेज़ होता गया।

14 जुलाई 1889 को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस की स्थापना हुई। इसी दिन इसने काम के 8 घंटे की माँग को दोहरा दिया। अपनी माँग जारी रखने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी मज़दूर कांग्रेस ने मई 1890 को विश्वभर में ‘मज़दूर दिवस’ मनाने का आह्वान दिया।

कण-कण का अधिकारी Summary in English

If one earns money and accumulates it by immoral and vicious ways, the other enjoys it on the name of fortune by deceiving him.

The fortune of the human society is nothing but toil i.e, hard work. This earth, the sky, and the abyss all of these will be modest to the hard work and salute it.

He who works hard should not be lagged behind. He alone should be allowed to have comforts in this triumphant nature.

What is available in this nature is nothing but the human being’s money. O Dharmaraja! The people are the masters of every particle of it. They who work hard alone have the right to enjoy it.

कण-कण का अधिकारी Summary in Telugu

ఒక మనిషి పాపము చేసి ధనమును సంపాదించి ప్రోగుచేస్తే దాన్ని మరొకడు అదృష్టము (భాగ్యవాదము) అనే ముసుగులో అనుభవిస్తున్నాడు.

శ్రమ, భుజబలమే మానవ సమాజ భాగ్యము (అదృష్టము). దాని ముందు భూమి, ఆకాశము కూడా తలవంచుతాయి. చెమటోడ్చి శ్రమపడేవారిని ఎన్నడూ నిరాశపరచకూడదు. (వెనకబడి ఉండనివ్వకూడదు) జయించబడిన ప్రకృతి నుండి ముందుగా వారినే సుఖాన్ని అనుభవించనివ్వాలి.

ఆ ప్రకృతిలో లభించే సంపద అంతా మానవునిదే. దాని అణువణువు మీద మానవునికే అధికారము ఉన్నది.

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

2 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए।

प्रश्न 1.
दिनकरजी ने श्रमिकों को सदा आगे रखने की बात क्यों कही है? लिखिए।
उत्तर:
यह प्रश्न ‘कण-कण का अधिकारी’ कविता पाठ से दिया गया है। इसके कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर हैं। मेहनत करनेवाला सदा आगे बढ़ता है। सफलता प्राप्त करता है। वह समाज का निर्माता होता है। वही अन्नदाता है। सुखदाता है। उसी से विकास होता है। इसलिए प्राप्त सुखों में मेहनत करनेवालों को भागीदारी बनाना चाहिए। क्योंकि दाता न रहे तो, हम भी नहीं।

प्रश्न 2.
कविवर रामधारी सिंह दिनकर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
डॉ. रामधारी सिंह दिनकर हिंदी के प्रसिद्ध कवियों में एक हैं। आपका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ। आप हिंदी के राष्ट्र कवि कहे जाते हैं।

रचनाएँ : उर्वशी, रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि।
पुरस्कार : आपको उर्वशी काव्य ग्रंथ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

4 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
समाज में मेहनत करने वालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान क्यों दिया हैं?
उत्तर:

  • समाज में मेहनत करनेवालों को दिनकर जी ने अग्रस्थान दिया हैं | क्योंकि
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता ।
  • जो मेहनत करता है वह हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला मेहनत करने वाला ही है ।

प्रश्न 2.
मेहनत करने से जीवन में क्या प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:

  • मेहनत करने से हम जीवन में सब कुछ पा सकते हैं |
  • मेहनत सफलता की कुंजी है ।
  • मेहनत करने वाला कभी भी नहीं हारता |
  • भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम भी यही कहते हैं कि सपनों को साकार करने के लिए अधिक मेहनत करना है।
  • मेहनत करने से हम जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं ।
  • मेहनत के द्वारा ही हम अपने जीवन को बदल सकते हैं ।
  • जीवन को सुखमय बनाने के लिए मेहनत करना ही है ।
  • मेहनत करने से समाज का आदर भी हमें प्राप्त होता है ।

प्रश्न 3.
मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता – कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता |
  • परिश्रम ता मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • जो मेहनत करते हैं वे ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाले हैं ।
  • हर कण के पीछे उसी का श्रम है।
  • जो मेहनत करता है वही कण – कण का अधिकारी है।
  • समाज ही नहीं पृथ्वी, विनीत नभ – तल भी मेहनत करने वाले के सामने झुकता है ।
  • मेहनत करने वालों को ही पहले सुख पाने का अधिकार है ।
  • उसे ही हर जगह आदर, सम्मान मिलता है।
    इसलिए कवि दिनकर जी ने ऐसा कहा होगा कि मेहनत करनेवाला कभी भी नहीं हारता |

प्रश्न 4.
मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है । कैसे?
उत्तर:

  • मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है ।
  • श्रम और भुज – बल के सहारे ही मानव का जीवन यापन होता है ।
  • श्रम करनेवाला कभी नहीं हारता | श्रम के सहारे ही मानव समाज में आदर पाता है |
  • काल्पनिक जगत का साकार रूप श्रम के द्वारा ही होता है ।
  • श्रम करनेवाला भाग्यवाद पर भरोसा न रखकर धन कमाता है ।
    इसलिए हम कह सकते हैं कि मनुष्य का धन श्रम और भुजबल है |

प्रश्न 5.
मेहनत ही सफलता की कुंजी है । अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर:

  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी भी नहीं हारता | मेहनत करनेवाला हमेशा सफल होता है ।
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देने वाला मेहनत करने वाला ही है ।
  • कण – कण के पीछे मेहनत करने वाले का ही श्रम निहित है ।
  • जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है ।

प्रश्न 6.
जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • जीवन की सफलता श्रम पर निर्भर है।
  • जो सुखमय जीवन चाहता है वह श्रम ज़रूर करता है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है | श्रम और मेहनत करने वाला कभी नहीं हारता ।
  • श्रम के सहारे ही हम जीवित रहते हैं।
  • अपने – अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमारे जीवन में श्रम का ही सहारा लेना पडेगा |
  • हम श्रम के सहारे अपने जीवन में काल्पनिक जगत को साकार रूप दे सकेंगे।
  • श्रम करनेवाले भाग्यवाद पर विश्वास नहीं करते । अपने भुज – बल के द्वारा ही श्रम – जल देकर जीवन को सफल बनाते हैं।

प्रश्न 7.
दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक है’ – स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  • दिनकर जी के अनुसार ‘काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रमिक ही है।
  • यह कथन बहुत सच है | मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
  • श्रमिक अपने श्रम के कारण कभी नहीं हारता | श्रमिक हमेशा सफल ही होता रहता है ।
  • कण – कण के पीछे श्रमिक का ही श्रम है । श्रमिक ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रमिक अपने श्रम द्वारा काल्पनिक जगत को साकार रूप देता है।
  • श्रमिक भाग्यवाद पर विश्वास नहीं रखता ।
  • नर – समाज का भाग्य श्रम, भुजबल ही है – यह श्रमिक का विश्वास है ।

प्रश्न 8.
डॉ. रामधारी सिंह के बारे में आप क्या जानते हैं?
‘कण – कण का अधिकारी कविता के कवि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:

  • डॉ. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक हैं।
  • उनका जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर में हुआ तथा निधन सन् 1974 में हुआ।
  • इन्हें हिन्दी का राष्ट्रकवि भी कहा जाता है।
  • ‘उर्वशी’ कृति के लिए इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • रेणुका, कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी, परशुराम की प्रतीक्षा, रसवंती आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता

8 Marks Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए।

प्रश्न 1.
“कण – कण का अधिकारी” कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी” है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है। प्रस्तुत कविता में भीष्म पितामह, कुरुक्षेत्र युद्ध से विचलित धर्मराज को कार्यरत होने के लिए उपदेश देते हुए कहते हैं –

  • हे धर्मराज ! एक मनुष्य पाप के बल से धन इकट्ठा करता है।
  • दूसरा उसे भाग्यवाद के छल से भोगता है।
  • मानव समाज का एक मात्र आधार या भाग्य “श्रम और भुजबल” है।
  • श्रमिक के समाने पृथ्वी और आकाश दोनों झुक जाते हैं।
  • जो परिश्रम करता है, उसे सुखों से कभी वंचित नहीं करना चाहिए।
  • जो पसीना बहाकर श्रम करता है, उसी को पहले सुख पाने का अधिकार है।
  • प्रकृति में जो भी वस्तु है, वह मानव मात्र की संपत्ति है।
  • प्रकृति के कण-कण का अधिकारी जन – जन हैं।

प्रश्न 2.
मेहनत करनेवाला ही ‘कण-कण का अधिकारी’ है । पाठ के आधार पर अपने विचार बताइए ।
उत्तर:
शीर्षक का नाम : “कण – कण का अधिकारी है।
कवि का नाम : “डॉ. रामधारी सिंह दिनकर” है।

  • मेहनत की सफलता की कुंजी है। मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता। वह हमेशा सफल होता है क्योंकि काल्पनिक जगत् को साकार रूप देने वाला वही है। इसके कण – कण के पीछे उसी का श्रम है। इसलिए वही कण – कण का अधिकारी है।
  • कुछ लोग पाप करके धन कमाते हैं।
  • उस धन को कुछ लोग “भाग्यवाद” की आड़ में भोगते हैं। नर समाज का भाग्य श्रम और भुजबल ही है।
  • श्रमिक के सम्मुख भूमि और आकाश झुकते हैं।
  • प्रकृति में छिपी संपदा ही मनुष्य का धन है।
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 3.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है।
उत्तर:
श्रम और भुजबल ही मानव समाज का एक मात्र आधार है। भाग्य है। हमारे जीवन में, मानव समाज में श्रम का बड़ा महत्व है। जीवन में सफलता पाने के लिए श्रम करना अनिवार्य है। श्रम ऐसा प्रयास है जिससे असंभव कार्य को भी संभव में आसानी से बदला जा सकता है। हर प्रकार की प्रगति की जा सकती है। मानव समाज और देश को उन्नति के मार्ग में अग्रसर किया जा सकता है। श्रम करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ (उच्च) स्थान पाता है। हम कह सकते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। श्रम करने वाला कभी भी जीवन में हारता (पराजित) नहीं है। न ही कभी निराश होता है।

सदैव आत्म विश्वास के साथ निरंतर श्रम करते हुए (सर्वोच्च) सर्वश्रेष्ठ स्थान को प्राप्त करता है। श्रम करने वाला ही काल्पनिक जगत को साकार रूप देने में सक्षम होता है। इसलिए जो श्रम करता है वही प्रकृति के हर एक कण का अधिकारी है। मनुष्य का महान गुण है श्रम करना। श्रम करने से यश, संपत्ति, जीवन यापन के लिए आवश्यक सुख – सुविधाएँ, इज्जत (आदर), गौरव, मान – सम्मान आदि प्राप्त होते हैं। जो व्यक्ति कार्य को पूर्ण करने के लिए श्रम करता है वही सुख पाने का सच्चा अधिकारी है। श्रम करनेवाला आस्था के साथ प्रगति पथ पर बढ़ता ही चला जाता है। यह भाग्य पर विश्वास न करके कर्म पर श्रम पर विश्वास करता है। श्रम करनेवाला हर कठिनाई को अपने परिश्रम से अपने अनुकूल बना लेता है।

इसलिए श्रम का बड़ा महत्व है। श्रम ही सफलता की कुंजी है। जिसके सम्मुख पृथ्वी भी झुक जाती है।

प्रश्न 4.
परिश्रम करनेवाले व्यक्ति को प्रकृति से पहले सुख पाने का अधिकार क्यों मिलना चाहिए ?
उत्तर:
मानव जीवन बहुत मूल्यवान है। श्रम करके सफलता प्राप्त करना मानव का जन्म सिद्ध गुण है। श्रम के आगे कोई असंभव नहीं है। इसलिए आरंभ से ही मानव कर्मरत हो सफलता प्राप्त कर रहा है। मेहनत करनेवालों से ही सब लोगों को आवश्यक चीजें सुविधाएँ मिल रही हैं। सृष्टि में अनेक आवश्यक और जीवनोपयोगी चीजें निक्षिप्त हैं। निस्वार्थ भाव से श्रम करनेवालों को ही प्रकृति वशीभूत होती है। अतः वे लोग ही महान और भाग्यवान होते हैं। वे ही आदर्शवान और महत्वपूर्ण हैं। ऐसे लोगों को सदा आगे रखने की बात कवि कह रहे हैं।

प्रश्न 5.
डॉ. रामधारीसिंह दिनकर ने ‘कण – कण का अधिकारी’ कविता के माध्यम से आज के समाज को क्या संदेश दिया है?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है । कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए | आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं | मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

संदेश : जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

प्रश्न 6.
श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इस कथन पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर:

  • श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । इसमें कोई संदेह नहीं है ।
  • इसके कई कारण इस कथन का समर्थन कर सकते हैं।
  • श्रमिक शक्ति के सहारे ही देश में वस्तुओं की उत्पत्ति होती है ।
  • उन वस्तुओं को देश-विदेशों में बेचें तो विदेशी मारक द्रव्य आता है।
  • विदेशी मारक द्रव्य से व्यक्तिगत आय बढ़ता है ।
  • व्यक्तिगत आय बढने से जातीय आय भी बढता है ।
  • देश की उन्नति में श्रामिकों का बडा हाथ है।
  • इसलिए श्रमिकों की उन्नति के लिए सरकार को विविध कार्यक्रम चलाना चाहिए |
  • श्रमिकों को ही पहले – पहल सुख पाने देना चाहिए ।
  • श्रमिकों का देख-रेख, स्वास्थ्य आदि पर सरकार को ध्यान रखना चाहिए ।
  • श्रमिक जो हैं वे काल्पनिक जगत को साकार करने वाले हैं ।
  • श्रमिकों को अच्छे – से अच्छे वेतन देना है।
  • श्रमिकों के बिना यह संसार में प्रगति अधूरी है । इसलिए हम कह सकते हैं कि श्रमिकों की उन्नति ही देश की उन्नति है । क्योंकि जिस देश में श्रमिक अच्छा जीवन बिताते हैं, उन्नति पाते हैं, उस देश की उन्नति होगी।

प्रश्न 7.
‘कण – कण का अधिकारी’ कविता से क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
कण – कण का अधिकारी कविता से हमें ये संदेश मिलते हैं –

  • श्रम और भुजबल नर समाज का भाग्य है ।
  • भाग्यवाद पर भरोसा मत रखना है ।
  • मेहनत ही सफलता की कुंजी है । ।
  • मेहनत करनेवाला कभी नहीं हारता |
  • काल्पनिक जगत को साकार रूप देनेवाला श्रामिक ही है ।
  • मेहनत करनेवाला ही कण – कण का अधिकारी है ।
  • श्रम के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं ।
  • श्रम – जल देनेवाले को पहले सुख पाने देना चाहिए ।

प्रश्न 8.
हमारे समाज में परिश्रम करनेवालों का जीवन स्तर निम्न क्यों होता है?
उत्तर:
परिश्रम और भुजबल मानव समाज का एक मात्र आधार तथा भाग्य है। श्रम के सामने आसमान, पृथ्वी, सब आदर से झुक जाते हैं। श्रम से बढ़कर कोई मूल्यवान धन नहीं है। श्रम के द्वारा ही सारी संपत्ति, सुखसुविधाएँ संचित होती हैं। श्रम करने से किसी को अभाव की शंका नहीं रहती ।

एक मनुष्य के श्रम का फल दूसरा व्यक्ति अनुचित रूप से अर्जित करता है। भाग्यवाद के नाम पर पूँजीवादी उस श्रम धन को भोगता है। छल, कपट से पाप के बल से धन संचित करता है। शारीरिक श्रम न करना पूँजीवाद वाद की पहचान माना जाता है।

वास्तव में प्राकृतिक संपदा सब की है न कि कुछ ही लोगों की। श्रमिक ही प्राकृतिक संपदा का सर्व प्रथम अधिकारी है। लेकिन भाग्यवाद के बल पर पूँजीवादी श्रमिकों के श्रम का फल भोग रहे हैं। उनकी नजर में ये श्रमिक सिर्फ मेहनत करने के लिए पैदा हुए हैं। इसलिए यथा शक्ति श्रमिकों के अधिकार दूर करके उनको पीछे पड़े रहने की हालत पैदा करते हैं। नादान श्रमिक अपना भाग्य इतना ही समझकर उनके करतूतों की शिकार बन रहे हैं। अविद्या, ज्ञान की कमी से श्रमिक कष्ट झेल रहे हैं। इसी कारण से अपने अधिकार और सुख प्राप्त करने में वे पीछे रह जाते हैं। परिश्रम करनेवाले का स्तर हमारे मानव समाज में निम्न ही रह जाता है। श्रम करनेवाला कभी सुख सुविधाओं की ओर ध्यान देता ही कम है।

प्रश्न 9.
धर्मराज को भीष्म पितामह द्वारा दिये गये संदेश पर आज के समाज को दृष्टि में रखकर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
धर्मराज को भीष्म पितामह के द्वारा श्रम के महत्व के बारे में संदेश दिया गया है। आज के समाज़ को दृष्टि में रखकर इस पर मेरे ये विचार हैं –

  • भाग्यवाद से कर्मवाद अच्छा है।
  • नरसमाज का भाग्य केवल एक ही है – वह श्रम है। वह भुजबल है।
  • भुजबल या श्रम – जल के सम्मुख पृथ्वी, विनीत नभ – तल झुकते हैं।
  • श्रम के बल पर हम सब – कुछ हासिल कर सकते हैं।
  • श्रम जल देनेवाले को पीछे मत रहने दो।
  • विजीत प्रकृति से पहले उसे सुख पाने देना चाहिए।
  • न्यस्त प्रकृति में जो कुछ है वह मनुज मात्र का धन है।
  • कण – कण का अधिकारी श्रमिक ही है।

प्रश्न 10.
‘श्रमयेव जयते’ – इस कथन को दिनकर जी ने किस प्रकार समझाया?
उत्तर:
‘कण – कण का अधिकारी’ नामक कविता के कवि हैं श्री रामधारी सिंह दिनकर | यह कविता कुरुक्षेत्र से ली गयी है । आप इस कविता में श्रम तथा श्रामिक के बडप्पन तथा महत्व के बारे में बताते हैं । कवि ने इस कविता में मज़दूरों के अधिकारों का वर्णन किया है । कवि कहते हैं कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है । मेहनत करनेवाला व्यक्ति कभी नहीं हारता वह हमेशा सफल होता है । सारा संसार उसे आदर भाव से देखता है।

कवि कहते हैं कि एक मनुष्य अर्थ पाप के बल पर संचित करता है तो दूसरा भाग्यवाद के छल पर उसे भोगता है।

कवि कहते हैं कि नर समाज का भाग्य श्रम ही है । वह भुजबल है | श्रमिक के सम्मुख पृथ्वी और आकाश झुक जाते हैं । नतमस्तक हो जाते हैं ।

कवि श्रम – जल देनेवाले को पीछे मत रहजाने को कहते हैं । वे कहते हैं कि विजीत प्रकृति से पहले श्रमिक को ही सुख पाने देना चाहिए |

आखिर कवि बताते हैं कि इस प्रकृति में जो कुछ न्यस्त है वह मनुजमात्र का धन है । हे धर्मराज उस के कण – कण का अधिकार जन – जन हैं । मतलब यह है कि जो श्रम करेगा वही कण – कण का अधिकारी है।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

10th Class Hindi उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राजा कुमारवर्मा के राज्य में अकाल की स्थिति क्यों उत्पन्न हुई होगी?
उत्तर:
अकाल की स्थिति तो प्रकृति से संबंधित अंश है। अकाल की स्थिति का कारण वर्षा की कमी है। यदि वर्षा की कमी हो या वर्षा बराबर नहीं हो तो अकाल की स्थिति उत्पन्न होगी। इसी कारण राजा कुमारवर्मा के राज्य में अकाल की स्थिति उत्पन्न हुई होगी।

प्रश्न 2.
अकाल की समस्या के निवारण के लिए राजा ने क्या-क्या उपाय सोचे होंगे?
उत्तर:
राजा कुमार वर्मा ने अकाल की समस्या के निवारण के लिए कई बुद्धिमानों और विद्वानों को बुलवाया होगा। राजभंडार का अनाज प्रजा में बाँट दिया होगा। अडोस – पडोस के राज्यों से अनाज़ उधार लिये होंगे। सभी तरह से खुशहाल किसी राज्य के राजा से, वहाँ के शासन नियमों के पता प्राप्त करने भेंट किये होंगे।

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

प्रश्न 3.
राजा कुमारवर्मा की जगह पर यदि तुम होते तो अकाल की समस्या से कैसे जूझते?
उत्तर:
राजा कुमारवर्मा की जगह पर यदि मैं होता तो अकाल की समस्या से इस प्रकार जूडता :

  • राज्य के धान्यागार में से धान लेकर सबको बाँट दूँ।
  • अडोस – पडोस के राज्यों के राजाओं से धन – धान्य आदि उदार लेकर जनता में बाँट दूँ।
  • नीतिशास्त्र, धर्मशास्त्र आदि को पढ़कर समस्या को हल करने का प्रयत्न करूँ।
  • नीति कोविद, धर्मकोविद, ज्योतिष्य कोविदों को बुलाकर उनसे अकाल के कारणों के बारे में चर्चा करता।
  • वेदों में लिखा गया है कि यज्ञ यागादि कार्य करने से अकाल की स्थिति दूर होगी। – इस कथन के अनुसार मैं यज्ञ यागादि कार्यक्रम करता।
  • शास्त्र, सांकेतिक वैज्ञानिकता की सहायता से मेघ मदन कार्यक्रम करता।

अनोखा उपाय Summary in English

Once there was a king named Kumara Varma who ruled over the kingdom Harithanagar. He was a good administrator. During his reign, his kingdom flourished well and the people lived happily.

Once a severe famine broke out in the kingdom. The harvests in the kingdom dried up. The ponds, as well as the lakes, dried up. Even the two perennial rivers in the kingdom became small gutters.

There was no fodder for the cattle. Many formers started selling their cattle at cheaper prices. In such a situation the king distributed the grain in the treasury to the people. He borrowed the grain from the neighbouring kingdoms. Yet, he couldn’t find a solution.

“All the neighbouring kingdoms are green and prosperous. The people in those kingdoms are leading a comfortable and happy life. Why all this is happening in my kingdom? What is the reason for it? How can I solve this problem?” – These questions role in the King’s heart. He was deeply moved to see the plight of the kingdom.

He held a meeting with the learned, the scholars, and the geniuses in the kingdom and asked them to find out a solution for the problem.

They advised : “Your Magesty! please visit the best ever kingdom and meet the king there. Know the legislative policies of the administration followed in that kingdom. Take up the reforms in administrative methods existed here, based on them. Through this, the conditions of the kindgom will be set right.”

The King Kumara Varma liked this suggestion. Immediately he decided to meet Satya Sinh, the king of his neighbouring kingdom. He sent a message by his servants to Satya Sinh revealing that the people in his kingdom were facing difficulties due to server famine conditions. He wanted to visit thier kingdom to know the policies adopted there and to seek an advice to solve the problem.

Invited by him, Kumara Varma visited the kingdom of Satya Sinh and received a royal welcome. Kumara Varma was amazed to see that kingdom. The water bodies on the four sides and the rivers appeared to the full. The fields were green with harvests. The groves were full of flowers and fruits. He was overjoyed to see the pleasant atmosphere prevailed there.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

He said to Satya Sinh, “Friend! Your kingdom is not less than a paradise. You are following good methods unknown to me. It is the reason why your people are living happily. I too want my people to live contentedly. Please advise me concerning good governance.”

Satya Sinh replied, “O king! Don’t implore me. A person who committed a mistake has no right to give guidance to others. I will relate an incident to you. Once I was wandering in the garden accompanied by my bodyguards. At the very moment, I had to meet my royal mother on an urgent matter. I ordered my bodyguards to stay there until I come. Later I forget about them. The following day it rained heavily. Suddenly I remembered them and went to the garden. They got drenched fully and were still waiting for me. As it was my fault, I have no right to give you advice. Hence, forgive me.” Kumara Varma was astounded to hear his words.

Then he met the royal mother and said that he needed a guiding hand in respect of good governance.

She said, “Son! To be frank, I too am faulty. Once my son presented his wife with a beautiful jewel. I was greedy for it. It’s not good on the part of a royal mother to have greed for jewels. I’m not deserved as I committed such a mistake”.

Kumara Varma later met royal preceptor and sought his advice regarding good governance.

Then the royal preceptor said, “O King ! Forgive me. I’m not deserved for it. Once a scholar came to our kingdom from a faraway country and wanted to visit our king. I had to tell the king that he was a great scholar, as there was no time to test his erudition. The king relied on my words and presented him with many gifts. Later I came to know that he was not such an erudite and he was a common scholar. Because of my sloth, I could not guide our king in a proper way. Hence, I’m not deserved”.

The king Kumara Varma sank in thoughts. He learnt a lesson from these three incidents that one should not commit even a small mistake. If one committed any mistake, one should rectify it. He followed this lesson. Within no time his kingdom achieved progress and the people lived happily ever after.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

This story was extracted from ‘Bangaru Kundelu’ written by a renowned Telugu writer late Sri Ravuri Bhradwaja who won Jnanpith Award for the year 2012. Sri Syed Mateen Ahmed translated this story into Hindi.

अनोखा उपाय Summary in Telugu

చాలా సంవత్సరాల క్రితం నాటి మాట. ఒక రాజ్యం ఉండేది. దాని పేరు హరిత నగరం. హరిత నగరం రాజుగారు కుమారవర్మ. అతడు మంచి పరిపాలకుడు. కుమార వర్మ పరిపాలనా కాలంలో రాజ్యం పచ్చగా ఉంది. కానీ ఒకసారి రాజ్యం మొత్తం పంటలు ఎండిపోయాయి. చెరువులు – కుంటలు ఎండిపోయాయి. కేవలం రెండే రెండు జీవనదులు మిగిలిపోయాయి. అవి కూడా చిన్న – చిన్న కాలువల్లా తయారయ్యాయి.

రాజ్యంలో పశువులకు మేత దొరకడం కూడా చాలా కష్టంగా ఉంది. చాలా మంది రైతులు తమ పశువులను చౌక ధరలకు అమ్మివేయడం ప్రారంభించారు. ఇలాంటి పరిస్థితుల్లో రాజభండాగారంలోని ధాన్యాన్ని రాజుగారు ప్రజలకు పంచి పెట్టడం ఆరంభించిరి. ఇరుగు – పొరుగు రాజ్యాల నుండి ధాన్యాన్ని అప్పుగా తీసుకోవడం ప్రారంభించిరి. కానీ రాజుగారికి భవిష్యత్తుపై దిగులు బాధిస్తోంది. రాజుగారు ఉత్పన్నమైన ఈ పరిస్థితులను గురించి గంభీరంగా ఆలోచించసాగిరి. కానీ దీనికి పరిష్కారం లభించలేదు. “ఇరుగు-పొరుగు రాజ్యాలన్నీ పచ్చగా ఉన్నాయి. అక్కడి ప్రజలంతా సుఖంగా ఉన్నారు. కానీ మన రాజ్యంలోనే ఇలా ఎందుకు జరుగుతున్నది? దీనికి కారణం ఏమిటి? ఈ సమస్యను ఎలా పరిష్కరించడం?” – అని రాజుగారి మనస్సులో ఎన్నో ప్రశ్నలు ఉదయిస్తున్నాయి.

రాజుగారు కుమారవర్మ ఈ సమస్యను పరిష్కరించుటకు, బుద్ధిమంతులను, విద్వాంసులను, పరిస్థితులను క్షుణ్ణంగా అర్థం చేసుకుని జవాబు చెప్పగల మేధావులను పిలిపించారు.

వారి చర్చలో కొంత మంది బుద్ధిమంతులు “ఓ మహారాజా, తప్పులు చాలా రకాలుగా ఉంటాయి. కొన్ని తప్పులు సరళంగానే గుర్తించబడతాయి, కొన్ని తప్పులను గుర్తించలేం! – అని చెప్పిరి. కొంత మంది “ఓ రాజా! కొన్ని తప్పుల (పొరపాట్లు) కు సంకేతాలు ఉంటాయి. మరికొన్ని తప్పులకు సంకేతాలు ఉండవు అని చెప్పిరి.

కొంత మంది విద్వాంసులు- ఓ ప్రభూ! కొన్ని తప్పులు (పొరపాట్లు) సంస్కరణల రూపంలో ఏర్పడతాయి. మరికొన్ని సంస్కరణలే తప్పులుగా మారతాయి. ఇలాంటిదే ఏదో తెలిసీ – తెలియని విషయం దాగి ఉండవచ్చు. అందువలననే ఈ రోజున మన రాజ్యంలో ఇలాంటి పరిస్థితి ఏర్పడినది” అని చెప్పిరి.

అప్పుడు రాజుగారు కుమారవర్మ “అలా అయితే మీరే చెప్పండి. ఇప్పుడు నన్ను ఏమి చేయమంటారు?” అని వారిని అడిగెను.

అందరూ తర్జన – భర్జన చేసి రాజుగారికి ఈ సలహా ఇచ్చి – “అన్ని విధాలా సుభిక్షితంగా ఉన్న రాజ్యంలోని రాజుగారిని కలవండి. అక్కడి పరిపాలనా నియమాలను తెలుసుకోండి. వాటి ఆధారంగా ఇక్కడి పరిపాలనా విధానాలలో మార్పులు (సంస్కరణలు) తీసుకురండి. దీని ద్వారా రాజ్యంలోని పరిస్థితులు చక్కబడతాయి”.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

రాజుగారైన కుమారవర్మకు ఈ సలహా చాలా బాగా నచ్చింది. ఆయన వెంటనే తన పొరుగు రాజ్యపు రాజుగారైన సత్యసింహను కలవడానికి నిర్ణయించుకుని తన సేవకుల ద్వారా ఆ రాజుగారికి సందేశం ఈ విధంగా పంపెను“రాజాధిరాజు, మహారాజు అయిన సత్యసింహనకు సాదర నమస్కారములు. మా రాజ్యంలో కరువు కాటకాలతో ప్రజలు ఇబ్బందులు పడుతున్నారు. ఈ సమస్యను పరిష్కరించుటకు మీ ఉచిత సలహా మరియు మీ శాసన నియమాలను తెలుసుకొనుటకు మేము మీ రాజ్యం దర్శించాలని కోరుకుంటున్నాము. మీరు నా కోరికను మన్నిస్తారని ఆశిస్తున్నాను.”

దానికి ప్రత్యుత్తరంగా మహారాజు సత్యసింహ్ తన సందేశం ఈ విధంగా పంపెను. “మీరు – నేను ఇరుగు-పొరుగు రాజులం. ఏదేని ఒక సమస్య విషయంలో ఒకరినొకరు పరస్పరం సహాయం చేసుకోవడం మన కర్తవ్యం. మా రాజ్యానికి మీకు సాదర స్వాగతం. మీరు మా ఆత్మీయ ఆదరణీయ అతిథులు. అతిథి రూపంలో మిమ్ములను సత్కరించు సౌభాగ్యం మాకు కల్గుచున్నందులకు, మేము మీకు కృతజ్ఞులం.”

ఈ ప్రత్యుత్తరం చదవగానే రాజుగారైన కుమారవర్మకు తన రాజ్యానికి సంబంధించిన కరువు కాటకాల సమస్యకు పరిష్కారం కొంతవరకు దొరికినట్లు భావించిరి. అయినప్పటికీ రాజుగారు పొరుగున ఉన్న రాజ్యాన్ని సందర్శించి ఆ రాజును కలుచుట కోరుకొనెను.

చూస్తూ చూస్తుండగానే ఆ రోజు రానే వచ్చింది. రాజుగారైన కుమారవర్మకు పొరుగు రాజ్యం నుండి భవ్యమైన స్వాగతం లభించినది. రాజ్యాన్ని చూసి రాజుగారు ఆశ్చర్యచకితులైరి. నాలుగువైపులా జలాశయాలు నిండుగా ఉన్నవి. నదులన్నీ నిండుగా ఉన్నవి. కాలువలు ప్రవహిస్తూ ఉన్నవి. చల్లని గాలులు వీస్తూ ఉన్నవి. పంట పొలాలన్నీ పచ్చని పైరు పంటలతో నిండుగా ఉన్నాయి. పూల సుగంధం అంతటా వ్యాపిస్తోంది. తోటలన్నీ పండ్లు – పూలతో నిండుగా ఉన్నాయి. వీటన్నిటినీ చూడగానే రాజుగారి మనస్సు అవధులు లేని సంతోషంతో నిండిపోయినది.

మహారాజు కుమారవర్మ మహారాజుగారైన సత్యసింహను కలిసిరి. “మిత్రమా, మీ రాజ్యం ఏ స్వర్గానికి తక్కువ లేదు. నాకు తెలియని శాసన నియమాలను మీరు పాటించుచున్నట్లు ఉన్నారు అని నాకు అన్పించుచున్నది. అందువలననే మీ ప్రజలందరూ సుఖంగా ఉన్నారు. నేను కూడా మా దేశ ప్రజలను సుఖంగా చూడదలచుచున్నాను. దయచేసి మీరు నాకు సుపరిపాలన హితోపదేశం చేయండి”- అని కుమారవర్మ, సత్యసింహను కోరిరి.

మహారాజుగారైన సత్యసింహలవారు మొదట తిరస్కరించిరి. కానీ రాజుగారైన కుమారవర్మగారి ప్రార్థన మీదట ఆయన ఈ విధంగా బదులిచ్చిరి ” లేదు మహారాజా, నన్ను అభ్యర్థించవద్దు. నేను దోషిని. దోషి అయిన వానికి హితోపదేశం చేసే హక్కు లేదు. నేను మీకు ఒక సంఘటన వినిపిస్తాను. నేను ఒకసారి నా అంగరక్షకునితో ఇదే విధంగా తోటలో విహరిస్తూ ఉన్నాను. అప్పుడే నేను రాజమాతతో అత్యవసర విషయమై మాట్లాడుటకు వెళ్ళవలసి వచ్చినది. నేను తిరిగి వచ్చేవరకు అంగరక్షకులను అక్కడే నిలబడి ఉండమని ఆదేశించితిని. రాజమాతతో మాట్లాడుతూ- మాట్లాడుతుండగా రాత్రి అయిపోయినది. అక్కడే నేను భోజనం చేసి నిద్రించితిని. మరుసటి రోజు ఉదయం లేచి చూడగా బాగా వర్షం కురియుచున్నది. నేను తోటలోకి వెళ్ళి చూడగా అంగరక్షకులు అక్కడే నిలబడి తడచిపోతూ ఉండడం గమనించితిని.

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 4 अनोखा उपाय

నేను మాటల్లో అంగరక్షకులను మరచిపోయినంతగా నిమగ్నమైయున్నాను. వాళ్ళను వెళ్ళిపొమ్మని కూడా చెప్పలేనంతగా మాటల్లో మునిగిపోతిని. ఇది నేను చేసిన తప్పు. అందువలన అలా తప్పు చేసిన రాజుకు హితోపదేశం చేయు హక్కు లేదు. నన్ను క్షమించండి.”

రాజుగారైన కుమారవర్మ మహారాజు సత్యసింహ్ చెప్పిన విషయాన్ని సంఘటనను) పూర్తి ధ్యాసతో విన్నారు. రాజమాత గారే తనకు హితోపదేశం చేయగలరని అనుకుని ఆయన రాజమాత దర్శనం చేసుకొని వారిని హితోపదేశం చేయవలసినదిగా కోరిరి.

“కుమారా! నిజం చెప్పవలెనన్న నేను కూడా దోషినే. ఒకసారి నా కుమారుడు తన భార్యకు ఒక అందమైన నగ తయారుచేయించి ఇచ్చెను. నా మనస్సులో ఆ నగ పట్ల దురాశ కలిగినది. నేను నా కుమారుడిని లేదా నా కోడల్ని ఆ నగ ఇమ్మని అడిగినట్లయితే వారెప్పటికీ కాదనరు. ఒక రాజమాతకు నగల పట్ల వ్యా మోహం ఉండడం తప్పు. వేరొకరి వస్తువు పట్ల దురాశ కలగడం తప్పు. అలాంటి తప్పు చేసిన నేను నీకు హితోపదేశం చేసేంత యోగ్యురాలిని కాను”అని రాజుగారైన కుమారవర్మతో రాజమాత చెప్పినది. (రాజా సత్యసింహ గారి తల్లి.)

రాజుగారైన కుమారవర్మ ఆశ్చర్యచకితులైరి. తదుపరి రాజగురువును కలిసి తనకు హితోపదేశం చేయవలసినదిగా కోరిరి.

అప్పుడు రాజగురువుగారు ఇట్లు అనిరి – “మహారాజా నన్ను క్షమించండి. నేను దీనికి యోగ్యుడను కాను. ఒకసారి సుదూర దేశం నుండి ఒక పండితుడు విచ్చేసెను. ఆయన రాజ దర్శనాన్ని కోరెను. అతని పాండిత్యాన్ని పరీక్షించే సమయం లేకపోవడం వల్ల నేను రాజుగారతో అతడు చాలా గొప్ప పండితుడు అని చెప్పాను. రాజుగారు నా పై అంతులేని నమ్మకాన్ని ఉంచుతారు. ఆయన పండితునికి కుప్పలు – తెప్పలుగా బహుమతి ఇచ్చి పంపారు. ముందు ముందు నాకు ఆ పండితునికి అంత పాండిత్యం లేదని సాధారణ పండితుడు మాత్రమేనని తెలిసినది. నా సోమరితనం వల్ల నేను రాజుగారికి తగిన మార్గదర్శకత్వం చేయలేకపోయాను. అలాంటి తప్పు చేసిన నేను నీకు హితోపదేశం చేయగల యోగ్యుడను కాను.”

కుమారవర్మగారు చాలా ఆలోచనలో మునిగిరి. ఈ మూడు సంఘటనల ఆధారంగా తను చిన్న – చిన్న తప్పులు కూడా చేయరాదన్న గుణపాఠం నేర్చుకొనిరి. ఏదైనా తప్పు జరిగితే దానిని సరిదిద్దవలెనని అనుకొనెను. రాజుగారు ఈ గుణపాఠాన్ని పాటించిరి. కొద్దిరోజుల్లోనే తన రాజ్యం తిరిగి సస్యశ్యామలమైనది. సుఖసంతోషాలతో నిండిపోయినది.

(2012 సంవత్సరమునకు జ్ఞానపీఠ పురస్కారాన్ని పొందిన స్వర్గీయ శ్రీ రావూరి భరద్వాజ గారు తెలుగులోని ఒక గొప్ప ప్రసిద్ది చెందిన రచయిత. ప్రస్తుత ఈ కథ ఆయన రచించిన బంగారు కుందేలులో నుండి గ్రహించబడినది. దీనిని శ్రీ సయ్యద్ మతీన్ అహ్మద్ గారు హిందీలోనికి అనువదించిరి.)

AP SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 3 अपने स्कूल को एक उपहार

AP State Board Syllabus AP SSC 10th Class Hindi Textbook Solutions उपवाचक Chapter 3 अपने स्कूल को एक उपहार Textbook Questions and Answers.

AP State Syllabus SSC 10th Class Hindi Solutions उपवाचक Chapter 3 अपने स्कूल को एक उपहार

10th Class Hindi उपवाचक Chapter 3 अपने स्कूल को एक उपहार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
राजू को उसका पुराना स्कूल कैसा लगता था?
उत्तर:
राजू अपने पुराने स्कूल में वह एक मेधावी छात्र रहा था। पुराने स्कूल में उसके बहुत सारे मित्र थे और सभी अध्यापक भी उसे पसंद किया करते थे। जब भी कोई कठिनाई होती तो राजू सबसे पहले उसकी मदद के लिए पहुँच जाता। उसकी टाँगें बहुत दुर्बल थीं, इस कारण उसे खेलने में रुचि न थी। जब भी उनके स्कूल में मैच होता, राजू अपने साथियों को खेलते हुए देखता और जोर – शोर से उनका उत्साह बढ़ाता। राजू का विचार था कि यदि स्वर्ग में भी स्कूल हो तो वह भी उसके पुराने स्कूल से ज्यादा अच्छा तो नहीं हो सकता।

प्रश्न 2.
राजू के प्रति नये स्कूल के साथियों का व्यवहार कैसा था?
उत्तर:
राजू नये स्कूल में प्रेवश करते ही सभी बच्चे उसके टांगों की ओर संकेत करके हँस रहे थे, और उसका मजाक उडाते थे। कुछ ही क्षणों में पूरा मैदान और बरामदे कौतूहल से देखने और उसकी ओर इशारा करके हँसनेवालों से भर गये। स्कूल के अध्यापक भी पास से ऐसे गुजरे जैसे कुछ हो ही नहीं रहा है। अध्यापक के राजू से पूछने पर उसने बताया कि वह एक गाँव के स्कूल से आया है। यह सुनकर सभी छात्र बहुत हँसे। लेकिन मधुर स्वभाव वाले राजू को गुस्सा नहीं आया। अगले दिन, उससे और अगला दिन और फिर महीने का हर दिन उसके लिए ऐसा ही रहा। उसका कोई मित्र भी नहीं बन पाया था। आधी छुट्टी में जब बाकी सभी लडके खेलने जाते तो वह कक्षा में ही बैठा रहता। अब तक पूरा स्कूल जान गया था कि राजू एक ‘गंवार’ लडका है और उसे अपने गाँव के स्कूल का बडा ‘घमंड’ है।

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प्रश्न 3.
राजू ने अपने स्कूल को किस तरह उपहार समर्पित किया?
उत्तर:
राजू बहुत मेधावी छात्र था। वह गाँव के स्कूल से शहर के स्कूल में पढ़ने के लिए आया था। वह जल्दी नहीं चल सकता था। सभी छात्र उसका बहुत मजाक उडाते थे | सभी छात्र जान गये थे कि राजू एक गंवार लडका है । आखिर राजू ने इस स्थिति से निबटने के लिए बड़ी चतुराई से एक योजना बनायी। इसलिए उसने घर पर अधिक रिश्रम किया। आखिर उसे नये स्कूल के समक्ष प्रमाणित करना था कि उसका पुराना गाँव का स्कूल कोई कम नहीं था। राजू अपनी पढ़ाई करता रहा। उसने परीक्षाएँ अच्छी तरह लिखीं। परिणाम निकलने के दिन पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा – फल देखने गया। फिर वह कक्षा में प्रथम आया था। प्रथम आने पर वह इतना प्रसन्न कभी नहीं हुआ था, क्योंकि अब उसने अपने स्कूल को सुंदर और समुचित उपहार समर्पित किया है।

अपने स्कूल को एक उपहार Summary in English

Raju was an intelligent student. He was a child prodigy. He would always come first in the class. He was fond of reading story books. His favourite subjects were Hindi and English. He would read books concerning science subject also. So he became well – versed in science and history. As to mathematics, he was a magician. He would answer the problems even before the teacher wrote on the blackboard.

In old school he had many friends. Teachers too liked him very much. If anybody else was in difficulties, he would go first to help him/her. In that school nobody cared for his physical disability. His legs were lean and weak. His knees were not strong enough to bear his body for much time. Hence, he would not play any games. But he would watch his friends playing games and encourage them. Inspired by him, they would play the games with much enthusiasm.

He thought about his old school throughout the night and he wished that his new school too would be like the old one. He was of the opinion that his old school was greater than the heaven. At the time of his leaving the old school, his friends sank in sorrow. Even his teachers and the headmaster requested his father to leave him there. As his father got transferred, he had to join another school.

The following day he woke up early and donned his uniform. He looked at himself in the mirror and thought that his new school too would be good. He didn’t take tiffin properly. His parents understood the situation and did not compel him. His father took him to school by his vehicle and saw him off smilingly.

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Raju would walk slowly while limping. The fellow students and everyday in the new school looked at his legs and made fun of him. The teachers also didn’t show any concern towards him.

Soon after the first period started, the teacher made Raju sit on the least row. Asked by the teacher, he introduced himself that he had come from a village school. On hearing that, the students as well as the teacher laughed at him. As he was a boy with composure, he controlled his anger. He felt the need of being bold. He thought that everything would be alright later. But this went on in every period. He was humiliated by the teachers and fellow students.

Raju wanted to prove that village schools are not less than those of town. That evening his parents asked him about the new school. But he kept quiet and gave a smile in reply. He even didn’t like to tell a lie.

In the classroom he was not given any chance to answer the questions asked by the teachers He could make friends with nobody. While the other students kept on playing in a recess during lunch time, he remained quiet in the classroom. Everyone thought that he was proud of his village school.

Finally, Raju made a plan to come out of this situation. He gave up raising his hand when the teachers asked questions. As a result ,the students and the teachers didn’t concentrate on him.

Raju wanted to get through the annual examinations with flying colours. So he worked hard. He wanted to prove that his old school was not a fools’ paradise.

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Everybody in the school expected that he would fail. They jeered at him why they saw him with books. But he continued his preparation boldly and ardently. The examinations were over within a week. After the examinations, he left for his village.

Later, he returned to the town one day before the results day. The following day he, confidently went to school along with his father to know result. He stood first in his class. His father felt very happy. Raju’s joy knew no bounds. He never felt so much happy like that, earlier. Thus, he presented a good and proper gift to his old school.

अपने स्कूल को एक उपहार Summary in Telugu

తన పాత పాఠశాలలో అతడు ఒక మేధావి విద్యార్థి. గత 5 సంవత్సరాలుగా తను తన తరగతిలో అందరి కంటే ముందుండేవాడు. అతనికి కథల పుస్తకాలు చదవడం అంటే చాలా ఇష్టం. అందుకని అతనికి ఆంగ్ల భాష, హిందీ భాష బాగా ఇష్టం. అతనికి సాధారణ జ్ఞానానికి సంబంధించిన పుస్తకాలు కూడా చాలా ఇష్టం. అందువలన అతని విజ్ఞానశాస్త్రం మరియు చరిత్రకు సంబంధించిన విజ్ఞానం వికసించినది. అతడు లెక్కల విషయం (గణితశాస్త్రం) లో అయితే గణిత మాంత్రికుడే. ఉపాధ్యాయుడు నల్లబల్లపై ప్రశ్నలు వ్రాయడానికి పూర్వమే అతడు వాటికి సమాధానం చెప్పడానికి ధైర్యంతో చేతులెత్తేవాడు.

తనకు పాత పాఠశాలలో చాలా మంది మిత్రులు ఉన్నారు. ఉపాధ్యాయులు కూడా ఆ పిల్లవాణ్ణి ఇష్టపడేవారు. అతడు అందర్నీ సంతోషంగా కలుస్తూ “హలో” అని పలకరించేవాడు. ఎప్పుడయినా ఎవరైనా కష్టాలలో ఉంటే రాజు అందరికంటే ముందు తాను సహాయం చేయడానికి బయలుదేరేవాడు. తన పాత పాఠశాలలో ఎవ్వరూ కూడా తన బలహీనతను పట్టించుకునేవారు కాదు. అతని కాళ్ళు చాలా బలహీనంగా సన్నగా ఉండేవి. అతని మోకాళ్ళలో శక్తి లేదు. అధిక . సమయం తన కాళ్ళు తన శరీర భారాన్ని మోసేవికావు. అందువలన అతడు ఎక్కువ సమయం తన కాళ్ళపై నిలబడగలిగేవాడు కాదు. అందువలనే అతడు ఆటలు కూడా ఆడేవాడు కాదు. ఎప్పుడైనా తన పాఠశాలలో ఏవైనా ఆటల పోటీలు ఉంటే రాజు తన స్నేహితుల ఆటను చూస్తూ వారిని ఉత్సాహంగా ఉత్తేజపరిచేవాడు. తన స్నేహితులు ఆట ఓడిపోయేటట్లు – ఉంటే రాజు ప్రేరణతో వారిలో ఆశ సంచరించేది అంతే ఇంకేముంది నూతన స్పూర్తితో ఆట ఆడేవారు.

రాజు రాత్రంతా తన పాత పాఠశాలను గురించి ఆలోచిస్తూ తన నూతన పాఠశాల కూడా తన పాత పాఠశాల అంత మంచిదిగా ఉండాలని ప్రార్థించాడు. ఒకవేళ స్వర్గంలో కూడా పాఠశాల ఉండి ఉంటే అది కూడా తన పాత పాఠశాల కంటే మంచిగా ఉండదని రాజు అభిప్రాయం. తను పాఠశాల విడిచి వచ్చేటప్పుడు ఎంతమంది స్నేహితులు ఏడ్చారు? తన స్నేహితులు, ఉపాధ్యాయులు, అక్కడ దాకా ఎందుకు ప్రధానోపాధ్యాయులు కూడా తన తండ్రిగారితో అతడిని అక్కడే వదిలి వెళ్ళమని ప్రార్థించారు. కానీ వారెవరి మాటను పట్టించుకోలేదు. వాళ్ళ నాన్నగారు బదిలీ అయ్యిి. తన ఏకైక కుమారుణ్ణి అక్కడే వదిలి వెళ్ళాలనే విషయాన్ని వాళ్ళు ఆలోచించనే లేదు.

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మరుసటి రోజు ప్రాతఃకాలాన్నే రాజు త్వరగా లేచి తన యూనిఫారంను ధరించాడు. అద్దంలో తనను తాను చూచుకుని సమదుస్తులైతే బాగానే ఉన్నాయి. పాఠశాల కూడా బాగానే ఉండి ఉంటుంది అని అనుకున్నాడు. అతడేమి టిఫిన్ కూడా సరిగా తినలేదు. అమ్మ-నాన్నలు అర్థం చేసుకుని అతనిపై ఎటువంటి వత్తిడి చేయలేదు. నాన్నగారు తనను బడి (పాఠశాల) గేటు వరకు తన బండిపై తీసుకువెళ్ళి వదిలి నవ్వుతూ వీడ్కోలు చెప్పారు.

రాజు నెమ్మది – నెమ్మదిగా (ఎందుకంటే అతడు వేగంగా నడవలేడు.) కుంటుకుంటూ నడుస్తున్నాడు. అతని మధురమైన నవ్వును గుర్రుగా చూస్తూ, అతని కాళ్ళవైపు సైగచేసి నవ్వుతూ అతనిని అవహేళన చేస్తున్నారు. అక్కడి జనం.

కొద్ది క్షణాలలోనే మైదానం అంతా, వరండా అంతా కుతూహలంతో తననే చూస్తూ అతనివైపు సైగ చేస్తూ నవ్వుకునే వారి సంఖ్య పెరిగిపోయింది. పాఠశాల ఉపాధ్యాయులు కూడా అక్కడేమీ జరగటం లేదన్నట్లు తన ముందుగానే వెళ్ళిపోసాగిరి.

మొదటి పీరియడ్ ప్రారంభం కాగానే ఉపాధ్యాయుడు రాజూని అందరికంటే వెనుక కూర్చోబెట్టెను. రాజూని తనను పరిచయం చేసుకొనమని చెప్పగా తను ఓ గ్రామ పాఠశాల నుండి వచ్చినట్లు చెప్పెను. అది విన్న ఉపాధ్యాయునితో సహా పిల్లలందరూ నవ్విరి. మధుర స్వభావం కల రాజు ఇంతకు ముందెన్నడూ కోపాన్ని ప్రదర్శించలేదు. అతడు స్వయంగా తనకు తాను ధైర్యంగా ఉండవలసిన అవసరాన్ని గుర్తించాడు. త్వరగానే అన్నీ సర్దుకుంటాయి అని అనుకున్నాడు. కాని పూర్తిగా రోజంతా ప్రతి పీరియడ్ లో ఇలాగే జరిగింది. ప్రతిసారి ఒక కొత్త ఉపాధ్యాయుడు రావడం, రాజును ప్రతిసారి అవమానించడం జరిగింది. రాజును, తన పాఠశాలను ఎగతాళి చేయడంలో వారు విజయాన్ని సాధించారా?

లేదు, రాజు వేరే మట్టితో తయారుచేయబడినవాడు. అతడు గ్రామ పాఠశాలలు పట్టణ పాఠశాలల కంటే తక్కువేమీ కాదని నిరూపించదలచాడు. ఆ రోజు సాయంత్రం రాజు తన అమ్మ-నాన్నలకు ఏమీ చెప్పలేదు. వాళ్ళు జిజ్ఞాసపూర్వకంగా అడుగుతున్న ప్రశ్నలకు జవాబులేమీ చెప్పకుండా నవ్వుతూ ఉండిపోయాడు. ఎందుకంటే తనకు అబద్దం చెప్పడం కూడా ‘ : ఇష్టం లేదు.

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మరుసటి రోజు, దాని మరుసటి రోజు, తర్వాత నెలలోని ప్రతిరోజూ అతనికి ఇలానే ఉంది. అతడు తరగతి గదిలో చెయ్యి ఎత్తినా తనను ప్రశ్నలకు జవాబులు చెప్పే అవకాశం ఇవ్వలేదు. అతనికి ఎవ్వరూ స్నేహితులు కూడా ఏర్పడలేదు. భోజన విరామ సమయంలో మిగిలిన పిల్లలందరూ ఆడుకుంటుంటే తను మాత్రం తరగతి గదిలోనే కూర్చునేవాడు. ఇప్పటి వరకూ అందరికీ తెలిసింది ఏమిటంటే రాజు ఒక గ్రామీణ బాలుడని, అతనికి తన గ్రామ పాఠశాల అంటే చాలా గర్వమని.

ఆఖరికి రాజు ఈ స్థితి నుండి బయటపడడానికి తెలివిగా ఒక ప్రణాళిక సిద్ధం చేసుకున్నాడు. తరగతి గదిలో ఉపాధ్యాయులు ప్రశ్నలు అడిగినపుడు చేతులు ఎత్తడం మానేశాడు. తత్ఫలితంగా విద్యార్థులు, ఉపాధ్యాయులు అతనిపై దృష్టి పెట్టడం మానేసిరి. ఒక నెల తర్వాత వార్షిక పరీక్షలు ఉన్నవని రాజుకి తెలుసు. అందువలన రాజు ఇంటివద్ద ఎక్కువ పరిశ్రమ చేసెను. అతనికి తన కొత్త పాఠశాల ముందు తన పాత పాఠశాల (గ్రామ పాఠశాల) మూర్చుల స్వర్గం కాదని నిరూపించదలచాడు.

అందరూ రాజు తప్పుతాడని అనుకున్నారు. సమయం గడిచేకొలది విద్యార్థులందరూ చదువులో మునిగిపోయిరి. రాజు చేతిలో పుస్తకాలను చూసి వారు హేళనగా నవ్వుకొనసాగిరి. రాజు ఇప్పుడు చాలా ధైర్యంగా తన మనస్సులోనే నవ్వుకుంటూ చదువుకుంటూ ఉండెను. ఒక వారంలోనే పరీక్షలు అయిపోయినవి. రాజు రెండు వారాలు సెలవుపై తన
గ్రామం తిరిగి వెళ్ళెను. ఆ తరువాత పరీక్షా ఫలితాలు వస్తాయి.

పరీక్షా ఫలితాలు వెలువడే ముందురోజు రాజు తిరిగివచ్చెను. మరుసటి రోజు ఆత్మవిశ్వాసంతో తన తండ్రిగారితో పరీక్షా ఫలితాలను చూడటానికి వెళ్ళెను. ఒకసారి మరలా రాజు తన తరగతిలో ప్రథమస్థానం పొందెను. తన నాన్నగారు సంతోషించిరి. కానీ రాజు సంతోషానికి అవధులు లేవు. ప్రథమస్థానం పొందినప్పుడు అతడెప్పుడూ ఇంత ఆనందం . పొందలేదు. అతడు తన పాత పాఠశాలకు ఒక అందమైన సముచితమైన మంచి బహుమతిని సమర్పించెను.